आरटीआई पार्ट-5: पीएसयू ऐसी गंगोत्री है, जिसमें गोता लगाने वाले नेताओं को पाप करके मुक्ति मिलती है

सभी पार्टियों के मौजूदा और भूतपूर्व सांसदों ने सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के प्रबंध निदेशकों और चेयरमैन को फण्ड पाने और प्रयोजन अधिकार हासिल करने के लिए नियमित रूप से पत्र लिखे

WrittenBy:संदीप पाई
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आरटीआई जांच श्रृंखला के शुरुआती चार हिस्सों में हमने विस्तार से बताया था कि सांसदों और मंत्रियों (वर्तमान और पूर्व सरकारों के) ने मिलकर सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों को विज्ञापनों, प्रयोजनों और अपने व्यक्तिगत हितों के लिए किस तरह से निचोड़ा. आरटीआई से मिली जानकारी से भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस के सांसदों के भ्रष्टाचार का भी पता चलता है.

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इस भाग में आरटीआई से मिली जानकारी से पता चलता है, कि सभी पार्टियों के मौजूदा और भूतपूर्व सांसदों ने सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के प्रबंध निदेशकों और चेयरमैन को  फण्ड पाने और प्रयोजन अधिकार हासिल करने के लिए नियमित रूप से पत्र लिखे थे.

ज्यादातर मामलों में हमने पाया कि सांसदों ने ऐसे अख़बारों और गैर सरकारी संस्थानों के लिए फण्ड की मांग की थी जिनसे वे सीधे तौर पर जुड़े हुए थे.

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भुवनेश्वर से पांच बार बीजू जनता दल के सांसद रहे पटसानी सांसद के साथ ही विश्वमुखी प्रकाशन के मार्केटिंग मैनेजर की भूमिका भी निभाते रहे. वे विश्वमुखी प्रकाशन के मुख्य संपादक और चेयरमैन भी हैं. पटसानी ने आदतन तमाम सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों को स्पॉन्सरशिप के लिए पत्र लिखा. इसके लिए वो बाकायदा पीएसयू को कई तरह की स्पॉन्सरशिप के विकल्प भी सुझाते हैं और साथ में भुगदान की दर भी सुझाते हैं.

आरटीआई से मिली एक जानकारी के मुताबिक पिछले तीन सालों में गैस अथॉरिटी ऑफ़ इंडिया लिमिटेड (गेल) ने उनकी मांगों को देखते हुए 12 लाख रुपए मंजूर किये थे. गेल के अलावा, पावर ग्रिड कारपोरेशन ऑफ़ इंडिया लिमिटेड (पीजीसीआईएल), नेशनल थर्मल पावर कोर्पोरेशन (एनटीपीसी) और नेशनल हाइड्रो पावर कारपोरेशन (एनएचपीसी ) ने भी इस बीजेडी सांसद की मांग पर क्रमशः 15 लाख, 10.5 लाख, और 6 लाख रुपये मंजूर किये.

आरटीआई से खुलासा हुआ कि उनके लिखे 50 से ज्यादा पत्रों (जो उन्होंने अपने लेटरहेड पर विभिन्न पीएसयू को लिखे) में या तो विश्वमुखी की पत्रिकाओं के लिए विज्ञापन देने या उसके लिए इवेंट करवाने की मांग की गई थी.

ऐसे ही एक केस में उन्होंने विश्वमुखी द्वारा प्रकाशित की गई एक किताब के लिए स्पॉन्सरशिप की मांग की. एनटीपीसी के प्रमुख को लिखे एक पत्र में प्रकाशित किताब के बारे में लिखा है, “मैं आपसे प्रार्थना करता हूं कि यह किताब (जिसकी 5000 कॉपी छपी हैं) हिंदी में है जिसे एनटीपीसी लिमिटेड ने स्पॉन्सर किया है. इसके बारे में विश्वमुखी को 2 लाख रुपये की स्पोंसरशिप के जरुरी आदेश आपके आफिस से दिए जाने हैं .

एनटीपीसी के प्रमुख को लिखे एक दूसरे पत्र में पटसानी ने 18 जनवरी 2013 को सेन्ट्रल कोल फील्ड्स लिमिटेड (सीसीएल) के सीएमडी से कहा, “मेहरबानी करके 17 जनवरी 2013 को ओएल मीटिंग में हमारे बीच हुई बातचीत को याद रखें. (इस सम्बन्ध में राजभाषा और टूरिस्म स्पेशल (हिंदी) के लिए एक विज्ञापन देना है)….मैं इस संस्थान [विश्वमुखी] से इसके चेयरमैन और मुख्य संपादक की हैसियत से, जबसे ये छपना शुरू हुई है तब से, काफी करीब से जुड़ा हूँ….. आपसे निवेदन है कि राजभाषा और टूरिज्म के लिए एक विज्ञापन देने का कष्ट करें [टैरिफ इस पत्र के साथ अटैच है]…”

 हमने पटसानी को कई फोन और मेल किये, जिसका उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया.

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कैप्टन जय नारायण प्रसाद निषाद (भूतपूर्व सांसद) और उनके बेटे अजय निषाद (मुज्जफरपुर से भाजपा के सांसद) ने भी एक पीएसयू से सोसाइटी फॉर सोशल एंपॉवरमेंट एंड रिसर्च और एनालिसिस कमीशन फॉर एंपॉवरमेंट के लिए फण्ड की मांग की थी. पिता और पुत्र दोनों ने पोलिटिको नामक पत्रिका को प्रमोट करने के लिए (यह सोसाइटी फॉर सोशल एंपॉवरमेंट द्वारा प्रकाशित होती है) पत्र लिखे. इनमें से कुछ बेहद गुस्से में लिखे गए थे.
आरटीआई से मिले दस्तावेजों के मुताबिक इन संस्थानों को एनटीपीसी, एनएचपीसी और गेल द्वारा कुल मिलाकर तीन लाख रुपये से ज्यादा का भुगतान किया गया.

28 अक्टूबर, 2013 को कैप्टन निषाद ने गेल के सीएमडी को लिखा जिसमें कहा गया था- “न्यूज़ आइडियोलोजी’ के संपादक अर्जुन सिंह एक अच्छे इन्सान और पत्रकार हैं.” अर्जुन सिंह मेरे करीबी हैं. वो निजी और सरकारी क्षेत्र पर एक संस्करण निकालने जा रहे हैं. मैं आपसे निजी तौर पर निवेदन करता हूं कि उन्हें इस पाक्षिक पत्रिका के लिए विज्ञापन देने का कष्ट करें. आपके द्वारा इस पाक्षिक पत्रिका को की गई मदद को मै अपनी मदद समझूंगा.” गेल ने ‘न्यूज़ आइडियोलोजी’ के लिए 44,000- रुपये मंजूर किये.

31 जुलाई, 2013 को कैप्टन निषाद ने उस समय के ऊर्जा राज्य मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया को लिखा, “मैं दिनकर शर्मा का ये पत्र आपको भेज रहा हूं जो कि पांचवे नेशनल एक्जीबिशन एंड कांफ्रेंस ऑन साइंस- टेक / फ़ूड प्रोसेसिंग के सेक्रेटरी जनरल हैं, मैं आपका आभारी रहूंगा अगर आप अपने मातहत अधिकारियों को मंत्रियों व विभागों के जरिये लगने वाले इस राष्ट्रीय स्तर की एग्जिबिशन में हिस्सा लेने के लिए कहें…” मजेदार बात ये है कि एक चमचमाते हुए एनेक्स्चर से पता चलता है कि कैप्टन निषाद उस संस्थान के संरक्षक है.

हमने अजय निषाद को कई फोन और मेल किये, जिसका उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया.

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ओडिशा के क्योंझार से भाजपा सांसद शकुन्तला लागुरी और उनके पति यशवंत नारायण सिंह लागुरी (2009-14 में वो क्योंझार से सांसद थे ) हर महीने लगभग सभी पीएसयू को सन्देश ब्यूरो पत्रिका को विज्ञापन देने के लिए लिखते रहे. यह पत्रिका 171, नार्थ एवेन्यू नई दिल्ली से निकलती है. यह उनके आधिकारिक आवास 176 नार्थ एवेन्यू के बेहद नजदीक है.

दोनों पति-पत्नी ने एनटीपीसी लिमिटेड, महानदी कोलफील्ड्स लिमिटेड, पीजीसीआईएल, एनएचपीसी लिमिटेड, सेन्ट्रल कोलफील्ड्स लिमिटेड, कई दूसरे पीएसयू से अपनी मैगजीन सन्देश ब्यूरो के लिए विज्ञापनों के रूप में 5 लाख से ज्यादा के फण्ड का इंतजाम किया.

हमने इस पर उनकी प्रतिक्रिया लेने के लिए शकुन्तला लागुरी से संपर्क किया, तो उन्होंने हमको अपने निजी सचिव प्रवीण वर्मा से बात करने को कहा. प्रवीण वर्मा को लागुरी के इस तरह से विज्ञापन मांगने पर कहीं भी हितों में टकराव नज़र नहीं आया.

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हरियाणा के करनाल से पूर्व सांसद डॉ. अरविन्द शर्मा ने अपने करीबी, डॉ नरेंद्र कुमार के अख़बार ‘युवा नेतृत्व ज्योति’ को विज्ञापन देने के लिए, पीएसयू के प्रमुखों को कई पत्र लिखे. इन पत्रों में उन्होंने रूरल इलेक्ट्रिफिकेशन कोर्पोराशन (आरईसी) के सीएमडी को 80,000 रुपये की स्पॉन्सरशिप के लिए लिखा- “हम आपसे निवेदन करते हैं कि, हिंदी के अख़बार ‘युवा नेतृत्व ज्योति’ को एक पूरे पेज का विज्ञापन देने में सहयोग करें. इस संबंध में पहले भी हमने कई निवेदन दिए हैं जो आपके यहां लंबित हैं. इसलिए कृपा करके सम्बंधित अधिकारियों को एक पूरे पेज का विज्ञापन उपरोक्त प्रकाशन (युवा नेतृत्व ज्योति) को देने में सहयोग करें और उसे editorynj@gmail.com पर मेल कर दीजिये, सीसी में tejnupmanyu@gmail.com को रखिये और मेरे नजदीकी सहयोगी डॉ नरेंद्र कुमार से एक बार फोन पर बात कर लीजिये.
हमने शर्मा को कई फ़ोन किये जिनका जवाब नहीं दिया गया.

साथ में मनीषा पांडे और अरुणब सेकिया.

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