एनटीपीसी धमाका: क्या एक अधिकारी की जिद की भेंट चढ़े 32 लोग?

कहा जा रहा है कि चार दिन पहले से ऊंचाहार प्लांट में समस्या शुरू हुई थी लेकिन उच्चाधिकारियों ने यूनिट को चालू रखने पर जोर दिया.

WrittenBy:अतुल चौरसिया
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रायबरेली के ऊंचाहार स्थित नेशनल थर्मल पॉवर प्लांट में हुए धमाके में अब तक 32 लोगों की मौत होने की पुष्टि हुई है. शुरुआती जांच रिपोर्ट में यह बात सामने आ रही है कि उच्चाधिकारियों की जबर्दस्ती और सुरक्षा मानकों में आपराधिक अनदेखी के चलते यह घटना हुई है.

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एनटीपीसी के लखनऊ दफ्तर स्थित एक अधिकारी गोपनीयता की शर्त पर कई ऐसी बातें बताते हैं जो अब तक सामने नहीं आई हैं. इससे शीर्ष एनटीपीसी अधिकारी की जिद भी कथित तौर पर सामने आ रही है जो कि इस युनिट को किसी कीमत पर बंद नहीं करना चाहते थे जबकि चार दिन पहले से इस यूनिट में बॉटम एश जमा होने की बात चल रही थी. इन जानकारियों से आपराधिक लापरवाही का खुलासा होता है लेकिन एनटीपीसी के जिम्मेदार अधिकारी इन सभी आरोपों का खंडन कर रहे हैं.

एनटीपीसी अधिकारी से मिली जानकारी में कुछ सनसनीखेज चीजें सामने आई हैं. पहले हम एक-एक कर बॉयलर के कामकाज और खामियों को समझेंगे, इसके बाद इस पर एनटीपीसी के जिम्मेदार लोगों की राय जानेंगे.

पॉवर प्लांट के ‘बॉटम ऐश हॉपर’ तथा बॉयलर में राख का इकट्टा होना का कोई नई बात है या ऐसा पहली बार हो रहा है? क्या यह राख अचानक से इकट्ठा हुई?

बिल्कुल नहीं. किसी भी थर्मल पॉवर प्लांट में यह रोजाना की प्रक्रिया का हिस्सा है. समय-समय पर बॉयलर के बॉटम ऐश यानी तली में कोयले की राख जमा होती रहती है.

तली में राख इकट्टा होने की स्थिति में नियमानुसार क्या करना होता है?

यदि कोयले की राख सिर्फ ‘बॉटम ऐश हॉपर’ में ही जमा हुआ हो तो प्लांट के चालू रहते हुए भी प्लांट का लोड कम करके, हॉपर में अलग-अलग ऊंचाई पर बने ‘पीप होल’ को खोलकर प्रशिक्षित स्टाफ के द्वारा लोहे की लंबी रॉड्स से खोदकर राख को नीचे गिराया जाता है. ऐसा करने वाले स्टॉफ को विशेष सुरक्षा उपकरण पहनना पड़ता है.

यदि कोयले की राख इकट्टा होते-होते हॉपर से ऊपर बॉयलर के अन्दर तक पहुंच जाता है तो प्लान्ट की उस यूनिट को बन्द करके बॉयलर की अच्छे से सफाई की जाती है. यह प्रकिया लगभग प्रत्येक पॉवर प्लांट मे होती है. प्लांट को बंद किए बिना बॉयलर से राख की सफाई नहीं की जा सकती. यह मानक प्रक्रिया का उल्लंघन है.

एनटीपीसी ऊंचाहार प्लांट में दुर्घटना का असली कारण क्या है?

प्लांट के यूनिट नम्बर 6 को बिना बंद किए यानी चालू हालत में ही बॉयलर में जमा फ्यूज्ड राख (क्लिंकर) को ‘पीप होल’ खोलकर निकालने की कोशिश की गई. इसकी वजह से बॉयलर के अन्दर दबाव 350 mmwc तक पहुंच गया. इस बढ़े दबाव की वजह से बॉयलर में ब्लास्ट हो गया. नियमानुसार यूनिट को बन्द करके बॉयलर की सफाई की गई होती तो इतनी बड़ी दुर्घटना नही होती.

एनटीपीसी रायबरेली-ऊंचाहार की यूनिट नम्बर 6 को बन्द क्यों नही किया गया?

एनटीपीसी ऊंचाहार के महाप्रबन्धक द्वारा यूनिट 6 को बन्द करने की स्वीकृति मांगी गई. इस पर लखनऊ स्थित क्षेत्रीय कार्यकारी निदेशक (उत्तर) ने यूनिट बन्द न करने का आदेश दिया. उनकी स्वीकृति नही मिलने की वजह से चालू यूनिट में बॉयलर को खोलकर राख हटाने की कोशिश की गई जो दुर्घटना का कारण बनी.

इस लिहाज से इस दुर्घटना की पहली जिम्मेदारी क्षेत्रीय कार्यकारी निदेशक की बनती है.
सूत्र बताते हैं कि यूनिट-6 में चार दिन पहले से बॉटम एश जमा होने की समस्या चल रही थी. इसके चलते 30 अक्टूबर को एक मीटिंग भी ऊंचाहार प्लांट में हुई थी जिसमें जनरल मैनेजर मलय मुखर्जी के साथ तमाम बड़े अधिकारी शामिल हुए थे. इस मीटिंग में विचार किए गए मुद्दे के बारे में पूछने पर जनरल मैनेजर मलय मुखर्जी ने बताया, “हर दिन बहुत सी मीटिंग होती रहती है. उसमें हुई चर्चा और मुद्दों के बारे में बता पाना मेरे लिए संभव नहीं है. कुछ मीटिंग वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए भी होती हैं.” वो आगे बताते हैं, “धमाके से पहले इस समस्या पर कोई चर्चा नहीं हुई.”

यह पूछने पर कि क्या क्षेत्रीय कार्यकारी निदेशक आरएस राठी 30 तारीख को ऊंचाहार प्लांट में बैठक के लिए आए थे, मलय मुखर्जी ने सीधे मना कर दिया.

न्यूज़लॉन्ड्री ने इस संबंध में क्षेत्रीय कार्यकारी निदेशक आरएस राठी से भी बात की पर उन्होंने भी 30 अक्टूबर को ऊंचाहार में किसी तरह की बैठक में शामिल होने से इनकार किया.

एनटीपीसी के हमारे सूत्र बताते हैं कि बुधवार जिस दिन यह घटना हुई उस दिन 11 बजे के आस पास पहले यूनिट-6 ऑटोमेशन में होने के कारण बंद हो गया था. इस समय तक बॉटम एश का स्तर हॉपर से ऊपर उठकर बॉयलर में 20 मीटर तक हो चुका था. लेकिन लखनऊ के एक वरिष्ठ अधिकारी के लगातार दबाव में इसे दोबारा चालू करना पड़ा जिसके बाद बॉयलर में धमाका हो गया.

इस आरोप के बारे में आरएस राठी कहते हैं, “बुधवार को यूनिट छह बंद नहीं हुआ था. यह गलत जानकारी है. सीधे धमाका हुआ था. हम जांच कर रहे हैं. इससे ज्यादा जानकारी फिलहाल नहीं दे सकते.”

बॉटम एश जमने की स्थिति में यूनिट को बंद करने के मानक के बारे में राठी बताते हैं कि ऐसा कोई मानक नहीं है.

इस बीच एनटीपीसी ने भी एक आधिकारिक बयान जारी कर कहा है कि दुर्घटना बॉयलर फटने की वजह से नहीं हुई है. हालांकि उसने यह जरूर माना है कि यूनिट-6 के बॉयलर में कुछ दिक्कत थी जिसे ठीक करने की कोशिश की जा रही थी.

एनटीपीसी के सूत्र से हुई हमारी विस्तृत बातचीत में यह बात भी सामने आई कि देशभर के ज्यादातर थर्मल प्लांट में इस तरह की लापरवाही होती है जो कि स्थापित मानकों के बिल्कुल खिलाफ है इसके बावजूद ऐसा होता है. बुधवार को यह लापरवाही भारी पड़ी जिसमें 32 लोगों की जान जा चुकी है.

इस बीच अब तक 32 लोगों के मौत की पुष्टि हो चुकी है, यही एकमात्र सच है जो हमें पता है. बाकी सभी आरोपों का खंडन एनटीपीसी और उसके अधिकारी जारी कर चुके हैं.

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