जिंद रेप केस: क्या पीड़िता गुमशुदगी के दो दिन बाद भी जिंदा थी?

पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में मौजूद तथ्य एक बार फिर से सड़ रही पुलिस व्यवस्था और जांच के अवैज्ञानिक तौर-तरीकों की तरफ इशारा करते हैं.

WrittenBy:अमित भारद्वाज
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हरियाणा पुलिस अब तक जिंद रेप व मर्डर केस  में कुछ भी ठोस हासिल नहीं कर सकी है, इसी बीच 15 वर्षीय शीतल (बदला हुआ नाम) के परिवार को मिली पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट कई परेशान करने वाले तथ्यों की ओर इशारा कर रही है. रिपोर्ट के आदार पर एक आकलन यह भी लगाया जा रहा है कि 9 जनवरी को लापता हुई दसवीं की छात्रा अगले दो दिनों तक शायद जीवित थी.

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पीड़िता शीतल और उसका साथी गुलशन, दोनों झांसा गांव के रहने वाले, को 9 जनवरी की शाम पांच बजे गांव के मार्कन्डा पुल के पास देखा गया था. 19 वर्षीय गुलशन तब तक पुलिस के शक के केंद्र में था जब तक कि उसकी क्षत-विक्षत लाश 16 जनवरी की रात भाखरा नहर से प्राप्त नहीं हुई थी. शीतल की मृत देह भाखरा नहर की ही सहायक धारा, जो कि गांव से करीब 100 किलोमीटर दूर है, से 12 जनवरी को मिली थी.

शीतल का पोस्टमॉर्टम 13 जनवरी को हुआ. न्यूज़लॉन्ड्री को प्राप्त यह पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट से पता चलता है कि शीतल की मौत का “संभावित समय” और पोस्टमॉर्टम के बीच “करीब 36 घंटे” का फ़र्क है. मतलब कि शीतल की मौत 11 जनवरी के आस-पास हुई, गुमशुदगी के दो दिन बाद. इस लिहाज से यह भी कहा जा सकता है कि उसकी जान कम से कम 11 जनवरी तक तो बचाई ही जा सकती थी क्योंकि लड़की के मां-बाप ने 9 जनवरी को ही रात में गुमशुदगी की शिकायत दर्ज करवा दी थी.

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शीतल की मां के मुताबिक, लापता होने से दो घंटे पहले उनकी बेटी ने चावल (नमक, प्याज और हल्दी से बनी) और आलू मटर की सब्जी खाई थी. हालांकि, जांच के दौरान उसके शरीर में पाए गए अधपचे खाने के पदार्थ उसके मां के दावों से मेल नहीं खाते. इन अपच पदार्थों में टमाटर और मसूर शामिल हैं.

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इससे भी यही साबित होता है कि शीतल ने घर से बाहर जाने के बाद भी खाना खाया था. हालांकि शीतल की मां (स्वर्णा) और पिता (सुरेन्द्र कुमार) ने बताया कि शीतल के किसी भी दोस्त ने मिलने या ट्यूशन के बाद खाने के बारे में सूचित नहीं किया है.

हालांकि उप पुलिस निदेशक धीरज कुमार, जो इस केस की जांच-पड़ताल कर रहे हैं, ने बताया, “यह संभव है कि ये अपच खाद्य सामग्री उसने बाद में जो कुछ खाया, उसका हिस्सा हो.” पर कुरूक्षेत्र के पुलिस के निदेशक अभिषेक गर्ग ने इस रिपोर्टर को बताया कि पुलिस अपहरण की आशंका पर भी जांच कर रही है. जब उनसे खाद्य पदार्थों के जांच रिपोर्ट के बारे में पूछा गया तो गर्ग ने कहा, “हमलोगों ने इसे अपने जांच में शामिल किया है और अन्य दृष्टिकोण पर भी नज़र बनाये हुए हैं.”

जिन तीन डॉक्टरों ने यह रिपोर्ट तैयार की उन्होंने इन बातों का जिक्र किया लेकिन फिर भी वे यौन उत्पीड़न की पुष्टि करने से बचते रहे. अंतत: उन्होंने तभी इसकी पुष्टि की जब उन्हें मौखिक, वैजाइनल द्रव्य में मौजूद स्पर्मेटोजोआ आदि संबंधी विश्लेषण रिपोर्ट नहीं मिल गई. यह साफ इशारा करता है कि डॉक्टर मृत्यु के समय और फूड सैंपल के बारे में पूरी तरह आश्वस्त थे. उन्होंने ये सैंपल फोरेंसिक साइंस लेबोरेट्री को भेज दिए.

9 जनवरी को लापता हुए व्यक्ति की एफआईआर रिपोर्ट नहीं करने और गुलशन के दोस्तों व परिजनों को परेशान करने तक, हरियाणा पुलिस की जांच के प्रति यही सुस्ती देखी गई. पहले जांच पूरी तरह से गुलशन पर केंद्रित रही. हालांकि जब गुलशन का मृत शरीर भाखरा नहर के बटेडा में, गांव से करीब 25 किलोमीटर दूर, मिला उसके बाद पुलिस की सारी जांच ठप्प पड़ गई.

स्थानीय सूत्रों ने बताया कि आसपास के जिलों से लाशें नहर में निकलती रहती हैं. गर्मियों में लाश को ऊपर आने में करीब चार से पांच दिन लग जाते हैं और सर्दियों में लगभग सात दिन, एक पुलिस अधिकारी ने बताया. गुलशन का मृत शरीर 16 जनवरी को मिला, लापता होने के सात दिनों बाद.

जिंद के बुद्धा खेड़ा गांव में भाखरा नहर की सहयोगी नहर से शीतल का मृत शरीर 12 जनवरी को मिला, लापता होने के तीन दिन बाद. उसके शरीर पर घाव के 19 निशान थे, लिवर बुरी तरह से क्षतिग्रस्त था, योनि पर गहरे घाव थे क्योंकि उसके निजी अंगों में किसी धारदार हथियार से चोट किया गया था.

सवाल उठता है कि क्या जिंद में ही उसकी लाश को नहर में डाला गया या फिर यह नहर में बहकर यहां तक पहुंची. स्थानीय पुलिस के सूत्र बताते हैं कि लड़की का मृत शरीर 110 किलोमीटर नहर में बहकर आया हो, यह असंभव है.
“हमलोग दोनों संभावनाओं पर जांच कर रहे हैं, क्या मृत शरीर को नहर में फेंका गया था या उसे पहले से बहा दिया गया था,” पुलिस निदेशक गर्ग ने कहा. हालांकि उन्होंने न्यूज़लॉन्ड्री बताया कि, “उसके फेफड़ों में काफी पानी भरा था जिससे उसके डूबने की तरफ इशारा जाता है”. यह जानना महत्वपूर्ण है कि लड़की का शरीर गुलशन की तरह दफनाया नहीं गया था.

एफआईआर दर्ज होने के 10 दिनों बाद भी पुलिस अबतक केस में किसी ठोस निष्कर्ष पर नहीं पहुंच पाई है. जांच किस दिशा में बढ़नी चाहिए यह अबतक पुलिस तय नहीं कर पाई है. 19 जनवरी की शाम तक, झांसा गांव के पंचायत भवन में पुलिस निदेशक गर्ग समेत कई वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के बीच मंथन का ही दौर चल रहा था, कि घटना के क्या संभावित कारण हो सकते हैं. पुलिस निदेशक गर्ग का सिर्फ इतना ही कहना था, हम हर संभवनाओं पर विचार कर रहे हैं. उन्होंने जोड़ा कि स्थानीय गुंडे, नशाखोरी करने वाले और सभी ऐसे संदेहास्पद लोगों की पुलिस तहकीकात करेगी.
पिछले दो दिनों से पुलिस उन मोबाइल नंबरों पर कॉल कर रही है जो 9 जनवरी को झांसा मोबाइल टॉवर के रेंज में सक्रिय थे.

केस दर्ज किए जाने के रवैये को लेकर भी कुछ गंभीर प्रश्न उठते हैं. सुरेन्द्र कुमार, लड़की के पिता, ने 9 जनवरी को पुलिस से संपर्क किया. हालांकि, पुलिस के अनुसार, उन्हें इसकी सबसे पहले सूचना 10 जनवरी को मिली. उन्होंने न्यूज़लॉन्ड्री को बताया, “9 तारीख को लगभग 11 बजे को हमने झांसा पुलिस स्टेशन को लिखित शिकायत दी थी.”

लेकिन न्यूज़लॉन्ड्री को मिली एफआईआर कहती है कि घटना की पहली सूचना दोपहर एक बजे मिली और डायरी इंट्री 1.25 पर की गई. इस सवाल का जबाव देते हुए, एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने रिपोर्टर को बताया, “अब शुरुआत में गलती हो गई, क्या कर सकते हैं?”

राष्ट्रीय अनुसूचित जाति-जनजाति आयोग के प्रतिनिधियों ने शुक्रवार को मृतकों के परिजनों से मुलाकात की. उन्होंने कहा कि शुरुआती गलतियों के कारण स्टेशन इन-चार्ज को सस्पेंड कर दिया गया है.

पुलिस ने उसी स्कूल के नौंवी के छात्र उदय सिंह को पकड़ा, जो दोनों के साथ देखा गया था. उसके परिवार के मुताबिक, उसे गुलशन की शरीर पाए जाने के बाद छोड़ा गया. हालांकि, पुलिस ने मंदिर के ऊपर लगे सीसीटीवी फुटेज देखने की जरूरत नहीं समझी, जहां 14 जनवरी तक सिंह ने दोनों को देखा था. पुलिस सीसीटीवी देखने उस दिन आई जिस दिन लड़की का मृत शरीर परिवार को दिया गया, मंदिर का रख-रखाव करने वाले संत कुमार शर्मा ने कहा. नहर के ऊपर पुल यहां से कुछ ही मीटर की दूरी पर है.

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राष्ट्रीय अनुसूचित जाति व जनजाति आयोग के सदस्य राज कुमार से जब पूछा गया कि क्या पुलिस ने सीसीटीवी कैमरों का विवरण मुहैया करवाया, उन्होंने झिझक के साथ हां कहा. लेकिन वे विवरण साझा करने को तैयार नहीं थे. शाम को इस रिपोर्टर ने पुलिस अधिकारियों को लड़की के घर से पंचायत भवन और शिक्षक के घर जाने वाली सड़क पर सीसीटीवी कैमरे देखते पाया.

दिलचस्प था कि गुलशन को केस में मुख्य आरोपी बनाया गया था. कुमार ने कहा कि उसे कभी भी केस में मुख्य आरोपी नहीं बनाया गया. 9 जनवरी को वह और गुलशन दोनों ही नरेश खुराना के घर पर ट्यूशन करने नहीं आए थे. यहां तक की खुराना, जो स्कूल भी चलाते हैं जिसमें दोनों पढ़ते थे, ने कहा कि उन्होंने गुलशन को आरोपी नहीं बताया.
शुक्रवार को गुलशन के परिवार ने आयोग के प्रतिनिधियों से मिलने के बाद सीबीआई जांच की मांग की.

इस बीच, फोरेंसिक रिपोर्ट आने के बाद ही रेप की पुष्टि हो सकेगी. हालांकि पुलिस ने गैंग रेप, अपहरण, पोसको क़ानून और एससी एसटी एट्रोसिटिज कानून के अंतर्गत केस दर्ज किया है.

इनसब के बीच, पुलिस का फिलहाल सिर्फ इतना कहना ही कहना है, हमलोग सभी संभावनाओं पर विचार कर रहे हैं और राज्य में भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने कहा है कि पुलिस को घेर कर “मामले का राजनीतिकरण न किया जाए”.

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