‘संघ के हिंदुत्व को मात दे रहा मध्य प्रदेश वाले कमलनाथ का हिंदुत्व’

गौशाला, तीर्थयात्रा, राम मंदिर समेत वो सारे काम मध्य प्रदेश की कांग्रेस सरकार कर रही है जो कभी भाजपा के मुद्दे हुआ करते थे.

WrittenBy:शुरैह नियाज़ी
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मध्यप्रदेश में 15 साल बाद काग्रेंस पार्टी सत्ता में काबिज़ हुई है लेकिन अगर 2 माह के पार्टी के कार्यकाल को देखे तो ऐसा प्रतीत होता है कि पार्टी लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए उन्हीं नीतियों पर आगे बढ़ रही है जिन्हें बीते 15 सालों के दौरान भाजपा की सरकार ने अपनाया था. राजनीतिक पंडित इसे सॉफ्ट हिंदुत्व की नीति भी कह रहे हैं

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आलम ये है कि नई सरकार बनने के दो महीने के भीतर ही खंडवा जिले में गौ हत्या के आरोप में तीन लोगों पर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका) के तहत कारवाई की गई. चिंता की बात ये है कि इतना सख्त कानून सिर्फ आरोप के आधार पर आरोपियों पर थोप दिया गया, कोई व्यवस्थित जांच किए बिना.

पुलिस ने बताया कि यह घटना खंडवा जिले के खरखली गांव के पास की घटना है. पुलिस का दावा है कि जब वे घटना स्थल पर पहुंचे तो तीनों अभियुक्त वहां से भाग खड़े हुये. उसके बाद तीनों अभियुक्तों नदीम, शकील और आज़म को गिरफ्तार कर लिया गया. नदीम और शकील दोनों भाई हैं और तीसरा अभियुक्त आज़म खरखली गांव का ही रहने वाला है.

पुलिस का यह भी कहना है कि जब वे घटनास्थल पर पहुंचे तो उन्हें वहां पर कटी हुई गाय के अवशेष मिले थे. पुलिस ने गौहत्या निषेध अधिनियम की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया उसके बाद पुलिस अधीक्षक की सिफ़ारिश पर इन लोगों पर ज़िला कलेक्टर ने रासुका लगाने की संस्तुति दे दी.

खंडवा के एसपी सिद्धार्थ बहुगुणा आरोपितों पर रासुका लगाने को सही ठहराते हैं. उन्होंने कहा, “मामला संवेदनशील होने की वजह से यह कदम उठाया गया है ताकि सांप्रदायिक सौहार्द न बिगड़े.” वही आरोपियों के परिजनों का दावा है कि यह सब झूठा मामला बनाया गया है. इसमें पुलिस के एक मुख़बिर ने अपनी दुश्मनी निभाई है. अभियुक्तों के वक़ील नफीस कुरैशी भी कहते हैं कि यह पूरा मामला आपसी रंजिश का है.

क़ुरैशी बताते हैं, “शकील और नदीम खंडवा के रहने वाले है. जबकि पुलिस उन्हें खरखली गांव का बता रही है. ये आपसी रंजिश का मामला है. घटना से इनका कोई संबंध नही है.” इस घटना ने मध्य प्रदेश में बदले हुए राजनीतिक माहौल में एक नई बहस को जन्म दे दिया है. अब प्रदेश कांग्रेस के भीतर से ही एक तबका इस तरह की कठोर कार्रवाई के विरोध में आवाज़ उठाने लगा है. मामला इतना बड़ा बना कि दिल्ली में काग्रेंस के दिग्गज नेता और पूर्व वित्तमंत्री पी.चितांबरम ने भी आरोपितों पर रासुका के तहत कार्रवाई को गलत करार दिया. वहीं दो बार मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री रह चुके कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने भी गौ हत्या के मामले में रासुका लगाने को गलत माना है.

मामला कांग्रेस पार्टी के गले की हड्डी बनता जा रहा है. काग्रेंस के मुसलमान विधायक आरिफ मसूद ने ऐतराज़ जताते हुये मुख्यमंत्री कमलनाथ को पत्र लिखा है. उन्होंने मांग की है कि कलेक्टर को हटाने के साथ ही पूरे मामले की जांच एसआईटी से कराई जाय.

न्यूज़लॉन्ड्री से बातचीत में भोपाल मध्य से नवनिर्वाचित विधायक आरिफ मसूद ने कहा, “इस मामले में जांच किया जाना जरुरी है. लोगों ने इसीलिये हमें वोट दिया है कि हम किसी के भी साथ नाइंसाफी न करें.”यह मामला अभी ठंडा भी नहीं पड़ा था कि मालवा इलाके में पुलिस प्रशासन ने एक अन्य मामले में दो लोगों के ऊपर गौतस्करी के आरोप में रासुका लगा दिया.

प्रदेश में पुलिस प्रशासन जिस तरह से काम कर रहा है उसके पीछे कांग्रेस सरकार की अपनी मजबूरियां भी हैं. नाम न छापने की शर्त पर एक कांग्रेसी नेता बताते हैं, “लंबे समय बाद पार्टी सरकार में आई है. बीते 15 सालों में संघ और भाजपा ने मिलकर पुलिस और प्रशासनिक व्यवस्था का पूरी तरह से भगवाकरण कर दिया है. ये लोग अभी भी उसी मानसिकता में काम कर रहे हैं. हमारी सरकार की मजबूरी है कि इन्हीं अधिकारियों के साथ काम करना है. सरकार एक हद से ज्यादा अपने ऊपर प्रो-मुस्लिम या हिंदू विरोधी होने का खतरा नहीं लेना चाहती. लिहाजा एक हद से ज्यादा अभी मुख्यमंत्री किसी के ऊपर दबाव नहीं डाल रहे हैं. लेकिन जल्द ही अधिकारियों की यह मनमानी काबू में आ जाएगी. उन्हें इस तरह से खुली छूट नहीं दी जाएगी.”

जाहिर है लंबे समय बाद सत्ता में आई कांग्रेस के सामने एक चुनौती उसके हिंदू विरोधी होने के लेकर भी थी. बड़ी मुश्किल से उसने इस चुनौती से पार पाया है. अब गौतस्करी और गौहत्या जैसे मामले उसके सामने असुविधाजनक स्थिति उत्पन्न कर रहे हैं.

सरकार ने पिछले महीने सड़कों पर नज़र आने वाली गायों के लिये एक अभियान भी चलाया. यह अभियान 15 जनवरी से चलाया गया. तब मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कहा था, “वह किसी भी सूरत में गौमाता को सड़कों पर नहीं देखना चाहते हैं. उन्हें पूरा सम्मान मिलना चाहिये.”

इस अभियान की शुरुआत तो कर दी गई लेकिन सरकार के पास इतनी बड़ी संख्या में आवारा घूम रही गायों के लिए संसाधन और पैसे नहीं हैं. सड़कों पर हजारों की संख्या में गाय है लेकिन कांजी हाउस और गौशाला में उतनी जगह ही नही है. इस अभियान के बाद नगर निगमों का पूरा अमला मवेशी पकड़ने में जुट गया है. लेकिन गायों को अब भी सड़कों पर घूमते देखा जा सकता है. सरकार इसके साथ ही कई ऐसे फैसले ले चुकी है जिससे उसकी खुद को हिंदू हितैषी साबित करने की मंशा जाहिर होती है.

चुनाव से पहले वचन पत्र में किये गये अपने वादे के मुताबिक सरकार ने नए अध्यात्म विभाग का गठन किया है. वही मंदिरों के पुजारियों के वेतन को 1500 से बढ़ाकर 3000 रुपये कर दिया गया है. सरकार ने 1000 गौ-शालायें निराश्रित गायों के लिये खोलने का फैसला किया है. सरकार का दावा है कि इससे एक लाख निराश्रित गायों को आसरा मिल सकेगा.

नई सरकार ने धार्मिक आस्था के केंद्र प्रदेश की नर्मदा, शिप्रा, ताप्ती और मंदाकिनी नदी के लिये चार अलग अलग ट्रस्ट बनाने का एक्शन प्लान तैयार कर लिया है. हर एक नदी ट्रस्ट के लिये सरकार 100-100 करोड़ रुपये का बजट रखने जा रही है. इसके बनने के बाद चारों नदियों के संरक्षण, सफाई, प्रमुख त्योहारों पर स्नान और मेले जैसी सांस्कृतिक गतिविधियां ट्रस्ट में आ जायेंगी.

इसके अलावा सरकार तीर्थयात्रा योजना के तहत अपने खर्च पर 3,600 लोगों को इलाहाबाद कुंभ में भेज रही है. इसके लिये विशेष ट्रेनों का इंतज़ाम किया गया है. पहला जत्था कुंभ के लिये रवाना हो चुका है.

मुख्यमंत्री के विशेष कर्तव्यस्थ अधिकारी भूपेंद्र गुप्ता कहते है, “सरकार किसी एक तबक़े के लिए काम नही कर रही है बल्कि समाज के हर वर्ग के लिये काम कर रही है.” वो यह भी कहते है कि सरकार गायों को लेकर गंभीर है और गायों के संरक्षण के लिए सही काम कर रही है जो अभी तक पिछली सरकार ने नहीं किया.

गुप्ता आगे कहते हैं, “गायों के सड़कों पर आने से जनहानि भी होती है और नुक़सान भी. इसलिए यह क़दम उठाया जाना ज़रूरी है.”

राजधानी भोपाल में कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष राहुल गांधी की सभा से पहले लगे एक पोस्टर से भी पता चलता है कि चुनाव से पहले काग्रेंस की मंशा क्या है. इस पोस्टर में राहुल गांधी को राम भक्त बताते हुये लिखा है कि वह अयोध्या में सर्वसम्मति से भव्य राम मंदिर बनवायेंगे. कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष राहुल गांधी किसानों के एक सम्मेलन को संबोधित करने के लिये आये थे. स्थानीय काग्रेंस नेता महेश मालवीय के पोस्टर में दावा किया गया था कि अयोध्या में भव्य राम मंदिर का निर्माण राहुल गांधी ही करेंगे.

महेश मालवीय ने बताया, “हमें भरोसा है कि राहुल गांधी ही राम मंदिर का निर्माण करवायेंगे और यह निर्माण वह सर्वसम्मति से करेंगे. इसलिये यह पोस्टर लगाया गया है.”हालांकि पार्टी ने उस पोस्टर से पल्ला झाड़ लिया है. पार्टी प्रवक्ता नरेंद्र सलूजा ने बताया, “कुछ कार्यकर्ताओं ने उत्साह के चलते यह पोस्टर लगा दिया था. पार्टी से इसका कोई लेना-देना नहीं है.”

विधानसभा चुनाव से पहले राहुल गांधी को शिवभक्त बताया जा रहा था लेकिन भोपाल आगमन पर वह रामभक्त बन गये. भाजपा ने कहा कि काग्रेंस को आगे आकर राम मंदिर बनवाने का प्रयास करना चाहिये तभी सही मायने में उनकी नियत पता चलेगी. लेकिन राजनैतिक विश्लेषक काग्रेंस और भाजपा में कोई फ़र्क नही देखते है. उनका मानना है कि काग्रेंस भी राम मंदिर की बात करती है लेकिन कोर्ट के फैसले के बाद और भाजपा इसमें आस्था की बात करती है.
राजनीतिक विश्लेषक रशीद किदवई कहते है, “काग्रेंस हर वह काम कर रही है जिससे वह अपने आप को हिंदुओं के करीब बता सकें. अब जब सामने लोकसभा चुनाव हैं तो उसे इस तरह की चीज़ों से परहेज़ नहीं है.”

यह सब बाते बताती है कि काग्रेंस लोकसभा चुनाव के लिये प्रदेश में तैयार है और उसकी नज़र इस बार बहुसंख्यकों को अपने साथ जोड़ने की है.

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