क्या उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री को सवालों से डर लगता है?

योगी आदित्यनाथ के मुरादाबाद दौरे के समय जिलाधिकारी ने उनकी मौजूदगी में ही पत्रकारों को जिला अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड में बंद कर दिया था.

WrittenBy:बसंत कुमार
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उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद जिले के जिलाधिकारी राकेश कुमार सिंह पर पत्रकारों को कमरे में बंद करने का आरोप है. मामला रविवार को सामने आया, जब सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ मुरादाबाद के दौरे पर थे. पत्रकारों ने दावा किया कि मुख्यमंत्री से सवाल पूछने से उन्हें रोका गया. इसके लिए उन्हें जिला अस्पताल के एक कमरे में बंद कर दिया गया.

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पत्रकारों की मानें तो सिर्फ जिला अस्पताल में ही पत्रकारों के साथ दुर्व्यवहार नहीं किया गया है, बल्कि रविवार को जब मुख्यमंत्री जिला सर्किट हाउस पहुंचे तो वहां भी मुरादाबाद प्रशासन ने पत्रकारों को धक्के मारकर बाहर निकाल दिया. मुख्यमंत्री से सवाल तक पूछने नहीं दिया.

इस पूरे विवाद पर कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने भी ट्वीट करके योगी आदित्यनाथ सरकार पर हमला बोला. प्रियंका वाड्रा ने लिखा, ”पत्रकार बंधक बनाये जा रहे हैं, सवालों पर पर्दा डाला जा रहा है, समस्याओं को दरकिनार किया जा रहा है. प्रचंड बहुमत पाने वाली उप्र भाजपा सरकार जनता के सवालों से ही मुंह बिचका रही है. नेताजी ये पब्लिक है ये सब जानती है. सवाल पूछेगी भी और जवाब लेगी भी.”

क्या है पूरा मामला

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ रविवार को मुरादाबाद जिले के दौरे पर थे. मुख्यमंत्री ने यहां जिला अस्पताल का निरीक्षण किया. घटना मुख्यमंत्री के जिला अस्पताल पहुंचने के बाद ही घटी.

मुख्यमंत्री जब जिला अस्पताल निरीक्षण के लिए पहुंचे तो काफी देर से इंतज़ार कर रहे पत्रकारों को मुख्यमंत्री से मिलने नहीं दिया गया. जब पत्रकारों ने इसका विरोध किया तो उन्हें जिलाधिकारी के आदेश पर एक कमरे में बंद कर दिया गया. कमरे के बाहर लॉक तक लगा दिया गया. इतना ही नहीं कमरे के बाहर पुलिस बल भी तैनात कर दिया गया.

उस वक़्त हिंदुस्तान समाचार एजेंसी के फोटोग्राफर अमित सैनी भी वहीं मौजूद थे. न्यूज़लॉन्ड्री से बात करते हुए अमित कहते हैं, ”सारे पत्रकार इमरजेंसी रूम के अंदर थे तभी जिलाधिकारी ने बाहर से दरवाजा लॉक कर दिया. प्रशासन की कोशिश थी कि पत्रकारों को योगी आदित्यनाथ से दूर रखा जाये. जब हमें कमरे में बंद किया गया, तब आदित्यनाथ जिला अस्पताल के इमरजेंसी और आईसीयू विभाग का निरीक्षण कर चुके थे. हम लोग आईसीयू के अंदर नहीं गये थे. हम बाहर इंतज़ार कर रहे थे. तभी जिलाधिकारी ने कमरे में बंद कर दिया.”

अमित सैनी आगे कहते हैं, ”हालांकि इससे पहले भी कई बार मुख्यमंत्री यहां आये हैं. प्रशासन ने हमें उनसे बात करने दिया है, लेकिन समझ नहीं आया कि आख़िर इस बार क्यों रोका गया और हम लोगों से बदतमीजी क्यों की गयी. हम लोगों को लगभग 15 मिनट तक कमरे में बंद रखा गया. इस दौरान हमने विरोध किया. जब मुख्यमंत्री यहां से चले गये, तब पुलिसकर्मियों ने दरवाज़ा खोला.”

ईटीवी भारत के स्थानीय रिपोर्टर भुवन चंद्र बताते हैं, ”पहले से ही प्रशासन को ये जानकारी थी कि मुख्यमंत्री जिला अस्पताल में निरीक्षण के लिए जायेंगे. बेहतर होता पहले ही मीडिया को बता दिया जाता कि वे मुख्यमंत्री से कहां बातचीत कर सकते हैं और कहां नहीं. पत्रकार उनके साथ अस्पताल जा सकते हैं या नहीं. प्रशासन कह रहा है कि पत्रकार बहुत थे तो इसके लिए प्रशासन को पास जारी करना चाहिए था. वहीं जिलाधिकरी से बातचीत हुई तो वो कह रहे हैं कि पत्रकार अगर आईसीयू में जाते तो इंफेक्शन फैलता, लेकिन बीजेपी के कई मंत्री, नेता और सीएम के सुरक्षाकर्मी जूता पहनकर आईसीयू में मुख्यमंत्री के साथ क्यों गये थे. क्या इससे वहां मौजूद मरीजों को नुकसान नहीं होगा. वहां किसी ने भी आईसीयू में जाने से पहले अपने जूते नहीं खोले थे.”

जिला सर्किट हाउस में की गयी पत्रकारों से धक्का-मुक्की

सिर्फ जिला अस्पताल में ही पत्रकारों के साथ प्रशासन ने ग़लत व्यवहार नहीं किया. रविवार को ही जब मुख्यमंत्री जिला सर्किट हॉउस पहुंचे तो वहां भी पत्रकारों को मुख्यमंत्री से मिलने तक नहीं दिया गया. मुरादाबाद प्रशासन ने पत्रकारों को धक्के मारकर वहां से हटाया.

अमर उजाला अख़बार के स्थानीय रिपोर्टर निशांत बताते हैं, ”रविवार को मुझे सर्किट हाउस में मुख्यमंत्री ने क्या किया इस पर रिपोर्ट करनी थी. मैं वहां सुबह से ही मौजूद था. यहां पहुंचे योगी आदित्यनाथ ने व्यवसायियों से बातचीत की. हमें जानकारी मिली कि मुख्यमंत्री से मिलने के बाद व्यवसायी ख़फ़ा हैं. उनसे मुख्यमंत्री ने महज नौ मिनट बात की. उनका कहना था कि सबसे ज़्यादा टैक्स वहीं भरते हैं और मुख्यमंत्री उनसे ठीक से बात तक नहीं किये. इस पर हमने मुख्यमंत्री की प्रतिक्रिया जानने की कोशिश की तो प्रशासन के लोग भड़क गये और धक्का-मुक्की करने लगे. हमें मुख्यमंत्री से इस मामले पर बात ही नहीं करने दिया गया.”

क्या कहते हैं जिलाधिकारी

जिलाधिकारी राकेश कुमार सिंह पत्रकारों के उस आरोप को ख़ारिज करते हैं कि उन्होंने पत्रकारों को एक कमरे में बंद किया था. न्यूज़लॉन्ड्री से बातचीत करते हुए राकेश सिंह बताते हैं, ”देखिये, माननीय मुख्यमंत्री जी के साथ-साथ लगभग तीस से चालीस पत्रकार चल रहे थे. हमने उन्हें बाकी कही भी नहीं रोका. कई जगहों पर सीएम साहब से उन्होंने सवाल-जवाब भी किया, लेकिन जब सीएम साहब अस्पताल के आईसीयू, महिलाओं के वार्ड और इमरजेंसी का निरीक्षण करने पहुंचे, तब हमने पत्रकारों को आने से रोका. 30-40 पत्रकार एक साथ अगर मुख्यमंत्री के साथ घूमते तो इन जगहों पर हंगामा होता.”

राकेश सिंह कहते हैं, ”पत्रकारों को कमरे में बंद नहीं किया था. सिर्फ कॉरिडोर में हमने पुलिस लगायी था, ताकि आगे लोग न जायें और हंगामा न हो. आप उस दौरान की वीडियो देखिये, लोग अपनी मर्जी से वहां जाकर खड़े हो रहे है. जब मुख्यमंत्री ‘मन की बात’ सुन रहे थे तो तमाम पत्रकार उनके साथ ही थे. जब वो यहां से जा रहे थे तब भी उनके गाड़ी के पास बहुत सारे पत्रकार थे. उनसे पत्रकारों ने बातचीत की. हम आख़िर पत्रकारों को मुख्यमंत्री से सवाल पूछने से क्यों रोकेंगे . हमारा मकसद किसी को सवाल पूछने से रोकना होता तो हर जगह रोकते, लेकिन हमारी कोशिश थी कि अस्पताल के मरीजों को परेशानी न हो. हमने इसीलिए उन्हें रोका. मामले को बढ़ा-चढ़ाकर दिखाया जा रहा है.”

जिस वीडियो की बात जिलाधिकारी राकेश कुमार सिंह कर रहे हैं, उसमें साफ़ दिख रहा है कि वे पत्रकारों को एक कमरे में बंद कर रहे हैं और कमरे के बाहर पुलिस को खड़ा होने का इशारा कर रहे हैं. वीडियो में काफी संख्या में पत्रकार एक कमरे में नज़र आ रहे हैं. जिलाधिकारी का मकसद भले ही जो भी हो, लेकिन पत्रकारों को रोकना बिलकुल जायज़ नहीं है. अस्पताल में किस जगह तक कोई जा सकता है, इसको लेकर पहले से ही एडवाइजरी जारी करनी चाहिए थी.

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