एनएल चर्चा 86: महात्मा गांधी की 150वीं जयंती, खुले में शौच से मुक्त भारत और अन्य

हिंदी पॉडकास्ट जहां हम हफ़्ते भर के बवालों और सवालों पर चर्चा करते हैं.

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इस सप्ताह एनएल चर्चा में जो विषय शामिल हुए उनमें महात्मा गांधी की 150वीं जयंती पर प्रमुखता से चर्चा हुई. इसके अलावा पूर्वी उत्तर प्रदेश और बिहार के कुछ इलाकों में जाते हुए मानसून के कहर, बाढ़ के अलावा सुप्रीम कोर्ट द्वारा एससी-एसटी एक्ट में बदलाव को खारिज करने संबंधी आदेश और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा देश को खुले में शौच से मुक्त होने संबंधी घोषणा प्रमुखता से छायी रही.

इस हफ्ते की चर्चा में खास मेहमान के रूप में मौजूद रहे दिल्ली यूनिवर्सिटी के हिंदू कॉलेज के प्रोफेसर रतनलाल और वरिष्ठ पत्रकार हर्षवर्धन त्रिपाठी. कार्यक्रम का संचालन न्यूज़लॉन्ड्री के कार्यकारी संपादक अतुल चौरसिया ने किया है.

चर्चा की शुरुआत अतुल चौरसिया ने महात्मा गांधी जी 150वीं जयंती से की. अतुल ने कहा, “गांधीजी का जो व्यक्तित्व और कद है वो तमाम विचारधाराओं के ऊपर उठ चुका है. कोई भी गांधीजी को एक सिरे से ख़ारिज नहीं कर सकता है. चाहे वो गांधी का किसी दौर में समर्थक रहा हो या उनका आलोचक. इस समय देश में जिस विचारधारा की सरकार है उसके प्रधानमंत्री बार-बार गांधीजी की तारीफ करते हैं, लेकिन कई मामलों पर कहा जाता है कि गांधीजी की जो मूल विरासत है उससे मौजूदा सरकार का खास लेना-देना नहीं है. तो गांधी जी 150वीं जयंती ऐसे समय में पड़ना जब उनकी विचारधारा से विरोध रखने वाली एक विचारधारा सत्ता में है. इसको लेकर प्रोफेसर रतनलाल आप क्या सोचते हैं?

इस सवाल के जवाब में प्रोफेसर रतनलाल ने कहा, ‘‘ सवाल ये है कि अभी गांधीजी होते तो क्या करते? हमारे जो प्रधानमंत्री हैं, बहुत ही सफाई से गांधीजी के आइडिया ले रहे हैं. स्वच्छता अभियान गांधीजी का ही आइडिया है. तो जितना मोदीजी को लगता है कि गांधीजी की मार्केटिंग करनी चाहिए उतना वो करते हैं. लेकिन जो मूल बातें हैं मसलन स्वराज की बात है, गांव की तरफ वापस चलो जैसी गांधीजी की बातें हैं, अहिंसा है वो सब गायब है. पूरी तरह से व्यवसायीकरण हो रहा है. गांधीजी की भी आलोचना होती है. खासकर जाति को लेकर उनकी आलोचना होती है. वे वर्ण-व्यवस्था के समर्थक थे. दूसरा जब दलितों को पृथक निर्वाचन क्षेत्र मिल रहा था तो उसका उन्होंने विरोध किया था.’’

हर्षवर्धन त्रिपाठी ने गांधी जयंती के मसले पर अपनी बात रखते हुए कहा, ‘‘ हमें आज किस बात की चिंता हो रही है. गांधी आज इस वक़्त में काफी प्रासंगिक हो गए है या हमें ये चिंता इसलिए हो रही है कि भारतीय जनता पार्टी का एक प्रधानमंत्री गांधी की इतनी बात कर रहा है. इस देश में ही क्या पूरी दुनिया में गांधी नाम का एक ऐसा नेता हुआ जिसके व्यक्तित्व के अनगिनत आयाम है. उनके आज़ादी आंदोलन के समय उनके जीवन को लेकर, उनके हिन्दू धर्म को लेकर, उनके अलग-अलग समय के विचारों को लेकर राईट-सेंटर किसी ने गांधीजी को छोड़ा ही नहीं था. गांधीजी के व्यक्तित्व के इतने आयाम है कि उसमें से किसी एक को पकड़ लीजिए और महान बन जाइए.

इस बार की चर्चा इस लिहाज से दिलचस्प रही कि संघ विचार से सहमति रखने वाले हर्षवर्धन त्रिपाठी और अंबेडकरवादी विचारों के प्रबल समर्थक प्रो. रतनलाल के बीच चर्चा के दौरान दोस्ताना नोंकझोंक हुई, लगभग सभी मुद्दों पर काफी गहमागहमी भी दिखी. इस पूरी चर्चा को आप ‘‘एनएल चर्चा’’ के इस नए पॉडकास्ट में सुनें.

पत्रकारों की राय, क्या देखा, सुना और पढ़ा जाय:

अतुल चौरसिया

डूब रहा है तैरने वाला समाज/ अनुपम मिश्र

हर्षवर्धन त्रिपाठी

रागगिरी, लेखक-शिवेंद्र सिंह और गिरिजेश

प्रो. रतन लाल

मैं नास्तिक क्यों हूं: भगत सिंह 

एक था डॉक्टर, एक था संत, लेखिका: अरुंधति रॉय

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