अंतिम अध्याय अयोध्या का: सिरीज के इस हिस्से में रामलला विराजमान के प्रतिनिधि त्रिलोकीनाथ पांडेय से बातचीत.
9 नवंबर को अयोध्या विवाद में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद पैदा परिस्थियों का आकलन करने के लिए हमने इस वीडियो सिरीज की शुरुआत की थी. इस हिस्से में हमने त्रिलोकीनाथ पांडेय से बातचीत की है. अयोध्या विवाद में त्रिलकीनाथ पांडेय निर्विवादद विजेता बन कर उभरे है. इस मामले में पांचवे नंबर के मुद्दई के तौर पर जुड़े रामलला विराजमान के पक्ष में ही कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया है. लिहाजा रामलला स्वयं तो इस मामले में अपनी पैरवी कर नहीं सकते थे लिहाजा उनके सखा के रूप में त्रिलोकीनाथ पांडेय रामलला की पैरवी कर रहे थे. 1989 में पहली बार रामलला विराजमान को अयोध्या मामले में पक्षकार बनाया गया था. उस समय एक रिटायर्ड जज देवकीनंदन अग्रवाल ने रामलला की तरफ से अदालत में याचिका दायर की थी.
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Contributeअग्रवाल की मृत्य के बाद टीपी वर्मा और उसके बाद त्रिलोकीनाथ पांडेय 1994 में इस मामले में रामलला के प्रतिनिधि बनाए गए. पांडेय का संबंध विश्व हिंदु परिषद से है. रामलला के पक्ष में सुप्रीम कोर्ट का निर्णय आने के बाद एक दिलचस्प स्थिति बन गई है. राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ और विश्व हिंदु परिषद की अयोध्या विवाद में वर्चस्व की स्थिति बन गई है. रामलला विराजमान के प्रतिनिधि के तौर पर त्रिलोकीनाथ पांडेय भी विहिप से हैं और इस विवाद का सबसे मुखर पक्ष रामजन्मभूमि न्यास भी संघ-विहिप का ही है. लिहाजा कोर्ट के निर्णय के मुताबिक बनने वाले ट्रस्ट में न्यास और विहिप की महत्वपूर्ण भूमिका को लेकर तमाम पक्ष सशंकित हैं. इसमें निर्मोही अखाड़ा, हिंदू महासभा के साथ मुस्लिम पक्ष भी हैं.
इन शंकाओं पर पांडेय कहते हैं, “हमारा मंदिर में पूजा-पाठ से कोई संबंध नहीं होगा. सरकार, विहिप, संघ सारे लोग एकमत हैं. मिलबैठ कर सारा मसला सुलझा लिया जाएगा. जिन लोगों को कोई शंका होगी, उन्हें मना लिया जाएगा.”
अदालत के फैसले के मुताबिक केंद्र सरकार को तीन महीने के अंदर एक ट्रस्ट बनाकर मंदिर के निर्माण की जिम्मेदारी उसे सौंपना है. क्या केंद्र सरकार के किसी प्रतिनिधि, प्रधानमंत्री या गृहमंत्री ने आपसे प्रस्तावित ट्रस्ट के बारे में कोई संपर्क किया है, इस सवाल के जवाब में पांडेय एक चौंकाने वाला खुलासा करते हैं. वो कहते हैं, “ट्रस्ट को लेकर हमारी बातचीत छह महीने से चल रही है…”
ये ऐसी स्वीकरोक्ति है जिसके बारे में अभी तक किसी पक्ष ने न तो जानकारी दी थी न ही स्वीकार किया था. ऐसी ही कुछ चौंकाने वाली जानकारियां त्रिलोकीनाथ पांडेय ने इस पूरे साक्षात्कार में हमसे साझा की.
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