संभल: दिहाड़ी मजदूरों को लाखों रुपए हर्जाने का नोटिस

ग्राउंड रिपोर्ट: पुलिस के नोटिस के बाद ज्यादातर युवा पलायन कर गए हैं.

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उत्तर प्रदेश के संभल जिले के मियां सराय इलाके में अपने रिश्तेदार के मकान में जिन्दगी बसर कर रही 24 वर्षीय रुबीना के घर शनिवार को पुलिस आई और उन्हें एक कागज पकड़ा कर उस पर हस्ताक्षर करने को बोली. कागज पर क्या लिखा था यह कम पढ़ी लिखी रुबीना पढ़ भी नहीं सकीं लेकिन जब उनके आसपास के लोगों ने पढ़कर सुनाया तब से वो परेशान हैं.

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पुलिस ने जो कागज रुबीना को दिया है वो बीते 19 और 20 दिसंबर को जिले में नागरिकता संशोधन कानून और एनआरसी को लेकर हुए विरोध प्रदर्शन के दौरान हुए सरकारी नुकसान की भरपाई के लिए है. पुलिस के अनुसार रुबीना के पति कासिम उस दिन सीएए और एनआरसी के खिलाफ प्रदर्शन में शामिल थे.

19 और 20 दिसंबर को उत्तर प्रदेश के अलग-अलग शहरों में नागरिकता संशोधन कानून और एनआरसी को लेकर हो रहा प्रदर्शन हिंसक हो गया था. इस दौरान कई जगहों पर हिंसा और आगजनी देखने को मिली थी. इस दौरान पूरे उत्तर प्रदेश में 20 लोगों की मौत भी हुई है. पुलिस पर लोगों के ऊपर गोली चलाने का आरोप लगा लेकिन बिजनौर छोड़ पुलिस ने किसी भी जगह पर हुई मौत की जिम्मेदारी नहीं ली है.

हिंसा की खबरों पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मीडिया को बयान दिया था कि जो भी नुकसान हुआ है उसकी भरपाई प्रदर्शन में शामिल हुए लोगों से की जाएगी. उसके बाद से उत्तर प्रदेश सरकारी की तरफ से लोगों को जुर्माने के लिए नोटिस भेजा जा रहा है.

संभल पुलिस के सीनियर अधिकारी के अनुसार 27 दिसंबर तक हुए नुकसान का हिसाब 15 लाख 35 हज़ार रुपए है. इस नुकसान की भरपाई के लिए अभी तक 59 परिवारों को नोटिस भेजा गया है. जिसमें सभी मुस्लिम समुदाय से हैं. पुलिस सूत्रों की माने तो नुकसान की रकम में अभी और इजाफा हो सकता है.

न्यूज़लॉन्ड्री ने उन कई परिवारों से मुलाकात की और उस परिवार की स्थिति जानने की कोशिश की.

कासिम, 32 वर्ष

न्यूज़लॉन्ड्री कासिम के घर पहुंचा तो वह घर पर मौजूद नहीं थे. उनकी पत्नी और आसपास के लोगों से हमने बात की.

रुबीना न्यूज़लॉन्ड्री से बात करते हुए कहती हैं, ‘‘पुलिस ने जो फोटो जारी किया उसमें नाम तो मेरे पति का लिखा है लेकिन तस्वीर किसी और की है. उस दिन उन्होंने वो कपड़ा पहना ही नहीं था जो तस्वीर में लड़के ने पहनी है. मैं और मेरे पति उस दिन संभल से 12 किलोमीटर दूर सिरसी गए थे. जहां मेरी भतीजी अस्पताल में भर्ती थी. वहां से देर रात हम घर लौटे और सो गए. वो किसी झगड़े में शामिल नहीं थे. उनका नाम किसी ने डलवा दिया है.’’

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रुबीना

32 वर्षीय कासिम मजदूरी का काम करते हैं. नोटिस भले ही उनके घर शनिवार को आया हो लेकिन पुलिस ने घटना के दूसरे दिन से ही उपद्रवियों की तस्वीरें जारी कर दी थी. उसमें अपना नाम देखकर वो घर से गायब हैं. परिजनों की माने तो वे कमाने गया है लेकिन आसपास के लोग कहते हैं, “उसका नाम देखकर हमने उसे यहां से हटा दिया है. गरीब आदमी है. इतने पैसे कैसे दे पाएगा.’’

कासिम का एक बेटा और दो बेटी है. तीनों में से कोई अभी पढ़ने के लिए नहीं जाता है. मजदूरी करके कासिम रोजाना दो सौ से तीन सौ रुपए कमा पता है. जिससे उसके परिवार का खर्च चलता है.

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पुलिस द्वारा जारी की गई कासिम की तस्वीर  

रुबीना कहती हैं, ‘‘पचास हज़ार तो बहुत ज्यादा है हम पांच  रुपए नहीं दे सकते हैं, भले ही हमें जेल जाना पड़े.’’

जुनैद, उम्र 15 वर्ष

मियां सराय इलाके में ही तीन लोगों को पुलिस ने नोटिस दिया है. तीनों को अपर जिला मजिस्ट्रेट द्वारा नोटिस में 2 लाख 45 हज़ार जुर्माना लगाया है. रुबीना के घर के बगल में ही जुनैद का घर हैं जिनके नाम का नोटिस आया है. 15 वर्षीय जुनैद के पिता नहीं है. उनकी मौत हार्ट अटैक से हो गई थी. उसकी मां भूरी अपने टूटे घर को दिखाते हुए कहती हैं, ‘‘मैं मजदूरी करके अपना घर चलाती हूं. जुनैद भी कभी-कभार मजदूरी पर जाता है. अगर काम मिल गया तो दो सौ से तीन सौ रुपए की कमाई हो पाती है. मेरा घर टूट रहा है उसकी मरम्मत तो हम करा नहीं पा रहे हैं ऊपर से पुलिस ने हम पर जुर्मना लगा दिया है. हम कहा से दे पाएंगे.’’

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पुलिस द्वारा जारी की गई जुनैद की तस्वीर 

जुनैद के घर के आसपास के लोगों की माने तो वह 19 दिसंबर को हुए प्रदर्शन में शामिल हुआ था. जुनैद के एक पड़ोसी न्यूज़लॉन्ड्री से बात करते हुए कहते हैं, “उस रोज संभल में दस हज़ार की संख्या में लोग सड़कों पर थे. प्रदर्शन शांतिपूर्ण था लेकिन पुलिस और कुछ असमाजिक तत्व जो पुलिस के ही लोग थे, ने प्रदर्शन को हिंसक कर दिया. पुलिस प्रदर्शनकारियों को मारने लगी. लोग भागने लगे उसमें से कुछ सड़क किनारे बने नाले में गिर गए. इसी दौरान कुछ लड़कों ने पत्थरबाजी शुरू कर दी. जहां तक गाड़ी जलाने की बात है मैं भरोसे से कह सकता हूं कि उसमें किसी प्रदर्शनकारी का कोई हाथ नहीं था. लेकिन पुलिस जांच किए बगैर तमाम लोगों को आरोपी बना रही है.”

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जुनैद की मां भूरी

जुनैद की मां भूरी कहती हैं, ‘‘उस दिन हमारे इलाके से काफी संख्या में लड़के चंदौसी चौक की तरफ जा रहे थे तो जुनैद भी उसके साथ हो गया. शाम को जब वापस आया तो हमें पता चला कि क्या हुआ था. उसके बाद हमने उसे यहां से हटा दिया. पुलिस उसे गिरफ्तार कर सकती है.’’

पुलिस के नोटिस के बाद भूरी डरी हुई है. वो कहती हैं, ‘‘दो लाख से ज्यादा का नोटिस आया है. मैं कैसे दे पाउंगी. मैं मजदूरी करती हूं, मजदूरी ना करूं तो खाने को नहीं मिलेगा. घर के अलावा एक हाथ जमीन नहीं है.’’

आदिल ( 16 वर्ष) और आज़म ( 17 वर्ष )

संभल का कोटला मुहल्ला. दोपहर तीन बज रहे है. अपनी बेटियों के साथ खाट पर बैठी एक महिला किराये के बकरे को चना खिला रही हैं. सुबह-सुबह इनके यहां भी पुलिस आई थी और नोटिस दे गई. इस नोटिस में इनके दोनों बेटे आदिल और आज़म का नाम है. वो कहती हैं, ‘‘हम गरीब आदमी है. मुहल्ले में रहने वाले पुलिस के दलालों ने मेरे बच्चों का नाम डलवा दिया है. वो तो उससे पहले से ही जमात में गए हुए हैं.’’

थोड़ी देर बाद आज़म और आदिल के पिता मोहम्मद अली नमाज़ पढ़कर वापस लौटते हैं. अली अपनी पत्नी की कही बात को ही दोहराते हुए कहते हैं, ‘‘मेरे बच्चे तो जमात पर गए हुए हैं. पुलिस को किसी ने गलत सूचना दी है.  अधिकारियों ने बताया कि मैं 9 जनवरी को आकर बताऊं कि इस नुकसान की भरपाई मुझसे क्यों न की जाय. हम उस दिन जाकर बतायेंगे कि हमारे बच्चे तो यहां थे ही नहीं. हम लोग मजदूरी करके परिवार चलाते हैं. पैसे की कमी की वजह से मैं अपने बच्चों को पढ़ा नहीं पाया. दो छोटी लड़कियां हैं. उन्हें पढ़ा रहा हूं. उनके दो साल का फीस नहीं भर पाया हूं. मैं सरकार को कैसे पैसे दे पाऊंगा.’’

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अपने घर पर मोहम्मद अली

मोहम्मद अली के परिवार में ग्यारह सदस्य हैं. परिवार में अली के अलावा आजम और आदिल ही कमाने वाले हैं. अली अब बीमारी के कारण कम ही काम कर पाते हैं. इस परिवार की आमदनी रोजाना पांच सौ के आस-पास है.

अनस, उम्र 15 वर्ष

मोहम्मद अली के घर के बगल में ही अनस का घर है. 15 वर्षीय अनस के नाम का भी नोटिस आया है.

न्यूज़लॉन्ड्री जब अनस के घर पहुंचा तो न ही उनके पिता मौजूद थे और न ही अनस. अनस की मां की मौत हो चुकी हैं. छोटे से घर में अनस का परिवार रहता है. अनस के पिता रियाजु ई-रिक्शा चलाकर घर चलाते हैं. वहीं अनस भी पढ़ाई छोड़ मजदूरी करता है.

अनस के 85 वर्षीय दादा शहजादे अहमद कहते हैं, ‘‘उस दिन मेरे परिवार से कोई भी प्रदर्शन में नहीं गया था. अनस मजदूरी करता है. उसके तीन भाई और चार बहन है. वो सरकार को पैसे कैसे अदा करेगा. सरकार को भी सोचना चाहिए.’’

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अनस के दादा शाहजादे 

पुलिस द्वारा प्रदर्शनकारी बताये जाने के बाद से अनस गायब है. इस पर अनस की बहन कहती हैं, ‘‘वो तो जमात में प्रदर्शन से पहले से ही गया है. वो तो उस दिन यहां था भी नहीं. आसपास के लोग जिनकी पुलिस से जान-पहचान है उन्होंने मेरे भाई का नाम दे दिया है.’’

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पुलिस द्वारा जारी की गई अनस की तस्वीर 

अनस के परिवार में कोई भी पढ़ाई-लिखाई नहीं करता है. उनके दादा कहते हैं कि छोटी लड़कियां धार्मिक शिक्षा लेने जाती है. स्कूल में कोई भी नहीं पढ़ता है.

अनस के घर के बाहर मौजूद एक स्थानीय युवक कहता है कि पुलिस ने कई लोगों को गलत तरीके से नोटिस भेजा है. स्थानीय युवक दावा करता है कि उसके पासपोर्ट की जांच होनी थी. जिसके लिए वो थाने गया तो पुलिस ने उसकी तस्वीर ली थी. जो भी लोग थाने जा रहे हैं उनकी तस्वीर पुलिस खींच रही है.

आलम, उम्र 32 साल

मुस्लिम बाहुल्य संभल जिले में जानवरों की हड्डी से कई तरह की वस्तुएं बनाई जाती है. यहां के ज्यादातर लोग यहीं काम करते हैं. लगभग हर घर में छोटे उद्योग लगा हुआ है. जहां कई मजदूर काम करते नजर आ जाते हैं. ज्यादातर मजदूर बिना किसी सुरक्षा के काम करते हैं. जिस वजह से उनको कई तरह की बिमारियों का शिकार भी होना पड़ता है. जानवरों की हड्डी की कारीगरी करने वाले 32 वर्षीय आलम के नाम से भी नोटिस आया है. आलम शादी शुदा हैं और उनकी तीन बेटियां है.

आलम के घर जब हम पहुंचे तब उनके पिता छिदन भैसों को चारा डाल रहे थे. चारा डालते हुए वे कहते हैं, “शादीशुदा आदमी था, ऐसा काम क्यों करेगा. उसको फंसाया गया है.’’

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छिदन के छोटे भाई हमसे बातचीत में बताते हैं, ‘‘सुबह ही चौक पर पुलिस वाले आए थे और नोटिस दे गए हैं. हमारे इलाके के चार लड़कों का नाम है. ज्यादातर नाम गलत ही दिए गए है. पुलिस ने जो लिस्ट निकाली है उसमें उसका नाम है लेकिन वो प्रदर्शन में शामिल था उसकी कोई तस्वीर नहीं है. वो मजदूरी करता है. सरकार उस पर जुर्मना लगा रही है. उसकी हैसियत नहीं है कि वो जुर्मना भर सके.’’

आलम भी हमें अपने घर पर नहीं मिले. इसको लेकर उनके चाचा कहते हैं, ‘‘वह कहीं गया हुआ नहीं. पुलिस की डर से इधर-उधर घूमने से बच रहा है.’’

कासिम, 25 वर्ष  

संभल के भुंडा मुहल्ले के रहने वाले कासिम के घर भी जुर्माना भरने का नोटिस आया है. न्यूज़लॉन्ड्री जब भुंडा मुहल्ले में कासिम के घर पहुंचा तो वहां कासिम  से मुलाकात नहीं हुई लेकिन मुहल्ले के कई लोगों ने घेर लिया. उन्होंने बताया कि कासिम की जो तस्वीर पुलिस प्रदर्शन के दिन की बता रही है वो तस्वीर उस दिन की है ही नहीं. दरअसल प्रदर्शन के एक दिन पहले मुहल्ले में एसपी यमुना प्रसाद आए थे. लोगों को समझा रहे थे. उसी दिन उनका एक सहकर्मी वीडियो बना रहा था. उसी वीडियो से कासिम की तस्वीर ली गई है. हम ये बात एसपी साहब को भी बतायेंगे. वो तो प्रदर्शन में भी नहीं गया था.

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पुलिस द्वारा जारी की गई कासिम की तस्वीर 

कासिम के पड़ोसी ही बताते हैं कि वह गुजरात के बड़ौदा में रहकर प्लास्टिक बीनने का काम करता था. जहां रोजाना के तीन सौ से चार सौ रुपए कमा पता था. हाल में गुजरात में जब प्लास्टिक बैन हुआ तो वो बेरोजगार हो गया और फिर एक महीने से गांव आया हुआ था. तभी ये विवाद हो गया.

कासिम जब गुजरात में काम करता था तो अपने परिवार को भी साथ रखता था. उसका एक तीन साल का बेटा है. घटना के बाद कासिम को भी लोगों ने हटा दिया है. पड़ोसी बताते हैं कि घटना के दूसरे दिन वह दोबारा गुजरात चला गया.

‘पुलिस दिन भर घर के बाहर खड़ी रही और फिर भी भेज दिया नोटिस’

संभल पुलिस ने पांच स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ताओं को भी नोटिस भेजा है. सामाजिक कार्यकर्ताओं का आरोप है कि घटना के रोज उनके घर के बाहर पुलिस पूरे दिन मौजूद रही. वे एक तरफ से नजरबंद रहे लेकिन उनसे हिंसा में हुए नुकसान का जुर्माना मांगा जा रहा है.

संभल में कोल्ड स्टोर चलाने वाले मुशीर खां तरीन जानेमाने सामाजिक कार्यकर्ता है. उन्हें जो नोटिस आया है उसमें 9 लाख 21 हज़ार का नुकसान बताया गया है. तरीन के पांच और साथी जो उनके साथ संघर्ष समिति व नगर सुधार कमेटी चलाते हैं उन्हें भी नोटिस आया है. ये सभी लोग उस दिन तरीन के कोल्ड स्टोर में थे. जिसके बाहर पुलिस मौजूद थी.

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अपने साथियों के साथ मुशीर खां तरीन 

तरीन न्यूज़लॉन्ड्री को बताते हैं, ‘‘हमारा पहले से प्रोग्राम तय था. 19 को हम शांतिपूर्ण प्रदर्शन करते हुए एसडीएम ऑफिस जाते और वहां उन्हें अपनी बात लिखित रूप में देकर लौट आते. 18 दिसंबर को हमें यहां के सीओ और एसडीएम साहब से मिलने के लिए फोन आया. जब हम गए तो उन्होंने किसी भी तरह की सभा न करने को कहा. हमसे लिखित में मांगा गया. हमने उनसे गुजारिश की कि हमें एक छोटी सभा तो करने दीजिए. उन्होंने काफी कोशिश करने के बाद कहा कि आप अपने कोल्ड स्टोर में जो करना चाहे कर सकते हैं. हम इस पर सहमति जताकर घर को लौट आए. देर रात को सीओ साहब का फोन आया कि आप लोग किसी भी तरह का और कहीं भी कोई सभा या प्रदर्शन नहीं करेंगे. ऊपर से आदेश है. हमने उसके बाद सभी सभाएं रद्द कर दी.’’

तरीन आगे कहते हैं, ‘‘दूसरे दिन सुबह सात बजे मेरे घर और कोल्ड स्टोर पर पुलिस भेज दी गई. एक तरह से हमें नजरबंद कर दिया गया. 11 बजे के करीब एसडीएम साहब का फोन आया कि यहां पर काफी लोग जमा हो गए है. आप आ जाइये और इन लोगों को शांत करके वापस भेजिए. मैंने उनसे कहा कि आपने हमें नजरबंद कर रखा है. आप अपनी गाड़ी भेजिए हम उस पर ही आएंगे. इस पर उन्होंने कहा कि हम पुलिस की गाड़ी भेज रहे हैं. लेकिन पुलिस की गाड़ी नहीं आई. उसके बाद पूरे दिन हम कोल्ड स्टोर में बैठे रहे जिसकी सीसीटीवी फूटेज हमारे पास मौजूद है. हम बेगुनाह है. जो प्रदर्शन हुआ वो समाजवादी पार्टी और दूसरे अलग-अलग संगठनों द्वारा किया गया. हम अपना सारा सबूत पेश करेंगे.’’

मुशीर खां तरीन के साथी और डॉक्टर नाजिम न्यूज़लॉन्ड्री से बात करते हुए कहते हैं, ” 30 साल से सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में काम कर रहे है और यहां की राजनीति को देख-सुन रहे हैं. इससे पहले भी कई आंदोलन हुए. उस आंदोलन में भी सरकारी संपति का नुकसान हुआ लेकिन पहली दफा नुकसान की भरपाई प्रदर्शनकारियों से की जा रही है. यह हैरान करने वाला है.”

संभल में जिन लोगों को नुकसान की वसूली के लिए नोटिस दिया गया हैं, उनमें से अधिकांश दिहाड़ी मजदूर हैं. इन परिवारों को लाखों के नुकसान की भरपाई के लिए कहा जा रहा है लेकिन इनकी आर्थिक स्थिति उस जुर्माने को भरने के लायक नहीं है. अगर प्रशासन इन पर जुर्माना देने के लिए दबाव बनाता है तो ये आर्थिक रूप से काफी पीछे चले जाएंगे. हालांकि जो नोटिस गया है उसमें 9 जनवरी को अदालत में आकर अपने वकील के साथ यह साबित करना होगा कि जिन्हें नोटिस दिया गया है उससे जुर्माना क्यों ना लिया जाए.

संभल के एएसपी आलोक कुमार जायसवाल ने न्यूज़लॉन्ड्री को बताया, ‘‘15 लाख रुपये अंतिम संख्या नहीं है. इसमें इजाफा हो सकता है. अभी जो हमने नोटिस भेजा है वह इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश पर आधारित है. आरोपियों को अपनी बेगुनाही साबित करने के लिए कहा जाएगा.”

संभल में प्रदर्शन के दौरान दो युवाओं की गोली लगने से मौत हो गई थी. जबकि कई लोग घायल हुए थे. पुलिस के कई जवान भी घायल हुए थे. पुलिस द्वारा नोटिस जारी होने के बाद बड़ी संख्या में लोग पलायन कर गए हैं.

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