दिल्ली दंगा: क्या सच में शिव मंदिर पर कब्जा और हमला हुआ?

दक्षिणपंथी अफवाहतंत्र का हिस्सा ऑप इंडिया ने उत्तर पूर्व दिल्ली में दंगे के दौरान शिव मंदिर पर हमले का झूठ फैलाया.

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उत्तर-पूर्व दिल्ली में हुए दंगे को लेकर 27 फरवरी को दक्षिणपंथी अफवाहतंत्र का हिस्सा ऑप इंडिया नाम की एक वेबसाइट ने एकलेख (जानबूझकर लेख शब्द का इस्तेमाल किया गया है क्योंकि यह रिपोर्ट के किसी पैमाने को पूरा नहीं करता) प्रकाशित किया, जिसमें दावा किया गया कि दंगों के दौरान मुस्लिम समुदाय ने एक मंदिर पर कब्जा कर उसे नुकसान पहुंचाया है.

इस लेख का शीर्षक है- ‘ग्राउंड रिपोर्ट: मुस्लिम भीड़ ने शिव मंदिर पर किया था कब्जा, छत से हिन्दुओं प हो रही थी पत्थरबाजी’. रवि अग्रहरि के द्वारा लिखे गए इस तथाकथित ग्राउंड रिपोर्ट में कई तरह के दावे किए गए हैं. ये दावे बेहद भड़काऊ और उकसावे से भरे हैं, इसलिए न्यूज़लॉन्ड्री ने इस पूरे लेख की पड़ताल करने का निर्णय लिया.

दिल्ली में दंगे के दौरान कई तरह के फर्जी वीडियो और तस्वीरें फैलाई गई. इसी कड़ी में ऑप इंडिया के इस लेख को भी डाला जा सकता है. ऑप इंडिया इस पूरे दंगे को हिन्दू विरोधी दंगा बताता है, जबकि दंगे में हिंदू-मुसलमान दोनों मारे गए हैं और दंगे को उकसाने के आरोप भाजपा नेताओं पर लगे हैं.

दिल्ली में हुए इस दंगे में अब तक 53 लोगों की मौत हो चुकी है. 400 से ज्यादा लोग घायल हैं.

24 फरवरी से इस इलाके में दंगे की शुरुआत हुई और ऑप इंडिया ने 27 फरवरी को अपनी यह लेख प्रकाशित किया है. ख़बर की शुरुआत में रिपोर्टर लिखता है कि उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हिन्दुओं के ख़िलाफ़ भड़की हिंसा में कई लोगों के मारे जाने की ख़बर है. आगाज़ ये है तो अंजाम की कल्पना आप खुद कर सकते हैं.

346 शब्दों में लिखी गई इस भारी-भरकम ‘ग्राउंड रिपोर्ट’ में जो दावे किए गए हैं, उनकी एक-एक कर पड़ताल हमने की है. मुख्यत: पांच दावे ऑप इंडिया के लेख में किए गए हैं, एक बार उन्हें पढ़ लीजिए-

-स्थानीय शिव मंदिर की छत पर मुस्लिम भीड़ चढ़ गई

-मंदिर की छत से हिन्दुओं पर पत्थरबाजी शुरू हो गई

-उन्होंने मंदिर पर कब्ज़ा कर लिया

-मंदिर में तबाही मचाई गई

-मंदिर में जम कर तोड़फोड़ की और पेट्रोल बम भी फेंका गया

सबसे पहले तो ग्राउंड के इस रिपोर्टर ने जिन लोगों के बयान के आधार पर यह लेख लिखा है उनके नाम हैं- ‘स्थानीय लोग’. इतने संगीन आरोप की पुष्टि करने के लिए इस ग्राउंड रिपोर्टर को एक भी स्थानीय निवासी बाहैसियत नाम के साथ नहीं मिला. यही नहीं इस रिपोर्ट को पढ़ते हुए पहला सवाल तो यही उठता है कि अगर किसी मंदिर पर हमला हुआ है तो उस मंदिर के पुजारी से तो कम से कम बात करनी ही चाहिए थी, लेकिन ऑप इंडिया ने ऐसा नहीं किया.

न्यूजलॉन्ड्री ने क्या पाया

इस ख़बर की पड़ताल के लिए न्यूज़लॉन्ड्री भजनपुरा-करावल नगर रोड पर स्थिति मूंगा नगर के गली नम्बर पांच पहुंचा. यह शिव मंदिर इसी गली में मौजूद है. यहां हिन्दू आबादी 60 प्रतिशत और मुस्लिम आबादी 40 प्रतिशत है. ऑप इंडिया ने अपनी कथित ‘ग्राउंड रिपोर्ट’ में जो-जो किए हैं उन दावों को लेकर हमने मंदिर के पुजारी गोकुल चन्द्र शर्मा से बात की.

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मूंगा नगर स्थित शिव मंदिर
शिव मंदिर के पुजारी

मंदिर जिस भवन में है वो दो मंजिला है. सबसे नीचे मन्दिर है. उसके ऊपर वाले फ्लोर पर अभी निर्माण कार्य चल रहा है. इस भवन के सबसे ऊपरी यानी दूसरी मंजिल पर खुद पुजारी पंडित गोकुल चन्द्र शर्मा अपने परिजनों के साथ रहते हैं.

उत्तर प्रदेश के मथुरा के रहने वाले गोकुल चन्द्र शर्मा इस मंदिर में लगभग 22 साल से पुजारी हैं. जिस रोज इलाके में दंगा फैला वे उस दिन अपने परिजनों के साथ मंदिर में ही मौजूद थे. घटना के बाद पंडितजी ने परिवार-जिसमें दो बेटी, एक बेटा और पत्नी हैं- को कहीं और भेज दिया है. लेकिन वो रोजाना मंदिर में सुबह-शाम आरती करने आते हैं.

ऑप इंडिया का दावा-1: स्थानीय शिव मंदिर की छत पर मुस्लिम भीड़ चढ़ गई.

ऑप इंडिया का दावा-2: मंदिर की छत से हिन्दुओं पर पत्थरबाजी शुरू हो गई.

हकीकत

हमने मंदिर के पुजारी शर्मा से इन दोनों दावों के बारे में पूछताछ की. पंडितजी कहते हैं, ‘‘24 और 25 फरवरी दोनों दिन मंदिर की छत पर कोई भी नहीं आया था. आसपास के हिन्दुओं के छतों पर ज़रूर लोग चढ़ गए थे और पत्थरबाजी कर रहे थे. मंदिर की छत पर भी लगातार पत्थर गिरता रहा. मेरे रहने का कमरा छत पर ही है. हमलोग उसी में घंटों बंद रहे. छत पर पेट्रोल बम भी गिरा जिस वजह से बाहर रखे कपड़े और तिरपाल जल गया. लेकिन मंदिर की छत पर कोई नहीं आया था.’’

मूंगा नगर स्थित गली नंबर 5. दाई तरफ के दूसरे मकान के पहले तल पर स्थित मंदिर.

यानि मंदिर की छत पर मुस्लिम के चढ़ने की बात सरासर फर्जी और ऑप इंडिया की घृणित कपोल-कल्पना का एक और नमूना है.

क्या जानबूझकर उपद्रवियों ने मंदिर को निशाना बनाया? इस सवाल के जवाब में गोकुल शर्मा कहते हैं, ‘‘मुझे नहीं लगता कि मंदिर पर अटैक करने के लिए ऐसा किया गया. पीछे से हमारी छत पर पत्थर ज़रूर फेंके गए लेकिन मंदिर पर अटैक करने के लिए उन्होंने नहीं किया था.”

पत्थर फेंकने वाले कौन थे? गोकुल शर्मा इसके जवाब में कहते हैं कि हम लोग तो कमरे में बंद थे तो हम कैसे बता सकते हैं कि पत्थर फेंकने वाले कौन थे. यह बात ज़रूर है कि अगर हमलोग कमरे से बाहर निकलते तो हमें ज़रूर पत्थर लग सकता था.’’

परिस्थिति

शिव मंदिर के बगल में ही वो जगह है जहां 24 और 25 फरवरी को हिन्दू और मुस्लिम समुदाय के लोग आमने-सामने आ गए थे. मंदिर जिस गली में है उसके बिलकुल सामने ताहिर हुसैन का घर है. ताहिर हुसैन पर अंकित शर्मा की हत्या का आरोप लगा है जिन्हें दिल्ली पुलिस ने घटना के 11 दिन बाद गिरफ्तार कर लिया है. मंदिर के पीछे मुस्लिम समुदाय के लोगों का घर है और उसके आगे हिन्दू समुदाय के लोगों का घर है. 24 फरवरी को मुस्लिम और हिन्दू दोनों के छतों से पत्थरबाजी हो रही थी. मंदिर का भवन दोनो तरफ से हो रही पत्थरबाजी के बीच फंसा गया था. लिहाजा यह कह पाना मुश्किल है कि किस ओर के लोगों के पत्थर मंदिर के भवन पर गिर रहे थे. संभव है कि दोनो तरफ के लोगों के पत्थर मंदिर पर गिरे हों.

ऑप इंडिया का दावा-3: उन्होंने मंदिर पर कब्ज़ा कर लिया

ऑप इंडिया का दावा-4: मंदिर में तबाही मचाई गई

ऑप इंडिया का दावा-5: मंदिर में जम कर तोड़फोड़ की और पेट्रोल बम भी फेंका गया

हकीकत

इन तीनों दावों की पड़ताल में हमने पाया की सच का कोई तत्व मौजूद नहीं है. एक बार फिर से मंदिर के पुजारी गोकुल चन्द्र शर्मा की ही बात पर भरोसा करते हैं जो घटना के वक्त वहां मौजूद थे. वे कहते हैं, ‘‘मंदिर में कोई अटैक नहीं किया गया. यहां ना तो कोई आया और ना ही कोई तोड़ फोड़ किया है. हमारी सारी मूर्ति सही है. उन्हें कोई नुकसान नहीं पहुंचा है.’’

ऑप इंडिया के तीनों दावे एक झटके में ही मंदिर के पुजारी ने खारिज कर दिए. इसके बावजूद हमने आस-पास के लोगों से भी इस बारे में जानकारी करना जरूरी समझा.

मंदिर के बिलकुल सामने राम कुमार का घर हैं. वे बताते हैं, "पास के हिन्दुओं के छत पर मुसलामन आ गए थे लेकिन मंदिर की छत पर कोई नहीं आया था. कब्जा या तोड़फोड़ की बात ही नहीं है. दंगे औऱ पथराव के दौरान मंदिर के सामने कुछ पत्थर फेंके गए, लेकिन एक लड़के ने कहा कि ये मंदिर है यहां कुछ मत करो. जिसके बाद वे लोग मंदिर से आगे चले गए.’’

ऑप इंडिया के वीडियो और लेख में विरोधाभास

ऑप इंडिया ने कथित ग्राउंड रिपोर्ट में अपने दावे को सही साबित करने के लिए एक वीडियो भी लगाया है. वीडियो मंदिर की छत पर एक व्यक्ति रिकॉर्ड कर रहा है और साथ में कमेंट्री भी कर रहा है.

मूंगा नगर स्थित शिव मंदिर

ऑप इंडिया जहां अपनी स्टोरी में दावा करता है कि मुसलमानों ने मंदिर पर कब्ज़ा कर लिया, मंदिर में तबाही मचाई, मंदिर में जम कर तोड़फोड़ की और पेट्रोल बम भी फेंका.

वहीं वीडियो में कमेंट्री कर रहा शख्स कहता है, ‘‘यह वह मंदिर जहां पर सबसे पहले इसके छत पर पेट्रोल बम वगैर फेंके गए लेकिन लोगों ने उन्हें मंदिर तक उन्हें आने नहीं दिया. मंदिर के ऊपर पत्थरबाजी हुई थी.’’

चूंकि इसे ग्राउंड रिपोर्ट कहा जा रहा है तो बहुत मुमकिन है कि रिपोर्टर ने ही इस वीडियो को शूट किया होगा. लेकिन वीडियो और लेख एक दूसरे के विपरीत खड़े हैं.

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इसी वीडियो में रिपोर्टर एक और दावा करता है कि इसी दीवार को फांदकर लोग आए थे.

जिस दीवार का जिक्र वीडियो में किया जा रहा है वह दीवार उस जगह है जहां पंडित गोकुल चंद्र अपने परिवार के साथ रहते हैं. वीडियो में कमेंट्री कर रहे शख्स के साथ-साथ दो तीन लोगों की आवाज़ भी आती है. जो उनकी ही कही बात को दोहराते नजर आते है. हालांकि रिपोर्टर के इस आरोप को पंडित खुद ही गलत बताते हैं, पंडित के अनुसार उस दिन दोपहर 2 बजे से लेकर 6 बजे तक वे उसी कमरे में बंद थे. उनके साथ उनके परिवार के लोग भी मौजूद थे. कोई भी व्यक्ति मन्दिर की छत पर नहीं आया था.

यह भी समझना आसान है कि उपद्रवी जिनपर पागलपन सवार था. आसपास में लोगों की हत्याए हो रही थी. ऐसे में अगर वे उस छत पर चढ़ गए थे, जहां पंडितजी अपने परिजनों के साथ दुबके हुए थे, तो उन्होंने उनको बिना नुकसान पहुंचाए कैसे जाने दिया. क्या यह मुमकिन है?

इलाके में मंदिरों पर नहीं हुए हमले

दिल्ली में हुए दंगे के दौरान एक मस्जिद को नुकसान पहुंचाने का वीडियो काफी वायरल हुआ है. लेकिन न्यूज़लॉन्ड्रीके अलग-अलग रिपोर्टर्स ने रिपोर्टिंग के दौरान पाया कि मुस्लिम बाहुल्य इलाके में जो मंदिर है उसे कोई नुकसान नहीं पहुंचाया गया है. कई जगहों पर मुसलमानों ने देर रात मंदिर की सुरक्षा भी ताकि कोई असमाजिक तत्व उस मंदिर को नुकसान न पहुंचा पाएं.

नेहरु विहार, मुस्तफाबाद का एक इलाका है जहां राम सीता मंदिर है. यहां लगभग पन्द्रह घर हिन्दुओं के है. दंगे के दौरान यह इलाका भी हिंसा ग्रस्त रहा लेकिन यहां का मंदिर बिलकुल सुरक्षित है. मंदिर के संरक्षक रामदास यादव ने न्यूज़लॉन्ड्री को बताया कि दंगे के तीन दिन बाद वे घर लौटे तो पता चला कि मंदिर की सुरक्षा के लिए स्थानीय मुस्लिम देर रात तक पहरेदारी करते रहे थे.

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सबसे ज्यादा दंगे से प्रभावित रहे करावल नगर- भजनपुरा रोड पर श्री दुर्गा फकीरी मंदिर है जो अब भी सुरक्षित है. उसके बिलकुल पास में ही स्थित एक मजार को उपद्रवियों ने आगे के हवाले कर दिया था.

ऑप इंडिया एक बार फिर से दंगो के बारे में अनर्गल, झूठी, सांप्रदायिक घृणा भरी फर्जी सूचनाएं साझा कर रहा है. शिव मंदिर पर हमले की बात उन्हीं फर्जीवाड़ों का एक हिस्सा है.

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