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अतुल चर्चा में शार्दूल को शामिल करते हुए पूछते हैं, “इस तरह की जो घटनाएं हैं उन पर मीडिया और सोशल मीडिया में दो फाड़ है. इसका कोई तार्किक जवाब किसी के पास नहीं है. जिस तरह से फ्रांस में ट्यूनीशिया से आए एक आरोपी ने हत्या कर दी उसे ‘लोन वुल्फ’ अटैक कह सकते हैं क्या? तो फिर हम राजस्थान में शम्भूलाल रैगर द्वारा की गई हत्या को किस तरह देखेंगे. इस तरह की घटना को लोन वुल्फ अटैक कह कर दरअसल पूरी समस्या को नज़रअंदाज़ कर रहे हैं या समझने की कोशिश नहीं कर रहे हैं.”
इस पर शार्दूल कहते है, “आपकी बात बहुत हद की सही है. यह बात ठीक है कि सोशियो-इकोनॉमी फैक्टर होते हैं किसी घटना के पीछे लेकिन यही कारण हत्या का हो सकता है, यह सही नहीं है. फ्रांस की घटना ‘लोन वुल्फ अटैक’ का उदाहरण नहीं है क्योंकि तीन और जगहों पर हमले की कोशिश हुई है. फ्रांस में धार्मिक कट्टरता बहुत पहले से है. दूसरी बात आप किसी भी व्यक्ति को उसके धार्मिक पहलू को लेकर बता नहीं सकते, सीखा नहीं सकते.”
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