'और इकट्ठा करो'
6 जून 2019 को दासगुप्ता और रामगढ़िया को यह सबूत मिल गया कि इंडिया टीवी घरों से आने वाले डेटा के साथ छेड़खानी कर रहा था. इन तथाकथित चैट में इस पहलू पर बात आगे होते देखते हैं.
रामगढ़िया अपने बॉस को एक वीडियो इस टिप्पणी के साथ भेजते हैं, "इसके साथ हमारे पास एक और वीडियो है, जो पक्का है और एचएच ने कबूल कर लिया है. पर उसमें जांचकर्ता थोड़ा आक्रामक दिखाई देता है. अपने आप में वीडियो शायद नाकाफी हो, पर तीनों वीडियो साथ में उत्तर प्रदेश से अच्छे सबूत हैं." एचएच मीटर लगे घर के लिए इस्तेमाल किया गया है.
दासगुप्ता जवाब देते हैं, "और इकट्ठा करो. क्या मैं इन्हें पुनीत और शशि को भेज दूं?"
उपरोक्त पुनीत और शशि, बार्क के चेयरमैन पुनीत गोयनका और बार्क के बोर्ड के सदस्य और प्रसार भारती के सीईओ शशि वेम्पथि हैं.
रामगढ़िया, गोयनका का हवाला देते हुए कहते हैं, "हमारे पास अब तक तीन आ गए हैं. दो बिल्कुल साफ हैं और एक डिस्कॉम के हिसाब से ठीक-ठाक है. लेकिन पीजी के हिसाब से शायद न हो. क्या हम इन्हें डिस्कॉम के पास ले जाएं?"
चैट में टीआरएआई को डिस्कॉम कहकर बुलाया जा रहा है.
दासगुप्ता कहते हैं कि वह रामगढिया को बताएंगे कि आगे क्या करना है.
यहां पर रामगढ़िया उल्लेखित करते हैं, "4 मिनट 30 सेकेंड पर वह कबूल करता है कि उन्हें 500 रुपए महीना मिल रहे थे."
यह स्पष्ट है कि दासगुप्ता की टीम को इंडिया टीवी के खिलाफ छेड़खानी का वीडियो सबूत मिल गया था और वह उसे रजत शर्मा पर दबाव बनाने के लिए इस्तेमाल करना चाह रहे थे. वह इस निष्कर्ष पर पहुंचने की कोशिश कर रहे थे कि वह इस वीडियो को टीआरएआई को भेजें या बार्क के बोर्ड को.
दासगुप्ता के बार्क को छोड़ने के बाद यह चैट दिखाती हैं कि वह और रामगढ़िया इस बारे में बात कर रहे थे कि उस वीडियो सबूत का क्या हुआ.
2 सितंबर 2020 को दासगुप्ता पूछते हैं, "क्या इसका कोई सबूत है जब इंडिया टीवी पकड़ा गया हो लेकिन रजत ने सुनील को डरा दिया?"
रामगढ़िया जवाब देते हैं, "यह मैं बर्दाश्त नहीं करुंगा और मुझे यह घटना याद नहीं आ रही. मुझे याद करने की कोशिश करने दो."
दासगुप्ता कहते हैं, "तुमने मुझे फोन पर बताया था."
रामगढ़िया कहते हैं, "हम्म. सतर्कता विभाग के पास सबूत था पर उसे वरुण ने दबा दिया. क्योंकि एसएल ने उसे ऐसा करने के लिए कहा. आप यह कह सकते हैं कि सतर्कता विभाग को किराने की दुकान की तरह चलाया जा रहा है और कुछ ही का पक्ष लिया जा रहा है."
यहां पर यह स्पष्ट है कि जिस एसएल या सुनील का ज़िक्र किया जा रहा है वह बार्क के नए सीईओ सुनील लुल्ला हैं, पर वरुण कौन है यह स्पष्ट नहीं है.
यहां पर एक प्रश्न स्वाभाविक रूप से उठता है. क्या सतर्कता विभाग ने दासगुप्ता और उनकी टीम के द्वारा एकत्रित किये गये, इंडिया टीवी के खिलाफ मिले छेड़खानी के सबूत रफा-दफा कर दिए?
हमने इस बात पर उनकी टिप्पणी जानने के लिए बार्क से संपर्क किया और उन्होंने यह जवाब भेजा- "क्योंकि इस मामले में विभिन्न जांच एजेंसियों के द्वारा जांच जारी है, इसीलिए हम आपके प्रश्नों का उत्तर न देने के लिए बाधित हैं."
हमने गोस्वामी और दासगुप्ता के वकील को भी प्रश्न भेजे, उनका जवाब आने पर रिपोर्ट में उसे जोड़ दिया जाएगा.
इंडिया टीवी ने रजत शर्मा की ओर से अपना जवाब भेजा जिसे हम यहां पर प्रकाशित कर रहे हैं.
"कोई भी जो पार्थो दासगुप्ता और अर्णब गोस्वामी के बीच में हुई व्हाट्सएप चैट के संदेशों की अदला-बदली को पढ़ेगा, वह श्री रजत शर्मा के खिलाफ उनके गंदे दिमाग और घटिया इरादों को जान जाएगा. पार्थो अर्णब से कहते हैं, "तुम्हें रजत को नेस्तनाबूद करना है. उसे समाप्त किया जाना चाहिए. उसके बारे में कुछ गड़बड़ बात पता करो." और पार्थो दासगुप्ता ऐसा क्यों कह रहे थे? क्योंकि श्री रजत शर्मा ने बार्क के सीईओ के द्वारा रेटिंग में गड़बड़ियों के खिलाफ आवाज उठाई थी.
पार्थो दासगुप्ता अर्णब गोस्वामी से रजत शर्मा के ऊपर राजनीतिक दबाव बनाने के लिए बार-बार कहते हैं. "ए एस को उन्हें (रजत शर्मा) बार्क से दूर रहने के लिए कहना चाहिए", "ए एस या मंत्रालय की तरफ से एक शब्द रजत को चुप करने के लिए." ऐसे अनेक संदेश हैं. वह अर्णब से कहते हैं, "तुम्हें इंडिया टीवी के खिलाफ शिकायत करनी चाहिए. उसकी साख खत्म होनी चाहिए."
अर्णब बार-बार भरोसा दिलाते हैं कि वे रजत शर्मा को खत्म कर देने के काम पर हैं और यह करने के लिए निहितार्थ शिकायतें करने को राजी होते हैं. अगर इस धूर्त टीम को इंडिया टीवी के खिलाफ ठोस सबूत मिला होता तो क्या वह उसे कभी जाने देते?
यह बिल्कुल स्पष्ट है कि अगर श्री रजत शर्मा बार्क की इन भ्रष्टाचारी गतिविधियों, डाटा में जानबूझकर छेड़खानी और भ्रष्ट क्रियाकलापों के खिलाफ आईबीएफ में आवाज़ न उठाते, तो पार्थो दासगुप्ता और उनके सहयोगी बच कर निकल जाते. रजत शर्मा इन दोषियों के खिलाफ बोल सके क्योंकि इंडिया टीवी बेदाग है. पूरा उद्योग जगत जानता है कि इंडिया टीवी ने कभी डाटा में छेड़खानी, लैंडिंग पेज और दोहरे एलसीएन का सहारा नहीं लिया. आईबीएस और एनडीए के बोर्ड के सदस्य गवाह हैं कि श्री रजत शर्मा बार्क की सफाई, और उसे सुदृढ़ और पारदर्शी बनाने के लिए लड़ते रहे हैं. पार्थो और अर्णब के बीच की बातचीत से यह विदित है कि क्योंकि रजत शर्मा ने उनकी पोल खोल दी थी इसलिए उन्होंने "उनके खिलाफ कुछ आपत्तिजनक जानकारी" ढूंढने की भरसक कोशिश की.
पार्थो दासगुप्ता और अर्णब गोस्वामी के बीच के संदेशों का आदान प्रदान स्पष्ट रूप से दिखाता है कि दोनों के बीच रेटिंग में गड़बड़ी कर, रिपब्लिक टीवी की ज्यादा दर्शक संख्या दिखाने के लिए मिलीभगत थी. महीना दर महीना धोखे से दूसरे चैनलों की रेटिंग जानबूझकर कम करना जिससे रिपब्लिक टीवी को अवांछित लाभ मिल सके. व्हाट्सएप के संदेश केवल रेटिंग में गड़बड़ियों को ही नहीं दिखाते बल्कि सत्ता का उपयोग भी दिखाते हैं. यह संदेश सचिवों की नियुक्ति, मंत्रिमंडल में बदलाव, प्रधानमंत्री कार्यालय में पहुंच और सूचना और प्रसारण मंत्रालय के क्रियाकलापों का भी हवाला देते हैं. यह श्री रजत शर्मा के पिछले 4 सालों में एनडीए के अध्यक्ष के रूप में बार-बार लगाए गए आरोपों की पुष्टि ही करता है, कि रेटिंगों में एनबीए के बाहर के किसी प्रसारक के द्वारा, बार्क के उच्चाधिकारियों की मिलीभगत से गड़बड़ी की जा रही है.
इसलिए, श्री रजत शर्मा और उनके चैनल इंडिया टीवी पर लगाया गया कोई आरोप या अफवाह, पूरी तरह से झूठ है और वह केवल अर्णब गोस्वामी और पार्थो दासगुप्ता के शातिर और धूर्त दिमागों की उपज है."
सत्ता का खेल
यह सब मिलकर एक बड़ी परेशानी की तरफ इशारा करता है. दासगुप्ता और रामगढ़िया को टीआरपी में छेड़खानी करने में लिप्त और टीवी चैनलों के खिलाफ भी सबूत इकट्ठे करने चाहिए थे. लेकिन वे केवल इंडिया टीवी के पीछे लगे क्योंकि शायद गोस्वामी ने दासगुप्ता से अपनी प्रतिद्वंदिता के लिए मदद मांगी थी.
अर्णब और पार्थो के बीच की चैट में, हम कई बार गोस्वामी को बार्क के उच्चाधिकारियों के साथ रजत शर्मा के खिलाफ साज़िश करते हुए देखते हैं. लेकिन दासगुप्ता और रामगढ़िया के बीच की चैट में हम उनके क्रियान्वयन के कुछ अंश देखते हैं, मूलतः टीआरपी छेड़खानी को हिसाब बराबर करने के बहाने की तरह इस्तेमाल करना.
यह दिखाता है कि टीआरपी प्रणाली में जुगाड़ लगाकर फायदा उठाना, एक ढांचाबद्ध समस्या है जिसपर बार्क के पूर्व अधिकारियों द्वारा काम किया जाना चाहिए था. लेकिन, ऐसा लगता है कि उन्होंने इन कमियों का फायदा एक चैनल के मालिक की जी हुजूरी करने और अपने हिसाब बराबर करने के लिए उठाया.