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Newslaundry Hindi

विशेष: अमित शाह से जुड़े एडीसी बैंक में धन जमा करवाने वाले 12 नाम

सूचना के अधिकार के एक जवाब के हवाले से पता चला है कि अहमदाबाद डिस्ट्रिक्ट कोआपरेटिव बैंक (जिसे एडीसी के नाम से जाना जाता है) में नोटबंदी के हफ्ते भर के भीतर 745.59 करोड़ रुपये की रकम जमा करवाई गयी. इस खुलासे ने दो महीने पहले राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी थी. हलचल की वजह यह रही कि भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष अमित शाह इस बैंक निदेशकों में से एक हैं.

अब, पहली बार, न्यूज़लॉन्ड्री ने गुजरात के 12 पेट्रोल पंपों के नामों का खुलासा किया है जिन्होंने नोटबंदी के दौरान सिर्फ पांच दिनों के भीतर उसी एडीसी बैंक में 80 लाख या उससे ज्यादा की रकम जमा करवाई थी. इनमें से अधिकतर पेट्रोल पंप अहमदाबाद और गांधीनगर के हैं, और इनके मालिक बीजेपी के नेता, पदाधिकारी हैं. एक तो उप पुलिस अधीक्षक के बेटे है. इन पेट्रोल पंपों में से एक के मालिक बिपिन पटेल गोटा हैं, जो कि अहमदाबाद के राजनीतिक हलकों में अमित शाह के करीबी और उनके दाहिने हाथ के रूप में जाने जाते हैं.

वित्त मंत्रालय ने उन संस्थानों की एक सूची तैयार की थी जो नोटबंदी के एक हफ्ते के अंदर एडीसी में 80 लाख रुपये से अधिक रकम जमा करवा चुके थे. उस सूची में, जो कि न्यूज़लॉन्ड्री के पास मौजूद है, 12 पेट्रोल पंप शामिल हैं जिन्होंने, नोटबंदी के पहले हफ्ते में ही, इससे पहले कि बैंको को प्रतिबंधित मुद्रा जमा करने से मना किया जाता, एडीसी में 13.5 करोड़ रुपए जमा किये थे.

हमने दो हफ़्तों के दौरान उपरोक्त 12 पेट्रोल पंपों में से 10 का दौरा किया और उनके मालिकों और प्रबंधकों से विवरण की पुनः पुष्टि की. इनमें से कई ने माना कि उन्हें राजस्व विभाग से नोटबंदी के दौरान एडीसी बैंक में जमा रकम में अचानक आई वृद्धि बारे में नोटिस मिला है.

12 पेट्रोल पंपों की सूची नीचे दी गयी है:

1. प्राची गैसोलीन:

अमित शाह के करीबी सहयोगी बिपिन पटेल गोटा द्वारा संचालित

जमा राशि: एडीसी की गोटा शाखा में 1.63 करोड़ रुपये.

अहमदाबाद के गोटा क्षेत्र में स्थित यह इंडियन का ऑयल का पेट्रोल पंप बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह के करीबी सहयोगी बिपिन पटेल गोटा द्वारा संचालित किया जाता है और प्रति दिन 13,000 से 14,000 लीटर ईंधन की औसत बिक्री दर्ज करता है.

पंप के प्रबंधक, मंगाजी ठाकुर, ने पुष्टि की कि इसके मालिक बिपिन पटेल गोटा हैं. उन्होंने यह भी बताया कि नोटबंदी के दौरान, बिक्री ‘सामान्य बिक्री से डेढ़ गुना ज्यादा से ऊपर नहीं गई होगी’.

इसका तात्पर्य यह है कि यदि प्राची गैसोलीन ने नोटबंदी के पहले सप्ताह के दौरान प्रतिदिन 20,000 लीटर तेल बेचा तो उस हिसाब से भी (उस समय पेट्रोल 68 रुपये लीटर था और सभी प्रकार की बिक्री को ध्यान में रखते हुए) प्रति दिन की आय लगभग 13.60 लाख की होती थी.

हालांकि ठाकुर ने कहा कि प्राची गैसोलीन को नोटबंदी के दौरान जमा के संबंध में किसी भी सरकारी एजेंसी से नोटिस नहीं प्राप्त हुआ था, उन्होंने उल्लेख किया कि पेट्रोल पंप द्वारा अर्जित आय को देखते हुए जमा की गयी रकम सामान्य थी.

बीजेपी नेता होने के अलावा, पटेल एडीसी के निदेशकों में से भी एक हैं. उनका नाम उस बैंक के अहमदाबाद मुख्यालय के अंदर लगे बोर्ड में अमित शाह के बाद आता है जिस पर एडीसी के सभी निदेशकों के नाम हैं. ट्विटर पर उनके बायो में यह भी लिखा है की वो कृषि उत्पाद बाजार समिति ( पीएमसी) और गुजरात राज्य सहकारी बैंक के निदेशक भी हैं.

पटेल उन 36 लोगों में से एक हैं जिनको विशेष अदालत ने 2016 में 2002 गुलबर्ग सोसाइटी नरसंहार मामले में बरी कर दिया था.

2. महाकाली पेट्रोलियम:

सह-स्वामी- अरविन्द चौहान, स्थानीय बीजेपी नेता और बिलसिया गांव के सरपंच.

जमा राशि: एडीसी की अम्बापुर शाखा में 1.25 करोड़

यह हिंदुस्तान पेट्रोलियम का पेट्रोल पंप अहमदाबाद के बिलसिया गांव के पास स्टेट हाईवे पर एक प्रमुख स्थान पर स्थित है. महाकाली पेट्रोलियम का लाइसेंस कांतिलाल एम राठोड़ के नाम पर है और इसका प्रबंधन उनके छोटे भाई रामाभाई राठोड़ द्वारा किया जाता है. 59 वर्षीय रामाभाई राठोड़ ने बताया कि परिवार के दो अन्य सदस्य- प्रभात सिंह चौहान और अरविन्द चौहान- भी पेट्रोल पंप के सह-मालिक हैं और लाभ साझा करते हैं. हालांकि, पंप के स्वामित्व में चौहान और सिंह निष्क्रिय साझेदार हैं.

चौहान बिलासिया गांव के सरपंच भी है और बीजेपी से भी जुड़े हुए हैं.

रामाभाई राठोड के अनुसार, महाकाली पेट्रोलियम की औसत बिक्री वर्तमान में लगभग 15,000-17,000 लीटर प्रति दिन के बीच है. उन्होंने कहा कि नोटबंदी के पहले सप्ताह के दौरान, यह लगभग 26,000-30,000 लीटर प्रति दिन थी.

राठोड ने कहा, “नोटबंदी के दो-तीन महीने बाद, हमें आईटी विभाग से नोटिस मिला. हालांकि, हमारे चार्टर्ड अकाउंटेंट ने रिकॉर्ड और खाते दिखाए, और मामला मुश्किल से दो या तीन मीटिंग्स में हल कर लिया गया.”

3. बृजराज पेट्रोलियम:

भाजपा के बोटाड जिले के उपाध्यक्ष बृजराज सिंह के नाम पर.

जमा राशि: एडीसी की बारवाला शाखा में 84 लाख रुपए

बृजराज पेट्रोलियम अहमदाबाद-भावनगर राजमार्ग के पास स्थित एक छोटा सा इंडियन आयल का पेट्रोल पंप है. पंप के मालिक महेंद्र सिंह जला है, और इसका नाम उनके भतीजे बृजराज सिंह के नाम पर रखा गया है.

पंप के प्रबंधक शिवराज सिंह ने न्यूज़लॉन्ड्री को बताया कि वर्तमान में कुल बिक्री लगभग 2,200 लीटर प्रति दिन की है. इसको देखते हुए, अगर नोटबंदी के दौरान बिक्री दुगनी हुई होगी तो यह लगभग 4,500 – 5,000 लीटर तक पहुंची होगी.

शिवराज ने आगे बताया कि बृजराज पेट्रोलियम को आईटी विभाग से नोटिस मिला था और बाद में इस मामले को सुलझाने के लिए उन्होंने अपने रिकॉर्ड जमा कर दिए थे. बातचीत के दौरान उन्होंने (शिवराज) ने यह भी उल्लेख किया कि बृजराज सिंह भाजपा बोटाड जिला इकाई के महासचिव हैं. न्यूज़लॉन्ड्री द्वारा इस तथ्य की पुष्टि की गयी.

4. पराग पेट्रोलियम:

भाजपा से जुड़ा एक परिवार इसका मालिक है

जमा राशि: एडीसी की उवरसाद शाखा में 1.72 करोड़

गांधीनगर में उवरसाद-वावल रोड पर स्थित इस एस्सार पेट्रोल पंप में तीन साझेदार हैं और इसके मालिक पराग पटेल है, जिनका भतीजा अंशिक पटेल भारतीय जनता युवा मोर्चा-भाजपा के युवा विंग का सदस्य है. पराग पटेल ने न्यूज़लॉन्ड्री को बताया कि वर्तमान औसत बिक्री प्रति दिन 10,000 लीटर की है और नोटबंदी के पहले सप्ताह के दौरान, यह 15,000 लीटर प्रति दिन को भी पार कर गयी थी.

पटेल ने कहा, “नोटबंदी के पहले सप्ताह के दौरान आय में वृद्धि इसलिए हुई थी क्योंकि क्रेडिट पर पेट्रोल या डीजल खरीदने वाले कई ग्राहक नकदी में भुगतान कर रहे थे.” उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें आईटी विभाग से नोटिस प्राप्त हुआ था और फर्म के साथ जुड़े चार्टर्ड एकाउंटेंट ने विभाग में आवश्यक दस्तावेज जमा कर दिए थे. यह पेट्रोल पंप मुख्य रूप से इलाके में ट्रांसपोर्टर और रियल एस्टेट कंपनियों के साथ व्यापार करता है.

5. गजानंद पेट्रोलियम:

बीजेपी से जुड़ा एक परिवार इसका मालिक है

जमा राशि: एडीसी की केलिया वसाना शाखा में 84 लाख रुपये.

गुजरात के रनोदा गांव के पास स्थित यह पेट्रोल पंप हितेश पटेल द्वारा संचालित किया जाता है.
पटेल ने कहा कि वह भाजपा सदस्य हैं और उनके जीजा जिग्नेश पटेल ढोलका शहर के तालुका प्रमुख हैं. गजानंद पेट्रोलियम की औसत मासिक बिक्री करीब 2 लाख लीटर है. हितेश पटेल ने कहा कि नोटबंदी के पहले सप्ताह के दौरान बिक्री में 8,000-10,000 लीटर प्रति दिन की वृद्धि हुई.

उनके अनुसार, नोटबंदी के पहले सप्ताह के दौरान प्रति दिन बिक्री से आय लगभग 6.8 लाख हुई होगी. एडीसी में जमा की गयी राशि के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि पेट्रोल पंप की आय को देखते हुए और उस समय दर्ज की गई बिक्री एवं ग्राहकों द्वारा किये गए नकदी भुगतान को ध्यान में रखते हुए यह ‘सामान्य’ था.

6. लक्ष्मी फ्यूल स्टेशन:

गुजरात पुलिस के डिप्टी एसपी का बेटा इसका मालिक है.

जमा राशि: एडीसी की ढोलेरा शाखा में 1.18 करोड़ रुपए

यह धंधुका के अंबली गांव के पास अहमदाबाद-पिप्ली-भावनगर राजमार्ग पर स्थित इंडियन आयल के प्रमुख पेट्रोल पंपों में से एक है. लक्ष्मी फ्यूल स्टेशन ने 2004 में परिचालन शुरू किया और अब 27 वर्षीय अजय सिंह वाघेला- गुजरात पुलिस के डिप्टी एसपी हरदेव सिंह वाघेला के बेटों में से एक द्वारा संचालित किया जाता है. इसकी वर्तमान औसत बिक्री 20,000 लीटर प्रति दिन है.

अजय सिंह वाघेला ने कहा कि नोटबंदी के दौरान, लक्ष्मी ईंधन स्टेशन की बिक्री बढ़कर 25,000 लीटर प्रति दिन थी. नोटबंदी के पहले सप्ताह में बिक्री को ध्यान में रखते हुए, औसत आय 17 लाख प्रति दिन होनी चाहिए थी. हालांकि उन्होंने स्वीकार किया कि लक्ष्मी ईंधन स्टेशन को उस समय आईटी विभाग से नोटिस प्राप्त हुआ था, उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें दंडित नहीं किया गया था.

7. एनजी गढ़िया फिलिंग स्टेशन:

राजस्थान के एनजी गढ़िया समूह से जुड़ा हुआ है.

जमा राशि: एडीसी की बरवाला शाखा में 1.11 करोड़ रुपए

एनजी गढ़िया फिलिंग स्टेशन रोजिद गांव के पास अहमदाबाद-भावनगर राजमार्ग पर स्थित एक और प्रमुख पेट्रोल पंप है. इसकी वर्तमान औसत बिक्री 5,000-5,500 लीटर प्रति दिन के बीच है. पेट्रोल पंप के मालिक नीलेश गढ़िया है और यह एनजी गढ़िया समूह का हिस्सा है.
पंप के प्रबंधक हरेश पटेल ने कहा कि नोटबंदी के पहले सप्ताह के दौरान बिक्री 8,000-10,000 लीटर प्रति दिन तक पहुंच गई होगी. फोन पर बात करते हुए, नीलेश गढ़िया ने दावा किया कि उन्हें कोई आईटी विभाग का नोटिस नहीं मिला है. उन्होंने यह भी कहा कि जिस जमा राशि का हम उल्लेख कर रहे हैं, वह गलत है.

8 एवं 9. नवकर पेट्रोलियम:

अहमदाबाद के चांगोदर और वस्त्रपुर क्षेत्र में स्थित है.

नवकर (चांगोदर) जमा राशि: एडीसी की चांगोदर शाखा में 1.74 करोड़ रुपये.

नवकर (वस्त्रपुर) जमा राशि: एडीसी की वस्त्रपुर शाखा में 1.26 करोड़ रुपये.

नवकर पेट्रोलियम भौमिक ठक्कर नामक एक व्यापारी द्वारा चलाया जाता है. उनके पास भारत पेट्रोलियम के दो स्टेशन हैं, एक चांगोदर में राजमार्ग पर और दूसरा एक विशेष व्यवस्था के आधार पर अहमदाबाद शहर में.

चांगोदर स्थित पंप के कर्मचारियों ने बताया कि औसत बिक्री करीब 15,000 लीटर प्रति दिन है, ठक्कर ने हमसे बात करने से मना कर दिया.

10. सन पेट्रोगैस:

अहमदाबाद के सरसपुर इलाके में स्थित है.

जमा राशि: एडीसी की सरसपुर शाखा में 92 लाख रुपये.

यह पेट्रोल पंप अहमदाबाद शहर के सरसपुर क्षेत्र में है. हालांकि डीलरशिप दिलीप सामजी गाला के नाम पर है, लेकिन पंप 38 वर्षीय मनोज संजवा द्वारा संचालित किया जाता है.

संजवा ने कहा कि चूंकि उनका पेट्रोल पंप मुख्य सड़क से थोड़ा दूर है, इसलिए यह शहर में अन्य पंपों की तुलना में कम बिक्री दर्ज करता है. उनके अनुसार, वर्तमान बिक्री औसतन 1,700-1,800 लीटर प्रति दिन है.

यह आंकड़ा नोटबंदी के पहले सप्ताह के दौरान बढ़कर 2,000-2,200 लीटर प्रति दिन पहुंच गया था. उन्होंने यह भी बताया कि उनके पंप की मासिक आय लगभग एक करोड़ है.

संजवा ने कहा कि हालांकि उन्हें आईटी विभाग का नोटिस मिला था, लेकिन उन्हें दंडित नहीं किया गया था.

11. जय पेट्रोलियम:

कुहा गांव में स्थित है.

जमा राशि: एडीसी की कुहा शाखा में 1.01 करोड़ रुपये

यह इंडियन ऑयल का पेट्रोल पंप स्टेट हाइवे पर है और अहमदाबाद के दास्कोई तहसील में कुहा गांव में स्थित है. डीलरशिप अल्काबेन पटेल के नाम पर है और उनके पति केतल पटेल (43) द्वारा संचालित है. केतल ने कहा कि वर्तमान औसत बिक्री 7,000 – 8,000 लीटर प्रति दिन के बीच है. यह आंकड़ा नोटबंदी के पहले सप्ताह के दौरान 13,000-14,000 लीटर प्रति दिन के बीच था.

केतल ने कहा कि जय पेट्रोलियम को आईटी विभाग से नोटिस मिला था लेकिन दंडित नहीं किया गया था.

12. शेठवाला पेट्रोलियम:

हंसलपुर में स्थित है.

जमा राशि: एडीसी की हंसलपुर शाखा में 89 लाख रुपये (स्रोतों के अनुसार)

सूची में आखिरी है शेठवाला पेट्रोलियम, जो अहमदाबाद शहर से दूर हंसलपुर में स्थित है. सूत्रों के मुताबिक, इस पेट्रोल पंप ने एडीसी की हंसलपुर शाखा में 89 लाख रुपये जमा करवाए थे. हमारे बहुत प्रयासों के बावजूद हम इसके मालिकों से प्रतिक्रिया नहीं ले पाए.

गुजरात पेट्रोलियम डीलर्स एसोसिएशन (जीपीडीए) के उपाध्यक्ष धर्मेंद्र शाह ने न्यूज़लॉन्ड्री को बताया कि अहमदाबाद और गांधीनगर में पेट्रोल पंपों की औसत बिक्री लगभग 250 किलोलीटर प्रति माह (या 8,300 लीटर प्रति दिन) है, जो कि गुजरात के अन्य सभी स्थानों की औसत बिक्री से ज्यादा है .

शाह ने बताया कि नोटबंदी के पहले तीन दिनों में, पेट्रोल और डीजल की बिक्री में 100 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी, और अगले चार दिनों में, यह सामान्य से लगभग 40 प्रतिशत अधिक थी. न्यूज़लॉन्ड्री ने एडीसी और उसके चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर एमएल बाहेडिया से भी प्रतिक्रिया लेने की कोशिश की, लेकिन हमें उनकी अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली है कि उन्होंने इन पेट्रोल पंपों द्वारा जमा की गई राशि को स्वीकार करते समय आवश्यक प्रक्रियाओं का पालन किया या नहीं. हमने उनसे यह भी पूछा है कि क्या उन्होंने प्रक्रिया के अनुसार इन लेन-देन के बारे में वित्तीय खुफिया इकाई को सूचित किया था. जब वे जवाब देंगे तो स्टोरी को अपडेट किया जायेगा.

जिला सहकारी केंद्रीय बैंक (डीसीसीबी) के आंकड़ों के मुताबिक, एडीसी देश के शीर्ष 10 सहकारी बैंकों में से एक है, जिसमें 16 लाख से ज्यादा खाता धारक, 195 शाखाएं और 9,000 करोड़ रुपये से अधिक का बिजनेस और 5,330 करोड़ रुपये का जमा आधार है. नोटबंदी के दौरान जमा की गयी राशि के बारे में पूछे जाने पर एडीसी के अधिकारी चुप रहे. हमें प्राप्त एकमात्र प्रतिक्रिया में कहा गया कि हम नेशनल बैंक फॉर एग्रीकल्चर एंड रूरल डेवलपमेंट (नाबार्ड) की प्रेस रिलीज देख लें- जो कि किसी भी बैंक को गड़बड़ी करने पर बंद कर देती है.
अपने प्रेस वक्तव्य में, नाबार्ड ने कहा था: “डीसीसीबी के कुल 16 लाख खातों में से केवल 1.60 लाख ग्राहकों द्वारा राशि जमा की गयी या बदली गयी यानि कि कुल जमा खातों का 9.37 प्रतिशत. इनमें से 98.66 प्रतिशत खातों में ढाई लाख से कम की रकम या तो जमा की गयी या बदली गयी. बैंक के कुल खातों में से सिर्फ 0.09 प्रतिशत खातों में ढाई लाख से ज्यादा की रकम जमा की गयी.”

नाबार्ड ने यह भी कहा था: “इस अवधि (नोटबंदी के पहले पांच दिनों) के दौरान, बैंक के 1.6 लाख ग्राहकों ने 746 करोड़ रुपये के अवैध नोटों को जमा किया या बदला, जो कि बैंक की कुल जमा राशि का लगभग 15 प्रतिशत था.”

एडीसी बैंक में प्रबंधकीय पद पर पदस्थ एक वरिष्ठ अधिकारी ने न्यूज़लॉन्ड्री को बताया: “हमें नोटबंदी की घोषणा के पांच दिन बाद तक ही पुराने नोट स्वीकार करने की इजाजत थी, और हमने इन लेनदेन को स्वीकार करते हुए भारतीय रिजर्व बैंक के केवाईसी मानदंडों (अपने ग्राहक को जानें) को पूरा किया.” निदेशकों के बारे में बोलते हुए, अधिकारी ने कहा कि शाह एडीसी में कई सालों से निदेशक हैं, बिपिन पटेल 2006 से निदेशक हैं. इस अधिकारी ने भी हमें नाबार्ड की स्टेटमेंट का संज्ञान लेने को कहा.