Newslaundry Hindi
कब और कैसे एनडीटीवी बनी रिलायंस की कर्ज़दार
बहुचर्चित “नीरा राडिया टेप” की एक बातचीत में कॉरपोरेट लॉबिस्ट नीरा राडिया पत्रकार एमके वेनू से बात कर रही हैं. यह बातचीत जुलाई 2009 की है जब वेनू द इकोनॉमिक्स टाइम्स के साथ जुड़े हुए थे. राडिया के पास आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री का कोई सनसनीखेज खत था और वो वेणु से सलाह लेना चाहती थीं कि इसे किसके यहां लीक करना ठीक रहेगा. बातचीत के अंत में बिल्कुल अटपटे से अंदाज में वेणु ने राडिया से पूछा की क्या मनोज मोदी दिल्ली में हैं. मनोज मुकेश अम्बानी के सबसे खास लोगों में शामिल थे. रडिया ने हां में जवाब दिया और साथ ही उन्होंने वेणु को मोदी के कार्यक्रम के बारे में भी बताया, “हम (मनोज और राडिया) प्रनॉय से मिल रहे हैं, हमें प्रनॉय का समर्थन करना चाहिए उन्हें हमारे समर्थन की जरूरत है.“ इसके बाद वे दोनों राजनीतिक वर्ग के बीच एनडीटीवी की विश्वसनीयता के बारे में बातचीत करने लगे.
राडिया (उस समय अम्बानी उनके रसूखदार क्लाइंट में से एक थे) अपनी बातचीत में बेहद गंभीर प्रतीत हो रहीं थीं.
लेन-देन की एक लंबी श्रृंखला जो रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (जिसके चेयरमैन भारत के 25 जीवित किंवदंतियों में शामिल हो चुके हैं- ये रैंक उन्हें एनडीटीवी ने दी है) से शुरू हुई और राधिका रॉय, प्रनॉय रॉय प्राइवेट लिमिटेड (RRPR) के पास जाकर रुकी. ये दोनों एनडीटीवी के 29 प्रतिशत शेयर्स के मालिक हैं. यह बताता है कि रिलायंस सिर्फ नेटवर्क 18 को ही संकट से नहीं उबार रहा था.
पैसे का लेन-देन कैसे हुआ
साल 2009 में, (उसी साल जिसमें राडिया, मोदी और रॉय के बीच मुलाकात का जिक्र करती है), पूरी तरह रिलायंस के मालिकाना हक वाली एक सहायक कंपनी रिलायंस वेंचर लिमिटेड ने 403-85 करोड़ का कर्जा शिनानो रिटेल प्राइवेट लिमिटेड को बिना किसी सिक्यूरिटी के दिया. जो प्रभावी रूप से रिलायंस इंडस्ट्रियल इन्वेस्टमेंट एंड होल्डिंग लिमिटेड (आरआईआईएचएल) के मालिकाना हक में है. आरआईआईएचएल रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड का हिस्सा है.
ठीक उसी वित्तीय वर्ष में शिनानो प्राइवेट लिमिटेड ने भी बिलकुल इतनी ही राशि का लोन विश्वप्रधान कॉमर्शियल प्राइवेट लिमिटेड को दिया. मजे की बात ये है की विश्वप्रधान प्राइवेट लिमीटेड और शिनानो प्राइवेट लिमिटेड का पता एक ही है (दूसरा तल, चित्रकूट श्रीराम मिल्स परिसर, गणपतराव कदम मार्ग, वर्ली मुंबई). इसके बाद दोनों का पता बदल गया.
जब तक लेनदेन हुआ तब तक, कंपनी के डायरेक्टर अश्विन खास्गीवाला और कल्पना श्रीनिवासन थे. खास्गीवाला के लिंक्डइन प्रोफाइल के हिसाब से वे रिलायंस रिटेल के चीफ फाइनेंस ऑफिसर है और साथ ही आरआईएल के फाइनेंस और अकाउंट विभाग के उपाध्यक्ष भी हैं- इस पद पर वो फरवरी 1998 से हैं. श्रीनिवासन की लिंक्डइन प्रोफाइल के हिसाब से वे अभी आरआईएल में कंपनी सेक्रेटरी हैं.
ऊपर बताई गई सभी वित्तीय सूचनाएं कारपोरेट मामलों के मंत्रालय स्थित रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज़ में दर्ज दस्तावेजों से उपलब्ध हुई है.
रजिस्ट्री ऑफ कंपनी की वेबसाइट पर एक और पब्लिक डॉक्यूमेंट मौजूद है जो कि आरआरईआर की 2009-10 की बैलेंस शीट है. न्यूज़लॉन्ड्री ने राधिका रॉय प्रनॉय रॉय प्राइवेट लिमिटेड (आरआरईआर) की बैलेंस शीट का अध्ययन किया जिसमें साल 2009-10 के दौरान एक अनसिक्योर्ड लोन का जिक्र है. हालांकि दस्तावेज में इस लोन के स्रोत का जिक्र नहीं है. यह लोन 403.85 करोड़ का है. ये रकम उस लोन राशि से बिलकुल मेल खाती है, जो रिलायंस वेंचर ने शिनानो रिटेल को दिया और शिनानो ने इसे दूसरी कंपनी को दे दिया. क्या ये मात्र एक इत्तेफाक है? जी नहीं ये इत्तेफाक तो बिल्कुल नहीं है.
न्यूज़लॉन्ड्री ने डॉक्यूमेंट की जांच में पाया कि इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने दिसम्बर 2014 में दिल्ली हाईकोर्ट में एक लिखित याचिका दायर की. इसके मुताबिक डिपार्टमेंट के पास एनडीटीवी और ‘बेनामी‘ आदमी के बीच लेन देन की पूरी जानकारी है.” इस डॉक्यूमेंट में डिप्टी डायरेक्टर इनकम टैक्स (इन्वेस्टिगेशन) युनिट-2, नई दिल्ली द्वारा 2011 की लिखी एक चिट्ठी का भी उल्लेख है जिसमें लिखा है कि “m/s आरआरपीआर होल्डिंग प्राइवेट लिमिटेड ने 403-85 करोड़ का लोन m/s विश्वप्रधान कमर्शियल प्राइवेट लिमिटेड से लिया है जिसने ये लोन m/s शिनानो रिटेल प्राइवेट लिमिटेड से लिया और शिनानो ने ये लोन रिलायंस ग्रुप ऑफ कम्पनीज से लिया.”
लोन पर टिका मीडिया
जब RIL के नेटवर्क 18 पर कब्जे की बात खुले तौर पर हो रही हैं ऐसे में लग रहा है कि रिलायंस की मीडिया में दिलचस्पी नेटवर्क 18 से कहीं ज्यादा है.
ऊपर जिस लेन-देन का जिक्र है उससे और इनकम टैक्स द्वारा की गई जांच से यह बात और भी साफ हो जाती है कि रिलायंस ग्रुप की दिलचस्पी एनडीटीवी में है जिसका सबूत आरआरपीआर ने दिया है. इस लेनदेन को जो चीज संदिग्ध और दिलचस्प बनाती है वह है अपरोक्ष तरीके से एक के बाद एक कई कंपनियों में पैसे को ट्रांसफर किया गया. यह सीधे सीधे एक कंपनी से दूसरी कंपनी को दिया गया लोन नहीं है. (आरआईएल द्वारा नेटवर्क 18 के अधिग्रहण में शिनानो रिटेल प्राईवेट लिमिटेड मुख्य कम्पनी थी).
न्यूज़लॉन्ड्री के पास मौजूद एक दस्तावेज से पता चलता है कि यह लोन ब्याजमुक्त भी था जो कि बेहद अजीब बात है. यह जानकारी आरआरपीआर की ताजा ऑडिट रिपोर्ट से मिली है. 2014 की ऑडिट रिपोर्ट के मुताबिक कंपनी के ऊपर 403.85 करोड़ का अनसिक्योर्ड लोन की देनदारी अभी भी बाकी हैं.
एनडीटीवी जो कि अपने दर्शकों के बीच भरोसे के लिए जाना जाता है, ऐसा प्रतीत हो रहा है कि उस भरोसे की नींव बेहद कमजोर है और संदिग्ध लेनदेन पर टिकी है. पारदर्शिता के इस ज़माने में इस बात पर बहस करना मुश्किल है कि जनतंत्र का चौथा खंबा अतनी दोहरी भूमिका कैसे अपना सकता है. खासकर तब जबकि वो लोग जिनकी खबरें मीडिया में चल रही हैं वही इन संस्थानों की गैर कानूनी मदद भी कर रहे हैं.
नीचे लिखे सवाल हमने आरआईएल, एनडीटीवी और आरआरपीआर को भेजे
एनडीटीवी और आआपीआर
1- राधिका रॉय प्रनॉय रॉय होल्डिंग प्राइवेट लिमिटेड की बैलेंस शीट दिखाती है कि कंपनी ने एक ब्याज-मुक्त और गैर-जमानती लोन लिया है क्या आप उस लोन का जरिया हमें बता सकते हैं?
2. क्या आप लोन वापसी की योजना के बारे में बता सकते हैं (अगर ऐसी कोई योजना हो तो).
3. दस्तावेज़ों के आधार पर संकेत मिलता है कि यह लोन रिलायंस वेंचर लिमिटेड (जो पूरी तरह से रिलायंस इंडिया लिमिटेड के मालिकाना हक में है) के पास शिनानो रिटेल प्राइवेट लिमिटेड और विश्वप्रधान प्राइवेट लिमिटेड के माध्यम से आया. क्या आप इस बात की पुष्टि करेंगे?
4. क्या रिलायंस वेंचर या आरआईएल को किसी भी प्रकार की इक्विटी देने की कोई योजना है क्योंकि आपने उपरोक्त लोन चार साल से नहीं चुकाया है?
रिलायंस
1. रिलायंस इंडिया लिमिटेड के पूरी तरह से मालिकाना हक़ वाली रिलायंस वेंचर लिमिटेड ने अनसिक्योर्ड और बिना ब्याज के 403-85 करोड़़ का लोन शिनानो रिटेल प्राइवेट को दिया है. हमारे पास इस बात के दस्तावेज़ हैं, जिससे ये साबित होता है कि एनडीटीवी की होल्डिंग कंपनी ‘राधिका रॉय प्रनॉय रॉय होल्डिंग प्राइवेट लिमिटेड’ को इस लोन का लाभ मिला है. क्या आप इस बात की पुष्टि करेंगे? इस लोन को पाने वाले आखिरी कंपनी की जानकारी क्या आरआईएल के पास है?
2- एनडीटीवी में आरआईएल के किस तरह के हित हैं? क्या एनडीटीवी से संबंध बढ़ाने की भविष्य में कोई योजना है ?
रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड के प्रवक्ता तुषार पनिया, ने न्यूजलान्ड्री से कहा कि “आरआइएल की कोई भी दिलचस्पी सीधे या परोक्ष रूप से एनडीटीवी में नहीं है.”
एनडीटीवी और आरआरपीआर ने अभी तक (अंग्रेजी में यह ख़बर प्रकाशित होने तक) न्यूजलॉन्ड्री को कोई जवाब नहीं दिया. उनके जवाब के आधार पर स्टोरी अपडेट की जाएगी.
बहरहाल यह जानकारी भारत में मीडिया पर नियंत्रण पर कई महत्वपूर्ण सवाल खड़े करती है. मीडिया में होने वाले ज्यादातर लेन देन कंटेंट को लेकर होते हैं और क्रॉस ओनरशिप को लेकर तेजी से बढ़ रही चिंता पर बहुत कम ध्यान देते हैं.
अगर राडिया टेप ने भारतीय मीडिया की विश्वसनीयता को चोट पहुंचाई थी तो एनडीटीवी द्वारा संदिग्ध तरके से पैसा जुटाने की इस कहानी ने भारत में मीडिया की स्वतंत्रता को नए स्तर पर गिरा दिया है.
Also Read
-
‘Jailing farmers doesn’t help anyone’: After floods wrecked harvest, Punjab stares at the parali puzzle
-
TMR 2025: The intersection of art and activism
-
Billboards in Goa, jingles on Delhi FMs, WhatsApp pings: It’s Dhami outdoors and online
-
TISS Saibaba case: Complainant says ‘FIR imposed’, cops named her ‘without consent’
-
बारामासा पर हमला: विज्ञापन बंदरबांट स्टोरी का नतीजा, एबीपी न्यूज़ का कॉपीराइट स्ट्राइक और एआई वीडियो से चरित्र हनन