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हार्वेस्ट टीवी और इसकी कुछ जन्मजात दुश्वारियां

एक धर्मनिष्ठ मलयाली ईसाई, बीबी जॉर्ज चाको, हार्वेस्ट टेलीविज़न नेटवर्क प्राइवेट लिमिटेड के मालिक हैं. वे खुद को “प्रभु ईसा मसीह के काम को आगे बढ़ाने वाला कारक मानते हैं.” दिल्ली के वाईएमसीए टूरिस्ट होटल में टेबल के उस पार दस्तावेजों से भरा हुआ बैग पकड़े चाको घबराये हुए बैठे थे. उनकी आंखों में चिंता और बेचैनी साफ़ झलक रही थी.

वे कहते हैं, “मैं 2004 में बच गया था. इससे पहले, मैं धार्मिक व्यक्ति नहीं था. मैं पूरी तरह धर्मनिरपेक्षता में यकीन रखता था.”

चैनल की वेबसाइट के अनुसार, हार्वेस्ट टीवी का प्रसारण भारत, अमेरिका और मिडिल ईस्ट देशों में होता है. चाको बताते हैं, “हम एक आध्यात्मिक चैनल हैं और हमारा कोई राजनीतिक एजेंडा नहीं है. हमारे पास पैसा या पावर नहीं है. हम किसी को परेशान नहीं करना चाहते हैं और न ही हम खुद परेशान होना चाहते हैं. हम कोई पैसा या दान नहीं लेते हैं. हमारा रेवेन्यू का एकमात्र जरिया चर्च की सेवा है.” यह पूछने पर कि कौन सा चर्च? वे बताते हैं कि केरल का पेंटकोस्टल चर्च, जिसको हार्वेस्ट टीवी अपने प्राइम-टाइम टेलीविजन स्लॉट का 55-60 प्रतिशत हिस्सा बेचता है.

उनकी मीडिया और प्रोडक्शन की पृष्ठभूमि खंगालने पर पता चला कि चाको ने हार्वेस्ट टीवी को 2011 में केरल के तिरुवनंतपुरम से एक केबल टीवी के रूप में शुरू किया था. “ईश्वर की कृपा से सब ठीक चल रहा था और फिर प्लैनेटकास्ट ने हमसे संपर्क किया.” चाको के अनुसार, सैटेलाइट टेलीपोर्ट सेवा प्रदाता, प्लैनेटकास्ट ने उनकी मदद एक टीवी लाइसेंस वाली कंपनी ढूंढ़ने में की. 2013 से, हार्वेस्ट टीवी का प्रसारण विभिन्न डीटीएच नेटवर्क पर होने लगा.

सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय की वेबसाइट के मुताबिक इस चैनल का लाइसेंस पूर्व में सनी एंटरटेनमेंट्स हाउस प्राइवेट लिमिटेड के पास था जो कि हरियाणा की कंपनी थी और मोशन पिक्चर, रेडियो और टेलीविजन के क्षेत्र में काम करती थी.

चाको बताते हैं, “यह हमारे लिए बहुत अच्छा था. लेकिन अचानक, उनको पैसे की किल्लत होने लगी और उन्होंने हमे हटाने की धमकी दी और हमसे अपना करार खत्म करने को कहा.” सनी एंटरटेनमेंट्स के साथ दो साल की साझेदारी के बाद, हार्वेस्ट टीवी को अपना रास्ता खोजने के लिए कह दिया गया. चाको के अनुसार, प्लैनेटकास्ट ने 2015 में एक बार फिर हस्तक्षेप किया और उन्हें दिल्ली स्थित वीकॉन मीडिया एंड ब्रॉडकास्टिंग प्राइवेट लिमिटेड से उनका संपर्क करवाया.

वीकॉन की एंट्री

25 दिसंबर 2015 को, चाको के हार्वेस्ट टीवी ने वीकॉन मीडिया को “लेटर ऑफ अथॉरिटी-कम-नो ऑब्जेक्शन” दिया. इसमें लिखा है: “हम एतद्द्वारा मेसर्स वीकॉन मीडिया एंड ब्रॉडकास्टिंग प्राइवेट लिमिटेड को अपना ट्रेडमार्क, लोगो ‘हार्वेस्ट टीवी’ का ‘हार्वेस्ट टीवी’ चैनल का उपयोग करने के लिए अधिकृत करते हैं और हमें कोई आपत्ति नहीं है.” यह पत्र साफ़ तौर पर बताता है कि “इस साझेदारी पर हस्ताक्षर होने के बाद ये दो साल के लिए मान्य होगी.”

चाको ने उत्सुकता से वीकॉन और उनकी कंपनी के बीच हुआ एक मेमोरेंडम ऑफ़ अंडरस्टैंडिंग (एमओयू) दिखाया. एमओयू में साफ लिखा गया है कि 2.5 लाख रुपये के मासिक भुगतान के साथ वीकॉन मीडिया के पास हार्वेस्ट टीवी चैनल का इस्तेमाल उसके नाम और शैली के मुताबिक करने का अधिकार होगा और यह विशेष रूप से चैनल को प्रसारित करने और बाजार में लाने का हकदार है. इसके अलावा किसी और के पास ऐसा कोई अधिकार नहीं होगा.” दस्तावेज़ में कहा गया है: “जबकि हार्वेस्ट टेलीविजन एयर टाइम की मार्केटिंग और कंटेंट का काम करेगा.”

एमओयू के अनुसार, चैनल की मार्केटिंग उत्तर प्रदेश और बिहार में की जाएगी और चाको के पास फर्स्ट पार्टी (वीकॉन) के स्ट्रिंगर्स, रिपोर्टर्स और ब्यूरो चीफ को खबरें कवर करने के लिए निर्देश देने का अधिकार होगा. वो खबरें फर्स्ट पार्टी द्वारा चैनल की सम्पादकीय टीम से स्वीकृति मिलने के बाद प्रसारित की जाएंगी.”

लेकिन स्व-घोषित मलयाली ईसाई न्यूज़ चैनल को उत्तर प्रदेश और बिहार में प्रसारण से क्या फायदा हुआ? चाको का कहना है कि एमओयू का वो हिस्सा, जिसमें दोनों राज्यों का उल्लेख है, मायने नहीं रखता. उनके अनुसार, “वीकॉन के तहत हार्वेस्ट टीवी को पूरे भारत में प्रसारित करना था. एमओयू का उद्देश्य केवल यह बताना था कि चाको का चैनल वीकॉन मीडिया को हर महीने कितने पैसे देगा.” वे कहते हैं, “बाकि का समझौता पिछले समझौते की दूसरी कॉपी है.”

वीकॉन मीडिया के सीईओ रोहित रोहन इस बात से इनकार करते हुए कहते हैं कि इस तरह के किसी भी एमओयू पर कभी हस्ताक्षर नहीं किए गए थे. हालांकि, न्यूज़लॉन्ड्री द्वारा देखे गए चाको और रोहित के बीच भेजे गए बहुत सारे ईमेल में चाको की एमओयू वाली बात पर कहीं भी रोहित इंकार नहीं करते हैं. चाको के “लेटर ऑफ अथॉरिटी-कम-नो ऑब्जेक्शन” की प्रामाणिकता के बारे में पूछे जाने पर, रोहन ने संक्षेप में प्रतिक्रिया देते हुए कहा “शायद”.

हालांकि, रोहन ने बताया कि चाको के हार्वेस्ट टीवी ने “हार्वेस्ट टीवी” नाम और लोगो के उपयोग के लिए अनापत्ति प्रमाणपत्र (एनओसी) जारी किया था. अपने मामले को ठोस बनाने के लिए, उन्होंने सूचना और प्रसारण मंत्रालय से प्राप्त एक पत्र (दिनांक 5 जुलाई, 2016) दिखाया, जिसमें कहा गया था कि वो वीकॉन के “हार्वेस्ट टीवी” नामक एक नए चैनल और उसके लोगो के अनुरोध को स्वीकार करता है. इस पर उस समय की तारीख है जब जब हार्वेस्ट ने सनी एंटरटेनमेंट्स से अलग होकर वीकॉन के साथ अपनी साझेदारी शुरू की थी.

रोहन बताते हैं कि भले ही एनओसी ने वीकॉन को दो साल के लिए “हार्वेस्ट टीवी” के नाम और लोगो को इस्तेमाल करने की अनुमति दी हो, लेकिन सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के पत्र में ऐसी कोई समय सीमा नहीं दी हुई है.
एक प्रश्न के जवाब में पता चला कि वह लोगो हार्वेस्ट टीवी के लोगो के जैसा ही है जिसके लिए 2011 में जॉर्ज चाको ने एक ट्रेडमार्क प्राप्त किया था.

झुकाव की लड़ाई

जनवरी 2016 में शुरू होने वाली दो साल की लंबी साझेदारी के बाद, रोहन ने नवंबर 2017 में चाको को एक ईमेल किया और उन्हें इस साझेदारी को ख़त्म करने के संबंध में जानकारी दी. उनके ईमेल में उल्लेख किया गया है कि वीकॉन ने सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय में नाम बदलने का आवेदन दिया है जिस पर पिछले एक महीने में कोई प्रतिक्रिया नहीं हुई थी. ईमेल ने कहा गया है, “पिछले हफ्ते, हम संयुक्त सचिव सुश्री जया से मिले, उन्होंने हमें बताया कि आपकी ओर से नाम बदलने के आवेदन की फ़ाइल पूरी है और ठीक है, लेकिन साइनिंग अथॉरिटी के न होने के कारण, हमारा नाम बदलने के आवेदन वाली फ़ाइल मंत्रालय के पास लंबित है और बहुत जल्द वो स्वीकृत हो जाएगी.”

जब उनसे यह पूछा गया कि उन्होंने यह साझेदारी क्यों ख़त्म की, रोहित ने दावा किया कि भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने आरोप लगाया था कि चाको का हार्वेस्ट टीवी भारत-विरोधी धार्मिक प्रचार में शामिल था. रोहन बताते हैं, “हमें पता चला कि वे हिंदुओं को ईसाई बनाने में लिप्त हैं. हमें आरएसएस और अन्य लोगों के पास से फोन आए जिन्होंने शिकायत की कि हमें हार्वेस्ट टीवी पर हिन्दू-विरोधी और भारत-विरोधी कंटेंट और कात्यायनी (वीकॉन का दूसरा चैनल) पर हिन्दू धार्मिक कंटेंट नहीं दिखाना चाहिए. लोगों का धार्मिक परिवर्तन आखिरकार अपराध है.”

गूगल में ढूंढने पर पर पता चला कि स्वामी ने 2017 में चाको के हार्वेस्ट टीवी पर ऐसा आरोप लगाते हुए कोई भी विशेष लेख नहीं लिखा और न ही कोई ट्वीट किया. हमने स्वामी से भी बात करने की कोशिश की मगर उनकी तरफ से कोई जवाब नहीं मिला. उनका जवाब मिलने के बाद इस स्टोरी को अपडेट किया जायेगा.

क्या वीकॉन ने स्वतंत्र रूप से हार्वेस्ट टीवी के खिलाफ इन दावों को सत्यापित किया था? रोहन ने बताया कि हालांकि, उन्हें उनकी भाषा (मलयालम) समझ नहीं आती लेकिन जिनको समझ आती है उन्होंने रोहन को बताया कि चैनल हिन्दुओं को ईसाई धर्म अपनाने के लिए बोलता है और इसके लिए उन्हें पैसों का लालच देता है और हिन्दू धर्म के खिलाफ प्रचार करता है. जब इस बारे में चाको से पूछा गया तो उन्होंने सभी आरोपों को सिरे से नकारते हुए कहा कि उनका चैनल केवल “ईसाई समाचार” चलाता है.

चाको द्वारा अपने कंटेंट को “ईसाई समाचार” के रूप में बताने का संभावित कारण शायद वीकॉन के लाइसेंस की प्रकृति में छुपा है. टीवी लाइसेंस दो श्रेणियों में आते हैं: “न्यूज़” और “नॉन-न्यूज़”. वीकॉन, जो एक न्यूज़ लाइसेंस रखता है, के तहत चाको का हार्वेस्ट टीवी ज्यादातर आध्यात्मिक और भक्ति संबंधित कंटेंट प्रसारित कर रहा था. रोहन कहते हैं, “समाचार’ की परिभाषा यह है कि समाचार कंटेंट चार मिनट से अधिक का होना चाहिए. किसी को चौबीसो घंटे सातों दिन समाचार प्रसारित नहीं करना है.” भारत के अपलिंकिंग दिशानिर्देशों के अनुसार, “समाचार और करेंट अफेयर्स टीवी चैनल का अर्थ है एक ऐसा चैनल, जिसके पास कोई भी समाचार और करंट अफेयर्स का एलिमेंट हो.”

अप्रैल 2018 में, सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने वीकॉन के चैनलों- हार्वेस्ट टीवी और कात्यायनी को समाचार प्रसारण रोकने के लिए कहा था. मंत्रालय ने केवल आध्यात्मिक और भक्ति कंटेंट दिखाने वाले चैनलों पर आपत्ति जताई थी. कंपनी ने इन निष्कर्षों को चुनौती दी और टेलीकॉम विवाद निपटान और अपीलीय न्यायाधिकरण (टीडीसैट) से संपर्क किया, जिसने मंत्रालय को निर्देश दिया कि वो वीकॉन को बिना कारण बताओ नोटिस जारी किये कोई आदेश लागू नहीं कर सकते.

रोहित के उपर्युक्त ईमेल में उन योजनाओं का भी उल्लेख है जो बाद में हार्वेस्ट के थापर-बरखा के कायापलट से जुड़ी हुई थीं: “जब मंत्रालय हमारा नया नाम ‘तिरंगा टीवी’ स्वीकृत कर देगा तब ही हम जनता को चैनल का दिखाना शुरू करेंगे. जैसा कि आप यह भी जानते हैं कि ‘हार्वेस्ट’ नाम उत्तर (भारतीय) लोगों को समझ नहीं आएगा, इसलिए हम आपके नाम का उपयोग नहीं करना चाहते हैं, लेकिन ड्राई-रन हमारे लिए बहुत जरूरी है ताकि एक बार जब हमें अपना नया नाम मिल जाये तो हम तकनीकी रूप से डिस्ट्रीब्यूशन के लिए तैयार हों.”

वीकॉन मीडिया के अध्यक्ष दीपक चौधरी ने द प्रिंट की रिपोर्ट में दावा किया कि वीकॉन ने औपचारिक रूप से सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय से अपना नाम हार्वेस्ट टीवी से तिरंगा टीवी में बदलने का अनुरोध किया था…” हालांकि, चौधरी ने कहा कि मंत्रालय इस पर “एक साल से अधिक समय लगा चुका है.”

वीकॉन द्वारा इस साझेदारी को ख़त्म करने और हार्वेस्ट टीवी के नाम और लोगो का उपयोग जारी रखने की खबर ने चाको के घर में तहलका मचा दिया. वीकॉन के रोहित को भेजे गए उनके बहुत सारे ईमेल में उनका स्वर उन्मत्त लगता है: “लोगो केवल हार्वेस्ट टीवी का है, आप इसका उपयोग नहीं कर सकते हैं या आपके पास इसका अधिकार नहीं है … हमने आपको सीमित समय के लिए एनओसी दी थी न कि लंबे समय के लिए.” रोहन के इस आग्रह पर कि वीकॉन के पास ट्रेडमार्क का उपयोग करने के लिए सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय की मंजूरी है, चाको ने अनुरोध किया: “भले ही हम आमने सामने नहीं मिले हैं…, हमने आपकी सभी मांगों को पूरा किया है और हमारी तरफ से समय से सभी भुगतान किये गए हैं.”

इसके बाद हुई तमाम ईमेल आदान-प्रदान में रोहन ने चाको को यह समझाने की कोशिश की कि वीकॉन को हार्वेस्ट टीवी के नाम और लोगो का उपयोग क्यों करना चाहिए, वो भी यह देखते हुए कि उन्होंने पहले से ही प्रबंधन कर्मचारियों को काम पर रख लिया है और व्यवस्था की है और नए प्रोजेक्ट पर तैयारी पूरी तरह से चल रही है. उन्होंने लिखा, “एक बार जब हमें मंत्रालय से नया नाम मिल जाएगा, तो हम आपका नाम हमेशा के लिए दे देंगे.” चाको के लगातार इनकार करने पर, फरवरी 2018 में, वीकॉन ने हार्वेस्ट के डिज़ाइन से छेड़छाड़ कर के, लेकिन नाम को बरकरार रखते हुए, तीन नए लोगो के लिए आवेदन करके समस्या को हल करने की कोशिश की. अभी तक तीनों आवेदन लंबित हैं.

सीईओ रोहित रोहन के साझेदारी ख़त्म करने वाले ईमेल के कई महीने बाद तक भी एक आपसी समझौते के तहत वीकॉन ने चाको को अगस्त 2018 तक अपने टीवी लाइसेंस का उपयोग करने दिया. हालांकि, इस समय तक, सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने हार्वेस्ट टीवी की समस्याग्रस्त ब्रांडिंग के संबंध में वीकॉन को एक नोटिस जारी किया था, जिसके पीछे चाको का हाथ था जिन्होंने शिकायत की थी कि हार्वेस्ट टीवी के लोगो के साथ छेड़छाड़ करके उसका उपयोग किया जा रहा है जो कि “स्वाभाविक रूप से बेईमानी है और (हार्वेस्ट टीवी) के ग्राहकों की साख और प्रतिष्ठा का मुफ्त में उपयोग करने जैसा है.”

यह देखते हुए कि पूरा मामला इतना बढ़ गया है, वीकॉन के निदेशक रोहित द्वारा चाको को भेजे गए ईमेल में अब धमकी का स्वर दिखने लगा. एक अगस्त, 2018 को, उन्होंने चाको को लिखा: “यदि आप हमें हमारे नाम बदलने की अनुमति तक वर्तमान नाम का उपयोग करने की अनुमति नहीं देंगे, उस स्थिति में हमारे नाम परिवर्तन तक लाइसेंस निष्क्रिय रहेगा.”

रोहन आगे लिखते हैं, “हालांकि, वही मामला आप पर भी लागू होता है क्योंकि मंत्रालय ने ही वीकॉन समूह को हार्वेस्ट टीवी के लिए अनुमति दी, इसलिए यदि आप किसी अन्य लाइसेंस के साथ हार्वेस्ट टीवी नाम और लोगो का उपयोग करते हैं, तो उस स्थिति में हम उस चैनल के खिलाफ शिकायत करेंगे और यह सुनिश्चित करेंगे कि मंत्रालय द्वारा चैनल रद्द कर दिया जाए.”

अगस्त के अंत तक, चाको ने वीकॉन के लाइसेंस से अपना नाम हटा लिया था और अपने चैनल को एयरट्रेवल इंटरप्राइजेज इंडिया लिमिटेड (एटीई) के स्वामित्व वाली दूसरी कंपनी में स्थानांतरित कर दिया. टीवी चैनल का एक स्क्रीनशॉट दिखाता है कि नीचे दाएं कोने में केवल एटीई का लोगो दिखाता है, लेकिन चाको का अपना लोगो विशिष्ट रूप से अनुपस्थित है.

परिणाम

26 जनवरी, 2019 को, वीकॉन ने एचटीएन न्यूज़ के रूप में हार्वेस्ट टीवी को फिर से शुरू किया. बरखा दत्त और करन थापर जैसे पत्रकारों द्वारा प्राइमटाइम शो के साथ चैनल का उद्देश्य “अनावश्यक अन्धराष्ट्रीयता से बचने के साथ साथ एक वैकल्पिक आवाजों को जगह देना भी है.

28 जनवरी को जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल के अंतिम दिन समापन बहस में बोलते हुए, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने आरोप लगाया कि मोदी सरकार डीटीएच ऑपरेटरों टाटा स्काई और एयरटेल और केबल नेटवर्क डेन नेटवर्क्स पर एचटीएन न्यूज़ के प्रसारण में बाधा डालने का प्रयास कर रही है. अगले दिन, द प्रिंट ने सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के एक शीर्ष सूत्र के हवाले से बताया, “हार्वेस्ट का लोगो अवैध है. उन्हें लोगो का उपयोग करने की कोई अनुमति नहीं है और मंत्रालय जल्द ही चैनल और टेलीपोर्ट को कारण बताओ नोटिस जारी करेगा.”

कुछ ही दिनों के बाद, हार्वेस्ट टीवी एयरटेल, टाटा स्काई और डेन पर चल रहा था. इसके अलावा, 30 जनवरी को, दूरसंचार विवाद निपटान और अपीलीय ट्रिब्यूनल (टीडीसैट) ने एचटीएन को हार्वेस्ट के नाम और लोगो का तब तक उपयोग करने की अनुमति दी जब तक कि सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय वीकॉन के “तिरंगा टीवी” लिए लोगो और नाम के परिवर्तन के आवेदन पर निर्णय नहीं ले लेता.

टीडीसैट के समक्ष तर्क देते हुए, वीकॉन मीडिया के वकील अमित सिब्बल (कपिल सिब्बल के बेटे) ने कहा कि चाको को इस मुद्दे को एक उचित अदालत या प्राधिकरण के माध्यम से हल करना होगा, न कि सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के जरिए. वकील ने एनओसी पर चाको के दावे को भी नकार दिया. अपने स्वीकरोक्ति के अनुसार सिब्बल चैनल के साथ जुड़े हुए ऐसे व्यक्ति हैं जो ‘उसमें पैसा लगाने की कोशिश कर रहे हैं”. चैनल में उनकी भूमिका के बारे में पूछे जाने पर रोहन कहते हैं कि हो सकता है कि सिब्बल ने एचटीएन न्यूज़ में शेयर लिए हों, लेकिन वीकॉन में नहीं. अपनी बात से पीछे हट कर वह सिब्बल की भूमिका को पूरी तरह से नकार देते हैं. उन्होंने कहा, “न तो एचटीएन न्यूज में उनकी कोई भूमिका है और न ही वीकॉन मीडिया में.”
फिर एचटीएन न्यूज को फाइनेंस करने की कोशिश करने वाले सिब्बल के दावे का क्या मतलब निकालते हैं? “इसके बारे में आपको उनसे ही बात करनी होगी. लेकिन हमारी कंपनी और एचटीएन न्यूज़ में उनकी कोई हिस्सेदारी नहीं है.” रोहित ने एचटीएन पर मोदी विरोधी पूर्वाग्रह के किसी भी संकेत का खंडन किया. “हम किसी भी पक्षपात को बढ़ावा नहीं देते हैं. हमने चैनल (एचटीएन न्यूज़) के लिए एक अलग संपादक को काम पर रखा है, और इस पर कोई सरकार विरोधी बयानबाजी नहीं है. हम सभी को मंच प्रदान करते हैं.” रोहित ने पुष्टि की कि वीकॉन मीडिया जसवंत कुमार श्रीवास्तव और ललित कुमार श्रीवास्तव को निर्देशकों के रूप में सूचीबद्ध करता है.

सिब्बल ने न्यूज़लॉन्ड्री को बताया कि उनकी “हार्वेस्ट और एचटीएन सहित किसी भी चैनल में कोई हिस्सेदारी नहीं है”.

निष्कर्ष

हमारी बातचीत के अंत में भी चाको व्याकुल दिखते हैं. अपने डॉक्टर से मिला हुआ मेडिकल सर्टिफिकेट दिखाते हुए वो दावा करते हैं, “मैं ट्रेन में था जब मुझे 26 जनवरी को एचटीएन न्यूज़ के बारे में पता चला. मेरा ब्लड प्रेशर बढ़ गया और मुझे अस्पताल ले जाया गया.”

वे आगे कहते हैं, “मुझे पता नहीं है कि वे हार्वेस्ट के नाम के पीछे क्यों पड़े हुए हैं. वे हमें क्यों परेशान कर रहे हैं? हमारा सारा नाम और प्रतिष्ठा बर्बाद हो गई है.”

रोहित रोहन के अनुसार, जॉर्ज चाको ने अपनी कब्र खुद खोदी, “हमें उनके (गाली देते हुए) हार्वेस्ट टीवी में कोई दिलचस्पी नहीं थी. हम अपने लिए नया नाम चाहते थे जिसे मंत्रालय ने मंजूरी नहीं दी है. हमने यही उन्हें (चाको) बताया था, लेकिन वे घबरा गए. उन्होंने खुद ही अपने आप को चक्रव्यूह में डाल दिया है.”

लेकिन वीकॉन मीडिया के पास ब्लंडर्स का अपना बैग है. दिल्ली के पत्रकारिता क्षेत्र के बड़े नामों के साथ जुड़ने की संभावना के कारण, ऐसा लगता है कि कंपनी ने जल्दबाजी में सिस्टम को चलाने और गतिरोध को दूर करने के लिए हार्वेस्ट टीवी के हिस्से को हथियाने का प्रयास किया. जिसने इस मामले को और ज्यादा बढ़ा दिया है.

वीकॉनको “हार्वेस्ट टीवी” के नाम और लोगो का उपयोग करने की अनुमति देने के बावजूद, टीडीसैट ने देखा कि चाको “हार्वेस्ट टीवी” का उपयोग करने में उनकी कथित अवैधता के संबंध में वीकॉन के खिलाफ उपाय की तलाश करने के लिए स्वतंत्र हैं.

वाईएमसीए में चाको स्वीकार करते हैं कि वह इस तरह के उपाय की तलाश करने के लिए समर्थ ही नहीं है. कंधे उचकाते हुए वे कहते हैं, “इस पूरे मामले में कम से कम 25-50 लाख रुपये का खर्चा होगा, और हमारे पास इतना पैसा नहीं है. ये बहुत बड़े लोग हैं. क्या कर सकते हैं?”