Newslaundry Hindi
अतिक्रमण का शिकार गोरखपुर का ऐतिहासिक रामगढ़ ताल
उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले में 18 किलोमीटर की परिधि में फैले रामगढ़ ताल का अस्तित्व खतरे में है. बावजूद इसके कि यह गोरखपुर की जीवन रेखा है, इस ताल में न तो उसका अपना जलीय जीवन सुरक्षित रह गया है और न ही उसकी नम-भूमि ही सुरक्षित है. ताल किनारे जहां कभी जंगल और झुरमुट हुआ करते थे, आज वहां कंक्रीट के जंगल उग आये हैं. हालात यहां तक पहुंच चुके हैं कि नम-भूमि पर अतिक्रमण कर बसे लोगों को पानी के लिए 5-5 घंटे मोटर चलाना पड़ रहा है. वहीं, गोरखपुर का 2021 का मास्टर प्लान इसके बड़े कैचमेंट इलाके में अतिक्रमण की रुपरेखा तैयार कर चुका है.
गोरखपुर में रामगढ़ ताल से कुछ ही दूर, सर्किट हाउस के पास बसी कॉलोनी में रहने वाले सुधीर यादव डाउन टू अर्थ को बताते हैं कि यह बात सही है कि एक तरफ पानी से भरा लबालब रामगढ़ ताल है, तो दूसरी तरफ आधे किलोमीटर दूर ही टंकी भरने के लिए करीब पांच घंटे मोटर चलाना पड़ रहा है. वे बताते हैं कि अब लोग ज़्यादा पानी के लिए सबमर्सिबल पंप की तरफ बढ़ रहे हैं. इससे संकट का समाधान नहीं होगा बल्कि स्थिति और भी ख़राब होगी.
डाउन टू अर्थ ने रामगढ़ ताल के किनारे अपनी यात्रा में पाया कि चारों तरफ बड़े-बड़े रिहायशी भवन, होटल, अपार्टमेंट आदि बन गये हैं. कुछ निर्माणाधीन थे, जिन पर रोक लगा दी गयी है. इन सभी भवनों में पानी की उपलब्धता का स्रोत भू-जल है. क्योंकि नगर निगम की ओर से रामगढ़ ताल वाले क्षेत्र में पानी की सप्लाई नहीं की जाती. इतना ही नहीं, जो भी भवन बने हैं उनमें सीवेज लाइन भी नहीं है. सारी गंदगी और कूड़ा-कचरा रामगढ़ ताल के कैचमेंट क्षेत्र में ही गिराया जा रहा है.
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के 17 दिसंबर, 2018 को दिये गये आदेश के बाद रामगढ़ ताल किनारे निर्माण काम तो रोका गया, लेकिन पूर्व में गोरखपुर विकास प्राधिकरण की ओर से रिहायश और भवनों के लिए पास किये गये नक्शे अब भी सवालों के घेरे में है. हाल ही में ईस्टर्न यूपी रिवर्स एंड वाटर रिजर्वायर मॉनिटरिंग कमेटी की ओर से राजेंद्र सिंह ने एनजीटी में रामगढ़ ताल की रिपोर्ट भी दाखिल की थी. रिपोर्ट में कहा गया था कि गोरखपुर का 2021 का मास्टरप्लान रामगढ़ ताल की सेहत के लिए बेहद घातक है. यह न सिर्फ उसका कैचमेंट एरिया बर्बाद कर देगा, बल्कि वहां की पारिस्थितिकी भी खत्म हो जायेगी.
एनजीटी ने 29 अप्रैल को रिपोर्ट पर गौर करने के बाद गोरखपुर विकास प्राधिकरण (जीडीए) और अन्य को रामगढ़ताल के कैचमेंट का 1:5000 अनुपात में नक्शा तैयार करने का आदेश सुनाया है. 1917 में रामगढ़ ताल करीब 1900 एकड़ में फैला था, जो अब सिकुड़कर 1700 एकड़ में पहुंच चुका है.
2008 में प्रदूषण के कारण इस ताल की बहुत-सी मछलियां मर गयी थीं. वहीं, कुल 40 प्रजातियों की मछलियों में महज गिनती की कुछ प्रजातियां बची हैं. केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय की ओर से राष्ट्रीय झील संरक्षण कार्यक्रम के तहत इसकी गाद और जलकुंभी आदि हटायी गयी थी. साथ ही इसका सौंदर्यीकरण भी किया गया, लेकिन रामगढ़ ताल पर अतिक्रमण ने यहां के इलाके में भू-जल संकट पैदा कर दिया है.
एनजीटी में रामगढ़ ताल के संरक्षण का मामला उठाने वाले गोरखपुर विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति राधे मोहन मिश्रा कहते हैं कि रामगढ़ ताल ने प्राचीन इतिहास के गणतंत्र की जनपदीय व्यवस्था से लेकर आधुनिक लोकतंत्र के इतिहास को देखा है. रामगढ़ ताल कोलीय गणतंत्र की राजधानी थी. उन्होंने बताया कि गोरखपुर का ऐसा कोई हिस्सा नहीं है, जहां राप्ती नदी बही न हो. यह रामगढ़ ताल भी राप्ती नदी का ही हिस्सा है. अब राप्ती शहर से दूर दक्षिण की तरफ खिसक गयी है.
उन्होंने बताया कि गोरखपुर विकास प्राधिकरण (जीडीए) ने 2008 में अवैध रूप से कई नक्शे इस झील के किनारे पास कर दिये. इसके बाद मैंने आवाज़ उठायी. इस रामगढ़ ताल की वेटलैंड उसी समय से अतिक्रमण के दायरे में आ गयी थी, जब तत्कालीन मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने इसके सौंदर्यीकरण का कदम उठाया था.
प्रोफेसर राधे मोहन मिश्रा ने यह भी बताया कि 1 जुलाई 1952, को जमींदारी उन्मूलन कानून आया था. इसमें छोटे और बड़े ताल को यथावत रहने का कानून बनाया गया था. सरकार ने ही इसकी अनदेखी कर विकास के नाम पर अतिक्रमण शुरू किया. 1973 में जीडीए बना, पुराने नियमों की अनदेखी कर उसने अपनी मनमानी शुरू कर दी. इसके बाद से रामगढ़ ताल की स्थिति खराब हो गयी. रामगढ़ ताल के कारण ही बाढ़ से बचाव भी होता था.राप्ती का पानी अधिक होने पर रामगढ़ताल में पहुंच जाता था. बाद में बाढ़ रोकने के लिए पूरब में मलौनी तटबंध और पश्चिम में हर्बर्ड तटबंध बनाया गया. रामगढ़ ताल के किनारे सिर्फ नम भूमि ही नहीं बल्कि वनभूमि भी थी. इसलिए इसका सही वर्गीकरण होना चाहिए.
(यह लेख डाउन टू अर्थ से साभार है)
Also Read
-
Can Amit Shah win with a margin of 10 lakh votes in Gandhinagar?
-
Know Your Turncoats, Part 10: Kin of MP who died by suicide, Sanskrit activist
-
In Assam, a battered road leads to border Gorkha village with little to survive on
-
‘Well left, Rahul’: In Amethi vs Raebareli, the Congress is carefully picking its battles
-
Reporters Without Orders Ep 320: What it’s like to be ‘blacklisted’ by India