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महिलाओं के लगातार असुरक्षित होने का दस्तावेज है एनसीआरबी रिपोर्ट
साल भर से ज्यादा लेटलतीफी के बाद राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो ने आधा-अधूरा आंकड़ा जारी कर दिया है. इसमें मॉब लिचिंग, धार्मिक हिंसा से जुड़े आंकड़ों को एनसीआरबी ने जार नहीं किया है.
एनसीआरबी के ताजा आंकड़ों का एक साफ निष्कर्ष यह है कि महिलाएं पहले से कहीं ज्यादा असुरक्षित हुई हैं. महिलाओं के प्रति अपराध लगातार बढ़ा है. देश भर में 2017 में जहां पुरुषों से जुड़े 23,814 अपहरण के मामले सामने आए वहीं महिलाओं के अपहरण के 76,741 मामले दर्ज हुए. यानी लगभग तीन गुना. इसके हिसाब से देश भर में रोजाना औसतन 210 महिलाओं का अपहरण हुआ इस दौरान.
आंकड़ों के अनुसार भारत में साल 2017 में 95,893 अपहरण के मामले दर्ज हुए. ज्यादातर अपहरण शादी और गैरकानूनी गतिविधियों से जुड़े हुए थे.
अपहरण के मामले में रामराज्य का दावा करने वाले योगी आदित्यनाथ के राज्य उत्तर प्रदेश का पहला स्थान है. यहां साल 2017 में अपहरण के 19,921 मामले दर्ज हुए. दूसरे नंबर पर एक और भाजपा शासित राज्य महाराष्ट्र है जहां 10,324 मामले सामने आए. तीसरे स्थान पर बिहार है जहां 8,479 अपहरण के मामले दर्ज हुए. अगर राजधानी दिल्ली की बात करें तो यहां साल 2017 में 6,095 अपहरण के मामले सामने आए हैं.
पुरुषों से कई गुना ज्यादा महिलाओं से जुड़े अपहरण के मामले
एनसीआरबी द्वारा जारी आंकड़ों में एक हैरान करने वाली जानकारी सामने आती है कि देश भर में पुरुषों की तुलना में महिलाओं के अपहरण के मामले काफी ज्यादा हैं.
अगर उत्तर प्रदेश की बात करें तो यहां हर साल अपहरण के मामलों में लगातार इजाफा हो रहा है. एनसीआरबी के आंकड़ों के अनुसार साल 2015 में उत्तर प्रदेश में 11,999, साल 2016 में 15,898 वहीं 2017 में 19,921 अपहरण के मामले दर्ज हुए. यानि आंकड़ा लगातार बढ़ रहा है लेकिन उत्तर प्रदेश की पुलिस का एक और सच यह है कि 2017 में योगी आदित्यनाथ की सरकार बनने के बाद उसने फर्जी मुठभेड़ों में नया रिकॉर्ड बनाया है.
यहां पुरुषों की तुलना में महिलाओं का अपहरण लगभग छह गुना ज्यादा है. आंकड़ों के अनुसार 2017 में 2,946 पुरुषों के अपहरण के मामले सामने आए तो वहीं महिलाओं से जुड़े 17,941 मामले सामने आए हैं.
अगर अलग-अलग उम्र में बांटकर देखे तो उत्तर प्रदेश में 18 साल से कम उम्र के कुल 7,196 लोगों के अपहरण का मामला सामने आया जिसमें पुरुषों की संख्या 1,386 रही वहीं महिलाओं की संख्या 5,810 थी. 18 साल से ज्यादा उम्र के लोगों के हुए अपहरण के मामलों को देखे तो अपहरण के कुल 13,691 मामले सामने साए जिसमें पुरुषों से जुड़े मामले 1,560 थे, वहीं महिलाओं से जुड़े मामले 12,131 थे. यानी लगभग सात गुना ज्यादा मामले लड़कियों के अपहरण के आए हैं.
अगर यूपी में हुए कुल अपहरण के मामले को देखें तो साल 2017 में जहां पुरुषों से जुड़े 2,946 मामले सामने आए वहीं महिलाओं से जुड़े 17,941 अपहरण के मामले सामने आए हैं. यानी रोजाना लगभग 50 महिलाओं के अपहरण से जुड़े मामले उत्तर प्रदेश में सामने आए हैं. यूपी में 19,921 में से 10,557 मामलों में लोगों की बरामदगी कर ली गई.
महाराष्ट्र
अपहरण के मामले में देशभर में दूसरे नम्बर पर रहे महाराष्ट्र की बात करें तो वहां भी अपहरण के मामले में लगातार इजाफा हुआ है. साल 2015 में जहां 8,255 अपहरण के मामले सामने आए वहीं 2016 में 9,333 मामले सामने आए. 2017 में अपहरण के 10,324 मामले दर्ज हुए. महाराष्ट्र में 18 साल के उम्र के 9,291 अपहरण के मामले सामने आए जिसमें पुरुषों से जुड़े 2,905 मामले थे वहीं 6,386 महिलाओं से जुड़े मामले रहे. 18 से ज्यादा की अगर बात करें तो कुल 1,447 मामले सामने आए जिसमें महिलाओं से जुड़े मामले थे 746 और पुरुषों से जुड़े मामले रहे 701. अगर हर उम्र के अपहरण के मामलों को मिलाकर देखे थे महाराष्ट्र में महिलाओं से जुड़े 7,132 मामले सामने आए तो पुरुषों से जुड़े 3,606 मामले सामने आए हैं.
बिहार
बिहार जो अपहरण के मामलों में तीसरे स्थान पर है वहां भी पुरुषों की तुलना में महिलाओं से जुड़े अपहरण के मामले ज्यादा सामने आए हैं. बिहार के मुख्यमंत्री को भले ही मीडिया ने सुशासन बाबू का तमगा दे दिया है, लेकिन वहां साल दर साल अपहरण के मामलों में इजाफा ही हुआ है. जहां साल 2015 में कुल अपहरण के मामले 7,128 थे जो 2016 में बढ़कर 7,324 हुआ और 2017 में यह आंकड़ा 8,479 पर पहुंच गया है.
बिहार में 18 से कम उम्र के अपहरण के कुल मामले 3,836 सामने आए जिसमें से 828 पुरुषों से जुड़े हुए थे वहीं 3,008 महिलाओं से जुड़े रहे. 18 साल से ज्यादा उम्र के अपहरण के मामलों की बात करें तो कुल 4,660 मामले सामने आए जिसमें से पुरुषों से जुड़े 1,320 तो महिलाओं से जुड़े 3,340 मामले रहे. कुल मिलाकर देखे तो बिहार में पुरुषों से जुड़े 2,148 मामले सामने आए तो 6,348 महिलाओं से जुड़े मामले रहे. यानी पुरुषों की तुलना में लगभग तीन गुना मामले रहे. बिहार में हर रोज 17 महिलाओं से जुड़े मामले सामने आए हैं. बिहार पुलिस द्वारा 8,047 लोगों को बाद में बरामद कर लिया गया.
उत्तर प्रदेश में महिलाओं से जुड़े मामले ज्यादा क्यों?
2017 में उत्तर प्रदेश में हुए विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने अपना घोषणा पत्र ‘लोक कल्याण संकल्प पत्र’ नाम से जारी किया था. इस संकल्प पत्र में महिलाओं के लिए खास एक चैप्टर है जिसका नाम है ‘सशक्त नारी, समान अधिकार’. इस चैप्टर में महिला सुरक्षा के कई दावे किए गए हैं. प्रदेश में योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में बीजेपी सरकार बनाने में भी सफल रही, लेकिन एनसीआरबी के जारी आंकडें योगी सरकार के तमाम दावों पर सवालियां निशान लगाती है.
उत्तर प्रदेश बीजेपी के प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी न्यूज़लॉन्ड्री से बात करते हुए कहते हैं, ‘‘खासकर महिलाओं से जुड़े मामलों में जो वृद्धि दिख रही है उसका एक कारण पहली बार महिलाओं से जुड़े मामले थानों में दर्ज हो रहे है. पहले अपराध ज्यादा होते थे, लेकिन अपराध पंजीकृत नहीं हो पाते थे. हमारी सरकार में महिलाओं से जुड़े मामले प्राथमिकता से दर्ज होने लगे हैं.’’
अपहरण के मामलों में महिलाओं से जुड़े मामले ज्यादा होने के सवाल पर त्रिपाठी कहते हैं, ‘‘अपहरण के जो मामले हैं उसमें बहला-फुसलाकर ले जाने या मर्जी से घर से भाग जाने के भी मामले होते है. जिसमें परिजनों द्वारा अपहरण की एफआईआर दर्ज कराई जाती है. इन मामलों का परिणाम अगर देखें यानी तो पुलिस की फाइनल जांच रिपोर्ट क्या रही या या न्यायपालिका के निर्णय क्या रहे तो उसमें आपको अंतर देखने को मिलेगा. पहले एफआईआर दर्ज नहीं होती थी लेकिन अब हम निष्पक्षता के साथ एफआईआर दर्ज करते हैं और उसकी पूरी जांच करते हैं.’’
राकेश त्रिपाठी आगे कहते हैं, ‘‘महिलाओं से जुड़े मामलों में हर राज्यों में इजाफा दिख रहा है. महिलाओं में होने वाला अपराध हमारे लिए चिंता का कारण रहा है. हम इसको लेकर कई कोशिश कर रहे हैं. विशेषकर महिलाओं और बच्चियों की काउंसलिंग की जा रही है ताकि वो अपनी बात मजबूत तरीके से रख सके. वो प्रतिरोध करें.’’
महिलाओं के प्रति बढ़ते अपहरण के मामलों पर ब्रेकथ्रू की डायरेक्टर ( ग्लोबल एडवोकेसी ) उर्वशी गांधी कहती हैं, ‘‘इसके पीछे दो कारण हो सकते हैं. पहला, हमारे समाज में लड़की की ना को हां माना जाता है. लड़कों को आदतन ना सुनने की आदत नहीं होती है. तो अगर कोई शादी के लिए मना कर रहा है तो वे जबरदस्ती करते हैं. दूसरा, कई बार ऐसा होता है कि लड़की अपने पसंद से भी शादी कर लें तो परिजन अपहरण का मामला दर्ज करा देते हैं. दोनों ही स्थिति में लड़की की मर्जी को तवज्जो नहीं दी जाती है. इस वजह से अपहरण के मामले इतने ज्यादा सामने आते हैं. अगर आप छेड़छाड़ के मामलों को भी देखें तो यूपी में काफी संख्या है. ऐसे मामलों में सरकारी खामी तो है ही लेकिन हमें भी अपने बेटे और बेटियों के पालने के नजरिए को बदला पड़ेगा. तभी समाज में बदलाव आएगा.’’
उत्तर प्रदेश के पूर्व डीजीपी विक्रम सिंह इस पूरे मामले पर न्यूज़लॉन्ड्री से बात करते हुए कहते हैं, ‘‘अपहरण के तीन कारण होते हैं. पहला कि फिरौती के लिए, दूसरा हत्या के लिए और तीसरा शादी या किसी और काम के लिए दबाव बनाने के लिए. अगर इसमें इजाफा हो रहा तो यह चिंता का विषय है और कानून व्यवस्था पर प्रश्नचिन्ह लगाता है. क्योंकि अपहरण घरों से कम, सार्वजनिक स्थानों से ज्यादा होता है. ऐसा कह देना कि अपराध का सही पंजीकरण शुरू कर दिया इसीलिए अपराध की संख्या में इजाफा हो रहा है ये तर्क नहीं कुर्तक है.”
सिंह आगे कहते हैं, “अगर आप कह रहे हैं कि ये तर्क है तो हमें ये और बता दीजिए कि सौ अपराधी प्रकाश में आए थे, आपने इन सौ में कितनों को गिरफ्तार किया. कितने अभी छूटे हुए हैं. ये बता दीजिए. सौ में नब्बे मामलों में गिरफ्तारी हो चुकी हैं तो हम मान लेंगे कि आपने सही से काम किया. पंजीकृत आपने किया सही है. लेकिन अपराधियों की गिरफ्तारी नहीं हुई तो आपसे सवाल तो पूछे ही जाएंगे.’’
देश में महिलाओं की सुरक्षा पर एनसीआरबी के ताजा आंकड़े एक चिंता भरी रोशनी डालते हैं. आंकड़ों के अनुसार देश में महिलाओं के प्रति अपराध में इजाफा हुआ है. जबकि केंद्र में नरेंद्र मोदी सरकार और राज्यों में राज्य सरकार महिलाओं के बेहतर जिंदगी के लिए कई योजनाएं चला रही है.
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