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मिड डे मील में नमक-रोटी का खुलासा करने वाले पत्रकार को जान का खतरा
महज तीन महीने पहले उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर जिले में मिड-डे मील में जारी घोटाला सामने आने के बाद यह राष्ट्रीय सनसनी बन गया था. स्कूल में मिड डे मील के तहत मिलने वाले खाने में बच्चों को नमक-रोटी खिलाने का वीडियो सामने आया था. इस घटना को उजागर करने वाले पत्रकार पवन जायसवाल को अब लगातार जान से मारने की धमकियां मिल रही हैं. इस बाबत उनका एक वीडियो जनज्वार नामक वेबसाइट पर आया है जिसमें वो अपने ऊपर मंडरा रहे खतरे की बात बता रहे हैं.
पवन जायसवाल ने कहा कि उन्हें अपनी सुरक्षा को लेकर काफी तनाव से गुजरना पड़ रहा है. साथ ही इस घटना के बाद उनका पत्रकारिता का काम भी ठप पड़ गया है. इसकी वजह ये रही कि अब वे फील्ड में जाने पर खुद को बेहद असुरक्षित महसूस करते हैं.
पवन कहते हैं, “मेरे जैसे सैंकड़ों, हजारों मीडियाकर्मी जो दूर-दराज के ग्रामीण क्षेत्रों में काम करते हैं उनके साथ कोई भी आदमी बदतमीजी करता है, भद्दी गालियां देता है, धमकी देता है. जैसा मेरे साथ हुआ. इस हलात से बचने के लिए एक कानून होना चाहिए जो ग्रामीण और दूर-दराज के पत्रकारों को सुरक्षा प्रदान करे.”
ठीक प्रेस दिवस यानि 16 नवंबर को जारी हुए इस वीडियों में पत्रकार पवन जायसवाल कहते हैं कि मिडडे मील योजना की खोजी ख़बर करने के बाद से ही उनकी जान को लगातार खतरा बना हुआ है,. उन्हें जान से मारने की धमकियां मिल रही हैं, जिससे उनका काम प्रभावित हो रहा है.
गौरतलब है कि अगस्त महीने में उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर जिले के शिउर गांव में स्थित प्राथमिक विद्यालय के बच्चों को मिड-डे मिल में नमक के साथ रोटी खिलाने का एक वीडियो वायरल हुआ था, जिसे पत्रकार पवन जायसवाल ने बनाया था. यूपी के सरकारी स्कूलों में दिये जाने वाले मिड-डे मील में हर दिन का अलग-अलग मेन्यू होता है. इसमें रोटी, दाल, चावल आदि शामिल है.
इतना ही नहीं, मिड-डे मील के चार्टर के मुताबिक बच्चों को हफ्ते में एक दिन खीर और एक दिन फल भी देने का प्रावधान इसमें शामिल है. मगर मिर्ज़ापुर के सरकारी प्राइमरी स्कूल के वीडियो में साफ दिखाई दिया कि बच्चे नमक-रोटी खाने को मजबूर थे. एक महिला बाल्टी में रोटी लेकर बच्चों को परोसती दिखायी दी, जिसके बाद एक व्यक्ति बच्चों को नमक परोसते हुए वीडियो में नजर आया. वीडियो सामने आने के बाद बवाल मच गया. कई जिम्मेदार लोगों पर तत्काल कार्रवाई भी हुई.
मिर्जापुर के जिलाधिकारी अनुराग पटेल ने ऑन रिकॉर्ड गड़बड़ी की बात स्वीकार की, लेकिन दो दिन बाद वो अपने बयान से मुकरते हुए इस पूरे घटनाक्रम के लिए पत्रकार को ही दोषी ठहराने लगे. पवन जायसवाल पर उन्होंने आरोप लगाया कि उसने साजिशन बदनाम करने के लिए यह वीडियो बनाया. जिलाधिकारी ने एक अजीबोगरीब तर्क दिया कि पवन प्रिंट के पत्रकार हैं तो उन्होंने वीडियो क्यों बनाया. इस पर उनकी देश भर में खिल्ली उड़ी.
इस बदले हालात में जिलाधिकारी के निर्देश पर पवन जायसवाल के ऊपर मुकदमा कायम कर दिया गया. साथ ही ग्राम प्रधान के प्रतिनिधि पर भी. दोनों के खिलाफ धारा 120-बी, 186, 193 और 420 के तहत मुकदमा दर्ज कर दिया गया. यह मुकदमा इन लोगों पर सरकारी कार्य में बाधा पहुंचाने, साजिश व फर्जीवाड़ा करने का आरोप लगाते हुए दर्ज किया गया. जबकि मीडिया में वायरल हुए वीडियो में बच्चे साफ नमक रोटी खाते हुए देखे जा सकते हैं. यह मुकदमा भी अब पवन के जी का जंजाल बन गया है. उन्हें इस बात का डर है कि कभी भी पुलिस उन्हें इन आरोपों में हिरासत में ले लेगी.
शुरुआत में जब मामला उछला तो यह कहा गया था कि पवन के ऊपर से मुकदमा हटा लिया जाएगा. लेकिन घटना के 4 महीने बीत जाने के बावजूद अब तक न तो उनके ऊपर दर्ज मुकदमा वापस लिया गया है और न ही अधिकारी इस मामले में कुछ संज्ञान ले रहे हैं.
पवन कहते हैं, “मैंने देश की सेवा करने के लिए पत्रकारिता शुरू की थी. मेरी स्टोरी अपना जेब भरने के लिए नहीं थी. लेकिन अब मेरी सुरक्षा को लेकर किसी को परवाह भी नहीं है. मैंने जो काम किया वो अपने देश के लिए किया है. लोग इससे खुश हुए. मिड-डे मील योजना पर नीतिगत बात होने लगी. सरकार ने भ्रष्ट लोगों पर कार्रवाई भी की. अगर देश की व्यवस्था में कोई कमी है तो उसको उजागर करने की जिम्मेदारी पत्रकार की होती है. जिन लोगों को ऐसा लग रहा है कि व्यवस्था की कमियों को उजागर करना सरकार के खिलाफ साजिश है वो जान लें कि वो न सिर्फ गलत का बचाव कर रहे हैं बल्कि उन भ्रष्ट अधिकारियों के कारनामें पर पर्दा डालने का काम भी कर रहे हैं और जनता के साथ धोखा कर रहे हैं.”
(साभार जनज्वार)
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