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दरियांगज: हिरासत में लिए गए लोगों को कानूनी मदद देने से रोकती रही पुलिस

रात के नौ बज रहे हैं. दरियागंज पुलिस स्टेशन के सामने प्रदर्शनकरियों के बिखरे चप्पलों और जूतों में से साबूत बचे जोड़ी की तलाश कर रहा एक रिक्शा चालक कहता है, इस ठंड के लिए जूतों का इंतज़ाम हो गया. उसे एक जैकेट भी मिली है. जैकेट के पॉकेट की तलाशी लेते हुए वह हंसता है और कहता है, ‘कुछ पैसे भी रखे होते तो खाने का काम हो जाता.’

देर रात तक गुलज़ार रहने वाली दरियागंज मार्केट की सड़कों पर पुलिस के अलावा इक्का दुक्का लोग नज़र आ रहे हैं. वो भी पुलिस को देखकर गली के अंदर चले जाते हैं. हालांकि दरियागंज थाने के बाहर सैकड़ों की संख्या में लोग मौजूद हैं जिसमें से ज़्यादातर वकील हैं और दूसरे वे लोग हैं जिनके बच्चों को पुलिस ने हिरासत में लिया है.

नागरिकता संशोधन कानून के बनने के बाद से देश के अलग-अलग हिस्सों में प्रदर्शन जारी हैं. शुक्रवार को जामा मस्जिद पर भी इसको लेकर एक बड़ा प्रदर्शन हुआ. प्रदर्शनकारी जामा-मस्जिद से जंतर-मंतर जाने वाले थे, लेकिन शाम छह बजे के करीब जब प्रदर्शनकारी जंतर-मंतर की तरफ बढ़ रहे थे तो उन्हें पुलिस ने दिल्ली गेट पर ही रोक दिया.

प्रत्यक्षदर्शी बताते हैं, दिल्ली गेट पर पुलिस के रोकने के बाद प्रदर्शनकारी लौटने लगे. प्रदर्शन में शामिल स्थानीय नेताओं और मौलानाओं ने भी प्रदर्शनकरियों को लौटने के लिए कहा, लेकिन दरियागंज थाने से लगभग पांच सौ मीटर लौटने के बाद कुछ प्रदर्शनकारी वापस लौटे और पत्थरबाजी करने लगे. थाने के बाहर खड़ी एक कार में आग लगा दी. पुलिस ने भी स्थिति को नियंत्रण में करने के लिए लाठीचार्ज किया और वॉटर कैनन चलानी पड़ी.

पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच हुई इस झड़प में कुछ प्रदर्शनकारी भी घायल हुए हैं तो कुछ पुलिसकर्मी भी, लेकिन लोकनायक जयप्रकाश नारायण अस्पताल में इलाज करा रहे इन लोगों से पत्रकारों को मिलने तक नहीं दिया जाता है. इमरजेंसी वाॅर्ड को अस्पताल प्रशासन ने बन्द कर दिया है. वहीं दूसरी तरफ इस झड़प के बाद काफी संख्या में लोगों को हिरासत में भी लिया गया है, लेकिन उन्हें भी देर रात तक छोड़ा नहीं गया.

मेरा बेटा भी नज़र आ रहा है क्या?

रात के ग्यारह बजे तक दरियांगज थाने में लगभग 32 युवाओं और छह नाबालिगों को पुलिस ने हिरासत में रखा हुआ था. उनमें से कई के परिजन उन्हें तलाशते हुए थाने के बाहर शाम सात बजे से खड़े थे, लेकिन उन्हें बताया भी नहीं जा रहा था कि उनके बेटे को इसी थाने में रखा गया है. पुलिस ने थाने का गेट बंद कर दिया था. जब ये परिजन पुलिस से इस संबंध में जानकारी मांगते तो गेट पर मौजूद पुलिसकर्मी उन्हें कोई भी जानकारी देने से इनकार कर दे रहा था.

गोद में दो साल के बच्चे को लेकर थाने पहुंची एक महिला बताती हैं कि मेरे पति को भी पुलिस ने बन्द कर रखा है. मैं तीन-चार थानों में पता करते हुए यहां आई हूं. पुलिस कुछ बता ही नहीं रही है. इतना कहते हुए महिला रोने लगती है.

महिला के बगल में खड़ी उनकी सास कहती है, “मेरे बेटे का नाम अकरम है. उसकी उम्र 20 से 25 के बीच में है. दरियांगज में मशीन लोडिंग का काम करता है. आखिरी बार बहु को फोन किया तो बस इतना बताया कि थाने में पुलिस ने रखा है. हम लोग पक्की खजूरी के रहने वाले है. वहां आसपास के तीन थाने घूम आए. लेकिन कोई जानकारी नहीं मिल रही है. हम तो अनपढ़ है. अगर उसने कोई ग़लती की है तो मैं पुलिस के पैर पकड़ लूंगी”

थाने के बाहर से हिरासत में लिए हुए बच्चे अंदर ज़मीन पर बैठे नज़र आते हैं. वहां मौजूद पत्रकार उनकी तस्वीरें क्लिक करने लगते है. तभी एक बुजुर्ग आते हैं और पत्रकारों से कहते हैं कि मेरा बेटा वहां बैठा नज़र आ रहा है क्या?

मुस्तफ़ाबाद के रहने वाले अजीज अख्तर बताते हैं मेरा बेटा सोहेल तो अपने दोस्त शहबाज के साथ पुरानी दिल्ली खाने के लिए आया था. उसका तो प्रदर्शन से कुछ लेना देना भी नहीं था. प्रदर्शन में अगर होता तो पुलिस उसे स्कूटी के साथ कैसे पकड़ लेती. प्रदर्शन में स्कूटी लेकर कौन शामिल होता है? वो अपने दोस्तों के साथ खाकर लौट रहा था तभी पुलिस ने उसे थाने में बन्द कर दिया. सफेद रंग की स्कूटी भी थाने में रखी हुई है. मैं दो घंटे से यहां चक्कर लगा रहा हूं. कोई सुन नहीं रह है. उसका फोन भी अब बन्द है.

ऐसे ही कई परिजन अपने बच्चों की तलाश में दरियांगज थाने पहुंचे हुए हैं. कुछ स्वीकार करते हैं कि उनका बेटा प्रोटेस्ट में शामिल था तो कुछ इससे साफ इनकार करते हैं, लेकिन पुलिस किसी को थाने के अंदर जाने तक नहीं देती है.

थाने का कोई इंचार्ज नहीं

हिरासत में लिए गए लोगों के परिजन थाने के बाहर शाम सात बजे से ही बैठे हुए हैं. पुलिस उनकी सुनती तक नहीं है. तभी वकीलों की एक पूरी टीम वहां पहुंचती है. इन्हें भी थाने के अंदर जाने से रोक दिया जाता है और गेट पर ताला जड़ दिया जाता है. वकील जब थाने के अंदर मौजूद एक पुलिसकर्मी से थाना इंचार्ज से बात कराने के लिए कहते हैं तो वो बताता है कि अभी थाने का कोई इंचार्ज नहीं है.

हिरासत में लिए गए युवाओं को मुफ्त में कानूनी सहायता देने पहुंचे इन वकीलों में से एक पारस चोपड़ा बताते हैं, ‘ यहां पुलिस गैरकानूनी हरकत कर रही है. पुलिस थाने को आप कभी बन्द करके नहीं रख सकते हैं जबकि हालात बिल्कुल ख़राब नहीं. यहां सबकुछ शांत है लेकिन पुलिस ने गेट बंद किया हुआ है. हैरान करने वाली बात है कि थाने का कोई इंचार्ज ही नहीं है. पुलिस कुछ छिपाने की कोशिश कर रही है’

क्या छिपाने की कोशिश हो सकती है? इसपर पारस कहते हैं, “हमें सूचना मिली है कि पुलिस ने कुछ नाबालिगों और महिलाओं को भी हिरासत में लिया है. हम थाने के अंदर जाकर हकीकत देखना चाहते हैं, लेकिन पुलिस हमें जाने नहीं दे रही है”

जामिया मिल्लिया इस्लामिया में छात्रों पर हुई पुलिसिया कार्रवाई के बाद दिल्ली के वकीलों ने एक ग्रुप बनाया है जो प्रदर्शन के बाद हिरासत में लिए गए लोगों को मुफ्त में कानूनी मदद पहुंचाते हैं.

इस ग्रुप की एक सदस्य और दिल्ली हाईकोर्ट में प्रैक्टिस करने वाली मिसिका बताती हैं, ” जामिया मिल्लिया इस्लामिया विवाद के बाद दिल्ली के वकीलों ने ग्रुप बनाया, लेकिन अब देश के अलग-अलग हिस्सों में वकील ग्रुप बनाकर प्रदर्शनकारियों को मदद करने की कोशिश कर रहे हैं. ज़रूरी नहीं कि हममें से सभी प्रदर्शन की वजह से सहमत हों, लेकिन हर किसी को कानूनी सलाह का हक़ है और उसे वह मिलना चाहिए. लेकिन यहां पुलिस अजीब ही व्यवहार कर रही है.’

काफी हंगामे के बाद पुलिस एक महिला वकील को थाने के अंदर हिरासत में लिए गए लोगों से मिलने की इजाज़त देती है. देर रात में पुलिस हिरासत में लिए गए नाबालिगों को छोड़ने के लिए राजी होती है.

दिल्ली में सिर्फ दरियांगज में ही नहीं सीमापुरी इलाके में भी लोगों को हिरासत में लिया गया है. उन्हें पुलिस छोड़ने को तैयार नज़र नहीं आती है. इसकी सूचना मिलते ही लोगों का समूह आईटीओ स्थिति दिल्ली पुलिस मुख्यालय के सामने जमा हो गया. यहां छात्र नेता उमर खालिद के नेतृत्व में प्रदर्शनकारी हिरासत में लिए गए लोगों को जल्द से जल्द छोड़ने की मांग करते हुए मुख्यालय के गेट पर बैठ गए.

जामा मस्जिद पर जारी रहा प्रदर्शन

जामा मस्जिद के आसपास के इलाके से झुंड के झुंड पुरुष और महिलाएं जामा मस्जिद देर रात तक पहुंचते रहे. भीम आर्मी प्रमुख चन्द्रशेखर रावण के नेतृत्व में प्रदर्शनकारी देर रात तक जमा रहे. न्यूज़लॉन्ड्री से बातचीत करते हुए चन्द्रशेखर कहते हैं, “हम यहां इसीलिए हैं, क्योंकि मोदी सरकार संविधान की हत्या कर रही है. हम यहां से तब तक नहीं हटेंगे जब तक कि सीएए जैसा काला कानून और देशभर में एनआरसी लागू करने को वापस नहीं लिया जाता है.”

जामा मस्जिद की सीढ़ियों पर बैठे पुरुष और महिला प्रदर्शनकारी देर रात तक प्रधानमंत्री मोदी और गृहमंत्री अमित शाह के खिलाफ़ नारे लगाते रहे. पुलिस जामा मस्जिद के बाहर सुरक्षा फ्लैग मार्च करती रही ताकि कोई विवाद न हो.