Newslaundry Hindi
उत्तर प्रदेश की औद्योगिक ईकाइयों को पर्यावरण कानूनों से मिली छूट के मायने
नोवेल कोरोना वायरस के दौरान आर्थिक चक्के को घुमाने के लिए नई-नई जुगत लगाई जा रही है. ज्यादातर राज्य श्रम कानूनों और पर्यावरणीय कानूनों में ढील दे रहे हैं. उत्तर प्रदेश सरकार ने सभी औद्योगिक ईकाइयों को जल और वायु कानून के तहत ली जाने वाली कानूनी सहमति में लॉकडाउन के दौरान राहत दी है. फिलहाल लॉकडाउन की अवधि तक औद्योगिक ईकाइयों को यह राहत रहेगी.
उत्तर प्रदेश प्रदूषण निययंत्रण बोर्ड (यूपीपीसीबी) ने अपने हालिया आदेश में कहा है कि ऐसी औद्योगिक ईकाइयां जिनकी जल और वायु कानून संबंधी सहमतियों की वैधता लॉकडाउन के दौरान खत्म हो गई है वे ऑनलाइन माध्यम से नया आवेदन कर सकते हैं लेकिन वैधता समाप्त होने और आवेदन करने के दरम्यान उन्हें जल और वायु प्रदूषण का जिम्मेदार नहीं माना जाएगा.
जल (प्रदूषण निवारण और नियंत्रण) अधिनियम, 1974 और वायु (प्रदूषण निवारण और नियंत्रण) अधिनियम, 1981 के तहत औद्योगिक ईकाइयों को संचालन के लिए राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से जल और वायु सहमति प्राप्त करना अनिवार्य है. नियम के मुताबिक इन सहमतियों के बिना औद्योगिक ईकाइयों का संचालन करने वालों के खिलाफ राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को कार्रवाई करनी होती है. फिलहाल उत्तर प्रदेश में लॉकडाउन के दौरान अनिवार्य शर्तों में भी ढील दी गई है.
यूपीपीसीबी ने अपने आदेश में कहा है कि कोविड-19 वैश्विक महामारी को ध्यान में रखते हुए 24 मार्च से ही लॉकडाउन प्रभावी है, जिसके कारण कई औद्योगिक ईकाइयां बंद थी या उनका संचालन नहीं हो रहा था. साथ ही ऐसी कई औद्योगिक ईकाइयां भी हैं जिनकी जल और वायु कानून संबंधी वैधता खत्म हो चुकी है और वे अपना आवेदन नहीं कर सके हैं इसलिए यह नई व्यवस्था की गई है.
इससे पहले 10 अप्रैल को उत्तर प्रदेश सरकार ने ऑक्सीजन सिलेंडर, जीवन रक्षक मेडिकल उपकरणों और अन्य सप्लाई (पीपीई, मास्क आदि) के वृहत पैमाने पर उत्पादन के लिए नियम में छूट का प्रावधान किया था. जीवन रक्षक मेडिकल उपकरणों और अन्य सहायक आपूर्तियों से जुड़ी औद्योगिक ईकाइयों को निवेश मित्र पोर्टल के जरिए कंसेट टू ऑपरेट आवेदन करके प्रोडक्शन बढ़ाने का आदेश दिया गया था. इस आदेश में कहा गया था कि उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ऐसे आवेदनों को सर्वोच्च प्राथमिकता के साथ मान्यता देगा. इस आदेश की अवधि 31 मई, 2020 तक रखी गई है.
पर्यावरण नियमों में दी जा रही ढील हाल-फिलहाल औद्योगिक प्रदूषण में आई कमी को फिर से बढ़ा सकता है. आंध्र प्रदेश के विशाखापट्टनम में दक्षिण कोरिया की कंपनी एलजी पॉलिमर्स से स्टाइरीन गैस लीक हादसे के बाद अदालत के आदेशों पर दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं. सभी राज्य सरकारों को भी निर्माण संबंधी औद्योगिक ईकाइयों को शुरु करने से पहले ऑन-साइट और ऑफ-साइट योजनाओं पर काम करने व शुरु के पहले हफ्ते में ट्रायल आधार पर औद्योगिक ईकाई को चलाने साथ ही पाइपलाइन, वॉल्व, स्टोरेज आदि की अच्छे से जांच और देखभाल करने को कहा गया है.
ईंट-भट्ठों को मिली छूट
लॉकडाउन का दूसरा चरण खत्म होने से पहले उत्तर प्रदेश में ईंट-भट्ठों को पूर्व पर्यावरण मंजूरी (ईसी) हासिल किए बिना ही मैनुअल तरीके से दो मीटर तक खनन करने की इजाजत दे दी गई है. उत्तर प्रदेश (यूपी) सरकार ने 01 मई, 2020 को इस संबंध में अधिसूचना जारी की है.
यह कदम केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय की ओर से 28 मार्च को जारी खान एवं खनिज (विकास एवं विनियम) अधिनियम (संशोधित) अधिसूचना के आधार पर लिया गया है. यूपी के सचिव संजय सिंह ने जारी की गई इस अधिसूचना में कहा है कि केंद्रीय वन एंव पर्यावरण मंत्रालय ने 28 मार्च, 2020 को पर्यावरण प्रभाव मूल्यांकन (ईआईए), 2006 में बदलाव किए हैं, जिसके आधार पर कुछ क्रियाकलापों में छूट दी गई है.
उत्तर प्रदेश उप खनिज परिहार नियमावली (37वां संशोधन), 2014 के प्रावधानों और केंद्र की संशोधित अधिसूचना के आधार पर ईंट बनाने के लिए हस्तचालित यानी मैनुअल खनन (2 मीटर गहराई तक) सामान्य मिट्टी की खुदाई के लिए किसी पूर्व पर्यावरणीय मंजूरी की जरूरत नहीं होगी.
केंद्र की तरफ से 28 मार्च को जारी खान एवं खनिज (विकास एवं विनिमय) अधिनियम यानी एमडीएमआर अधिनियम में कहा गया है कि ईआइए 2006 के नियमों में बदलाव करके पूर्व पर्यावरण मंजूरी की शर्त को खत्म किया जाता है.
इन्हें मिलेगी मैनुअल खनन के लिए पर्यावरण मंजूरी से छूट
इसके तहत मिट्टी खिलौने, मिट्टी के बर्तन, घड़े, लैंप जैसे सामान्य मिट्टी के उत्पादों को बनाने के लिए कुम्हार अपनी प्रथाओं के हिसाब से मैनुअल यानी हाथों से होने वाला खनन कर सकेंगे. वहीं, मिट्टी की टाइल बनाने वाले भी मैनुअल निकासी कर सकेंगे. बाढ़ के बाद कृषि भूमि से साधारण मिट्टी और बालू की निकासी. मनरेगा, सड़क, पाइपलाइन जैसे रैखीय परियोजनाओं के लिए मैनुअल मिट्टी का खनन करने की इजाजत होगी.
इसी तरह बांध व जलाशयों की सफाई के लिए भी निकासी बिना पूर्व पर्यावरण मंजूरी के ही की जा सकेगी. पांरपरिक समुदायों को भी छूट होगी. सिंचाई एवं पेयजल के लिए कुंओं की खुदाई में छूट होगी. आर्थिक पहिए को तेज करने केलिए राज्य नियमों में ढील और बदलाव का रास्ता अपना रहे हैं. फिलहाल उत्तरप्रदेश ने यह कदम उठाया है.
Also Read: कौन है विशाखापत्तनम का वॉरन एंडरसन?
Also Read
-
We tried to wish Modiji in TOI. Here’s why we failed
-
Gujarat’s invisible walls: Muslims pushed out, then left behind
-
पीएम मोदी का जन्मदिन: ‘वन मैन शो’ से लेकर ‘विकासपुरुष’ वाले विज्ञापनों से पटे हिंदी अखबार
-
Rekha Gupta, Eknath Shinde lead b’day ad blitz for Modi; ToI, HT skip demonetisation in PM’s legacy feature
-
From Doraemon to Sanjay Dutt: The new grammar of DU’s poll season