Newslaundry Hindi
11 मई से क्यों बंद है कोरोना को लेकर होने वाली प्रेस कांफ्रेंस
19 मई को भी स्वास्थ्य मंत्रालय की कोविड-19 पर प्रेस कांफ्रेंस नहीं हुई, आखिरी बार यह कांफ्रेंस 11 मई को हुई थी, उसके बाद से नियमित प्रेस कांफ्रेंस बंद है. हर शाम को प्रेस रिलीज आ जाती है जिसे छाप दिया जाता है. एक ऐसे दिन जब कोविड-19 की संख्या एक लाख के पार चली गई स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारी प्रेस के सामने ही नहीं आए. क्या सरकार ने इस महामारी से संबंधित सूचनाओं को व्यर्थ मान लिया है? सरकार मान सकती है लेकिन क्या लोगों ने भी मान लिया है? क्या सरकार यह संकेत दे रही है कि जो कहना है कह लीजिए, हम प्रेस कांफ्रेंस नहीं करेंगे. प्रश्नों के उत्तर नहीं देंगे.
प्रेस कांफ्रेंस का स्वरूप भी बदल गया है. शुरू में स्वास्थ्य मंत्रालय में प्रेस कांफ्रेंस होती थी, तब दूरदर्शन, ऑल इंडिया रेडियो और एएनआई को ही इजाज़त थी. एएनाई से लाइव किया जाता था, उसके बाद प्रेस कांफ्रेंस नेशनल मीडिया सेन्टर में होने लगी. यहां पत्रकार होते थे मगर सवाल दो चार ही हो पाते थे. इस प्रेस कांफ्रेंस में गृहमंत्रालय, आईसीएमआर, विदेश मंत्रालय के भी प्रतिनिधि होते थे, उसके बाद दो लोग आने लगे. आईसीएमआर के प्रतिनिधि का आना बंद हो गया. जिसके बाद से सिर्फ स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव और गृहमंत्रालय की संयुक्त सचिव आते थे लेकिन वे भी 11 मई के बाद से नहीं आए हैं.
शुरू शुरू में आईसीएमआर के वैज्ञानिक गंगाखेडकर होते थे. स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारी लव अग्रवाल अक्सर कहते सुने गए हैं कि टेक्निकल बातों का जवाब गंगाखेडकर जी देंगे. करीब 20 दिनों से गंगाखेडकर जी प्रेस कांफ्रेंस में नहीं आए हैं. क्या टेक्निकल सवाल खत्म हो चुके हैं? वैज्ञानिक जगत भी चुप है. उसमें भी आवाज़ उठाने की साहस नहीं है. कोई नहीं पूछ रहा कि गंगाखेडकर कहां हैं.
यही नहीं इस महामारी से लड़ने के लिए 29 मार्च को 11 एम्पावर्ड ग्रुप का गठन किया गया था. अभी तक सिर्फ 7 मौकों पर ही एम्पावर्ड ग्रुप के चेयरमैन ने प्रेस को संबोधित किया है. 4 एम्पावर्ड ग्रुप ने प्रेस कांफ्रेंस ही नहीं की है. यही नहीं पहले 7 दिन प्रेस कांफ्रेंस होती थी. जिस घटाकर 4 दिन कर दिया गया. बुधवार, शनिवार और रविवार को प्रेस कांफ्रेंस नहीं होती, लेकिन अब तो 11 मई से प्रेस कांफ्रेंस भी नहीं हो रही है, वो भी बंद है.
मार्च में सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा था कि मीडिया को निर्दश दें कि कोविड-19 के मामले में सिर्फ सरकारी सूचना प्रकाशित करे. मीडिया को लेकर सरकार ने अपनी सोच जाहिर कर दी थी, जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने मना कर दिया. लेकिन अब सरकार ने ही प्रेस कांफ्रेंस बंद कर दिया है. 8 दिन हो गए हैं प्रेस के सामने आए.
दुनिया भर में कोविड-19 से लड़ाई में प्रेस कांफ्रेंस का अहम रोल है. सूचनाओं की पारदर्शिता ने कमाल का असर किया है. इसलिए कोविड-19 को लेकर होने वाली प्रेस कांफ्रेंस में प्रधानमंत्री, स्वास्थ्य मंत्री के अलावा देश के चोटी के वैज्ञानिक या स्वास्थ्य अधिकारी होते थे. उनकी बातों को गंभीरता से छापा जाता है. वे अक्सर अपने प्रधानमंत्री या राष्ट्रपति से अलग राय व्यक्त करते हैं. अमरीका में ट्रंप एंटनी फाउची की जितनी आलोचना कर लें लेकिन फाउची भी ट्रंप की बातों को काट देते हैं. स्वीडन, न्यूजीलैंड, ताईवान जैसे कई देशों में प्रेस कांफ्रेंस में महामारी और संक्रमण के चोटी के विशेषज्ञ होते हैं.
भारत में हमेशा की तरह प्रश्न उठे कि प्रधानमंत्री मोदी क्यों नहीं प्रेस कांफ्रेंस कर रहे हैं, लेकिन जवाब में लगता है कि नियमित प्रेस कांफ्रेंस ही बंद कर दी गई है. हमारी आपकी ज़िंदगी दांव पर है. किसी की नौकरी जा रही है तो किसी की जान. अगर सूचनाओं को लेकर यह रवैया है, इस तरह की लापरवाही और रहस्य को मंजूरी मिल रही है तो फिर जनता ने कुछ और तय कर लिया है. आए दिन टेस्ट से लेकर सैंपल जांच के नियम बदलते रहते हैं. कहीं कोई चर्चा या बहस नहीं होती. आप प्रेस रिलीज़ को लेकर तो बहस नहीं कर सकते. यह बता रहा है कि सूचनाओं को लेकर दर्शकों और पाठकों की औकात कितनी रह गई है. सत्ता की नज़र में उनकी क्या साख रह गई है कि सरकार प्रेस रिलीज़ का टुकड़ा मुंह पर फेंक कर चल देती है.
Also Read
-
Mandate 2024, Ep 2: BJP’s ‘parivaarvaad’ paradox, and the dynasties holding its fort
-
The Cooking of Books: Ram Guha’s love letter to the peculiarity of editors
-
TV Newsance 250: Fact-checking Modi’s speech, Godi media’s Modi bhakti at Surya Tilak ceremony
-
What’s Your Ism? Ep 8 feat. Sumeet Mhasker on caste, reservation, Hindutva
-
‘1 lakh suicides; both state, central govts neglect farmers’: TN farmers protest in Delhi