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एनएल चर्चा 117: योगी और कांग्रेस का बस विवाद, ज़ी न्यूज़ में कोरोना और अन्य
एनएल चर्चा के 117वें अंक में केंद्र सरकार द्वारा घोषित 20 लाख करोड़ के विशेष आर्थिक पैकेज, उत्तर प्रदेश सरकार और कांग्रेस पार्टी के बीच बस विवाद, कोरोना वायरस के बीच अम्फान तूफान की तबाही, नेपाल-भारत के बीच सीमा विवाद और रेडियो रंवाडा नरंसहार के आरोपी की पेरिस से 25 साल बाद हुई गिरफ्तारी आदि विषयों पर बातचीत की गई.
इस चर्चा में वरिष्ठ पत्रकार स्मिता शर्मा, शार्दूल कात्यायन और न्यूज़लॉन्ड्री के एसोसिएट एडिटर मेघनाथ एस शामिल हुए. चर्चा का संलाचन न्यूज़लॉन्ड्री के कार्यकारी संपादक अतुल चौरसिया ने किया.
अतुल ने चर्चा की शुरुआत उत्तर प्रदेश सरकार और कांग्रेस पार्टी के बीच मजदूरों को बस मुहैया करवाने के सवाल पर हुए विवाद से की. उन्होंने स्मिता से पूछा, “मजदूर पैदल ही अपने घर जाने को मजबूर है. पहले तो सरकार ने बस नहीं चलाया, ट्रेन नहीं चलाया, फिर बसें चलाई गई जिसे कुछ दिनों बाद बंद कर दिया गया, उसके बाद स्पेशल ट्रेनें चलाई गई. फिर भी लोग पैदल जाने को मजबूर हैं. ऐसे में सवाल है कि कांग्रेस द्वारा मुहैया करवाई गई बसों को चलाकर सरकार क्यों नहीं इन मजदूरों को एक बार में ही उनके घर पहुंचा देती.”
स्मिता कहती हैं, “जब हजारों की संख्या में लोग पैदल अपने घर जा रहे हो, तो बसों पर इस तरह की राजनीति सही नहीं लगती है. खासकर तब जब सत्तारूढ़ पार्टी और लोकल नेता इन मजदूरों की मदद करने के लिए बसें चला रहे हैं, जिसमें कोई सोशल डिस्टेंसिग का ध्यान नहीं रखा जा रहा और जरूरत से ज्याद लोगों को बैठाया जा रहा है. सवाल खड़ा होता हैं कि क्या इन बसों की जांच की गई थी, क्या इन बसों को सैनिटाइज किया गया था. अगर स्पेशल ट्रेनों की बात करें तो हर दिन हमारे सामने कितने ही ऐसे उदाहरण हैं जिसमें मजदूरों ने टिकट खरीदने के लिए अपने परिजनों और दोस्तों से पैसे मंगवाकर टिकट खरीदा है. मुझे लगता है राजनीति से ऊपर उठकर इन मजदूरों के दुख को समझने में सरकारें नाकाम रही हैं.”
अतुल ने मेघनाथ से सवाल करते हुए कहा, “यह वही उत्तर प्रदेश सरकार है जिसे कुंभ मेले में बसों की परेड करवाने के लिए गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड मिला हुआ है. लेकिन सरकार मजदूरों के लिए यह बसें नहीं लगा पाई? दूसरा सवाल उठता है कि अगर कांग्रेस पार्टी ने बिना राजनीति किए मजदूरों के लिए 1000 बसों को चलाने की मंजूरी मांगी, तो पूरा सरकारी अमला इन बसों की फिटनेस जांच, पल्शूयन जांच करने में लग गया. यह दिखाता हैं कि जब लोगों की जिंदगियां दांव पर लगी हो, उस समय भी सरकार अपने छोटेपन की मानसिकता से ऊपर नहीं उठ पा रही हैं.”
इस पर मेघनाथ कहते हैं कि इस पुरे मुद्दे पर द हिंदू की रिपोर्ट कहती हैं कि शुरुआत में गाजियाबाद और नोएडा प्रशासन ने 500 बसों को चलाने की मंजूरी दे दी थी. जब यह बसें आगरा बार्डर पर पहुंची तब इन बसों की जांच की बात शुरू हो गई. यह दिखाता है कि प्रशासन को बसों की जरूरत थी, लेकिन कुछ राजनीति मजबूरियों के चलते सरकार ने बसों को नहीं चलने दिया. इस पूरे मामलें में राजनीति तो हावी रही लेकिन साथ ही सरकार की छोटेपन वाली मानसिकता भी दिखाई दी.
इस विषय पर शार्दूल कहते हैं प्रियंका गांधी ने बसों की मदद का ऐलान मानवीय तौर पर भले ही किया हो, लेकिन राजनीति तो दोनों तरफ से इस मामले में की गई. इस बीच शार्दूल को रोकते हुए अतुल कहते है विपक्ष राजनीति के लिए ही यहां आया हैं. क्योंकि जिस विपक्ष को आप ने सत्ता से दूर किया है वह ऐसे सभी मौकों पर राजनीति करेगा. यह बात चाहें केदारनाथ आपदा की हो या मुंबई आंतकी हमले की. उस समय बीजेपी विपक्ष में थी लेकिन इतनी बड़ी आपदा और घटना हो जाने के बाद भी नरेंद्र मोदी राजनीति कर रहे थे. शार्दूल ने इस बात से अपनी सहमति जताई कि विपक्ष हर मौके का इस्तेमाल अपने पक्ष में करेगा, यह उसका काम है.
अन्य विषयों पर विस्तार से चर्चा हुई. पूरी चर्चा सुनने के लिए पॉडकास्ट सुने. न्यूजलॉन्ड्री को सब्सक्राइब करना न भूलें.
पत्रकारों की राय, क्या देखा पढ़ा और सुना जाए.
शार्दूल कात्यायन
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संयुक्त राष्ट्र द्वारा पर्यावरण पर प्रकाशित किताब - नो रिस्क
स्मिता शर्मा
चाइना इंडियन ओसियन - अमित राज मुलगी
मेघनाथ एस
अतुल चौरसिया
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