Newslaundry Hindi
एनएल चर्चा 120: सामुदायिक प्रसारण का बढ़ता खतरा और एलजी ने रद्द किया दिल्ली सरकार का फैसला
एनएल चर्चा के 119वें अंक में आईसीएमआर प्रमुख का कोरोना के सामुदायिक प्रसार संबंधी बयान, एलजी अनिल बैजल द्वारा बदला गया दिल्ली सरकार का फैसला, दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया का बढ़ते कोरोना केस को लेकर चिंता, भारत-चीन सीमा विवाद, दलित उत्पीड़न की घटनाएं और वेस्टइंडीज के क्रिकेटर डैरेन सामी का रंगभेदी बयान को लेकर भारतीय क्रिकेटरों पर लगाया गया आरोप आदि विषयों पर विस्तार से बातचीत हुई.
इस बार चर्चा में गुरु गोविंद सिंह इंद्रप्रस्थ यूनिवर्सिटी की असिस्टेंट प्रोफेसर श्वेता सिंह, न्यूज़लॉन्ड्री के स्तंभकार आनंद वर्धन और न्यूज़ल़ॉन्ड्री के एसोसिएट एडिटर मेघनाथ एस शामिल हुए. चर्चा का संलाचन न्यूज़लॉन्ड्री के कार्यकारी संपादक अतुल चौरसिया ने किया.
अतुल ने चर्चा की शुरूआत करते हुए कहा, “कोविड-19 का खतरा हमारे देश में बढ़ता जा रहा है. पूरे देश में 3 लाख से ज्यादा कोरोना संक्रमितों की संख्या हो गई है. सामुदायिक प्रसारण को लेकर भी लोगों में डर बढ़ रहा है, क्योंकि जिस तरह का बयान दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने दिया था, कि 50 प्रतिशत से ज्यादा केस ट्रेस नहीं हो पा रहे हैं. इससे लोगों में चिंता बढ़ रही है. हालांकि फैसला तो केंद्र सरकार को लेना हैं कि सामुदायिक प्रसार को आधिकारिक तौर पर घोषित किया जाए या नहीं, लेकिन दिल्ली में आंकड़े बेहद खराब नजर आ रहे है. ऊपर से अब प्राइवेट अस्पतालों और सरकार के बीच जारी तनातनी भी बढ़ गई है. इसका एक पहलु यह भी है कि दिल्ली में सबसे ज्यादा कोविड टेस्ट हो रहे हैं.”
इस पर मेघनाथ कहते हैं, “सबसे पहले हम अपने श्रोताओं को यह बता दें कि सामुदायिक प्रसार क्या होता, जैसा अतुल ने भी बताया कि जब वायरस का फैलाव होता हैं तो उसकी ट्रेसिंग की जाती है. लेकिन जब इस ट्रेसिंग का लिंक टूट जाता है, तो यह नहीं पता चल पाता है कि नए लोग जो पॉजिटिव पाए गए है, उनका लिंक किससे है.”
वो आगे बताते हैं, “आज से करीब दो महीने पहले से ऐसे कई केस आने शुरू हो गए थे, जिनकी कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग नहीं हो पा रही थी. जिस तरह से असम और केरल में कॉन्टेक्ट ट्रेसिंग का सिस्टम बना है, वैसा ही हमें पूरे देश में लागू करना चाहिए. लेकिन अगर दिल्ली, उत्तर प्रदेश, बिहार जैसे प्रदेशों की बात करे तो यहां कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग करना बहुत ही मुश्किल है.”
आंनद को चर्चा में शामिल करते हुए अतुल कहते हैं कि दिल्ली में टेस्टिंग ज्यादा से ज्यादा हो रही है. क्या आप मानते हैं कि लॉकडाउन का जो मकसद था वह फेल रहा. क्योंकि जिस तरह से नए केसेस सामने आ रहे हैं,वह कोई भरोसा नहीं पैदा करते.
आनंद कहते हैं, “कोविड-19 के संबंध में बहुत सी सूचनाओं का निष्कर्ष नहीं निकालना चाहिए. भारत की लचर स्वास्थ्य व्यवस्था में अगर सामुदायिक प्रसार की घोषणा कर भी दी जाती है तो, उससे कोई फर्क नहीं पड़ेगा, क्योंकि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने भी स्वीकार किया है की भारत में आंशिक तौर पर सामुदायिक प्रसार हो रहा है, शायद यही स्थिति अभी भी है. इसलिए आधिकारिक तौर पर सामुदायिक प्रसार की घोषणा कर देने से एक स्पष्टता आएगी.”
श्वेता इस सवाल पर बोलते हुए कहती हैं कि जिस तरह से दिल्ली सरकार कोरोना वायरस को लेकर जानकारियां दे रही है, उससे तो लगता यहीं है कि आने वाले समय में कोरोना के केसेस बढ़ेंगे. इस बीच केंद्र और राज्य सरकार के बीच तनातनी से स्थिति और बिगड़ेगी, क्योंकि डब्ल्यूएचओ की गाइडलाइन के अनुसार कोरोना के सामुदायिक प्रसार समय में दोनों सरकारों को मिलकर काम करना चाहिए. लेकिन जिस तरह से कोरोना के नए केस सामने आ रहे हैं, उससे राज्य सरकारों पर भारी दवाब आ गया है.
चर्चा में अन्य विषयों पर भी विस्तार से चर्चा हुई. पूरी चर्चा सुनने के लिए पॉडकास्ट सुने. न्यूजलॉन्ड्री को सब्सक्राइब करना न भूलें.
पत्रकारों की राय, क्या देखा पढ़ा और सुना जाए.
श्वेता सिंह
द वार यू डोंट सी– जानपिल्गर की डॉक्यूमेंट्री
मेघनाथ एस
हान्नाह गैट्सबी का - नानेट और डगलस शो
कोरोन वायरस को फैलने से रोकने के लिए किया गया लॉकडाउन कितना कारगर रहा
आनंद वर्धन
श्रीलाल शुक्ल का उपन्यास–सूनी घाटी का सूरज
अतुल चौरसिया
मिनिस्ट्री आफ टूथ–इंडियन एक्सप्रेस का लेख.
युवाल नोआ हरारी की किताब सेपियन्स
Also Read
-
Hafta 483: Prajwal Revanna controversy, Modi’s speeches, Bihar politics
-
Can Amit Shah win with a margin of 10 lakh votes in Gandhinagar?
-
Know Your Turncoats, Part 10: Kin of MP who died by suicide, Sanskrit activist
-
In Assam, a battered road leads to border Gorkha village with little to survive on
-
Amid Lingayat ire, BJP invokes Neha murder case, ‘love jihad’ in Karnataka’s Dharwad