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चाइनीज़ बीन की धुन पर नाग-नागिन बन बैठे स्टार एंकर-एंकरायें
चीन के साथ लद्दाख में जारी सीमा विवाद पिछले दिनों खूनी मोड़ पर पहुंच गया. 1975 के बाद पहली बार भारत और चीन की सेनाओं के बीच हिंसक झड़प हुई है. सेना और सरकार ने जो जानकारी दी है उसके मुताबिक भारत के 20 सैनिक इस लड़ाई में शहीद हुए हैं.चीन की इस हिंसक कार्रवाई के बाद भारत को दो तरीके से प्रतिक्रिया देनी है. संयम और साथ में इस्पाती दृढ़ता. ताकि स्थितियां अनियंत्रित युद्ध की ओर भी न बढ़ें और साथ ही चीन को साफ संदेशऔर सबक भी मिल जाए.
सीमा पर हालात इस क़दर बिगड़ने के पीछे भारतीय पक्ष की लापरवाहियों को नकारा नहीं जा सकता. एक पूर्णकालिक युद्ध और तमाम छिटपुट झगड़ों के बावजूद गलवान घाटी में चीन के कब्जे ने साबित किया है कि सरकारें 60 सालों में चीन के विस्तारवादी मंसूबों की नकेल कसने और अपनी ज़मीन को महफूज़ रखने की एक मजबूत, कारगर नीति बनाने में नाकाम रही हैं. समय समय पर नाथू-ला, चूमर, डेस्पैंग और डोकलाम में हुई घटनाएं इसका सबूत हैं.
लेकिन यह समय है जब चीन को यह संदेश देना जरूरी है कि वह अपनी मनमर्जी से चारो तरफ सीमा विवाद जारी नहीं रख सकता. साथ ही चीन को यह संदेश भी जाना चाहिए कि भारत के लोकतंत्र से एक साथ अलग-अलग आवाजें भले ही आती हैं लेकिन अलग-अलग सुरों में आने वाली ये आवाज़ें असल में एक भारत की ही आवाज़ हैं.
इस दौरान खबरिया चैनलों के अंडरवर्ल्ड में जो गतिविधियां रहीं उन पर यह टिप्पणी.
अब समय आ गया चीन को यह बताने का कि, भारत के लोकतंत्र से एक साथ अलग-अलग आवाजें भले ही आती हैं लेकिन अलग-अलग सुरों में आने वाली ये आवाज़ें असल में एक भारत की ही आवाज़ हैं.
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