Newslaundry Hindi
प्रसार भारती बोर्ड ने खत्म किया पीटीआई और यूएनआई का सब्सक्रिप्शन
पीटीआई और यूएनआई की सर्विस को खत्म करने का जो प्लान प्रसार भारती कर रहा था, आखिरकार उसे पूरा कर दिया गया. गुरुवार को हुई प्रसार भारती बोर्ड की बैठक में फैसला लिया गया कि, पीटीआई को यूएनआई के सब्सक्रिप्शन को समाप्त कर दिया जाए.
द प्रिंट की खबर के मुताबिक, प्रसार भारती बोर्ड की बैठक उसके अध्यक्ष शशि शेखर वेम्पती की अध्यक्षता में हुई, जिसमें बोर्ड ने सब्सक्रिप्शन खत्म करने का यह फैसला लिया और कहा, डीडी और आकाशवाणी दोनों बिना किसी औपचारिक कॉन्ट्रैक्ट और एडहॉक आधार पर 2006 से पीटीआई और यूएनआई की सेवाओं का लाभ उठा रहे थे. बिज़नेस स्टैंडर्ड की खबर के मुताबिक, बोर्ड अब देश के अन्य एजेंसियों को नए प्रपोजल के लिए बुलाएगा.
बता दें कि पीटीआई देश की सबसे बड़ी न्यूज़ एजेंसी है, जिसमें देशभर के अखबार समूहों के सदस्य ही एजेंसी के सदस्य हैं और यह नॉन प्रॉफिट संस्था है.
गौरतलब हैं कि सरकार और पीटीआई के बीच तनाव उस समय बढ़ गया जब पीटीआई ने भारत में चीन के राजदूत सुन वीडॉन्ग का एक साक्षात्कार किया था. इसके बाद चीनी दूतावास ने उस साक्षात्कार में से अपनी पसंद के तीन सवालों को अपनी आधिकारिक वेबसाइट पर लगा दिया. इसी तरह पीटीआई ने चीन में भारत के राजदूत विक्रम मिस्री का एक इंटरव्यू प्रकाशित किया जिसमें वो चीन की एकतरफा घुसपैठ की कार्रवाई के लिए नतीजा भुगतने की बात कर रहे हैं. यह बयान प्रधानमंत्री के उस बयान को कटघरे में खड़ा करता है जिसमें उन्होंने स्वयं कहा था- “न तो कोई भारत की सीमा में घुसा है, न घुसा हुआ है, न ही हमारी कोई पोस्ट किसी विदेशी के कब्जे में है.”
इसे मुद्दा बनाते हुए प्रसार भारती न्यूज़ सर्विस के सीईओ समीर कुमार ने कड़े शब्दों वाला एक पत्र 27 जून को पीटीआई को भेजा. इसमें पीटीआई की कवरेज को देश विरोधी बताते हुए कहा गया, “ताजा कवरेज के मद्देनजर हम पीटीआई के साथ अपने संबंधों की पुन: समीक्षा कर रहे हैं. कहा जा रहा है कि यह भारत के राष्ट्रीय हितों से समझौता करने वाला और देश की सीमाई संप्रभुता को चोट पहुंचाता है.”
बता दें कि प्रसार भारती सालाना पीटीआई और यूएनआई को 15.75 करोड़ रुपए बतौर सब्सक्रिप्शन फीस अदा कर रहा था. इसमें से नौ करोड़ रुपए पीटीआई और शेष यूएनआई की फीस है. साल 2018 में प्रसार भारती ने पीटीआई की फीस तर्कसंगत करने के नाम पर एकतरफा 25% की कटौती कर दी. तब से वह पीटीआई को सालाना 6.75 करोड़ की फीस भुगतान कर रहा है. पीटीआई इसके लिए कानूनी लड़ाई लड़ रहा है.
प्रसार भारती इससे पहले भी पीटीआई और यूएनआई को हटाने की असफल कोशिश कर चुका है. दोनों एजेंसी के सर्विस को समाप्त करने के पीछे की खबर समझने के लिए पढ़िए न्यूज़लॉन्ड्री की यह रिपोर्ट.
Also Read
-
Delhi’s ‘Thank You Modiji’: Celebration or compulsion?
-
Margins shrunk, farmers forced to switch: Trump tariffs sinking Odisha’s shrimp industry
-
DU polls: Student politics vs student concerns?
-
Adani lawyer claims journalists funded ‘by China’, court quashes gag order
-
थैंक यू मोदीजी: जन्मदिन के जश्न में शामिल लोगों के मन की बात