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अर्णब गोस्वामी मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया अहम फैसला

सुप्रीम कोर्ट ने अर्णब गोस्वामी मामले में शुक्रवार को अहम फैसला सुनाया. कोर्ट ने कहा अर्णब गोस्वामी को मिली अंतरिम जमानत तब तक बरकरार रहेगी, जब तक बॉम्बे हाई कोर्ट एफआईआर रद्द करने की उनकी मांग पर फैसला नहीं ले लेता.

जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा, “हाई कोर्ट ने अंतरिम जमानत अर्जी को खारिज करते वक्त इस तथ्य की अनदेखी की, एफआईआर में दिए गए तथ्यों के मुताबिक प्रथम दृष्टया अर्णब गोस्वामी के खिलाफ आत्महत्या के प्रयास का मामला नहीं बनता.”

हिंदुस्तान लाइव की खबर के मुताबिक, न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने फैसला सुनाते हुए कहा, “अगर निजी स्वतंत्रता का हनन हुआ तो यह न्याय पर आघात होगा.” कोर्ट ने कहा अगर हाईकोर्ट अर्णब की मांग के खिलाफ फैसला देता है, तो भी उन्हें इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने के लिए चार हफ्ते का वक़्त मिलेगा.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ये कोर्ट का दायित्व बनता है कि वो राज्यों को आपराधिक कानूनों का इस्तेमाल नागरिकों को परेशान करने या उनकी व्यक्तिगत स्वतंत्रता के हनन के लिए न करने दे. हाई कोर्ट और निचली अदालतें ये सुनिश्चित करें कि उनके यहां लंबित जमानत अर्जी पर जल्द फैसला हो.

बता दें कि रिपब्लिक टीवी के प्रधान संपादक अर्णब गोस्वामी ने अंतरिम जमानत देने से इनकार करने के उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती दी थी.

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सुप्रीम कोर्ट ने अर्णब गोस्वामी मामले में शुक्रवार को अहम फैसला सुनाया. कोर्ट ने कहा अर्णब गोस्वामी को मिली अंतरिम जमानत तब तक बरकरार रहेगी, जब तक बॉम्बे हाई कोर्ट एफआईआर रद्द करने की उनकी मांग पर फैसला नहीं ले लेता.

जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा, “हाई कोर्ट ने अंतरिम जमानत अर्जी को खारिज करते वक्त इस तथ्य की अनदेखी की, एफआईआर में दिए गए तथ्यों के मुताबिक प्रथम दृष्टया अर्णब गोस्वामी के खिलाफ आत्महत्या के प्रयास का मामला नहीं बनता.”

हिंदुस्तान लाइव की खबर के मुताबिक, न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने फैसला सुनाते हुए कहा, “अगर निजी स्वतंत्रता का हनन हुआ तो यह न्याय पर आघात होगा.” कोर्ट ने कहा अगर हाईकोर्ट अर्णब की मांग के खिलाफ फैसला देता है, तो भी उन्हें इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने के लिए चार हफ्ते का वक़्त मिलेगा.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ये कोर्ट का दायित्व बनता है कि वो राज्यों को आपराधिक कानूनों का इस्तेमाल नागरिकों को परेशान करने या उनकी व्यक्तिगत स्वतंत्रता के हनन के लिए न करने दे. हाई कोर्ट और निचली अदालतें ये सुनिश्चित करें कि उनके यहां लंबित जमानत अर्जी पर जल्द फैसला हो.

बता दें कि रिपब्लिक टीवी के प्रधान संपादक अर्णब गोस्वामी ने अंतरिम जमानत देने से इनकार करने के उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती दी थी.

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