Newslaundry Hindi
श्मशान हादसा: यूपी सरकार की ‘भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस’ नीति सवालों में
उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद जिले में रविवार को श्मशान घाट पर हुए हादसे में मरने वाले लोगों की संख्या बढकर अब 25 हो गई है. जबकि करीब 10 लोगों को अलग-अलग अस्पतालों में भर्ती कराया गया है. इस घटना में अधिकारियों की लापरवाही और भ्रष्टाचार की बात सामने आ रही है. बताया जा रहा है कि श्मशान घाट की गैलरी के निर्माण में बेहद घटिया सामग्री का इस्तेमाल किया गया था. इस घटना ने सरकार की भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस नीति पर एक बार फिर से सवाल उठा दिए हैं.
घटना के बाद लोगों में सरकार के खिलाफ भारी गुस्सा है. पीड़ित परिजनों के मुताबिक, अक्टूबर में ही इस गैलरी का निर्माण कराया गया था. आरोप है कि सरिये को छोड़कर निर्माण में घटिया सामग्री का इस्तेमाल किया गया. जिससे गैलरी ढहते ही निर्माण सामग्री चूरे में तब्दील हो गई .
गौरतलब है कि गाजियाबाद जिले के मुरादनगर के उखलादसी कॉलोनी निवासी फल कारोबारी जयराम की हार्ट अटैक के बाद अस्पताल में मृत्यु हो गई थी. हादसे का शिकार हुए सभी लोग रविवार को इनकी अंत्येष्टि में ही शामिल हुए थे. मुरादनगर बंबा मार्ग पर स्थित श्मशान घाट के पास अंत्येष्टि के बाद गेट से सटी गैलरी में मौन धारण करने के लिए सभी लोग जमा थे. इसी दौरान गैलरी की छत भरभरा कर गिर गई. इसके नीचे 40 से ज्यादा लोग दब गए. मौके पर रेस्क्यू के लिए एनडीआरएफ की टीम को भी बुलाया गया.
इस दर्दनाक हादसे में अब तक 25 लोगों की मौत हो चुकी है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने घटना पर शोक जताते हुए मृतकों के परिवारों को 2-2 लाख रुपये की आर्थिक सहायता देने का ऐलान किया है. वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के अलावा विपक्षी पार्टियों के नेताओं ने भी घटना पर शोक जताया है. और दोषियों पर कड़ी कार्यवाही करने को कहा है.
मामले में मृतक जयराम के पुत्र दीपक की ओर से मुरादनगर थाने में नगर पालिका परिषद की अधिशासी अधिकारी (ईओ) निहारिका सिंह, ठेकेदार अजय त्यागी, जूनियर इंजीनियर चंद्रपाल, सुपरवाइजर आशीष समेत कई अन्य लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की जा चुकी है. इनमें से तीन लोगों की गिरफ्तारी हो चुकी है. जबकि राजनगर निवासी ठेकेदार अजय त्यागी फरार हैं. आरोपी अजय त्यागी गाजियाबाद कॉन्ट्रैक्ट वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष भी हैं.
मुरादनगर पुलिस को दी गई तहरीर में बताया गया है कि उनके पिता जयराम की शनिवार रात मौत हो गई थी. अंतिम संस्कार को लेकर कई रिश्तेदारों के साथ तमाम पड़ोसी श्मशान घाट पहुंचे थे. अंत्येष्टि के साथ श्रद्धांजलि देने के दौरान छत गिर गई. तहरीर में 20 से अधिक लोगों की मौत के साथ 20 से अधिक के घायल होने का हवाला दिया गया है.
तहरीर में ईओ सहित अन्य अधिकारियों और ठेकेदार पर मिलीभगत कर निर्माण कार्य में घटिया सामग्री का इस्तेमाल करने का आरोप लगाया गया है. घटिया सामग्री को ही हादसे का प्रमुख कारण बताया गया है. तहरीर में अधिकारियों और ठेकेदार को हादसे और हादसे में हुई मौत का जिम्मेदार बताया गया है. साथ ही मामले में सभी आरोपियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की मांग की गई है.
इन आरोपियों के खिलाफ आईपीसी की धारा 304, 337, 338, 427, 409 के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है.
मृतक जयराम की पुत्रवधू नीतू से न्यूज़लॉन्ड्री ने बात की, उन्होंने बताया, “हमारे ससुर का अंतिम संस्कार के बाद लोग मौन धारण करने के लिए गैलरी में खड़े हुए थे, तभी ये हादसा हो गया. जिसमें हमारे पड़ोस के ही 8-9 लोग और रिश्तेदार मारे गए हैं. बाकि मेरे भाई का हाथ कट गया है और दूसरे लोग जो उसमें बचे भी हैं, उनकी हालत भी काफी गंभीर है. उन्हें विभिन्न अस्पतालों में भर्ती कराया गया है.”
नीतू बताती हैं, “अभी इसे बने मुश्किल से दो महीने हुए हैं और ये टूट गया. बताइए, दो महीने में क्या मकान गिर सकता है. जब लोगों को मलबे से निकाला जा रहा था तो सरिया और रेत अलग हो रहा था. यह सिर्फ रेत से खड़ा कर दिया था, सीमेंट का नाम नहीं था. ये तो इन्होंने पब्लिक को मारने की तैयारी कर रखी थी. जिन अधिकारियों ने ये बनवाया है, उनकी सबसे बड़ी गलती है. पब्लिक से जब वोट लेते हैं, तो कुछ और होते हैं और जब काम करते हैं, तो कुछ ओर हो जाते हैं.”
“जो इस घटना में मारे गए हैं, उनमें बहुत के छोटे-छोटे बच्चे हैं और कुछ घरों में तो कोई कमाने वाला भी नहीं बचा है. ऐसे ही एक रिश्तेदार गंगा विहार में रहते थे, जिनकी मृत्यु हुई है. बहुत से लोगों का तो कोई अता-पता ही नहीं चल रहा. क्योंकि सब अपनों को अस्पतालों में लेकर चले गए थे,” नीतू ने कहा.
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस हादसे में मृतकों के आश्रितों को दो-दो लाख रुपये की आर्थिक सहायता प्रदान करने के निर्देश दिए हैं. जिनसे पीड़ित परिवार संतुष्ट नहीं है.
सरकार की इस सहायता पर सवाल उठाते हुए नीतू कहती हैं, “दो लाख रूपए में होता क्या है. जिनके घर के लोग चले गए उनसे पूछो. कम से कम 10 लाख रूपए और परिवार में एक नौकरी तो होनी ही चाहिए. साथ ही जो लोग घायल हैं, सरकार उनके लिए भी कुछ न कुछ करे.”
हमने मामले में हुई प्रशासनिक कार्यवाही के अपडेट के लिए गाजियाबाद के जिलाधिकारी अजय शंकर पांडे को फोन किया तो उनका फोन बंद था. इसके बाद वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक कलानिधि नैथानी को हमने फोन किया तो उन्होंने यह कह कर फोन काट दिया कि मीडिया में सारा अपडेट दिया हुआ है.
मुख्यमंत्री ने मण्डलायुक्त मेरठ एवं एडीजी मेरठ जोन को घटना के संबंध में रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश भी दिए हैं. जो इस मामले की जांच कर रहे हैं.
मुरादनगर पुलिस की ओर से दिए गए बयान के मुताबिक इस मामले में अब तक मुरादनगर नगरपालिका ईओ, निहारिका सिंह, जूनियर इंजीनियर चंद्रपाल, सुपरवाइजर आशीष को गिरफ्तार किया जा चुका है.
इस बीच सोमवार को इस हादसे पर स्थानीय लोगों का गुस्सा फूट पड़ा, और मृतकों के परिजनों ने मेरठ गाजियाबाद रोड पर शवों को रखकर प्रदर्शन किया. जिसके चलते मेरठ तिराहे से मुरादनगर तक भीषण जाम लग गया. नाराज प्रदर्शनकारी सीएम को बुलाने की मांग कर रहे हैं. जाम के चलते राजनगर एक्सटेंशन से मुरादनगर की तरफ जाने वाले वाहनों पर पाबंदी लगा दी गई है.
इस बीच परिजनों का गुस्सा देख सोमवार शाम सरकार ने ऐलान किया कि प्रशासन आरोपियों की संपत्ति कुर्क करेगा. साथ ही मृतकों के परिजनों को मुआवजा दो लाख से बढ़ाकर 10 लाख रुपये करने का आश्वासन दिया है. परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी भी देने की बात कही है. मेरठ जोन आईजी ने इसका लिखित आश्वासन दिया है.
इस घटना से एक बात साफ है कि यूपी सरकार भ्रष्टाचार पर भले ही जीरो टॉलरेंस नीति अपनाने का दावा करती हो. लेकिन इस हादसे से अंदाजा लगाया जा सकता है कि राज्य में भ्रष्टाचार का जाल किस कदर फैला हुआ है. जहां अधिकारी श्मशान जैसे निर्माण कार्यों में भी भ्रष्टाचार से बाज नहीं आते और न ही लोगों की जान की परवाह करते हैं.
इससे पहले जुलाई में हरदोई के गोपामऊ से भारतीय जनता पार्टी के विधायक श्याम प्रकाश ने भ्रष्टाचार पर अपनी ही सरकार को कठघरे में खड़ा कर दिया था. सोशल मीडिया पर उन्होंने अपना दर्द पोस्ट करते हुए लिखा था, “मैंने अपने इतने बड़े राजनीतिक जीवन में इतना भ्रष्टाचार आजतक नहीं देखा है. जितना भ्रष्टाचार अभी देख और सुन रहा हूं, वह बेहद डराने वाला है.”
मई 2018 में भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में राज्य सेतु निगम द्वारा बनाए जा रहे चौकाघाट-लहरतारा फ्लाईओवर का एक हिस्सा अचानक गिर जाने से 18 व्यक्तियों की मौत हो गई थी, और 11 अन्य घायल हो गए थे. इस घटना से लगता है कि सरकार ने पिछले हादसों से कोई सबक नहीं लिया है.
उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद जिले में रविवार को श्मशान घाट पर हुए हादसे में मरने वाले लोगों की संख्या बढकर अब 25 हो गई है. जबकि करीब 10 लोगों को अलग-अलग अस्पतालों में भर्ती कराया गया है. इस घटना में अधिकारियों की लापरवाही और भ्रष्टाचार की बात सामने आ रही है. बताया जा रहा है कि श्मशान घाट की गैलरी के निर्माण में बेहद घटिया सामग्री का इस्तेमाल किया गया था. इस घटना ने सरकार की भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस नीति पर एक बार फिर से सवाल उठा दिए हैं.
घटना के बाद लोगों में सरकार के खिलाफ भारी गुस्सा है. पीड़ित परिजनों के मुताबिक, अक्टूबर में ही इस गैलरी का निर्माण कराया गया था. आरोप है कि सरिये को छोड़कर निर्माण में घटिया सामग्री का इस्तेमाल किया गया. जिससे गैलरी ढहते ही निर्माण सामग्री चूरे में तब्दील हो गई .
गौरतलब है कि गाजियाबाद जिले के मुरादनगर के उखलादसी कॉलोनी निवासी फल कारोबारी जयराम की हार्ट अटैक के बाद अस्पताल में मृत्यु हो गई थी. हादसे का शिकार हुए सभी लोग रविवार को इनकी अंत्येष्टि में ही शामिल हुए थे. मुरादनगर बंबा मार्ग पर स्थित श्मशान घाट के पास अंत्येष्टि के बाद गेट से सटी गैलरी में मौन धारण करने के लिए सभी लोग जमा थे. इसी दौरान गैलरी की छत भरभरा कर गिर गई. इसके नीचे 40 से ज्यादा लोग दब गए. मौके पर रेस्क्यू के लिए एनडीआरएफ की टीम को भी बुलाया गया.
इस दर्दनाक हादसे में अब तक 25 लोगों की मौत हो चुकी है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने घटना पर शोक जताते हुए मृतकों के परिवारों को 2-2 लाख रुपये की आर्थिक सहायता देने का ऐलान किया है. वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के अलावा विपक्षी पार्टियों के नेताओं ने भी घटना पर शोक जताया है. और दोषियों पर कड़ी कार्यवाही करने को कहा है.
मामले में मृतक जयराम के पुत्र दीपक की ओर से मुरादनगर थाने में नगर पालिका परिषद की अधिशासी अधिकारी (ईओ) निहारिका सिंह, ठेकेदार अजय त्यागी, जूनियर इंजीनियर चंद्रपाल, सुपरवाइजर आशीष समेत कई अन्य लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की जा चुकी है. इनमें से तीन लोगों की गिरफ्तारी हो चुकी है. जबकि राजनगर निवासी ठेकेदार अजय त्यागी फरार हैं. आरोपी अजय त्यागी गाजियाबाद कॉन्ट्रैक्ट वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष भी हैं.
मुरादनगर पुलिस को दी गई तहरीर में बताया गया है कि उनके पिता जयराम की शनिवार रात मौत हो गई थी. अंतिम संस्कार को लेकर कई रिश्तेदारों के साथ तमाम पड़ोसी श्मशान घाट पहुंचे थे. अंत्येष्टि के साथ श्रद्धांजलि देने के दौरान छत गिर गई. तहरीर में 20 से अधिक लोगों की मौत के साथ 20 से अधिक के घायल होने का हवाला दिया गया है.
तहरीर में ईओ सहित अन्य अधिकारियों और ठेकेदार पर मिलीभगत कर निर्माण कार्य में घटिया सामग्री का इस्तेमाल करने का आरोप लगाया गया है. घटिया सामग्री को ही हादसे का प्रमुख कारण बताया गया है. तहरीर में अधिकारियों और ठेकेदार को हादसे और हादसे में हुई मौत का जिम्मेदार बताया गया है. साथ ही मामले में सभी आरोपियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की मांग की गई है.
इन आरोपियों के खिलाफ आईपीसी की धारा 304, 337, 338, 427, 409 के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है.
मृतक जयराम की पुत्रवधू नीतू से न्यूज़लॉन्ड्री ने बात की, उन्होंने बताया, “हमारे ससुर का अंतिम संस्कार के बाद लोग मौन धारण करने के लिए गैलरी में खड़े हुए थे, तभी ये हादसा हो गया. जिसमें हमारे पड़ोस के ही 8-9 लोग और रिश्तेदार मारे गए हैं. बाकि मेरे भाई का हाथ कट गया है और दूसरे लोग जो उसमें बचे भी हैं, उनकी हालत भी काफी गंभीर है. उन्हें विभिन्न अस्पतालों में भर्ती कराया गया है.”
नीतू बताती हैं, “अभी इसे बने मुश्किल से दो महीने हुए हैं और ये टूट गया. बताइए, दो महीने में क्या मकान गिर सकता है. जब लोगों को मलबे से निकाला जा रहा था तो सरिया और रेत अलग हो रहा था. यह सिर्फ रेत से खड़ा कर दिया था, सीमेंट का नाम नहीं था. ये तो इन्होंने पब्लिक को मारने की तैयारी कर रखी थी. जिन अधिकारियों ने ये बनवाया है, उनकी सबसे बड़ी गलती है. पब्लिक से जब वोट लेते हैं, तो कुछ और होते हैं और जब काम करते हैं, तो कुछ ओर हो जाते हैं.”
“जो इस घटना में मारे गए हैं, उनमें बहुत के छोटे-छोटे बच्चे हैं और कुछ घरों में तो कोई कमाने वाला भी नहीं बचा है. ऐसे ही एक रिश्तेदार गंगा विहार में रहते थे, जिनकी मृत्यु हुई है. बहुत से लोगों का तो कोई अता-पता ही नहीं चल रहा. क्योंकि सब अपनों को अस्पतालों में लेकर चले गए थे,” नीतू ने कहा.
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस हादसे में मृतकों के आश्रितों को दो-दो लाख रुपये की आर्थिक सहायता प्रदान करने के निर्देश दिए हैं. जिनसे पीड़ित परिवार संतुष्ट नहीं है.
सरकार की इस सहायता पर सवाल उठाते हुए नीतू कहती हैं, “दो लाख रूपए में होता क्या है. जिनके घर के लोग चले गए उनसे पूछो. कम से कम 10 लाख रूपए और परिवार में एक नौकरी तो होनी ही चाहिए. साथ ही जो लोग घायल हैं, सरकार उनके लिए भी कुछ न कुछ करे.”
हमने मामले में हुई प्रशासनिक कार्यवाही के अपडेट के लिए गाजियाबाद के जिलाधिकारी अजय शंकर पांडे को फोन किया तो उनका फोन बंद था. इसके बाद वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक कलानिधि नैथानी को हमने फोन किया तो उन्होंने यह कह कर फोन काट दिया कि मीडिया में सारा अपडेट दिया हुआ है.
मुख्यमंत्री ने मण्डलायुक्त मेरठ एवं एडीजी मेरठ जोन को घटना के संबंध में रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश भी दिए हैं. जो इस मामले की जांच कर रहे हैं.
मुरादनगर पुलिस की ओर से दिए गए बयान के मुताबिक इस मामले में अब तक मुरादनगर नगरपालिका ईओ, निहारिका सिंह, जूनियर इंजीनियर चंद्रपाल, सुपरवाइजर आशीष को गिरफ्तार किया जा चुका है.
इस बीच सोमवार को इस हादसे पर स्थानीय लोगों का गुस्सा फूट पड़ा, और मृतकों के परिजनों ने मेरठ गाजियाबाद रोड पर शवों को रखकर प्रदर्शन किया. जिसके चलते मेरठ तिराहे से मुरादनगर तक भीषण जाम लग गया. नाराज प्रदर्शनकारी सीएम को बुलाने की मांग कर रहे हैं. जाम के चलते राजनगर एक्सटेंशन से मुरादनगर की तरफ जाने वाले वाहनों पर पाबंदी लगा दी गई है.
इस बीच परिजनों का गुस्सा देख सोमवार शाम सरकार ने ऐलान किया कि प्रशासन आरोपियों की संपत्ति कुर्क करेगा. साथ ही मृतकों के परिजनों को मुआवजा दो लाख से बढ़ाकर 10 लाख रुपये करने का आश्वासन दिया है. परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी भी देने की बात कही है. मेरठ जोन आईजी ने इसका लिखित आश्वासन दिया है.
इस घटना से एक बात साफ है कि यूपी सरकार भ्रष्टाचार पर भले ही जीरो टॉलरेंस नीति अपनाने का दावा करती हो. लेकिन इस हादसे से अंदाजा लगाया जा सकता है कि राज्य में भ्रष्टाचार का जाल किस कदर फैला हुआ है. जहां अधिकारी श्मशान जैसे निर्माण कार्यों में भी भ्रष्टाचार से बाज नहीं आते और न ही लोगों की जान की परवाह करते हैं.
इससे पहले जुलाई में हरदोई के गोपामऊ से भारतीय जनता पार्टी के विधायक श्याम प्रकाश ने भ्रष्टाचार पर अपनी ही सरकार को कठघरे में खड़ा कर दिया था. सोशल मीडिया पर उन्होंने अपना दर्द पोस्ट करते हुए लिखा था, “मैंने अपने इतने बड़े राजनीतिक जीवन में इतना भ्रष्टाचार आजतक नहीं देखा है. जितना भ्रष्टाचार अभी देख और सुन रहा हूं, वह बेहद डराने वाला है.”
मई 2018 में भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में राज्य सेतु निगम द्वारा बनाए जा रहे चौकाघाट-लहरतारा फ्लाईओवर का एक हिस्सा अचानक गिर जाने से 18 व्यक्तियों की मौत हो गई थी, और 11 अन्य घायल हो गए थे. इस घटना से लगता है कि सरकार ने पिछले हादसों से कोई सबक नहीं लिया है.
Also Read
-
6 great ideas to make Indian media more inclusive: The Media Rumble’s closing panel
-
In Chennai’s affluent lanes, pavements are eaten up by cars, ramps and debris
-
‘No pay, no info on my vehicle’: Drivers allege forced poll duty in Bihar
-
There’s a double standard about women cricket we’re not ready to admit
-
Not just freebies. It was Zohran Mamdani’s moral pull that made the young campaign for him