Newslaundry Hindi
एनएल चर्चा 155: प्रिया रमानी के पक्ष में आया फैसला और दिशा रवि का टूलकिट विवाद
एनएल चर्चा के 155वें एपिसोड में मीटू मूवमेंट को लेकर एमजे अकबर द्वारा दायर मानहानि केस में प्रिया रमानी को अदालत द्वारा बरी करना, टूलकिट मामले में बेंगलरू से गिरफ्तार पर्यावरण कार्यकर्ता दिशा रवि, हाथरस मामले में गिरफ्तार पत्रकार सिद्दीकी कप्पन को बीमार मां को देखने के लिए पांच दिनों की जमानत, पुद्दुचेरी में उत्पन्न राजनीतिक अस्थिरता, देश में पहली बार 100 रुपए तक पहुंची पेट्रोल की कीमतों पर चर्चा हुई.
इस बार चर्चा में द एशियन एज की रेजिडेंट एडिटर सुपर्णा शर्मा, जनपथ डॉट कॉम के एडिटर अभिषेक श्रीवास्तव और सह संपादक शार्दूल कात्यायन शामिल हुए. चर्चा का संचालन न्यूज़लॉन्ड्री के कार्यकारी संपादक अतुल चौरसिया ने किया.
अतुल ने चर्चा की शुरुआत पत्रकार प्रिया रमानी के मानहानि मामले से किया. उन्होंने प्रिया रमानी की दोस्त और खुद एमजे अकबर के खिलाफ शोषण की शिकायत करने वाली वरिष्ठ पत्रकार सुपर्णा शर्मा से सवाल पूछा की दिल्ली की एक अदालत के द्वारा मानहानि मामले में प्रिया रमानी को बरी करने के फैसले का उनके तथा अन्य महिलाओं के लिए क्या मायने हैं?
इस पर सुपर्णा कहती हैं, "महिलाओं के नज़रिये के साथ-साथ मैं इस बात को एक कार्य-क्षेत्र, जो की पुरुष, महिला दोनों का है, उसके नज़रिये से भी देखती हूं. कोर्ट का ये फैसला बहुत ही महत्वपूर्ण है. कोर्ट ने शुरुआत में जो बात कहीं, वह बात महिलाओं को सशक्त बनाता है, हिम्मत देता है. कोर्ट ने अपने फैसले में कहा की वह हम महिलाओं की कहानी पर भरोसा करते है. वह मानते हैं की दफ्तरों में, कार्य-क्षेत्रों में महिलाओं के साथ यौन उत्पीड़न की समस्या है. कोर्ट ने ये भी कहा की वह हमारे समाज की स्थितियों से अवगत हैं. वह जानते हैं की महिलाओं के लिए खुद पर हुए शोषण की कहानी सुनाना कितना कठिन है. उन्हें हक़ है की वह अपनी आपबीती को कहीं भी, कभी भी, कैसे भी उन्हें बता सकती हैं. इस बात से जो समाज में प्रश्न उठ रहे थे की महिलायें अब क्यों बोल रही हैं, पहले क्यों नहीं बोली, उन बातों को कोर्ट ने रद्द कर दिया, जिससे महिलाओं को बहुत हौसला मिला हैं."
यहां अतुल अभिषेक को चर्चा में शामिल कर उनसे पूछते है, “बतौर ट्रेंडसेटर आप इस घटना को कैसे देख रहे है? आमतौर पर लोग ऐसी बातों को स्वीकार नहीं करते और सारा दोष लड़की के चरित्र पर डाल दिया जाता है. इस लिहाज़ से कोर्ट का आदेश बहुत महत्वपूर्ण है. क्या आपको लगता है कि इस फैसले से आने वाले दिनों में एक नए ट्रेंड की शुरुआत हो सकती हैं? कार्यक्षेत्र में माहौल बदल सकता है.”
इस प्रश्न का जवाब देते हुए अभिषेक कहते हैं, ''इस मामले में मेरा नज़रिया थोड़ा अलग है, जिस तरीके से इस फैसले का जश्न मनाया गया उसके इतर अगर आप बड़ी तस्वीर देखें तो ये फैसला प्रिया रमानी के केस पर नहीं बल्कि प्रिया रमानी के ऊपर जो मानहानि हुआ उस पर है. कोर्ट ने जो बात कही है उसमे कुछ ऐसा नहीं है जो कि पहले नहीं था. लेकिन आज कल गिरफ्तारियां इतनी आम हो चुकी हैं की हम बेल (जमानत) का जश्न मनाने के ही आदत बना चुके है.''
चर्चा में शार्दूल को शामिल करते हुए अतुल उनकी राय इस मसले पर पूछते हैं. जैसा कि अभिषेक कह रहे थे कि अदालत के फैसले से ऐसा कुछ भी नहीं हुआ है कि जश्न मनाया जाए, क्योंकि अभी बहुत से लोग वचिंत हैं?
शार्दूल कहते हैं, “कुछ हद तक अभिषेक की बात सही हैं लेकिन असामनता हमारे देश की ही नहीं पूरी दुनिया की सच्चाई है. और छोटा ही सही लेकिन एक बदलाव की शुरूआत हुई है. जो अभी हम जश्न देख रहे है वह इसलिए हैं क्योंकि अभी तक ऐसा होता था कि आप ने ऐसा-कैसा कह दिया. किसी प्रतिष्ठित व्यक्ति के खिलाफ किसी महिलाा या लकड़ी ने अगर कोई आरोप लगाया होगा तो ज्यादातर यही जवाब होता है कि कहीं ना कहीं तुम्हारी ही गलती रही होगा. लेकिन इस फैसले से अब इसमें सुधार की गुंजाईश बना दी है.”
इस विषय के तमाम और पहलुओं पर विस्तार से चर्चा हुई. इसे पूरा सुनने के लिए हमारा पॉडकास्ट सुनें और न्यूज़लॉन्ड्री को सब्सक्राइब करना न भूलें.
पत्रकारों की राय, क्या देखा, पढ़ा और सुना जाए.
सुपर्णा शर्मा
आकार पटेल की किताब - ऑवर हिंदू राष्ट्र
अभिषेक श्रीवास्तव
न्यूज ऑफ द वर्ल्ड - नेटफ्लिक्स फिल्म
शार्दूल कात्यायन
आवर इम्पैक्ट ऑन अर्थ इकोसिस्टम एंड बायोडायवर्सिटी पर प्रकाशित लेख
हिंदुस्तान में राजद्रोह के मामलों में होती बढ़ोतरी पर प्रकाशित लेख
नवदीप कौर और शिव कुमार की गिरफ्तारी और उगाही का सच - न्यूज़लॉन्ड्री पर प्रकाशित रिपोर्ट
10 असामान्य बातें जो शायद आप पृथ्वी के बारे में नहीं जानते
अतुल चौरसिया
न्यूज़लॉन्ड्री पर कपिल मिश्रा के हिंदू इकोसिस्टम पर प्रकाशित रिपोर्ट
द एज ऑफ डेमोक्रेसी - नेटफ्लिक्स सीरीज
***
प्रोड्यूसर- लिपि वत्स
रिकॉर्डिंग - अनिल कुमार
एडिटिंग - सतीश कुमार
ट्रांसक्राइब - अश्वनी कुमार सिंह.
एनएल चर्चा के 155वें एपिसोड में मीटू मूवमेंट को लेकर एमजे अकबर द्वारा दायर मानहानि केस में प्रिया रमानी को अदालत द्वारा बरी करना, टूलकिट मामले में बेंगलरू से गिरफ्तार पर्यावरण कार्यकर्ता दिशा रवि, हाथरस मामले में गिरफ्तार पत्रकार सिद्दीकी कप्पन को बीमार मां को देखने के लिए पांच दिनों की जमानत, पुद्दुचेरी में उत्पन्न राजनीतिक अस्थिरता, देश में पहली बार 100 रुपए तक पहुंची पेट्रोल की कीमतों पर चर्चा हुई.
इस बार चर्चा में द एशियन एज की रेजिडेंट एडिटर सुपर्णा शर्मा, जनपथ डॉट कॉम के एडिटर अभिषेक श्रीवास्तव और सह संपादक शार्दूल कात्यायन शामिल हुए. चर्चा का संचालन न्यूज़लॉन्ड्री के कार्यकारी संपादक अतुल चौरसिया ने किया.
अतुल ने चर्चा की शुरुआत पत्रकार प्रिया रमानी के मानहानि मामले से किया. उन्होंने प्रिया रमानी की दोस्त और खुद एमजे अकबर के खिलाफ शोषण की शिकायत करने वाली वरिष्ठ पत्रकार सुपर्णा शर्मा से सवाल पूछा की दिल्ली की एक अदालत के द्वारा मानहानि मामले में प्रिया रमानी को बरी करने के फैसले का उनके तथा अन्य महिलाओं के लिए क्या मायने हैं?
इस पर सुपर्णा कहती हैं, "महिलाओं के नज़रिये के साथ-साथ मैं इस बात को एक कार्य-क्षेत्र, जो की पुरुष, महिला दोनों का है, उसके नज़रिये से भी देखती हूं. कोर्ट का ये फैसला बहुत ही महत्वपूर्ण है. कोर्ट ने शुरुआत में जो बात कहीं, वह बात महिलाओं को सशक्त बनाता है, हिम्मत देता है. कोर्ट ने अपने फैसले में कहा की वह हम महिलाओं की कहानी पर भरोसा करते है. वह मानते हैं की दफ्तरों में, कार्य-क्षेत्रों में महिलाओं के साथ यौन उत्पीड़न की समस्या है. कोर्ट ने ये भी कहा की वह हमारे समाज की स्थितियों से अवगत हैं. वह जानते हैं की महिलाओं के लिए खुद पर हुए शोषण की कहानी सुनाना कितना कठिन है. उन्हें हक़ है की वह अपनी आपबीती को कहीं भी, कभी भी, कैसे भी उन्हें बता सकती हैं. इस बात से जो समाज में प्रश्न उठ रहे थे की महिलायें अब क्यों बोल रही हैं, पहले क्यों नहीं बोली, उन बातों को कोर्ट ने रद्द कर दिया, जिससे महिलाओं को बहुत हौसला मिला हैं."
यहां अतुल अभिषेक को चर्चा में शामिल कर उनसे पूछते है, “बतौर ट्रेंडसेटर आप इस घटना को कैसे देख रहे है? आमतौर पर लोग ऐसी बातों को स्वीकार नहीं करते और सारा दोष लड़की के चरित्र पर डाल दिया जाता है. इस लिहाज़ से कोर्ट का आदेश बहुत महत्वपूर्ण है. क्या आपको लगता है कि इस फैसले से आने वाले दिनों में एक नए ट्रेंड की शुरुआत हो सकती हैं? कार्यक्षेत्र में माहौल बदल सकता है.”
इस प्रश्न का जवाब देते हुए अभिषेक कहते हैं, ''इस मामले में मेरा नज़रिया थोड़ा अलग है, जिस तरीके से इस फैसले का जश्न मनाया गया उसके इतर अगर आप बड़ी तस्वीर देखें तो ये फैसला प्रिया रमानी के केस पर नहीं बल्कि प्रिया रमानी के ऊपर जो मानहानि हुआ उस पर है. कोर्ट ने जो बात कही है उसमे कुछ ऐसा नहीं है जो कि पहले नहीं था. लेकिन आज कल गिरफ्तारियां इतनी आम हो चुकी हैं की हम बेल (जमानत) का जश्न मनाने के ही आदत बना चुके है.''
चर्चा में शार्दूल को शामिल करते हुए अतुल उनकी राय इस मसले पर पूछते हैं. जैसा कि अभिषेक कह रहे थे कि अदालत के फैसले से ऐसा कुछ भी नहीं हुआ है कि जश्न मनाया जाए, क्योंकि अभी बहुत से लोग वचिंत हैं?
शार्दूल कहते हैं, “कुछ हद तक अभिषेक की बात सही हैं लेकिन असामनता हमारे देश की ही नहीं पूरी दुनिया की सच्चाई है. और छोटा ही सही लेकिन एक बदलाव की शुरूआत हुई है. जो अभी हम जश्न देख रहे है वह इसलिए हैं क्योंकि अभी तक ऐसा होता था कि आप ने ऐसा-कैसा कह दिया. किसी प्रतिष्ठित व्यक्ति के खिलाफ किसी महिलाा या लकड़ी ने अगर कोई आरोप लगाया होगा तो ज्यादातर यही जवाब होता है कि कहीं ना कहीं तुम्हारी ही गलती रही होगा. लेकिन इस फैसले से अब इसमें सुधार की गुंजाईश बना दी है.”
इस विषय के तमाम और पहलुओं पर विस्तार से चर्चा हुई. इसे पूरा सुनने के लिए हमारा पॉडकास्ट सुनें और न्यूज़लॉन्ड्री को सब्सक्राइब करना न भूलें.
पत्रकारों की राय, क्या देखा, पढ़ा और सुना जाए.
सुपर्णा शर्मा
आकार पटेल की किताब - ऑवर हिंदू राष्ट्र
अभिषेक श्रीवास्तव
न्यूज ऑफ द वर्ल्ड - नेटफ्लिक्स फिल्म
शार्दूल कात्यायन
आवर इम्पैक्ट ऑन अर्थ इकोसिस्टम एंड बायोडायवर्सिटी पर प्रकाशित लेख
हिंदुस्तान में राजद्रोह के मामलों में होती बढ़ोतरी पर प्रकाशित लेख
नवदीप कौर और शिव कुमार की गिरफ्तारी और उगाही का सच - न्यूज़लॉन्ड्री पर प्रकाशित रिपोर्ट
10 असामान्य बातें जो शायद आप पृथ्वी के बारे में नहीं जानते
अतुल चौरसिया
न्यूज़लॉन्ड्री पर कपिल मिश्रा के हिंदू इकोसिस्टम पर प्रकाशित रिपोर्ट
द एज ऑफ डेमोक्रेसी - नेटफ्लिक्स सीरीज
***
प्रोड्यूसर- लिपि वत्स
रिकॉर्डिंग - अनिल कुमार
एडिटिंग - सतीश कुमार
ट्रांसक्राइब - अश्वनी कुमार सिंह.
Also Read
-
Hafta 483: Prajwal Revanna controversy, Modi’s speeches, Bihar politics
-
Can Amit Shah win with a margin of 10 lakh votes in Gandhinagar?
-
Know Your Turncoats, Part 10: Kin of MP who died by suicide, Sanskrit activist
-
In Assam, a battered road leads to border Gorkha village with little to survive on
-
Amid Lingayat ire, BJP invokes Neha murder case, ‘love jihad’ in Karnataka’s Dharwad