Newslaundry Hindi
पत्रकार बरखा दत्त, सज्जाद गुल और उत्कर्ष सिंह के खिलाफ एफआईआर दर्ज
देश के अलग-अलग हिस्सों में रिपोर्ट और सोशल मीडिया पोस्ट को लेकर तीन पत्रकारों के खिलाफ केस दर्ज किया गया है. एक मामला उत्तर प्रदेश का है जहां उन्नाव में हुई दो बहनों की हत्या पर रिपोर्ट किए जाने को लेकर पत्रकार बरखा दत्ता के खिलाफ एफआईआर दर्ज हुई है.
बरखा दत्त ने ट्विटर पर लिखा है- “पुलिस ने एफआईआर की कॉपी भी हमें नहीं दी है. इस मामले में मैं डट कर खड़ी हूं और कोर्ट में जाने को तैयार हूं.”
द न्यूज मिनट के मुताबिक, पुलिस ने 'मोजो स्टोरी' पर यह केस इसलिए दर्ज किया गया हैं क्योंकि उन्होंने कथित तौर पर गलत जानकारी दी कि प्रशासन ने दोनों मृत लड़कियों के शव को परिवार के विरोध के बावजूद जल्दबाजी में जलाने की कोशिश की.
बिहार में पत्रकार उत्कर्ष सिंह के खिलाफ पेपर लीक को लेकर किए गए एक ट्वीट पर केस दर्ज किया गया है. बिहार विद्यालय परीक्षा समिति द्वारा पटना पुलिस को लिखे गए एक पत्र के बाद यह कार्रवाई की गई है.
उत्कर्ष सिंह पर आरोप है कि उन्होंने जिस अंग्रेजी विषय के पेपर लीक को लेकर ट्वीट किया और साथ में जो पेपर का फोटो शेयर किया वह 2020 का है. उत्कर्ष पर पिछले वर्ष के पेपर को इस वर्ष का बताकर अफवाह फैलाने और लोगों को धोखा देना का आरोप है.
परीक्षा समिति के इस पत्र के बाद उनके ऊपर एफआईआर दर्ज कर लिया गया. इसको लेकर विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने ट्वीट पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर निशाना साधा.
हालांकि पत्रकार उत्कर्ष सिंह ने खुद ही ट्वीट कर अपनी गलती स्वीकार कर ली है. उन्होंने कहा कि रिपोर्ट्स के अनुसार प्रश्न मेल नहीं खाते और वे गलत साबित हुए हैं. पेपर नकली था और उसमें सुधार कर लिया गया है. इसका राजनीतिकरण नहीं किया जाना चाहिए. मैंने अपने ट्वीट को भी हटा दिया है.
एक अन्य मामले में कश्मीर प्रेस क्लब ने स्वतंत्र पत्रकार सज्जाद गुल के खिलाफ पुलिस द्वारा दर्ज एफआईआर पर चिंता जताई है. क्लब ने बयान जारी कर कहा, “झूठे और मनगढ़ंत आरोपों' के आधार पर पत्रकार के खिलाफ इस तरह की एफआईआर पर क्लब गहरी चिंता व्यक्त करता है.”
न्यूज एजेंसी यूएनआई की खबर के मुताबिक, सज्जाद ने कश्मीर के बांदीपुरा जिले में एक गांव में अवैध निर्माण हटाने गए प्रशासन को लेकर एक रिपोर्ट की थी. इस रिपोर्ट में ग्रामीणों ने आरोप लगाया था कि प्रशासन ने उन्हें “प्रताड़ित किया और धमकाया” था.
इस रिपोर्ट के बाद सज्जाद ने क्लब को एक बयान दिया था जिसमें उसने तहसीलदार पर आरोप लगाते हुए कहा था कि मेरी इस रिपोर्ट के बाद से तहसीलदार गुलाम भट्ट “10 फरवरी को हुई तोड़फोड़ के दौरान पथराव और नारेबाजी करने जैसे बेबुनियाद आरोप लगाकर मुझे पिछले दो सप्ताह से परेशान कर रहे है.”
सज्जाद ने क्लब को दिए बयान में कहा कि, "तहसीलदार मुझे धमकी दे रहे है कि वो मेरा करियर खत्म कर देगें और मुझे उस रिपोर्ट करने के लिए सलाख़ों के पीछे डाल दिया जाएगा जो कि सरासर सच्चाई और तथ्यों पर आधारित है."
स्क्रोल की खबर के मुताबिक, प्रेस क्लब ने पुलिस के उच्च अधिकारियों को इस मामले से अवगत कराया था, लेकिन उनके भरोसे के बावजूद भी पत्रकार के खिलाफ एफआईआर दर्ज हुई है.
बता दें कि सज्जाद गुल के खिलाफ जिस रिपोर्ट को लेकर केस दर्ज किया गया हैं वह उन्होंने कश्मीर वाला के लिए 9 फरवरी को लिखा था.
देश के अलग-अलग हिस्सों में रिपोर्ट और सोशल मीडिया पोस्ट को लेकर तीन पत्रकारों के खिलाफ केस दर्ज किया गया है. एक मामला उत्तर प्रदेश का है जहां उन्नाव में हुई दो बहनों की हत्या पर रिपोर्ट किए जाने को लेकर पत्रकार बरखा दत्ता के खिलाफ एफआईआर दर्ज हुई है.
बरखा दत्त ने ट्विटर पर लिखा है- “पुलिस ने एफआईआर की कॉपी भी हमें नहीं दी है. इस मामले में मैं डट कर खड़ी हूं और कोर्ट में जाने को तैयार हूं.”
द न्यूज मिनट के मुताबिक, पुलिस ने 'मोजो स्टोरी' पर यह केस इसलिए दर्ज किया गया हैं क्योंकि उन्होंने कथित तौर पर गलत जानकारी दी कि प्रशासन ने दोनों मृत लड़कियों के शव को परिवार के विरोध के बावजूद जल्दबाजी में जलाने की कोशिश की.
बिहार में पत्रकार उत्कर्ष सिंह के खिलाफ पेपर लीक को लेकर किए गए एक ट्वीट पर केस दर्ज किया गया है. बिहार विद्यालय परीक्षा समिति द्वारा पटना पुलिस को लिखे गए एक पत्र के बाद यह कार्रवाई की गई है.
उत्कर्ष सिंह पर आरोप है कि उन्होंने जिस अंग्रेजी विषय के पेपर लीक को लेकर ट्वीट किया और साथ में जो पेपर का फोटो शेयर किया वह 2020 का है. उत्कर्ष पर पिछले वर्ष के पेपर को इस वर्ष का बताकर अफवाह फैलाने और लोगों को धोखा देना का आरोप है.
परीक्षा समिति के इस पत्र के बाद उनके ऊपर एफआईआर दर्ज कर लिया गया. इसको लेकर विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने ट्वीट पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर निशाना साधा.
हालांकि पत्रकार उत्कर्ष सिंह ने खुद ही ट्वीट कर अपनी गलती स्वीकार कर ली है. उन्होंने कहा कि रिपोर्ट्स के अनुसार प्रश्न मेल नहीं खाते और वे गलत साबित हुए हैं. पेपर नकली था और उसमें सुधार कर लिया गया है. इसका राजनीतिकरण नहीं किया जाना चाहिए. मैंने अपने ट्वीट को भी हटा दिया है.
एक अन्य मामले में कश्मीर प्रेस क्लब ने स्वतंत्र पत्रकार सज्जाद गुल के खिलाफ पुलिस द्वारा दर्ज एफआईआर पर चिंता जताई है. क्लब ने बयान जारी कर कहा, “झूठे और मनगढ़ंत आरोपों' के आधार पर पत्रकार के खिलाफ इस तरह की एफआईआर पर क्लब गहरी चिंता व्यक्त करता है.”
न्यूज एजेंसी यूएनआई की खबर के मुताबिक, सज्जाद ने कश्मीर के बांदीपुरा जिले में एक गांव में अवैध निर्माण हटाने गए प्रशासन को लेकर एक रिपोर्ट की थी. इस रिपोर्ट में ग्रामीणों ने आरोप लगाया था कि प्रशासन ने उन्हें “प्रताड़ित किया और धमकाया” था.
इस रिपोर्ट के बाद सज्जाद ने क्लब को एक बयान दिया था जिसमें उसने तहसीलदार पर आरोप लगाते हुए कहा था कि मेरी इस रिपोर्ट के बाद से तहसीलदार गुलाम भट्ट “10 फरवरी को हुई तोड़फोड़ के दौरान पथराव और नारेबाजी करने जैसे बेबुनियाद आरोप लगाकर मुझे पिछले दो सप्ताह से परेशान कर रहे है.”
सज्जाद ने क्लब को दिए बयान में कहा कि, "तहसीलदार मुझे धमकी दे रहे है कि वो मेरा करियर खत्म कर देगें और मुझे उस रिपोर्ट करने के लिए सलाख़ों के पीछे डाल दिया जाएगा जो कि सरासर सच्चाई और तथ्यों पर आधारित है."
स्क्रोल की खबर के मुताबिक, प्रेस क्लब ने पुलिस के उच्च अधिकारियों को इस मामले से अवगत कराया था, लेकिन उनके भरोसे के बावजूद भी पत्रकार के खिलाफ एफआईआर दर्ज हुई है.
बता दें कि सज्जाद गुल के खिलाफ जिस रिपोर्ट को लेकर केस दर्ज किया गया हैं वह उन्होंने कश्मीर वाला के लिए 9 फरवरी को लिखा था.
Also Read
-
Gujarat’s invisible walls: Muslims pushed out, then left behind
-
Let Me Explain: Banu Mushtaq at Mysuru Dasara and controversy around tradition, identity, politics
-
Dhanyavaad Modiji, for keeping independent journalism premium with 18% GST
-
गुजरात: विकास से वंचित मुस्लिम मोहल्ले, बंटा हुआ भरोसा और बढ़ती खाई
-
September 15, 2025: After weeks of relief, Delhi’s AQI begins to worsen