एनएल चर्चा
Newslaundry Hindi

एनएल चर्चा 156: सरकार की डिजिटल मीडिया गाइडलाइन और ऑस्ट्रेलियाई संसद में पास कानून

एनएल चर्चा के 156वें एपिसोड में कपिल मिश्रा के हिन्दू इकोसिस्टम, दिशा रवि को मिली ज़मानत, पेट्रोल के बढ़ते दाम, गुजरात के मोटेरा स्टेडियम का नाम 'नरेंद्र मोदी स्टेडियम' करना, केंद्र सरकार द्वारा सोशल मीडिया, ऑनलाइन मीडिया और ओटीटी प्लेटफॉर्म के लिए जारी गाइडलाइन, ऑस्ट्रेलिया सरकार और फेसबुक-गूगल के बीच विवाद, दिल्ली के सांप्रदायिक दंगों को पूरा हुआ एक साल और देश में शुरू हुए कोरोना के टीकाकरण के दूसरे चरण का जिक्र हुआ.

इस बार चर्चा में न्यूज़लॉन्ड्री के प्रोडक्ट एंड ग्रोथ लीड चित्रांशु तिवारी और न्यूज़लॉन्ड्री के एसोसिएट एडिटर मेघनाद एस शामिल हुए. चर्चा का संचालन न्यूज़लॉन्ड्री के कार्यकारी संपादक अतुल चौरसिया ने किया.

अतुल ने चर्चा की शुरुआत अहमदाबाद के मोटेरा स्टेडियम के बारे में बात करते हुए की अब स्टेडियम का नाम बदल कर 'नरेंद्र मोदी स्टेडियम' कर दिया गया है. उन्होंने कहा, "नरेंद्र मोदी के नाम मोटेरा स्टेडियम का नाम रखने से कुछ लोगों को बड़ी दिक्कत हुई की प्रधानमंत्री ने अपने जीतेजी स्टेडियम का नामकरण करवा दिया. लेकिन ये तो हमारे यहां परंपरा है. बहुत से सार्वजनिक स्थानों का नाम राजनीतिक नेताओं के ऊपर रखा जाता रहा है. तो फिर नरेंद्र मोदी का नाम रखने से इतनी दिक्कत क्यों हो गयी है?"

इस पर मेघनाद कहते हैं, "मुझे ये बात खूब दिलचस्प लगी क्योंकि लोगों को पहले पता ही नहीं था की इस स्टेडियम का नाम नरेंद्र मोदी होने वाला है, वो तो जब राष्ट्रपति ने शिलापट्ट का परदा हटाया उस पर इस बात का ज़िक्र था. जब मीडिया में ये खबर फैली की सरदार पटेल मोटेरा स्टेडियम का नाम बदल कर नरेंद्र मोदी स्टेडियम होने वाला है, तब लोगों ने ट्विटर पर खूब ट्वीट किया की ये केवल एक अफवाह है. जहां तक नाम देने की बात है तो यह बात बहुत अजीब लगता है कि पिछले कुछ दिनों में मोदी जी काफी जगहों पर जाकर कई योजनाओं का उदघाटन खुद कर रहे थे, वह भी कोरोना के समय, जब आस पास कोई और था भी नही. तो फिर वह स्टेडियम के उदघाटन में क्यों नहीं गए? ये बात मुझे बहुत अजीब लगी. सरकार को अब फर्क नहीं पड़ रहा की लोग उन्हें किस तरह से देख रहे हैं और क्या सोच रहे हैं.”

अतुल चर्चा को आगे बढ़ाते हुए चित्रांशु से सवाल करते हैं, ''ऑस्ट्रेलिया में जो बिग टेक पॉलिसी एक्ट को संसद ने पास किया है, आप उस पॉलिसी के बारे में श्रोताओं को जानकारी दे कि इसकी ज़रूरत क्यों पड़ी?''

इस प्रश्न का जवाब देते हुए चित्रांशु कहते हैं, ''जो ऑस्ट्रेलिया की कॉम्पीटीशन अथॉरिटी है, उनको 2017 में ही बोला गया था की आप एक आधिकारिक जांच कीजिए की जो डिजिटल मंच है, फेसबुक, गूगल इत्यादि, उनका क्या प्रभाव है मीडिया इकोसिस्टम पर.”

वो आगे कहते हैं, “2017 में यह इन्क्वायरी शुरू हुई थी और दिसंबर 2020 में इसे संसद में पेश किया गया. जिसके बाद ऑस्ट्रेलिया के संसद में 'न्यूज़ मीडिया कोड' लेजिस्लेशन कानून पास हुआ है. इसकी पहली ज़रूरत ये है की पारंपरिक मीडिया का जो मॉडल है, वह विज्ञापन पर आधारित है. डिजिटल एड का 60 से 70 प्रतिशत रिवेन्यू इन्हीं कंपनियों के पास जा रहा था और जो बाकी का रेवेन्यु था वह मीडिया पॉब्लिशर्स को मिल रहा था. इसलिए मांग की जा रही थी कि बड़ी टेक कंपनियां मीडिया के साथ उस रेवेन्यू में कुछ भागीदारी करनी चाहिए.”

इस विषय के तमाम और पहलुओं पर विस्तार से चर्चा हुई. इसे पूरा सुनने के लिए हमारा पॉडकास्ट सुनें और न्यूज़लॉन्ड्री को सब्सक्राइब करना न भूलें.

टाइम कोड

1:08 - कपिल मिश्रा हिंदू ईकोसिस्टम

8:38 - हेडलाइन

14:38 - नरेन्द्र मोदी स्टेडियम

26:25 - ऑस्ट्रेलिया की नई टेक पॉलिसी

48:37 - न्यूज डिजिटल पॉलिसी

1:08:49 - सलाह और सुझाव

पत्रकारों की राय, क्या देखा, पढ़ा और सुना जाए.

चित्रांशु तिवारी

द ऑस्ट्रेलियाई पर्सपेक्टिव - पॉडकास्ट

इंडियन एक्सप्रेस पर अपर गुप्ता का आईटी नियमों का डिजिटल इकोसिस्टम पर नियंत्रण विषय पर लिखा लेख.

मेघनाद एस

मोदी रोज़गार दो - यूट्यूब वीडियो

इंडियन एक्सप्रेस में कपिल कोमिरेड्डी का राहुल गांधी की राजनीति पर प्रकाशित लेख

दलित श्रमिक नेता शिव कुमार के साथ हिरासत में किया अत्याचार को लेकर आर्टिकल 14 पर प्रकाशित रिपोर्ट.

अतुल चौरसिया

ईरानी उपन्यास- पर्सेपोलिस

ऑस्ट्रेलिया में पारित नए कानून पर चित्रांशु तिवारी का एक्सप्लेनर

***

प्रोड्यूसर- लिपि वत्स

रिकॉर्डिंग - अनिल कुमार

एडिटिंग - सतीश कुमार

ट्रांसक्राइब - अश्वनी कुमार सिंह.

Also Read: ऑनलाइन मीडिया और ओटीटी प्लेटफॉर्म भी अब सरकारी निगरानी के फंदे में

Also Read: दिल्ली दंगा: दंगा सांप्रदायिक था, लेकिन मुसलमानों ने ही मुसलमान को मार दिया?

एनएल चर्चा के 156वें एपिसोड में कपिल मिश्रा के हिन्दू इकोसिस्टम, दिशा रवि को मिली ज़मानत, पेट्रोल के बढ़ते दाम, गुजरात के मोटेरा स्टेडियम का नाम 'नरेंद्र मोदी स्टेडियम' करना, केंद्र सरकार द्वारा सोशल मीडिया, ऑनलाइन मीडिया और ओटीटी प्लेटफॉर्म के लिए जारी गाइडलाइन, ऑस्ट्रेलिया सरकार और फेसबुक-गूगल के बीच विवाद, दिल्ली के सांप्रदायिक दंगों को पूरा हुआ एक साल और देश में शुरू हुए कोरोना के टीकाकरण के दूसरे चरण का जिक्र हुआ.

इस बार चर्चा में न्यूज़लॉन्ड्री के प्रोडक्ट एंड ग्रोथ लीड चित्रांशु तिवारी और न्यूज़लॉन्ड्री के एसोसिएट एडिटर मेघनाद एस शामिल हुए. चर्चा का संचालन न्यूज़लॉन्ड्री के कार्यकारी संपादक अतुल चौरसिया ने किया.

अतुल ने चर्चा की शुरुआत अहमदाबाद के मोटेरा स्टेडियम के बारे में बात करते हुए की अब स्टेडियम का नाम बदल कर 'नरेंद्र मोदी स्टेडियम' कर दिया गया है. उन्होंने कहा, "नरेंद्र मोदी के नाम मोटेरा स्टेडियम का नाम रखने से कुछ लोगों को बड़ी दिक्कत हुई की प्रधानमंत्री ने अपने जीतेजी स्टेडियम का नामकरण करवा दिया. लेकिन ये तो हमारे यहां परंपरा है. बहुत से सार्वजनिक स्थानों का नाम राजनीतिक नेताओं के ऊपर रखा जाता रहा है. तो फिर नरेंद्र मोदी का नाम रखने से इतनी दिक्कत क्यों हो गयी है?"

इस पर मेघनाद कहते हैं, "मुझे ये बात खूब दिलचस्प लगी क्योंकि लोगों को पहले पता ही नहीं था की इस स्टेडियम का नाम नरेंद्र मोदी होने वाला है, वो तो जब राष्ट्रपति ने शिलापट्ट का परदा हटाया उस पर इस बात का ज़िक्र था. जब मीडिया में ये खबर फैली की सरदार पटेल मोटेरा स्टेडियम का नाम बदल कर नरेंद्र मोदी स्टेडियम होने वाला है, तब लोगों ने ट्विटर पर खूब ट्वीट किया की ये केवल एक अफवाह है. जहां तक नाम देने की बात है तो यह बात बहुत अजीब लगता है कि पिछले कुछ दिनों में मोदी जी काफी जगहों पर जाकर कई योजनाओं का उदघाटन खुद कर रहे थे, वह भी कोरोना के समय, जब आस पास कोई और था भी नही. तो फिर वह स्टेडियम के उदघाटन में क्यों नहीं गए? ये बात मुझे बहुत अजीब लगी. सरकार को अब फर्क नहीं पड़ रहा की लोग उन्हें किस तरह से देख रहे हैं और क्या सोच रहे हैं.”

अतुल चर्चा को आगे बढ़ाते हुए चित्रांशु से सवाल करते हैं, ''ऑस्ट्रेलिया में जो बिग टेक पॉलिसी एक्ट को संसद ने पास किया है, आप उस पॉलिसी के बारे में श्रोताओं को जानकारी दे कि इसकी ज़रूरत क्यों पड़ी?''

इस प्रश्न का जवाब देते हुए चित्रांशु कहते हैं, ''जो ऑस्ट्रेलिया की कॉम्पीटीशन अथॉरिटी है, उनको 2017 में ही बोला गया था की आप एक आधिकारिक जांच कीजिए की जो डिजिटल मंच है, फेसबुक, गूगल इत्यादि, उनका क्या प्रभाव है मीडिया इकोसिस्टम पर.”

वो आगे कहते हैं, “2017 में यह इन्क्वायरी शुरू हुई थी और दिसंबर 2020 में इसे संसद में पेश किया गया. जिसके बाद ऑस्ट्रेलिया के संसद में 'न्यूज़ मीडिया कोड' लेजिस्लेशन कानून पास हुआ है. इसकी पहली ज़रूरत ये है की पारंपरिक मीडिया का जो मॉडल है, वह विज्ञापन पर आधारित है. डिजिटल एड का 60 से 70 प्रतिशत रिवेन्यू इन्हीं कंपनियों के पास जा रहा था और जो बाकी का रेवेन्यु था वह मीडिया पॉब्लिशर्स को मिल रहा था. इसलिए मांग की जा रही थी कि बड़ी टेक कंपनियां मीडिया के साथ उस रेवेन्यू में कुछ भागीदारी करनी चाहिए.”

इस विषय के तमाम और पहलुओं पर विस्तार से चर्चा हुई. इसे पूरा सुनने के लिए हमारा पॉडकास्ट सुनें और न्यूज़लॉन्ड्री को सब्सक्राइब करना न भूलें.

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1:08 - कपिल मिश्रा हिंदू ईकोसिस्टम

8:38 - हेडलाइन

14:38 - नरेन्द्र मोदी स्टेडियम

26:25 - ऑस्ट्रेलिया की नई टेक पॉलिसी

48:37 - न्यूज डिजिटल पॉलिसी

1:08:49 - सलाह और सुझाव

पत्रकारों की राय, क्या देखा, पढ़ा और सुना जाए.

चित्रांशु तिवारी

द ऑस्ट्रेलियाई पर्सपेक्टिव - पॉडकास्ट

इंडियन एक्सप्रेस पर अपर गुप्ता का आईटी नियमों का डिजिटल इकोसिस्टम पर नियंत्रण विषय पर लिखा लेख.

मेघनाद एस

मोदी रोज़गार दो - यूट्यूब वीडियो

इंडियन एक्सप्रेस में कपिल कोमिरेड्डी का राहुल गांधी की राजनीति पर प्रकाशित लेख

दलित श्रमिक नेता शिव कुमार के साथ हिरासत में किया अत्याचार को लेकर आर्टिकल 14 पर प्रकाशित रिपोर्ट.

अतुल चौरसिया

ईरानी उपन्यास- पर्सेपोलिस

ऑस्ट्रेलिया में पारित नए कानून पर चित्रांशु तिवारी का एक्सप्लेनर

***

प्रोड्यूसर- लिपि वत्स

रिकॉर्डिंग - अनिल कुमार

एडिटिंग - सतीश कुमार

ट्रांसक्राइब - अश्वनी कुमार सिंह.

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