Newslaundry Hindi
एएनआई की लीपापोती और डार्विन के विकासवाद से वंचित दीपक चौरसिया
पश्चिम बंगाल समेत चार राज्यों के विधानसभा चुनाव का प्रचार अपने चरम पर है. लेकिन खबरिया चैनलों पर न तो जनता के मुद्दे दिख रहे हैं न ही एंकर-एंकराओं को इसकी परवाह है. चैनल दर चैनल शिवजी की बारात सजी हुई है. खबरिया चैनलों पर चल रही कहानियों को देखकर लगता ही नहीं कि भारत एक महामारी से गुजर रहा है, बेरोजगारी की दर आजाद भारत के इतिहास में सबसे ऊपर चली गई है. कहने को तो इन राज्यों में चुनाव हो रहे हैं लेकिन असल में यहां मुशायरा चल रहा है. सारे कवि और शायरों के टेपरिकॉर्डर वीररस में अटक गए हैं, एक ही तर्ज पर एक ही राग में सब रेंक रहे हैं.
हिंदुस्तान और पाकिस्तान के बीच कभी अगर बातचीत या बेहतर रिश्तों की सूरत बनी तो उसे पलीता लगाने में खबरिया चैनलों की भूमिका अव्वल रहेगी. दाल-भात में मूसलचंद की तरह बेसिर-पैर के तर्क, घृणा और अज्ञानता की गठरी सिर पर लादे ये चैनल कुछ भी अनर्गल दिखा रहे हैं. यहां हम आपको पूरे घटनाक्रम की क्रोनोलॉजी समझा देते हैं ताकि आगे से आपको मामला समझने का सुभीता रहे. 24 फरवरी को आधी रात से दोनों देशों ने युद्धविराम की घोषणा की. 10 मार्च को भारत ने पाकिस्तान को कोरोना वैक्सीन की चार करोड़ खुराक भेजने की घोषणा की. इसके बाद 22 मार्च को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पाकिस्तान दिवस के मौके पर इमरान खान को पत्र लिखा. जवाब में इमरान खान ने 29 मार्च को भारतीय प्रधानमंत्री को पत्र लिखा और दोनों देशों के बीच शांतिबहाली की इच्छा जताई. फिर 2 अप्रैल को इमरान खान ने दोनों देशों के बीच व्यापार शुरू करने के लिए एक उच्च स्तरीय बैठक बुलाई. आगे की प्रक्रिया अभी जारी है.
लेकिन एंकर एंकराओं ने एकदम उल्दा बताया. पहली चिट्ठी प्रधानमंत्री मोदीजी ने लिखी जवाब में इमरान खान ने मोदीजी को पत्र लिखा. सभ्य समाज में इस तरह के व्यवहार को सार्वजनिक शिष्टाचार का तकाजा कहते हैं. लेकिन चौरसिया और शर्माजी की दुनिया में इसे गिड़गिड़ाना, भूखमरी, तबाही कहते हैं.
योगी आदित्यनाथ एक अलग ही तड़ी में हैं. उनके मुताबिक सर्जिकल स्ट्राइक के बाद पाकिस्तान ने विंग कमांडर अभिनंदन वर्तमान को इसलिए छोड़ा क्योंकि निर्मला सीतारमण ने उनके गृहराज्य तमिलनाडु में डिफेंस कॉरिडोर की आधारशिला रखी थी. अभिनंदन 2004 से वायुसेना में हैं, निर्मला सीतारमण 2017 में रक्षामंत्री बनी. लेकिन योगीजी ने जोड़-घटाकर समीकरण ऐसा बना दिया कि अभिनंदन की सफलता में सारा योगदान निर्मलाजी का है. कुतर्क की जय जय है.
न्यूज़ चैनल ये नौटंकियां हमेशा ज्यादा से ज्यादा व्यूअरशिप हासिल करने के लिए करते हैं. इनकी मजबूरी है व्यूअरशिप के आधार पर मिलने वाला विज्ञापन. लिहाजा विज्ञापन का दबाव इन चैनलों से पत्रकारिता के इतर तमाम उछलकूद करवाता है. इन हथकंडों से पत्रकारिता को बचाने के लिए जरूरी है व्यूअरशिप और विज्ञापन के दवाब से खबरें आजाद रहें. न्यूज़लॉन्ड्री में हमारा प्रयास है कि खबरें आपके समर्थन से चले. न्यूज़लॉन्ड्री को सब्सक्राइब करके हमारी पत्रकारिता को मजबूत कीजिए और गर्व से कहिए मेरे खर्च पर आज़ाद हैं खबरें.
Also Read
-
Bollywood after #MeToo: What changed – and what didn’t
-
Smog is unavoidable. Unsafe food isn’t. That’s why there’s little outrage over food adulteration
-
TV Newsance 326: A very curly tale, or how taxpayers’ money was used for govt PR
-
South Central 55: Census, Delimitation & MGNREGA Pushback
-
What happened to Arnab? Questioning govt on Aravallis, taking shots at ‘Rs 15 cr anchor’