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आपके मीडिया का मालिक कौन है: जागरण समूह और भारत के सबसे अधिक पढ़े जाने वाले दैनिक की कहानी
"पूरन चंद्रजी एक स्वतंत्रता सेनानी, क्रांतिकारी, पत्रकार और उद्यमी थे. उन्होंने भारत के लोगों की सेवा के लिए पत्रकारिता का रास्ता चुना. महात्मा गांधी के सविनय अवज्ञा आंदोलन के बाद एक राष्ट्रवादी समाचार पत्र शुरू करने के बारे में सोचा. 1942 में जागरण शुरू किया. उनका दृढ़ विश्वास था कि देशवासियों की आकांक्षाओं और भावनाओं को भारतीय भाषाओं के समाचार पत्रों के माध्यम से ही सर्वोत्तम रूप से व्यक्त किया जा सकता है. उन्होंने जीवन भर स्वतंत्र और निडर पत्रकारिता को प्रोत्साहित किया". वह दो साल तक प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया के अध्यक्ष भी रहे.
उपरोक्त अंश तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह के 2012 के एक वक्तव्य से हैं, जो उन्होंने जागरण समूह के संस्थापक पूरन चंद्र गुप्ता की स्मृति में एक डाक टिकट जारी करते समय दिया था. जागरण समूह अभी भी गुप्ता द्वारा शुरू किए गए हिंदी समाचार पत्र दैनिक जागरण के लिए जाना जाता है. 2019 की चौथी तिमाही के भारतीय पाठक सर्वेक्षण के परिणामों के अनुसार, दैनिक जागरण भारत का सर्वाधिक पढ़ा जाने वाला अख़बार है, जिसकी कुल पाठक संख्या 7 करोड़ के करीब है.
जागरण समूह की आधिकारिक वेबसाइट के अनुसार, दैनिक जागरण का पहला संस्करण झांसी से, दूसरा कानपुर से, इसके बाद रीवा और भोपाल से क्रमशः 1953 और 1956 में शुरू किए गए थे. आज जागरण के 39 संस्करण शुरू हो चुके हैं जो अधिकांश उत्तरी, हिंदी पट्टी के क्षेत्रों के साथ-साथ पूर्व में भी कुछ स्थानों पर फैले हैं.
2002 में सरकार ने 1955 से चले आ रहे प्रतिबंध को समाप्त कर प्रिंट मीडिया में 26 प्रतिशत विदेशी निवेश की अनुमति दे दी. जागरण समूह विदेशी निवेश प्राप्त करने वालों में अग्रणी था. 2004 में आयरिश व्यवसायी टोनी ओ'रायली के इंडिपेंडेंट न्यूज़ एंड मीडिया (आईएनएम) ने लगभग 150 करोड़ रुपए में जागरण प्रकाशन में 26 प्रतिशत हिस्सेदारी का अधिग्रहण किया. पियर्सन ओवरसीज ने पहले ही बिजनेस स्टैंडर्ड में 14 प्रतिशत हिस्सेदारी हासिल कर ली थी, और डब्ल्यूएसजे के मालिक डॉव जोन्स ने टाइम्स ऑफ़ इंडिया के प्रकाशक बेनेट, कोलमैन एंड कंपनी के साथ एक साझा उद्यम की शुरुआत कर कंपनी में 26 प्रतिशत हिस्सेदारी हासिल कर ली.
2005 में जागरण समूह ने हिंदी बिजनेस न्यूज़ चैनल, चैनल 7 लांच करके टेलीविजन की दुनिया में कदम रखा. बाद में इस चैनल का अधिग्रहण नेटवर्क-18 ने कर लिया और इसे आईबीएन-7 नाम दिया. हाल ही में इसका नाम बदलकर न्यूज़18 इंडिया कर दिया गया है.
इसके कुछ ही समय बाद समूह ने मार्केटिंग और आउटडोर विज्ञापन प्रभाग जागरण सॉल्यूशंस और मीडिया सेवा प्रभाग जागरण एंगेज की शुरुआत की. 2006 में जागरण प्रकाशन शेयर बाजार में सार्वजनिक रूप से लिस्ट हुआ.
2010 में आईएनएम ने जेपीएल में अपनी हिस्सेदारी बेच दी और ब्लैकस्टोन ने जागरण प्रकाशन की होल्डिंग कंपनी जागरण मीडिया नेटवर्क प्राइवेट लिमिटेड में 255 करोड़ का निवेश किया; समूह के मालिक गुप्ता परिवार ने भी अपने सारे शेयर, जागरण मीडिया नेटवर्क को हस्तांतरित कर दिए.
लेकिन खबर फैलने के तुरंत बाद गुरुदेव गुप्ता के परिवार के सदस्य और जागरण पब्लिकेशन प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक संजीव मोहन गुप्ता ने, कथित तौर पर विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड (एफआईपीबी) को पत्र लिखकर ब्लैकस्टोन जीपीवी कैपिटल पार्टनर्स (मॉरीशस) को शेयरधारिता हस्तांतरित करने के जागरण मीडिया नेटवर्क्स (जेएमएन) के प्रस्ताव को खारिज करने का अनुरोध किया.
संजीव मोहन ने बिजनेस स्टैंडर्ड को दिए एक साक्षात्कार में कहा, “दैनिक जागरण ट्रेडनेम पर तीन परिवारों का सह-स्वामित्व है, जो जेसी आर्य, पीसी गुप्ता और जीडी गुप्ता के वंशज हैं. सहयोगी कंपनियों के अनुमोदन के बिना जेएमएन में विदेशी इक्विटी के माध्यम से शेयरों के मालिकाना हक के हस्तांतरण से ब्रांड कमजोर होगा, और हम पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा.” यह मामला अभी कोर्ट में है, लेकिन ये दैनिक जागरण ब्रांड की शुरुआत में गुरुदेव गुप्ता और जेसी आर्य की भूमिका पर रोशनी डालता है.
हालांकि जेपीएल और जेएमएन में केवल पीसी गुप्ता के परिवार की हिस्सेदारी है, आरएनआई के आंकड़े इस बात की पुष्टि करते हैं कि दैनिक जागरण के 39 संस्करणों में से चार जेपीएल के तहत पंजीकृत नहीं हैं. रीवा संस्करण ज्ञान स्वरूप गुप्ता के नाम पर पंजीकृत है, ग्वालियर संस्करण जागरण पब्लिकेशन्स के तहत, झांसी संस्करण दैनिक जागरण एलएलपी के तहत और भोपाल संस्करण गुरुदेव गुप्ता के नाम पर पंजीकृत है.
इस बीच, विलय और अधिग्रहण के ज़रिए जेपीएल का लगातार विस्तार हुआ है.
जेपीएल ने सबसे पहले मिड-डे मल्टीमीडिया लिमिटेड (एमएमएल) के प्रिंट बिजनेस, मिड-डे इंफोमीडिया लिमिटेड (एमआईएल) का अधिग्रहण किया, जो मुंबई से प्रकाशित दोपहर के दैनिक मिड-डे के लिए जाना जाता है. इसका स्वामित्व अंसारी परिवार के पास था. यह एक नगदी रहित सौदा था, जिसमें एमएमएल के हर सात शेयरों के बदले, उसके शेयरधारकों को जेपीएल के दो शेयर मिले. जेपीएल का उद्देश्य अंग्रेजी मीडिया के क्षेत्र में प्रवेश करने का था. तब मिड-डे मुंबई, पुणे, बैंगलोर और दिल्ली से छपता था.
दो साल बाद जेपीएल ने 150 करोड़ रुपए में मध्य-प्रदेश से प्रकाशित हिंदी दैनिक नई दुनिया का भी अधिग्रहण कर लिया. इस अखबार की शुरुआत 1947 में तिवारी, सेठिया और छजलानी परिवारों ने साथ मिलकर की थी.
2015 में समूह ने रेडियो की दुनिया में भी कदम रखा, जब उसने रेडियो सिटी का संचालन करने वाली म्यूजिक ब्रॉडकास्ट प्राइवेट लिमिटेड का अधिग्रहण किया. उस समय एमबीपीएल का राजस्व आधार 209.4 करोड़ रुपए था और विकास दर 30 प्रतिशत के करीब थी.
वर्तमान में समूह के प्रमुख समाचार पत्र दैनिक जागरण के अलावा इसके पास दैनिक जागरण राष्ट्रीय संस्कार, पंजाबी जागरण, शिक्षा और करियर समाचार के लिए जागरण जोश और जागरण जोश प्लस, संध्या जागरण, साहित्यिक पत्रिका पुनर्नवा और मासिक महिला पत्रिका जागरण सखी हैं. सखी का एक संस्करण दिल्ली से निकलता है. समूह का सुबह का द्विभाषी अखबार आई नेक्स्ट, 18 से 35 साल की उम्र वालों के लिए है, और इसके उत्तर भारत के छोटे शहरों में 13 संस्करण हैं. जेपीएल के साप्ताहिक अंग्रेजी टैब्लॉयड सिटी प्लस के संस्करण तीन शहरों में हैं. साथ ही एमआईएल से प्राप्त प्रकाशनों में मिड-डे, संडे मिड-डे, मिड-डे (गुजराती) के साथ-साथ उर्दू अखबार इंकलाब भी है, जिसके सात शहरों में संस्करण हैं. नई दुनिया चार शहरों में उपलब्ध है.
जब से जागरण ने रेडियो सिटी का अधिग्रहण किया है, यह रेडियो चैनल सात राज्यों के 20 एफएम स्टेशनों से बढ़कर 39 शहरों में पहुंच गया है.
इसके डिजिटल प्रभाग जागरण न्यू मीडिया में मौजूदा प्रकाशनों के ऑनलाइन संस्करणों के अलावा herzindagi.com, vishvasnews.com और onlymyhealth.com शामिल हैं. इसमें पॉडकास्ट, करंट अफेयर्स और अन्य प्रकाशनों के लिए एप भी हैं. जागरण इंटरनेशनल भारत के बाहर जेपीएल के उत्पादों का विपणन करता है.
स्वामित्व
पिछले तमाम वर्षों से जागरण समूह का नेतृत्व और स्वामित्व पूरन चंद्र गुप्ता के परिवार के पास रहा है. पीसी गुप्ता के निधन के बाद उनके बड़े बेटे नरेंद्र मोहन ने पदभार संभाला. उन्हें प्रिंट मीडिया में विदेशी निवेश हेतु सक्रिय रूप से प्रचार करने के लिए जाना जाता है. उनके बाद समूह की बागडोर योगेंद्र मोहन ने संभाली, जो कला और संस्कृति के विकास में महत्वपूर्ण योगदान के लिए जाने जाते हैं. कानपुर की लक्ष्मी देवी ललित कला अकादमी के पीछे उन्हीं की प्रेरणा थी. वर्तमान में महेंद्र मोहन, समूह के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक हैं. पीसी गुप्ता के तीन और बेटे - देवेंद्र मोहन, धीरेंद्र मोहन और शैलेंद्र मोहन - जेपीएल के पूर्णकालिक निदेशक हैं.
परिवार की अगली पीढ़ी भी समूह में शामिल हो गई है. नरेंद्र मोहन के बड़े बेटे संजय, आज एक पूर्णकालिक निदेशक, सीईओ और साथ ही प्रधान संपादक भी हैं. उनके छोटे बेटे के साथ-साथ अन्य पांच भाइयों के बच्चे भी निदेशक पद पर हैं.
जेपीएल की होल्डिंग कंपनी जागरण मीडिया नेटवर्क प्राइवेट लिमिटेड के पास 68.56% शेयर्स हैं, (महेंद्र मोहन और उनके बेटे द्वारा शुरू की गई) वीआरएसएम एंटरप्राइजेज एलएलपी, जो प्रमोटर समूह का हिस्सा है, के पास 0.19% हिस्सेदारी है. परिवार के सदस्यों के व्यक्तिगत शेयरों को मिलाकर, प्रमोटरों और प्रमोटर समूह की कुल हिस्सेदारी 69.41% है.
शेष 30.59% हिस्सेदारी जनता के पास है. सार्वजनिक शेयरधारक संस्थानों में एचडीएफसी ट्रस्टी कंपनी लिमिटेड की 9.62% हिस्सेदारी प्रमुख है. प्रवासी भारतीय और कुछ निगम भी महत्वपूर्ण शेयरधारक हैं.
जेपीएल में परिवार के सदस्यों की व्यक्तिगत हिस्सेदारी नगण्य है, लेकिन चूंकि उनके पास जागरण मीडिया नेटवर्क का 100% हिस्सा है, जो सबसे बड़ा शेयरधारक है, परिवार अप्रत्यक्ष रूप से शेयरों का बड़ा हिस्सा रखता है.
लेकिन जागरण मीडिया नेटवर्क पर किसी एक व्यक्ति का नियंत्रण नहीं है. सारे शेयर, परिवार के 18 सदस्यों के बीच बंटे हुए हैं और व्यक्तिगत मालिकाना हक बहुत कम है. छह भाइयों के परिवारों के बीच विभाजन लगभग बराबर है.
नरेंद्र मोहन की पत्नी और बच्चों के पास कुल 17.65 प्रतिशत शेयर हैं. योगेंद्र मोहन के परिवार के पास 17.64 फीसदी, महेंद्र मोहन व परिवार के पास 14.11 फीसदी, धीरेंद्र मोहन व परिवार के पास 16.17 फीसदी, देवेंद्र मोहन व परिवार के पास 16.19 फीसदी और शैलेंद्र मोहन व परिवार के पास जेएमएन में 16.19 प्रतिशत हिस्सेदारी है.
गुप्ता परिवार राजनीति में भी सक्रिय रहा है. नरेंद्र मोहन उत्तराखंड से भाजपा के राज्यसभा सांसद थे, जिन्हें लालकृष्ण आडवाणी अपना निजी मित्र मानते थे. उनकी मृत्यु के एक साल बाद 2003 में उनकी स्मृति में सरकार द्वारा एक डाक टिकट जारी किया गया था. गौरतलब है कि उनके पिता की स्मृति में डाक टिकट इसके नौ साल बाद जारी किया गया.
महेंद्र मोहन भी 2006 में समाजवादी पार्टी के टिकट पर यूपी से राज्यसभा सांसद चुने गए थे. इस उद्योग के कई निकायों के महत्वपूर्ण पदों पर भी गुप्ता परिवार का कब्ज़ा है.
इसके निदेशकों में पूर्व अध्यक्ष और जेएलएल के कंट्री हेड (जोन्स लैंग लासाल) अनुज पुरी, प्रसिद्ध पीआर एजेंसी परफेक्ट रिलेशंस के संस्थापक दिलीप चेरियन, आईआईएम अमृतसर की गवर्निंग काउंसिल के सदस्य जयंत डावर, आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज लिमिटेड के पूर्व कार्यकारी उपाध्यक्ष रवि सरदाना, जीएफएल, आईनॉक्स इंफ्रास्ट्रक्चर और कई अन्य उद्योगों में निदेशक शैलेंद्र स्वरूप और आईपीजी मीडिया ब्रांड्स इंडिया के सीईओ व ऑडिट ब्यूरो ऑफ सर्कुलेशन के निदेशक शशिधर सिन्हा जैसे कुछ प्रमुख नाम शामिल हैं.
आय का लेखा-जोखा
समूह के प्रिंट और डिजिटल राजस्व को, संयुक्त वित्तीय स्टेटमेंट्स में साथ दिखाया गया है. महामारी के बाद राजस्व में गिरावट के बावजूद यह विभाग तगड़ा मुनाफा कमा रहा है. वित्तीय वर्ष 2022 में जेपीएल की प्रिंट और डिजिटल आय, 2019 में 1,903 करोड़ रुपए की तुलना में 29 प्रतिशत कम है. लेकिन तब भी 2019 के मुकाबले, 31 प्रतिशत गिरावट के बावजूद मुनाफा 288 करोड़ रुपए है.
2019 से 2020 तक, रेडियो के राजस्व में 24 प्रतिशत और मुनाफे में 50 प्रतिशत की गिरावट देखी गई है. दो साल से लगातार घाटा हो रहा है. कंपनी को 2021 में 64.80 करोड़ रुपए और 2022 में 42 करोड़ रुपए का घाटा हुआ.
समूह के अन्य संभावित आय स्रोतों में मार्केटिंग सेवाओं से प्राप्त राजस्व शामिल हो सकता है, क्योंकि जेपीएल के वित्तीय विवरण में कहा गया है कि कंपनी की अन्य गतिविधियों में आउटडोर विज्ञापन व्यवसाय, इवेंट मैनेजमेंट, सक्रियण व्यवसाय और डिजिटल व्यवसाय शामिल हैं.
यहां भी राजस्व में घाटा हुआ, जो 2020 में 120 करोड़ रुपए से घटकर 2021 में 56.65 करोड़ रुपए हो गया. लेकिन 2022 में इसमें सुधार भी हुआ और राजस्व बढ़कर 98 करोड़ रुपए हो गया. इसके अलावा वित्तीय वर्ष 2021 में 10 करोड़ के नुकसान को पाटते हुए इसने वित्तीय वर्ष 2022 में 2.5 करोड़ रुपए का मुनाफा दिखाया है.
जेपीएल की सहायक कंपनियां मिडडे इनफोमीडिया लिमिटेड (एमआईएल), म्यूजिक ब्रॉडकास्ट लिमिटेड (एमबीएल), लीट ओओएच मीडिया प्राइवेट लिमिटेड, एक्स-पर्ट पब्लिसिटी प्राइवेट लिमिटेड और एमएमआई ऑनलाइन लिमिटेड हैं. जेपीएल की जीडी-गुप्ता-परिवार द्वारा संचालित जागरण पब्लिकेशंस प्राइवेट लिमिटेड में 25.71 प्रतिशत हिस्सेदारी है, जागरण प्रकाशन (एमपीसी) प्राइवेट लिमिटेड में 32.14 प्रतिशत हिस्सेदारी है साथ ही जेपीएल के पास दोनों में 50 प्रतिशत मतदान का अधिकार है.
प्रकाशन के समय, जागरण प्रकाशन लिमिटेड की कुल मार्केट वैल्यू 1724 करोड़ थी.
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