Khabar Baazi

द वायर और उसके संपादकों के खिलाफ दिल्ली पुलिस ने दर्ज किया केस

बीजेपी आईटी सेल प्रमुख अमित मालवीय की शिकायत पर दिल्ली पुलिस ने द वायर और उसके संपादकों के खिलाफ केस दर्ज कर लिया है.

मालवीय ने दिल्ली पुलिस के विशेष आयुक्त (अपराध) को अपनी शिकायत दी थी. जिसमें ‘द वायर’, उसके संस्थापक संपादकों सिद्धार्थ वरदराजन, सिद्धार्थ भाटिया और एम. के. वेणु, डिप्टी एडिटर और एग्जीक्यूटिव न्यूज़ प्रोड्यूसर जाह्नवी सेन, फाउंडेशन फॉर इंडिपेंडेंट जर्नलिज्म और अन्य अज्ञात लोगों का नाम दिया है. 

पुलिस ने भारतीय दंड संहिता की धाराओं 420 (धोखाधड़ी), 468, 469 (फर्जीवाड़ा), 471 (ठगी), 500 (मानहानि), 120बी (आपराधिक साजिश) और 34 (आपराधिक गतिविधि) में केस दर्ज किया है. 

मालवीय पश्चिम बंगाल में बीजेपी से सह प्रभारी भी हैं. उन्होंने दिल्ली पुलिस को अपनी शिकायत भेजने से पहले एक बयान भी जारी किया था. जिसमें उन्होंने कहा था कि वायर ने फर्जी दस्तावेजों के जरिए उनकी छवि और प्रतिष्ठा को धूमिल करने की कोशिश की है. 

एक ओर जहां दिल्ली पुलिस ने द वायर और उसके संपादकों के खिलाफ केस दर्ज किया है. वहीं द वायर ने रिसर्चर देवेश कुमार के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज कराई है. वायर ने देवेश पर मनगढ़ंत ब्यौरा पेश करने का आरोप लगाते हुए पुलिस में शिकायत की है. हालांकि दिल्ली पुलिस ने अभी तक देवेश के खिलाफ केस दर्ज नहीं किया है. 

बता दें कि मालवीय ने अपनी शिकायत में देवेश का नाम नहीं लिया था. और ना ही दिल्ली पुलिस की एफआईआर में उसका नाम है.

बीजेपी नेता द्वारा शिकायत दर्ज कराने से पहले द वायर ने एक बयान जारी किया था. मीडिया संस्थान ने बताया, “पत्रकार कहानियों के लिए स्रोतों पर भरोसा करते हैं और उनसे प्राप्त सामग्री को सत्यापित करने के लिए अपनी पूरी कोशिश करते हैं.” 

द वायर ने कहा कि उन्हें गलत जानकारी देकर गुमराह किया गया और उन्होंने इसके लिए माफ़ी भी मांगी है. उन्होंने कहा, “किसी भी प्रकाशन के जीवन में, एक बार ऐसा अवसर आ सकता है जब उसे गलत जानकारी दी जाती है.”

बता दें कि इससे पहले गुरुवार को द वायर ने सोशल मीडिया कंपनी फेसबुक और इंस्टाग्राम की मालिक कंपनी मेटा के खिलाफ की गई अपनी रिपोर्ट्स वापस ले ली थीं. साथ ही द वायर ने इसके लिए माफी भी मांगी थी.  

द वायर ने जारी एक बयान में कहा, “उसने बाहरी विशेषज्ञों की मदद से उपयोग की जाने वाली तकनीकी स्रोत सामग्री की आंतरिक समीक्षा करने के बाद मेटा रिपोर्ट्स को हटाने का निर्णय लिया.”

इस मामले पर विस्तृत जानकारी के लिए न्यूज़लॉन्ड्री की रिपोर्ट पढ़ें.

यह एक विज्ञापन नहीं है. कोई विज्ञापन ऐसी रिपोर्ट को फंड नहीं कर सकता, लेकिन आप कर सकते हैं, क्या आप ऐसा करेंगे? विज्ञापनदाताओं के दबाव में न आने वाली आजाद व ठोस पत्रकारिता के लिए अपना योगदान दें. सब्सक्राइब करें.

Also Read: मेटा के खिलाफ अपनी खबर को लेकर द वायर ने जारी किया माफीनामा

Also Read: द वायर और मेटा के बीच चल रहे द्वंद का क्या है पूरा मामला?