अतुल चौरसिया और हरीश रावत की तस्वीर
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हरीश रावत: बेटा चुनाव लड़ रहा है, जिताना तो पड़ेगा

न्यूज़लॉन्ड्री का कारवां उत्तराखंड के चुनावी माहौल का जायजा लेने देहरादून पहुंचा था. जहां से हमने ‘एक चुनावी शो’ के जरिए युवा मतदाताओं के ‘मन की बात’ भी समझने की कोशिश की. इसी दौरान हमने उत्तराखंड के एक वरिष्ठ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत का मन भी टटोलने की कोशिश की. बातचीत के जरिए उनसे जुड़े तमाम अफवाहों और प्रदेश में चुनाव प्रचार से उनकी दूरी को लेकर भी सवाल पूछे. वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने इस दौरान खुलकर सवालों के जवाब दिए. 

रावत फिलहाल, कांग्रेस कार्य समिति के सदस्य हैं. वह साल 2014 में मुख्यमंत्री बने थे. हालांकि, 2016 में बगावत के बाद उनकी सरकार गिर गई. फिर 2017, 2022 विधानसभा और 2019 लोकसभा के चुनावों में उन्हें लगतार हार मिली. इस बार वे खुद किसी सीट से चुनाव नहीं लड़ रहे हैं. लेकिन उनके बेटे वीरेंद्र रावत इस बार हरिद्वार लोकसभा सीट से चुनाव लड़ रहे हैं. 

रावत का कहना है कि इस बार जनता बदलाव के पक्ष में वोट करने वाली है. उन्होंने दावा किया कि उत्तराखंड में 5 सीटों समेत इंडिया गठबंधन को पूरे भारत में 250 से 300 सीटों पर जीत मिलने की संभावना है. 

इसके अलावा रावत से राज्य में मिली लगातार हार, कांग्रेस नेताओं का ऐन चुनावी मौसम में पाला बदलना, प्रदेश में पारित समान नागरिक संहिता और बेटे को टिकट मिलने पर लग रहे परिवारवाद के आरोपों पर भी सवाल जवाब हुए. 

साथ ही उनके प्रदेश में चुनाव प्रचार से दूर रहने को लेकर भी सवाल किया गया. जिसके जवाब में रावत ने कहा कि पार्टी ने उनसे राज्य में चुनाव प्रचार करने के लिए बोला ही नहीं है. 

देखिए हरीश रावत से ये पूरी बातचीत. 

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