भाजपा जिला अध्यक्ष की तस्वीर. पृष्ठभूमि में मकबरे पर विवाद के दौरान की तस्वीर.
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फतेहपुर मकबरा विवाद: हिंसा के मामले में 10 दिन बाद भी नहीं हुई आरोपियों की गिरफ्तारी

उत्तर प्रदेश के फतेहपुर ज़िले में 11 अगस्त को एक मकबरे को लेकर बड़ा विवाद खड़ा हो गया. शहर के अबूनगर रेडइया इलाके में स्थित नवाब अब्दुल समद के मकबरे को हिंदू संगठनों ने प्राचीन मंदिर घोषित करते हुए वहां पूजा-अर्चना की और भगवा झंडा फहराया. इस पूरे घटनाक्रम में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के ज़िला अध्यक्ष और अन्य हिंदू संगठनों से जुड़े नेताओं की मौजूदगी में यह सब  हुआ. घटना के बाद से इलाके में सांप्रदायिक तनाव बना हुआ है.

11 अगस्त को कुछ हिंदू संगठनों के कार्यकर्ता भारी संख्या में अबूनगर स्थित नवाब अब्दुल समद के मकबरे पर पहुंचे. उन्होंने इस स्थान को ठाकुर जी और शिव जी का मंदिर बताते हुए वहां पूजा-अर्चना शुरू कर दी. वायरल हुए वीडियो में कुछ लोग घंटी बजाते, आरती करते, और भगवा झंडा लहराते दिखाई दे रहे हैं. कई युवक मकबरे के ऊपर चढ़े हुए भी देखे गए. यह सब कुछ पुलिस की मौजूदगी में हुआ.

एफआईआर दर्ज, लेकिन प्रमुख चेहरों का नाम नदारद

इस मामले में अबूनगर चौकी प्रभारी विनीत कुमार उपाध्याय की तहरीर पर भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धाराओं 190, 191(2), 191(3), 196, 301, सार्वजनिक संपत्ति क्षति निवारण अधिनियम और 7 क्रिमिनल लॉ एक्ट के तहत एफआईआर दर्ज की गई है.

एफआईआर में अभी 10 लोगों को नामजद किया गया है. अभिषेक शुक्ला, धर्मेंद्र सिंह, आशीष त्रिवेदी, पप्पू सिंह चौहान, प्रसून तिवारी, रितिक पाल, विनय तिवारी (सभासद), पुष्पराज पटेल, अजय सिंह उर्फ रिंकू लाहोरी, देवनाथ धाकड़े के अलावा 150 अज्ञात लोगों के खिलाफ भी मामला दर्ज किया गया है.

हालांकि, जिनके नेतृत्व में यह घटना घटी यानि भाजपा ज़िला अध्यक्ष मुखलाल पाल, हिंदू महासभा के प्रांत उपाध्यक्ष मनोज त्रिवेदी और विश्व हिंदू परिषद के प्रांतीय उपाध्यक्ष वीरेंद्र पांडेय उनका नाम एफआईआर में नहीं है, जबकि इनकी उपस्थिति वीडियो में स्पष्ट रूप से दर्ज है. इस मामले में अभी तक किसी की गिरफ्तारी भी नहीं हुई है.

इस मामले में चौकी प्रभारी विनीत उपाध्याय ने केवल इतना बताया कि अभी किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई है, टीमें गठित कर दी गई हैं और गिरफ्तारी की कोशिश की जा रही है. इसके अलावा उन्होंने किसी सवाल का उत्तर नहीं दिया.

कांग्रेस के तीन बार के सभासद शादाब अहमद के घर पर घटना के दो दिन बाद 30 से अधिक पुलिसकर्मी दबिश देने पहुंचे. इस बारे में न्यूज़लॉन्ड्री से बात करते हुए उन्होंने कहा, “जिन्होंने इस माहौल को खराब होने से बचाने की कोशिश की, पुलिस आज उन्हीं लोगों को टारगेट करके उनके घरों पर दबिश डाल रही है. जिन लोगों के खिलाफ मुकदमा पंजीकृत हुआ है न तो उन्हें पकड़ा जा रहा है और न ही उनके घरों पर दबिश डाली जा रही है. आरोपियों में अभी तक किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई है, जबकि वे लगातार वीडियो बना रहे हैं और मीडिया से भी बात कर रहे हैं. इत्तेफाक था कि दबिश के दौरान मैं घर पर नहीं था, वरना पता नहीं मेरा क्या होता. मेरा कुसूर सिर्फ इतना है कि मैंने वीडियो के माध्यम से जिन लोगों ने मकबरे पर आकर हमला किया और उपद्रव किया, उनके खिलाफ कार्रवाई की मांग की थी.”

शादाब ने आगे बताया, “11 अगस्त की घटना से पहले ही हिंदू संगठनों के लोग सोशल मीडिया पर वहां जाने और पूजा करने की घोषणा कर रहे थे. तब न हमारे काज़ी जागे और न ही पुलिस प्रशासन. जबकि इस घटना को रोका जा सकता था. भाजपा ज़िला अध्यक्ष मुखलाल पाल, विहिप प्रांत उपाध्यक्ष वीरेंद्र पांडेय और हिंदू महासभा के मनोज त्रिवेदी जैसे लोग तोड़फोड़ करने वाली भीड़ को लीड कर रहे थे. लेकिन अभी तक उनकी कोई गिरफ्तारी नहीं हुई है.”

भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा के उत्तर प्रदेश मीडिया प्रभारी फैजान रिज़वी कहते हैं, “मैंने भाजपा सदस्यता अभियान के तहत पिछले दिनों एक हज़ार मुसलमानों को सदस्यता दिलवाई है. लेकिन इस घटना ने यहां लोगों के भाईचारे को दो धड़ों में बांट दिया है. इसकी ज़िम्मेदार भाजपा और हिंदू संगठन हैं. मैं इस घटना की शिकायत पार्टी के शीर्ष नेतृत्व तक ले जाऊंगा.”

वहीं स्थानीय निवासी वकार ने बताया, “जो भी मकबरे की तरफ जाने के रास्ते हैं, सभी पर बैरिकेडिंग कर दी गई है. स्थानीय लोगों को भी आधार कार्ड दिखाने के बाद ही एंट्री दी जा रही है. मकबरे से एक किलोमीटर दूरी तक मीडिया कवरेज पर पूरी तरह पाबंदी है. पूरा इलाका छावनी में तब्दील हो चुका है.”

उधर, इस मामले को लेकर प्रदेश की सियासत गर्मा गई है. जहां समाजवादी पार्टी सत्ता दल पर प्रदेश का माहौल खराब करने का आरोप लगा रही है वहीं सत्ता दल विपक्ष पर राजनीति करने का आरोप लगा रहा है.  

जामिया मिलिया इस्लामिया में हिन्दी विभाग के पूर्व अध्यक्ष और वरिष्ठ लेखक असग़र वजाहत फतेहपुर के मूल निवासी हैं. उन्होंने न्यूज़लॉन्ड्री से बात करते हुए कहा, “इस मकबरे का इतिहास बहुत पुराना है, इसकी जानकारी किसी से छिपी नहीं है. यह नवाब अब्दुल समद का मकबरा है, इसमें कोई विवाद नहीं है. लेकिन अब ऐसे समय में विवाद खड़ा करना आसान है. यह देश और समाज के लिए हानिकारक है. जो लोग देश से प्रेम करते हैं, एकता और सद्भाव बनाए रखना चाहते हैं उनके लिए यह चिंताजनक है.”

उन्होंने आगे कहा, “हम लोग बचपन से इस मकबरे को देखते आ रहे हैं. पहले यह इलाका उजाड़ था, आसपास जंगल था. लोग इस मकबरे को अच्छी तरह जानते हैं. जो कुछ हुआ, वह बेहद दुखद है. यह जानबूझकर एकता को खंडित करने की कोशिश है.”

क्या कहते हैं हिंदू संगठनों से जुड़े लोग

जब भाजपा ज़िला अध्यक्ष मुखलाल पाल से बात करने की कोशिश की गई, तो उनके पीएसओ कुलदीप ने कहा कि वे आपसे बात तभी करेंगे जब संस्थान का सोशल मीडिया लिंक भेजा जाएगा.

वहीं, विश्व हिंदू परिषद के प्रदेश उपाध्यक्ष वीरेंद्र पांडेय ने कहा, “हर जगह पर दंगा मुसलमान करता है, हिंदू नहीं करता. लेकिन यहां हिंदू ताकतवर है, इसलिए मुसलमान दबता है.” 

“मैं विहिप का प्रदेश उपाध्यक्ष हूं, मेरा वहां होना लाजिमी था. वहां 400 साल पुराना मंदिर है और इसके बगल में जो मजार बनाई गई है, वह 100-150 साल पुरानी है. हम शांतिपूर्वक मंदिर देखने गए थे. किसी के मन में कुछ करने का इरादा नहीं था, लेकिन वहां दूसरे पक्ष की ओर से तलवार, भाले और पत्थरबाजी शुरू हो गई जिसमें कई हिंदू घायल भी हुए. उसके बाद लोगों को गुस्सा आ गया. जो भी हुआ वह क्रिया की प्रतिक्रिया है. क्योंकि मंदिर देखने के लिए सिर्फ 200 लोग गए थे, 7-8 हजार लोग चौराहे पर खड़े थे. जो हुआ, वह ठीक नहीं हुआ, हम उसकी निंदा करते हैं. लेकिन विश्व हिंदू परिषद में होने के नाते हर आंदोलन का नेतृत्व करना मेरा धर्म और कर्तव्य है.” उन्होंने कहा.

राजनीतिक दलों की प्रतिक्रियाएं

इस विवाद को लेकर समाजवादी पार्टी ने भी सख्त रुख अपनाया है. सपा नेता पप्पू सिंह चौहान, जो घटनास्थल पर मौजूद थे, को पार्टी ने निष्कासित कर दिया है. इसके बाद उन्होंने कहा, “मैं हिंदू सनातनी हूं, इसलिए हिंदुओं का साथ देता रहूंगा. अब मैं समाजवादी पार्टी का हिस्सा नहीं हूं और इस पार्टी से इस्तीफा देता हूं.”

पप्पू चौहान को पार्टी से निष्कासित किए जाने का पत्र.

उधर, उत्तर प्रदेश विधानसभा में यह मामला गरमा गया. सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने भाजपा पर समाज को बांटने का आरोप लगाया, जबकि उपमुख्यमंत्री बृजेश पाठक ने विपक्ष को राजनीतिक लाभ लेने का दोषी बताया.

हिंदू महासभा की चेतावनी

अखिल भारत हिंदू महासभा ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखते हुए एकतरफा कार्रवाई का आरोप लगाया है. महासभा ने मांग की है कि दोनों पक्षों पर एफआईआर दर्ज हो और निर्माण कार्य को लेकर प्रशासनिक अधिकारियों पर भी मुकदमा दर्ज किया जाए. इसके चलते उन्होंने कि 19 अगस्त को फतेहपुर में प्रदर्शन करने की कोशिश की. अखिल भारत हिंदू महासभा के प्रवक्ता शिशिर चतुर्वेदी ने बताया कि वो लोग प्रदर्शन के लिए फतेहपुर जा रहे थे लेकिन उससे पहले ही उन्हें लखनऊ पुलिस नजरबंद कर लिया. मालूम हो कि महासभा ने प्रदर्शन की चेतावनी देते हुए सीएम योगी को पत्र भी लिखा था.

हिंदू महासभा की ओर से लिखा गया पत्र.

पुलिस के हाथ अब भी खाली

वहीं, घटना पर पुलिस अधीक्षक अनुप कुमार सिंह ने बताया, "इस मामले में अभी तक किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई है. हम लगातार प्रयास कर रहे हैं, और जैसे ही कोई गिरफ्तारी होती है हम आपको इसकी जानकारी देंगे."

जब उनसे पूछा गया कि एफआईआर में उन लोगों के नाम क्यों शामिल नहीं हैं जो भीड़ का नेतृत्व कर रहे थे, इस सवाल पर उन्होंने कहा, "देखिए, जिन लोगों के नाम एफआईआर में शामिल नहीं हैं, उनका नाम विवेचना के दौरान सामने आ जाएगा." 

वे आगे कहते हैं कि इस मामले में एक और एफआईआर दर्ज की गई है, जो उन लोगों के खिलाफ है जिन्होंने सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक सामग्री पोस्ट की थी. इसके इतर सोशल मीडिया पर भड़काऊ पोस्ट करने के चलते अशोका थाने से एक व्यक्ति के खिलाफ धारा 151 के तहत चालान किया गया था. पुलिस अधीक्षक ने यह भी कहा कि फिलहाल इलाके में शांति व्यवस्था कायम है.

नजरबंदी के दौरान पुलिस के साथ शिशिर चतुर्वेदी.

फतेहपुर पुलिस ने 15 अगस्त को और एफआईआर दर्ज की हैं. पुलिस ने अपने प्रेस नोट में कहा कि सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर भड़काऊ पोस्ट/अभद्र टिप्पणी करने के संबंध में थाना कोतवाली नगर पर तीन अभियोग पंजीकृत कर नियमानुसार विधिक कार्यवाही की जी रही है.

फतेहपुर में 11 अगस्त को हुए बवाल के बाद से जिला प्रशासन द्वारा लगातार सोशल मीडिया पर निगरानी की जा रही है. भड़काऊ पोस्ट करने वालों चिन्हित किया जा रहा है.

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