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पुष्कर सिंह धामी द्वारा भोजन की मेज पर लोगों को पैसे परोसते हुए एक चित्र।
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उत्तराखंड: प्रचार पर दारोमदार, 5 साल में उड़ाए 1001 करोड़, टीवी वालों की जेब में 426 करोड़

5 नवंबर, 2021 को भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, उत्तराखंड के केदारनाथ पहुंचे थे. जैसा अक्सर होता है कि भारतीय मीडिया ने इसकी पल-पल की कवरेज लाइव दिखाई. इसके अलावा इसी भ्रमण को लेकर उत्तराखंड की पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व वाली बीजेपी सरकार ने लोगों को मैसेज भी भेजा. जिसपर 49.73 लाख रुपये खर्च हुए हैं.

ये कोई अकेला मामला नहीं है. इसी तर्ज पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कई बार मैसेज भेजे हैं. ये ऐसे मैसेज हैं जो आपने शायद पढ़े भी न हों. लेकिन इन मैसेजेस को आप तक पहुंचाने में सरकार ने लाखों रुपये खर्च कर दिए हैं.  

दरअसल, बीते साल 13 जुलाई 2024 को हरेला पर्व के मौके पर प्रदेशवासियों को व्हाट्सएप के जरिए बधाई संदेश भेजे गए. इस पर 37.48 लाख रुपये खर्च किए गए. यही नहीं इसके ठीक एक महीने बाद एक बार फिर 13 अगस्त को हरेला पर बधाई संदेश भेजा, इस बार भी 37.45 लाख रुपये खर्च किए गए यानी एक हरेला त्यौहार के मौके पर मुख्यमंत्री ने जनता को दो बार बधाई दी, जिसपर 75 लाख रुपये खर्च किए. 

इसी तरह अगर आप पीवीआर सिनेमा हॉल में फिल्म देखने गए हों तो उत्तराखंड सरकार का विज्ञापन देखा ही होगा. धामी सरकार ने साल 2023-24 में इस तरह के विज्ञापनों पर 17.44 करोड़ रुपये खर्च किए है. 

यह तो बस कुछेक उदाहरण हैं. 

पिछले पांच सालों में उत्तराखंड की भारतीय जनता पार्टी सरकार ने विज्ञापनों पर कुल 1001.07 करोड़ रुपये खर्च किए हैं. इस हिसाब से औसतन प्रति दिन लगभग 55 लाख रुपये सिर्फ प्रचार-प्रसार पर खर्च किए गए.

न्यूज़लॉन्ड्री के पास वित्त वर्ष 2020-21 से लेकर 2024-25 तक उत्तराखंड सरकार द्वारा विज्ञापनों पर किए गए खर्च के दस्तावेज मौजूद हैं. ये आंकड़ें बताते हैं कि पुष्कर सिंह धामी के मुख्यमंत्री बनने से पहले विज्ञापनों पर सरकार कम खर्च करती थी,  लेकिन उनके सत्ता में आने के बाद खर्च तेजी से बढ़ा है.

2020-21 में जब प्रदेश के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र्र सिंह रावत थे, उस वर्ष विज्ञापनों पर कुल खर्च 77.71 करोड़ रुपये  था. मार्च, 2021 में त्रिवेंद्र सिंह रावत ने इस्तीफा दे दिया. उनकी जगह तीरथ सिंह रावत मुख्यमंत्री बने. फिर रावत ने भी 4 जुलाई 2021 को इस्तीफा दे दिया और पुष्कर सिंह धामी प्रदेश के मुख्यमंत्री बने.

धामी के मुख्यमंत्री बनने के बाद साल 2021-22 में विज्ञापनों पर यही खर्च चार गुना तक बढ़ कर 227.35 करोड़ रुपये हो गया. और बीते साल यानि 2024-25 में यह खर्च 290.29 करोड़ रुपये तक पहुंच गया. 

इस तरह उत्तराखंड राज्य सरकार ने विज्ञापनों पर काफी पैसा खर्च किया. स्टोरी के इस हिस्से में हम आपको टेलीविजन मीडिया पर हुए खर्च पर विस्तार से बात करेंगे. 

पांच सालों में 426 करोड़ से ज्यादा का विज्ञापन

पिछले पांच सालों में उत्तराखंड सरकार ने टेलीविजन मीडिया को दिए गए विज्ञापनों पर लगभग 427 करोड़ रुपये खर्च किए हैं. इसमें से 402 करोड़ रुपये बीते चार सालों में दिए गए हैं.  इन चार सालों के दौरान धामी मुख्यमंत्री की कुर्सी पर थे, सिवाय 2021-22 के तीन महीने को छोड़कर जब तीरथ सिंह रावत सीएम थे. 

टीवी के अलावा धामी के कार्यकाल में समाचार पत्रों (129.6 करोड़ रुपये), डिजिटल (61.9 करोड़ रुपये), रेडियो (30.9 करोड़ रुपये), फिल्म (23.4 करोड़ रुपये), एसएमएस (40.4 करोड़ रुपये), आउटडोर विज्ञापन (49.5 करोड़ रुपये), पुस्तिकाओं (56 करोड़ रुपये) और समाचार पत्र एजेंसियों (128.7 करोड़ रुपये) पर कुल 923 करोड़ रुपये खर्च किए गए. 

बीजेपी सरकार ने सिर्फ प्रदेश के क्षेत्रीय और राष्ट्रीय समाचार चैनलों को विज्ञापन दिए बल्कि नागालैंड, ओडिशा और असम सहित देश के विभिन्न हिस्सों में संचालित छोटे-बड़े समाचार चैनलों को भर-भर के विज्ञापन दिए हैं. 

इन चार सालों में, राष्ट्रीय चैनलों को कुल 105.7 करोड़ रुपये का भुगतान हुआ. इनमें सबसे ज्यादा न्यूज़ 18 इंडिया को मिले हैं. जो बीते चार सालों से लगातार शीर्ष पर है. मालूम हो कि रिलायंस के स्वामित्व वाले नेटवर्क 18 समूह को अकेले 2024-25 में 5.69 करोड़ रुपये प्राप्त हुए.

वहीं, बीते वित्तीय वर्ष 2024-25 में, टाइम्स नाउ को 4.79 करोड़ रुपये, जबकि आजतक सहित टीवी टुडे नेटवर्क को 4.62 करोड़ रुपये मिलने का जिक्र है. इस साल एनडीटीवी ने भी लाभार्थी के रूप में पहली बार महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिसने अडाणी समूह द्वारा अधिग्रहण के कुछ महीनों बाद 2.88 करोड़ रुपये कमाए.

वहीं, क्षेत्रीय चैनलों को कुल 296.8 करोड़ रुपये दिए गए, जो राष्ट्रीय चैनलों को दी गई राशि से कहीं ज़्यादा है. दरअसल, 2021-22 में, जब राज्य के विधानसभा चुनावों हो रहे थे तो इन चैनलों को 98.79 करोड़ रुपये का विज्ञापन दिया गया. कुल 38 क्षेत्रीय चैनलों को ये सरकारी धन मिला, जिनमें से छह चैनलों को 4 करोड़ रुपये और 9 चैनलों को 3 करोड़ रुपये से ज़्यादा मिले. 

धामी के कार्यकाल में हुए खर्च पर एक निगाह

विज्ञापन पाने में क्षेत्रीय चैनलों की बल्ले-बल्ले

क्षेत्रीय चैनलों की श्रेणी में सरकारी प्रसारक दूरदर्शन को सबसे ज्यादा पैसा मिला है. बीते चार सालों में दूरदर्शन को कुल 31.66 करोड़ रुपये का भुगतान हुआ है. जिसमें से 21.43 करोड़ रुपये बीते वित्त वर्ष 2024-25 में ही दिए गए हैं. 

दूरदर्शन को छोड़ दें तो बीते चार सालों में न्यूज़-1 इंडिया को सबसे ज्यादा 13.52 करोड़ रुपये मिले हैं. इसे धामी के सत्ता में आने के बाद विज्ञापन मिलना शुरू हुआ. चैनल को साल 2021-22 में 4.48 करोड़ रुपये,  2022-23 में 2.71 करोड़ रुपये,  2023-24 में 4.27 करोड़ रुपये और 2024-25 में 2.04 करोड़ रुपये का विज्ञापन मिला है.

न्यूज़लॉन्ड्री ने जब न्यूज़-1 इंडिया पर चले उत्तराखंड संबंधित खबरों को देखा तो सामने आया कि यह चैनल सीएम धामी से जुड़े हर छोटी बड़ी कार्यक्रमों को लाइव दिखता है. जैसे- Haldwani से मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी लाइव, Dehradun से मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी LIVE, Rudraprayag से CM Pushkar Singh Dhami Live और यहां तक की दिल्ली में बीजेपी के पक्ष में प्रचार करने आए धामी को लाइव दिखाया जाता है.

न्यूज़लॉन्ड्री ने पाया कि राज्य के दौरान धामी की राजनीतिक गतिविधयों और सरकारी कार्यकमों को न्यूज़-1 इंडिया लाइव दिखाता है. साथ ही अन्य राज्यों में भी जब धामी बीजेपी के प्रचार के लिए जाते हैं तो वहां से भी लाइव कवरेज दी जाती है. इसी तरह की कुछ और खबरें देखें- Pushkar Singh Dhami meet PM Modi: मोदी से मिले CM धामी, मिलकर दिया बाबा केदारनाथ का प्रसाद 

बीते सालों में इसी तरह की कई खबरें प्रकाशित हुई हैं. 

मालूम हो कि न्यूज़-1 इंडिया का संचालन  अशोका प्रोडक्शन्स एंड कम्युनिकेशन्स प्राइवेट लिमिटेड द्वारा किया जाता है. जिसके निदेशक आदित गुप्ता और अशोक गुप्ता हैं. चैनल के सीईओ वरिष्ठ पत्रकार अनुराग चड्ढा हैं. न्यूज़लॉन्ड्री से बात करते हुए अनुराग कहते हैं, ‘‘हमारा चैनल उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश में सबसे ज़्यादा देखा जाता है. ऐसे में इतना विज्ञापन मिलना कोई बड़ी बात नहीं है.’’ 

जब हमने न्यूज़-1 इंडिया के कंटेंट को लेकर सवाल किया तो चड्ढा कहते हैं, ‘‘हम ना एकतरफा सरकार के विरोध में हैं और ना सरकार के साथ. अब मोदी जी ने जीएसटी कम किया है और सीएम जगह-जगह जा रहे हैं तो हमें उसे दिखा रहे हैं. जहां तक रही मुख्यमंत्री को लाइव दिखाने की तो हम उस राज्य में सबसे ज़्यादा काम करते हैं तो वहां के सीएम को फॉलो तो करेंगे ना?.’’

इसके बाद अंबानी के स्वामित्व वाले नेटवर्क 18 समूह का उत्तराखंड चैनल है. नेटवर्क 18 यूपी-यूके को बीते चार सालों में कुल 12.94 करोड़ रुपये दिए गए हैं.

नेटवर्क-18 के बाद क्षेत्रीय चैनलों में सबसे ज़्यादा विज्ञापन नेटवर्क- 10 को मिला है. बीते चार सालों में इसे 12.81 करोड़ रुपये मिले हैं.

नेटवर्क-10 चैनल का संचालन भारत हाइडल प्रोजेक्ट्स प्राइवेट लिमिटेड द्वारा किया जाता है. जानकारी के मुताबिक, इस कंपनी से त्रिवेंद्र सिंह रावत सरकार में औद्योगिक सलाहकार रहे डॉक्टर केएस पवार और उनके बेटे संदीप पवार जुड़े हैं. चैनल के वाइस प्रेजिडेंट (एडमिन) रणवीर सिंह ने भी फोन पर हुई बातचीत में इस जानकारी की पुष्टि की.  

पवार और उनके बेटे साल 2020 में कंपनी में निदेशक के रूप में शामिल हुए. इस साल में चैनल को मात्र 77 लाख रुपये का विज्ञापन मिला. लेकिन अगले साल (2021-22) चैनल को लगभग 7.7 करोड़ रुपये, उसके अगले साल (2022-23) 84.3 लाख रुपये, 2023-24 में 3.3 करोड़ रुपये और 2024-25 में 89.8 लाख रुपये मिले. न्यूज़लॉन्ड्री ने पवार से टिप्पणी के लिए संपर्क किया और उन्हें एक प्रश्नावली भेजी है. अगर उनका जवाब आता है तो इस रिपोर्ट को अपडेट किया जाएगा. 

नेटवर्क-10 के पास विभिन्न राज्यों के लिए अलग-अलग यूट्यूब चैनल हैं. इसके उत्तराखंड के यूट्यूब चैनल के करीब 15 हजार सब्सक्राइबर हैं. वहीं मुख्य यूट्यूब चैनल पर 55 हजार से ज्यादा सब्सक्राइबर हैं.

नेटवर्क-10 पर क्या दिखाया जाता है. ये जानने के लिए हमने उसका यू-ट्यूब चैनल देखा. 

5 जनवरी 2021 को नेटवर्क-10 ने ‘देवभूमि के त्रिवेंद्र’ विषय पर 30 मिनट का एक वीडियो बनाया. जो त्रिवेंद्र सिंह रावत के गुणगान से भरा हुआ है. इसमें एंकर कहती हैं, ‘‘बालक त्रिवेंद्र बचपन से ही काफी सरल, होनहार और समाजसेवी प्रवृति के इंसान थे.’’ आगे एंकर कहती हैं, ‘‘आज त्रिवेंद्र सिंह रावत उत्तराखंड की जनता के लिए भरोसे का दूसरा नाम बन चुके हैं. एक ऐसे नेता जो बोलने से अधिक काम करने में विश्वास रखते हैं.’’  

इसी तरह उत्तराखंड के स्थापना दिवस पर नेवटर्क 10 ने एक और वीडियो बनाया. जो उत्तराखंड के बारे में कम और त्रिवेंद्र सिंह रावत के बारे में ज्यादा था. ‘आगे बढ़ता उत्तराखंड’ नाम से अपलोड इस वीडियो में एंकर कहती हैं- ‘‘उत्तराखंड आज अपना स्थापना दिवस मना रहा है. इस 20 सालों में राज्य ने काफी उतर चढ़ाव देखे. सियासी उठापटक के कारण राज्य का विकास भी प्रभावित हुआ लेकिन 2017 में भाजपा को प्रचंड बहुत मिला और त्रिवेंद्र सिंह रावत की सरकार बनी तो आशा बंधी कि अब स्थिर माहौल में राज्य को गति मिलेगी और देखा भी जा रहा इस दौरान प्रदेश सिर्फ आगे बढ़ रहा है.”   

इसके अलावा तत्कालीन मुख्यमंत्री रावत अगर धान की कटाई करें या हिंदी दिवस पर बधाई दें तो वह भी नेटवर्क-10 के लिए खबर होती थी. 

उत्तराखंड में कोरोना की पहली लहर में काफी अफरा-तफरी देखने को मिली. इस बीच नेटवर्क-10 ने खबर चलाई- ‘कोरोना दौर में त्रिवेंद्र सरकार के मजबूत कदम. इस 25 मिनट के वीडियो में एंकर ने बताया कि कोरोना महामारी से निपटने के लिए सूबे की सरकार ने जनता को राहत देने के लिए हर वो संभव कोशिश की जो ज़रूरी थी. हालांकि, वहीं दूसरी लहर के दौरान ऑक्सीजन की कमी के कारण रुड़की में पांच मरीजों की मौत होने जैसी ख़बरें सामने आईं. जिससे इन सरकारी दावों की पोल खुली.  

इसी बीच बीजेपी ने त्रिवेंद्र सिंह रावत को मुख्यमंत्री पद से हटा दिया और तीरथ सिंह रावत सीएम बने. अगर तीरथ दिल्ली जाते तो ख़बर होती थी या किसी मंदिर में दर्शन करने जाएं तब भी कवरेज मिलती रही. हालांकि, त्रिवेंद्र सिंह रावत जैसी कवरेज तीरथ सिंह रावत को नहीं मिली.

फिर 112 दिन बाद तीरथ सिंह रावत भी हटा दिए गए और पुष्कर सिंह धामी उत्तराखंड के नए मुख्यमंत्री बने. जिसके बाद उनके हरेक कार्यक्रम को नेटवर्क-10 लाइव दिखाने लगा. 

धामी के मुख्यमंत्री बनने के बाद नेटवर्क-10 ने 10 मिनट का वीडियो बनाया. जिसका शीर्षक था- ‘‘Uttarakhand में पुष्कर सरकार का 1 महीना पूरा, एक्शन में CM धामी’’. इस वीडियो में एंकर कहती हैं, ‘‘मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को प्रदेश की कमान संभाले एक महीने का वक़्त हो चुका है और एक महीने में मुख्यमंत्री धामी ने वो काम कर दिखाया जिन्हें करने में कई साल लग जाते हैं.” 

नेटवर्क-10 धामी के भाषण देने की कला से सम्मोहित नजर आया और नवम्बर 2023 में “CM Pushkar Singh Dhami के बोल ..’’ नाम से 25 मिनट का वीडियो बनाया है. इस वीडियो में धामी के भाषणों के कुछ हिस्से हैं. यहां एंकर कहती हैं, “उत्तराखंड  के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी अपने भाषणों और उन भाषणों को बोलने के अंदाज के लिए काफी लोकप्रिय हैं. आज हम आपके लिए उनके हाल फ़िलहाल के दिए गए भाषणों की झलकियां लेकर आए हैं.’’ 

इसके अलावा नेटवर्क-10 ने सीएम धामी के जन्मदिन से लेकर प्रदेशवासियों को कृष्ण जन्माष्टमी की बधाई देने जैसे वीडियो भी पब्लिश किए हैं.  

नेटवर्क-10 को लेकर हमने केएस पवार को उनका पक्ष जानने के लिए कई बार कॉल किया लेकिन हमारे किसी कॉल का जवाब नहीं मिला. ऐसे में हमने उन्हें कुछ सवाल भेजे हैं. अगर उनका जवाब आता है तो खबर में जोड़ दिया जाएगा. 

वहीं, पवार के छोटे भाई डीएस पवार ने न्यूज़लॉन्ड्री से बात करते हुए बताया कि उनका न्यूज़ चैनल से कोई लेना देना नहीं है. वो बस कंपनी में शेयर होल्डर हैं. उसके अलावा उन्हें चैनल के संचालन से जुड़ी कोई जानकारी नहीं है.

सर्वाधिक राशि पाने वाले राष्ट्रीय समाचार चैनल

सबसे ज्यादा विज्ञापन पाने वालों में अगला नंबर साधना प्लस चैनल है. इसे बीते चार सालों में 9.70 करोड़ रुपये मिले हैं. इसके यू-ट्यूब चैनल पर 9 हजार से ज्यादा सब्सक्राइबर हैं. चैनल को साल 2021-22 में 3.71 करोड़ रुपये, 2022-23 में 1.21 करोड़ रुपये, 2023-24 में 3.37 करोड़ रुपये और बीते साल 2024-25 में 1.40 करोड़ रुपये मिले हैं. चैनल का स्वामित्व शार्प आई एडवरटाइजिंग प्राइवेट लिमिटेड के पास है. कंपनी के निदेशकों में अर्पण गुप्ता, कविता अग्रवाल और पूजा अग्रवाल शामिल हैं.

न्यूज़लॉन्ड्री ने पाया कि 2020-21 में साधना प्लस ने उत्तराखंड में जन मुद्दों पर सरकार को असहज करने वाली कुछ रिपोर्ट की हैं. जैसे- Khabar UK। बेबस मां दर-दर की ठोकर खाने को क्यों है मजबूर। त्रिवेंद्र सरकार में न्याय दूर क्यों? या कुंभ में मूलभूत सुविधाओं के अभाव पर साधना प्लस का LIVE टेस्ट. वहीं, कांग्रेस के विरोध प्रदर्शनों को भी जगह दी गई. 

लेकिन धामी के आने के बाद ऐसा कुछ नजर नहीं आता है. यहां तक कि उत्तराखंड में सबसे चर्चित अंकिता भंडारी हत्याकांड पर यूट्यूब पर कोई खबर नहीं दिखती है. साधना प्लस चैनल पर हर रोज ‘ख़बर उत्तराखंड’ बुलेटिन चलता है. 

बाकी चैनलों की तरह साधना प्लस ने भी सीएम धामी की दिल्ली यात्राओं को विशेष कवरेज दी. 5 अप्रैल 2022 को धामी मुख्यमंत्री बनने के बाद पहली बार दिल्ली गए थे जिसपर साधन प्लस ने 17 मिनट का बुलेटिन चलाया. वहीं, रामनवमी के मौके पर प्रदेश वर्षियों को बधाई दी और कन्या पूजन किया ये खबर साधना प्लस ने दिखया. 

गौरतलब है कि धामी 2022 में विधानसभा चुनाव हार गए थे. हालांकि, उन्हें पार्टी ने मुख्यमंत्री बनाया. उसके बाद वह चम्पावत से उपचुनाव जीते. 3 जून 2022 को इस चुनाव का नतीजा आया तो 27 मिनट का बुलेटिन इसी जीत को लेकर रहा. 

न्यूज़लॉन्ड्री ने साधना प्लस की वेबसाइट पर उपलब्ध नंबर के जरिए संपर्क करने की हरसंभव कोशिश की लेकिन किसी से बात नहीं हो पाई है. 

साधना प्लस के बाद सबसे ज्यादा विज्ञापन टीवी 100 को मिले हैं. इसे बीते चार सालों में 8.90 करोड़ रुपये का विज्ञापन मिला है. चैनल का मालिकाना हक फिलहाल अवंती मीडिया लिमिटेड कंपनी के पास है. सुरेंद्र गुप्ता, सुधीश कुमार गुप्ता और अभिषेक गुप्ता इसके निदेशक हैं. इसके यूट्यूब चैनल पर 1.38 लाख सब्सक्राइबर्स हैं. 

इसे साल 2021-22 में 4.06 करोड़ रुपये, 2022-23 में 1.06 करोड़ रुपये, 2023-24 में 2.40 करोड़ और 2024 -25 में 1.36 करोड़ रुपये का विज्ञापन मिला है. 

साल 2022 तक टीवी 100 ने सरकार को असहज करने वाली कुछ रिपोर्ट प्रकाशित की हैं. जैसे अंकिता भंडारी हत्या मामले में  क्या अंकिता को मिल पाएगा न्याय?, रिजॉर्ट में कई राज! वहीं, उत्तराखंड की बदहाल स्वास्थ्य और शिक्षा व्यवस्था पर भी टीवी 100 ने विस्तार से रिपोर्टिंग की है. 

हालांकि, बीते दो सालों में यहां भी जनहित की खबरें कम होती गई और धामी की दिल्ली, देहरादून और महाराष्ट्र की यात्राएं विशेष रूप से दिखाई जाने लगी हैं. सीएम धामी की दिल्ली यात्रा हो या उनका जन्मदिन का मौका. मुख्यमंत्री के तौर पर धामी के तीन साल पूरे होने पर टीवी उन्हें धाकड़ बताने में भी पीछे नहीं रहा. 

न्यूज़लॉन्ड्री ने टीवी 100 को टिप्पणी के लिए कुछ प्रश्न भेजे हैं. उनका जवाब मिलने पर इस रिपोर्ट को अपडेट कर दिया जाएगा. 

टाइम स्लॉट कॉन्ट्रैक्ट: उत्तराखंड का प्रचार, प्रदेश के बाहर भी 

सरकार का सारा विज्ञापन सिर्फ उत्तराखंड के दर्शकों तक पहुंच बनाने के लिए सीमित नहीं था. बल्कि असल में प्रदेश के बाहर के चैनलों को भी खूब विज्ञापन मिले हैं. उदाहरण के लिए, पंजाबी भाषा का न्यूज़ चैनल चढ़दी कलां टाइम टीवी है. जिसे बीते सालों में कुल 8.67 करोड़ रुपये का विज्ञापन मिला है. इसे 2021-22 में 4.78 करोड़ रुपये,  2022-23 में 1.21 करोड़ रुपये और 2023-24 में 2.67 करोड़ रुपये का विज्ञापन मिला है. बीते साल यानि 2024-25 में चैनल को विज्ञापन नहीं मिलने का ब्यौरा दर्ज है. 

चैनल के ब्यूरो चीफ़ अमरजीत सिंह सरताज के मुताबिक, “टाइम स्लॉट कॉन्ट्रैक्ट के तहत चैनल रोज़ाना दो घंटे उत्तराखंड से जुड़ा कंटेंट प्रसारित करता था.” दरअसल, टाइम स्लॉट कॉन्ट्रैक्ट में ब्रॉडकास्टर्स पत्रकारों या प्रोडक्शन हाउसों के साथ ऐसा करार करते हैं, जिसमें तय घंटों के लिए उन्हें प्रोग्रामिंग करने की इजाज़त मिलती है. 

चढ़दी कलां टाइम टीवी के यूट्यूब चैनल पर 6 लाख से ज़्यादा सब्सक्राइबर हैं. इसका स्वामित्व चढ़दी कलां टाइम टीवी प्राइवेट लिमिटेड के पास है. कंपनी के निदेशक दमनदीप सिंह, जगजीत सिंह दारड़ी, इंदरप्रीत कौर दारड़ी और हरप्रीत सिंह दारड़ी हैं. 

23 नवंबर 2021 को चढ़दी कलां टाइम टीवी पर प्रसारित उत्तराखंड बुलेटिन जो कि 23 मिनट का था. इसमें करीब दस मिनट सिर्फ उत्तराखंड सरकार का विज्ञापन चलाया गया. इस एपिसोड में गर्भवति महिलाओं के लिए एबुलेंस की सुविधा पर 1 मिनट 20 सेकंड का विज्ञापन था. उसके बाद कोरोना वैक्सीन को लेकर दो मिनट का विज्ञापन, हस्तशिल्प को लेकर प्रदेश में चल रही योजना को लेकर लगभग डेढ़ मिनट का विज्ञापन दिया गया है.  इस दौरान प्रसारित अन्य एपिसोड में भी पहले विज्ञापन दिखाए गए है.   

अन्य चैनलों की तरह यहां भी धामी को ही प्रमुखता से दिखाया गया. उनके दौरों को और उनके शासन काल में उत्तराखंड में हो रहे विकास की चर्चा की गई. उत्तराखंड के आम जन के मुद्दे गायब नजर आए. कभी तो पूरा का पूरा बुलेटिन प्रधानमंत्री के केदारनाथ दौरे पर ही दिखाया गया. 

न्यूज़लॉन्ड्री ने चढ़दी कलां के समूह संपादक जगजीत सिंह दारड़ी से टिप्पणी के लिए संपर्क किया है. अगर उनका कोई जवाब आता है तो उसे इस रिपोर्ट में शामिल किया जाएगा. 

वैसे चढ़दी कलां टीवी इसका कोई अकेला उदाहरण नहीं है. नागालैंड के हॉर्नबिल टीवी से लेकर ओडिशा के आर्गस और असम के प्रतिदिन टाइम्स जैसे चैनलों को विज्ञापन दिए गए. मध्य प्रदेश पर केंद्रित स्वराज एक्सप्रेस को 8.50 करोड़ रुपये दिए गए. 

राज्य के बाहर विज्ञापन पर ये भारी खर्च तब शुरू हुआ जब जुलाई, 2021 में पुष्कर सिंह धामी मुख्यमंत्री बने. उनके पद संभालने के कुछ ही महीनों बाद सरकार ने उन नियमों में बदलाव कर दिए जो तय करते थे कि किन टीवी चैनलों को सरकारी विज्ञापन दिए जा सकते हैं. नए नियमों के बाद देश भर के मीडिया संस्थानों को बड़े पैमाने पर सरकारी पैसे मिलने लगे. इनमें से कई करार भी टाइम स्लॉट कॉन्ट्रैक्ट पर आधारित थे.  

दरअसल, उत्तराखंड में किसी भी न्यूज़ चैनल को विज्ञापन चाहिए तो उसके यहां दिन में 90 मिनट के लिए (30-30 मिनट)  प्रदेश से संबधित बुलेटिन चलानी होगी. इसके अलावा चैनल को 13 जिलों के डिश टीवी पर मौजूद होना चाहिए. जो चैनल इन शर्तों को पूरा करते हैं, उन्हें उत्तराखंड के बाहर होने पर भी विज्ञापन दिया जा सकता है. 

ऐसा ही एक मामला भारत से प्रसारित होने वाले पहले नेपाली भाषा के सैटेलाइट चैनल नेपाल-1 का है. नेपाल-1 को 2020-21 से 2022-23 के बीच 4.3 करोड़ रुपये मिले. जानकारी के मुताबिक, नेटवर्क-10 के केएस पवार नेपाल-1 का भी कामकाज देखते रहे हैं. और यही वो अवधि है जब चैनल को उत्तराखंड सरकार से विज्ञापन भी मिले. हालांकि, बाद में पवार के हट जाने पर नेपाल-1 को विज्ञापन मिलना भी बंद हो गया.  

इसके अलावा पवार एपीएन न्यूज़ का उत्तराखंड का कामकाज भी देखते रहे हैं. 2020–21 से 2024–25 के बीच एपीएन को राज्य सरकार के विज्ञापनों से 6.12 करोड़ रुपये मिले.

एपीएन और नेपाल-1 चलाने वाली दोनों कंपनी में साझा डायरेक्टर राजश्री राय से हमने संपर्क करने की कोशिश की. उनकी पीए कुमकुम ने कई बार बात कराने का वादा किया लेकिन उन्होंने लगभग पंद्रह दिनों तक इंजतार कराने के बाद भी बात नहीं कराई. इस पूरे मामले को लेकर हमने पवार से भी संपर्क किया. हालांकि, उनकी कोई ओर से कोई जवाब नहीं मिला.

चढ़दी कलां टाइम टीवी और रफ़्तार मीडिया का काम उत्तराखंड में वरिष्ठ पत्रकार बसंत निगम देखते हैं. चढ़दी कलां टाइम टीवी का जिक्र हमने ऊपर किया है. वहीं रफ़्तार मीडिया झारखंड से चलता है. इसके डायरेक्टर हरेंद्र सिंह और गौरव कुमार हैं. उत्तराखंड सरकार से रफ़्तार मीडिया को 6.5 करोड़ रुपये मिले हैं. इसे भी धामी के मुख्यमंत्री बनने के बाद यानि साल 2021-22 से विज्ञापन मिलना शुरू हुआ.

पत्रकार निगम का कहना है कि सरकारी विज्ञापन चैनल चलाने की लागत तक पूरी नहीं करते.

भोपाल से चलने वाले वीआईपी न्यूज़ (शार्पलाइन नेटवर्क प्राइवेट लिमिटेड) को 5.92 करोड़ रुपये दिए गए हैं. इसकी उत्तराखंड यूनिट का प्रबंधन संजय श्रीवास्तव करते हैं. पहले उन्होंने दावा किया कि अब वे चैनल से जुड़े नहीं हैं, लेकिन यह भी कहा कि “बाहरी चैनल अक्सर उत्तराखंड के मीडिया पेशेवरों के जरिए ही चलाए जाते हैं.”

नगालैंड के हॉर्नबिल टीवी का काम अजय ढोंडियाल देखते हैं. वह भोपाल स्थित IND 24 का काम भी देखते हैं. जिसे सरकारी विज्ञापनों से 4.68 करोड़ रुपये मिले हैं. 

ढोंढियाल न्यूज़ चैनलों के उत्तराखंड में चलन को विस्तार से समझाते हैं. वो कहते हैं, ‘‘उत्तराखंड में लगभग 41-42 ऐसे क्षेत्रीय चैनल हैं, जिनका संचालन स्थानीय पत्रकारों या मीडिया कर्मियों को सौंपा गया है. इन चैनलों का संचालन देखने वाले अधिकांश व्यक्ति या समूह अपनी एक कंपनी के माध्यम से कार्य करते हैं, जो न्यूज़ एजेंसी के रूप में काम करती है. इन चैनलों पर प्रसारित होने वाला कंटेंट इन्हीं न्यूज़ एजेंसियों द्वारा तैयार किया जाता है. साथ ही, ये एजेंसियां ही विज्ञापन भी एकत्र करती हैं. विज्ञापन से होने वाली कमाई का एक हिस्सा न्यूज़ एजेंसी को मिलता है, जबकि शेष चैनल को जाता है. प्रत्येक चैनल के साथ यह राजस्व वितरण अलग-अलग शर्तों के आधार पर तय होता है.’’

जब हमने ढोंढियाल से पूछा कि नागालैंड से चलने वाले का एक न्यूज़ चैनल को उत्तराखंड सरकार क्या विज्ञापन देती है. तो इसके जवाब में वह कहते हैं कि बाकी अन्य चैनलों को जो विज्ञापन मिलता है, वही हमें भी मिलता है. जहां तक नागालैंड के चैनल की बात है तो वह चैनल उत्तराखंड सरकार के नियमों का पालन करता है. उसके बाद ही चैनल इम्पैनल हुआ है और विज्ञापन मिल रहा. इसमें कुछ बुरा नहीं है.

वहीं, पंजाब के एएनबी न्यूज़ का उत्तराखंड में कामकाज देखने वाले जे. थॉमस बताते हैं कि उनके मामले में पैसा चैनल के खाते में जाता है. चैनल को धामी के मुख्यमंत्री बनने वाले साल 2021-22 से ही विज्ञापन मिलना शुरू हुआ और बीते चार साल में कुल 6.21 करोड़ रुपये का विज्ञापन मिला है. इसे 2021-22 में 1.25 करोड़, 2022-23 में 1.21 करोड़, 2023-24 में 2.45 करोड़ और 2024-25 में 1.29 करोड़ रुपये का विज्ञापन मिला है.

थॉमस ने न्यूज़लॉन्ड्री को बताया कि बाकी मामलों में बुलेटिन उत्तराखंड से ही बनकर जाता है लेकिन एएनबी के मामले में हम यहां से न्यूज़ भेज देते हैं. हम एक एजेंसी के तौर न्यूज़ भेजते हैं न कि एएनबी के कर्मचारी के तौर पर, इस तरह हम कंटेंट के लिए लेकर चार्ज करते हैं.

इसके अलावा उत्तराखंड से चलने वाले न्यूज़ चैनल एचएनएन 24X7 को बीते चार सालों में 6.25 करोड़ रुपये का विज्ञापन मिला है. इस चैनल के प्रमुख अमित शर्मा हैं. इस चैनल का नाम कोबरा पोस्ट के स्टिंग ऑपरेशन में भी नाम आया था. जिसमें शर्मा ने बताया था कि सबसे पहले, चैनल श्रीमद् भागवत प्रचार समिति द्वारा जारी नरम हिंदुत्व कार्यक्रमों का प्रसारण करेगा, जिसके बाद भाजपा का सीधा प्रचार किया जाएगा.    

हमने शर्मा से बात की. उन्होंने बताया, “हमारा एकलौता चैनल है जो उत्तराखंड से चलता है. बाकी चैनल तो नोएडा और दूसरे प्रदेश से चलते हैं. दूसरी जगहों पर उत्तराखंड से जुड़े कुछ बुलेटिन भर चलते हैं, जो सूचना विभाग द्वारा विज्ञापन लेने के लिए ज़रूरी हैं. लेकिन उत्तराखंड से जुड़ी छोटी से छोटी और बड़ी से बड़ी खबरें हम लोग ही चलाते हैं. ऐसे में जो विज्ञापन हमें मिला और जो दूसरे बाहर से चलने वाले चैनलों का आप आंकड़ें देख लीजिए.”

चैनलों पर किस तरह के विज्ञापन चले

चैनलों को करोड़ों रुपये का विज्ञापन दिया गया लेकिन यह विज्ञापन था क्या? यह समझने के लिए हमें विज्ञापन के प्रोडक्शन पर हुए खर्च पर एक नजर डालते हैं.  

विज्ञापनों के निर्माण पर बीते पांच सालों में कुल 29 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं. वहीं, धामी के कार्यकाल की बात करें तो बीते चार सालों में 23.44 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं. साल दर साल की बात करें तो विज्ञापनों के निर्माण पर साल 2020-21 में 5.49 करोड़, 2021-22 में 6.19 करोड़, 2022-23 में 3.89 करोड़, 2023-24 में 6.86 करोड़ और 2024-25 में 6.49  करोड़ रुपये खर्च हुए हैं.  

विज्ञापनों की एक झलक

साल 2021-22 में कोरोना से संबंधित विज्ञापन बनाए गए. लेकिन कुछ दिलचस्प विज्ञापन भी नजर आते हैं. जैसे प्रधानमंत्री द्वारा शिलान्यास और लोकार्पण कार्यक्रम को लेकर दो मिनट का विज्ञापन बना, जिसपर 9.35 लाख रुपये खर्च हुए. इसके अलावा प्रधानमंत्री के केदारनाथ भ्रमण एवं आदिगुरु शंकराचार्य जी की समाधि स्थल से जुड़े 90 सेकंड के लघु विज्ञापन के निर्माण पर 3.7 लाख रुपये खर्च किए गए. वहीं, उत्तराखंड सरकार केंद्र सरकार की योजना पर भी विज्ञापन बनवाती नजर आई. जैसे प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि के विज्ञापन निर्माण पर 7.48 लाख रुपये खर्च किए गए. 

राज्य स्थापना दिवस पर राज्य सरकार की उपलब्धियों पर आधारित ‘उत्तराखण्ड एक्सप्रेस’ न्यूज़ रील बनाने और राज्य में रोजगार और विकास संबंधित दर्जनों विज्ञापन बने. जिसके निर्माण पर 50 लाख से ज़्यादा रुपये खर्च हुए. 

2022-23 में ‘भ्रष्टाचार मुक्त हो उत्तराखंड’ संबंधित 2 मिनट के विज्ञापन के लिए 22.65 लाख रुपये खर्च किए गए. दूसरी तरफ ‘एक ज़िला- दो उत्पाद योजना’ से जुड़े विज्ञापन पर प्रदेश सरकार ने 26.43 लाख रुपये खर्च किए हैं. ‘प्रगति पथ पर निरंतर आगे बढ़ रहा है उत्तराखण्ड’ विषय पर 60 सेकंड के विज्ञापन बनाने के लिए प्रदेश सरकार ने 6.83 लाख रुपये खर्च किए गए. ‘रक्षाबंधन पर्व पर मुख्यमंत्री का संदेश’ विषय पर 90 सेकंड की विज्ञापन फिल्म का निर्माण किया गया है, जिसकी कुल लागत 3.77 लाख रुपये थी. 

साल 2023-24 में उत्तराखंड सरकार केंद्र की प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना, प्रधानमंत्री उज्जवला योजना, राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका योजना, प्रधानमंत्री उज्जवला योजना, प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण), अवधिप्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी), स्वच्छ भारत अभियान (ग्रामीण), स्वच्छ भारत अभियान(शहरी), आयुष्मान भारत योजना, जल जीवन मिशन योजना, विकसित भारत संकल्प मोदी की गारंटी और दीन दयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल योजना पर विज्ञापन बनवाती नजर आई. जिसपर करोड़ों रुपये खर्च हुए.

इसके अलावा उत्तराखंड सरकार ने ‘समान नागरिक संहिता’ से जुड़े विज्ञापन के निर्माण पर भी 19 लाख रुपये खर्च किए.

साल 2024-25 में ‘समान नागरिक संहिता’ से जुड़े विज्ञापन के निर्माण पर धामी सरकार ने 85 लाख रुपये खर्च किए. वहीं इस साल धामी सरकार के तीन साल पूरे हुए थे, जिसपर आधे दर्जन से ज़्यादा विज्ञापन बने. जैसे- ‘सीएम धामी ने किये 3 साल में 10 बडे़ काम’ थीम से जुड़े विज्ञापन के निर्माण पर 11.32 लाख रुपये खर्च हुए. करीब इतना ही पैसा उत्तराखण्ड सरकार की 3 साल की उपलब्धियों पर आधारित 3 लघु विज्ञापन बनाने पर खर्च. 

06 मार्च, 2025 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के उत्तराखण्ड भ्रमण पर 4.36 लाख रुपये खर्च कर एक लघु विज्ञापन बनवाया. वहीं, 15 लाख रुपये खर्च कर एक और विज्ञापन बनवाया गया जिसका विषय रहा- ‘उत्तराखण्ड राज्य स्थापना दिवस पर प्रधानमंत्री द्वारा बाहर से आने वाले पर्यटक को चार आग्रह’. यहीं नहीं ‘मोदी के पर्यटकों से पांच और आग्रह’ पर 18 लाख रुपये खर्च कर विज्ञापन बनाए गए.

विज्ञापन बनाते न्यूज़ चैनल 

न्यूज़ चैनलों ने विज्ञापन सिर्फ प्रसारित ही नहीं किए बल्कि की मामलों में तो बनाए भी हैं. और इसके बदले भी चैनलों को काफी पैसा मिला. 

जैसे कि साल 2020-21 में जी मीडिया ने उत्तराखंड सरकार के लिए पांच मिनट की 04 फ़िल्में बनाई, जिसके बदले उसे 24.78 लाख रुपये मिलने का जिक्र है. वहीं, नेवटर्क-10 को भी पांच मिनट की चार फ़िल्मों के बदले 14.16 लाख रुपये के भुगतान का जिक्र है. न्यूज़ 18 ने भी 16 फ़िल्में बनाई, जिसके बदले उसे 75.52 लाख रुपये मिले. सबसे ज़्यादा राशि एक करोड़ 11 लाख 51 हजार रुपये के बदले 18 विज्ञापन साधना मीडिया ग्रुप ने बनाए हैं. वहीं, टाइम मीडिया प्रोडक्शन ने कोरोना वायरस से बचाव हेतू मुख्यमंत्री के संदेश को लेकर 8 लाख रुपये की विज्ञापन फिल्म बनाई. 

साल 2021-22 में डिजिटल मीडिया कंपनी न्यूज वायरस नेटवर्क प्राइवेट लिमिटेड को 76.75 लाख रुपये का भुगतान किया गया. साल 2022-23 में इसे लगभग 95 लाख रुपये दिए गए. जिसमें दो मिनट का एक विज्ञापन- ‘भ्रष्टाचार मुक्त होता उत्तराखंड’ शामिल था, अकेले इस विज्ञापन के लिए 22.65 लाख रुपये के भुगतान का जिक्र है.  साल 2023-24 में भी इस कंपनी को 30 लाख रुपये का भुगतान किया गया. वहीं बीते साल 2024-25 में 55.22 लाख रुपये का भुगतान किया गया है. 

2021-22 में टाइम मीडिया ने भी 60-60 सेकेंड के पांच विज्ञापन बनाए हैं. जिसके बदले उन्हें 26 लाख 55 हजार रुपये मिले. वहीं, साधना ग्रुप ने 60 सेकेंड का एक विज्ञापन बनाया जिसके बदले 12 लाख 39 हजार रुपये दिए गए. इसी साल ‘दमानिया’ को विज्ञापन के बदले 61.95 लाख रुपये के भुगतान का जिक्र है. हालांकि, ये किस विज्ञापन के बदले दिए हैं, इसका कोई उल्लेख नहीं है. 

चैनलों की निगरानी

विज्ञापन देने के साथ ही उत्तराखंड सरकार चैनलों पर निगरानी के लिए भी करोड़ों रुपये खर्च कर रही है. दस्तावेजों से पता चलता है कि इसकी शुरुआत साल 2023-24 से हुई है. यह जिम्मेदारी कलर्ड चैकर्स को दी गई. पहले साल में इस कंपनी को 1.20 करोड़ रुपये और 2024-25 में 1.21 करोड़ रुपये का भुगतान हुआ है.   

कलर्ड चेकर्स से जुड़े वैभव गोयल ने मॉनिटरिंग को लेकर बताया, ‘‘हमें सूचना विभाग न्यूज़ चैनल्स के नाम देता है. उन चैनल्स पर उत्तराखंड से संबंधित जो भी खबरें चलती हैं. उसे हम रिकॉर्ड कर सूचना विभाग को देते हैं. उसका वो क्या करते हैं. इसकी जानकारी हमें नहीं है.’’

आखिर उत्तराखंड सरकार चैनलों का मॉनिटरिंग क्यों कराती है, इसको लेकर एक वरिष्ठ पत्रकार बताते हैं, ‘‘पहले तो कुछ आलोचनत्मक खबरें सरकार की चल भी जाती थी लेकिन धामी साहब के आने के बाद इतना विज्ञापन दे दिया जा रहा है कि कोई भी कुछ बोलने की ज़रूरत नहीं करता है. अगर कोई गलती से कुछ बोल दे तो विज्ञापन बंद हो जाता है. यहां हर छोटा से छोटा चैनल आए दिन कॉन्क्लेव कराते हैं. जिसमें मुख्यमंत्री खुद पहुंचते हैं. इन कॉन्क्लेव को राज्य सरकार मोटा विज्ञापन देती हैं.

वहीं, इस खर्च को लेकर हमने सूचना विभाग के डायरेक्टर वंशीधर तिवारी और अस्सिटेंट डायरेक्टर आशीष त्रिपाठी से बात करने की कोशिश की. तिवारी ने कोई जवाब नहीं दिया तो वहीं त्रिपाठी ने हमें लिखित में सवाल भेजने को कहा. हालांकि, सवाल भेजे जाने के बावजूद ख़बर प्रकाशित किए जाने तक उनका कोई जवाब नहीं आया है.

सिर्फ चैनलों ही नहीं न्यूज़ एजेंसी को भी विज्ञापन का पैसा

ऐसा नहीं है कि सिर्फ समाचार चैनलों को ही विज्ञापन के नाम पर पैसा मिल रहा है. एएनआई जैसी न्यूज़ एजेंसी को भी बीते दो सालों में 4.15 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया है. इसमें एएनआई द्वारा पांच विज्ञापन फिल्मों का निर्माण भी शामिल है. जिसके बदले उसे 30.97 लाख रुपये मिले. इन विज्ञापनों की अवधि 2-5 मिनट थी. 

सूचना विभाग की रिपोर्ट के अनुसार, 2023-24 में “मुख्यमंत्री और सरकारी कार्यक्रमों के कवरेज” के लिए एएनआई को 2 करोड़ रुपये की राशि दी गई थी. सरकार से पैसे मिलने का असर यह हुआ कि धामी से जुड़ी हर छोटी-बड़ी जानकारी एएनआई ट्वीट करने और खबर के तौर पर वेबसाइट पर प्रकाशित करने लगा. जैसे कि ये कुछेक उदाहरण देखिए. 

3 अप्रैल 2023 को पुष्कर सिंह धामी, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलने वाले थे. इससे एक दिन पहले 2 अप्रैल की सुबह के चार बजे खबर छपी कि उत्तराखंड के सीएम धामी पीएम नरेंद्र मोदी से मुलाकात करेंगे. फिर बाद में दोपहर 11 बजे खबर छपी कि उत्तराखंड के मुख्यमंत्री धामी प्रधानमंत्री मोदी से मिलने दिल्ली रवाना हो चुके हैं.  

फिर अगले दिन सुबह साढ़े 10 बजे यानि 3 अप्रैल को फिर खबर छपी कि आज उत्तराखंड के सीएम धामी पीएम मोदी से मुलाकात करेंगे. दोहपर में आखिकार पीएम से धामी की मुलाकात हुई और फिर से खबर छपी कि उत्तराखंड के मुख्यमंत्री धामी ने प्रधानमंत्री मोदी से शिष्टाचार भेंट की. 

इसी यात्रा के दौरान 4 अप्रैल को सीएम धामी अन्य मंत्रियों से भी मिले. रेल मंत्री अश्विनी वैष्ण से मुलाकात के बाद खबर छपी- “उत्तराखंड के मुख्यमंत्री धामी ने रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव से मुलाकात की और राज्य में विभिन्न रेल परियोजनाओं के लिए उनका आभार व्यक्त किया.”

ऐसा ही तब देखने को मिला जब धामी इन्वेस्टर समिट के लिए तीन दिन के लिए लंदन गए. सितंबर 2023 में 24 तारीख को इसको लेकर पहली खबर छपी- “उत्तराखंड के मुख्यमंत्री धामी निवेशकों को आकर्षित करने के लिए प्रतिनिधिमंडल के साथ ब्रिटेन गए.”

इसके बाद 26 सितम्बर को दूसरी खबर छपी- “उत्तराखंड के मुख्यमंत्री धामी राज्य में वैश्विक निवेशक शिखर सम्मेलन के लिए उद्योगपतियों को आमंत्रित करने लंदन पहुंचे.” इसी दिन एक और खबर प्रकाशित हुई- “उत्तराखंड के मुख्यमंत्री धामी ने लंदन में उद्योगपतियों से मुलाकात की, 2,000 करोड़ रुपये के समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए.”

इसके बाद अगले दो दिन तक कई ख़बरें प्रकाशित हुईं. न्यूज़लॉन्ड्री को मिली जानकारी के मुताबिक, एएनआई ने कवरेज के लिए अपना रिपोर्टर भी लंदन भेजा. 

"हमारे राज्य के रियल एस्टेट बाज़ार में अपार संभावनाएं हैं": मुख्यमंत्री धामी ने लंदन में ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट में कहा

"अब तक 9000 करोड़ रुपये के समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर हो चुके हैं...": उत्तराखंड के मुख्यमंत्री धामी ब्रिटेन में

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री धामी ने राज्य में वैश्विक निवेशक शिखर सम्मेलन के लिए बर्मिंघम में रोड शो में हिस्सा लिया

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री धामी ने बर्मिंघम दौरे के तीसरे दिन 3,000 करोड़ रुपये के एमओयू पर हस्ताक्षर किए

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री ने लंदन में रोड शो की सफलता के लिए प्रवासी भारतीयों को धन्यवाद दिया

इसके बाद तो मुख्यमंत्री ईद पर बधाई दें या हरेला पर. एनएनआई उस पर खबर प्रकाशित करता है, ट्वीट करता है. सिर्फ इतना ही नहीं धामी, लोकसभा चुनाव की तैयारी के लिए भाजपा प्रदेश कार्यसमिति की बैठक में हिस्सा लें तो भी खबर छपती है. यहां तक कि वो काशीपुर में भाजपा जिला कार्यालय के शिलान्यास में शामिल हो या रुड़की में भाजपा कार्यालय के भूमि पूजन में शामिल हों, एएनआई उन्हें लगातार कवरेज दे रहा है. 

वहीं, बीते साल 2024-25 में एजेंसी को 1.83 करोड़ रुपये दिए गए, लेकिन यह पता नहीं चल सका कि इस राशि का भुगतान किस कवरेज के लिए किया गया.  

हमने एएनआई का पक्ष जानने के लिए उसकी प्रमुख स्मिता प्रकाश और ईशान प्रकाश को कुछ सवाल भेजे हैं. हालांकि, अभी तक हमें उनकी ओर से कोई जवाब नहीं मिला है.  

अगले भाग पढ़िए कि उत्तराखण्ड सरकार अख़बारों के जरिए विज्ञापनों पर कितना खर्च कर रही है. कैसे आरएसएस से जुड़े पत्र-पत्रिकाओं को उत्तराखंड सरकार करोड़ों रुपये का विज्ञापन दे रही है.  

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