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एनएल टिप्पणी: कश्मीर में चुनावी बहिष्कार का मौसम
कश्मीर की उलझी हुई सियासत में एक नया पेंच पैदा हो गया है. पहले नेशनल कॉन्फ्रेंस और अब पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी ने राज्य में होने वाले नगर निकाय और पंचायत चुनावों में हिस्सा लेने से मना कर दिया है.
दोनों ही पार्टियों का कहना है कि केंद्र सरकार कश्मीर को विशेषाधिकार देने वाली धारा 377 के अनुच्छेद 35ए पर अपना पक्ष स्पष्ट नहीं कर रही है, इसलिए वे पंचायत और नगर निकाय चुनावों का बहिष्कार करेंगे.
कश्मीर की मुख्यधारा की दोनों पार्टियों का इस तरीके से चुनाव का बहिष्कार करना कश्मीर में पहले से ही कमजोर पड़ रही लोकतांत्रिक प्रकिया के लिए बेहद बुरी ख़बर है. दोनों राजनीतिक दलों द्वारा बहिष्कार की घोषणा ऐसे समय में की गई है जिससे उनकी मंशा पर सवाल उठ रहे हैं. चुनावी प्रक्रिया काफी पहले ही तय हो चुकी थी. दोनों दलों ने बहिष्कार अब जाकर किया है. जानकार इस बहिष्कार को सिर्फ 35ए के प्रति सैद्धांतिक विरोध भर नहीं मान रहे. क्योंकि दोनों ही दलों ने पिछले ही महीने लद्दाख ऑटोनॉमस हिल डेवलपमेंट काउंसिल के चुनाव में जोर-शोर से हिस्सा लिया था, नेशनल कॉन्फ्रेस इसमें सबसे बड़े दल के रूप में उभरा. उस दौरान न तो एनसी ने ना ही पीडीपी ने 35ए का जिक्र किया था.
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