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संजीव बालियान: मुझे मंत्री पद से क्यों हटाया गया इसका जवाब मोदीजी देंगे
हम मुज़फ़्फ़रनगर के खतौली विधानसभा क्षेत्र में स्थित चितौड़झाल गांव में थे. इस मुस्लिम बाहुल्य गांव में सैकड़ों कार्यकर्ता बीजेपी उम्मीदवार संजीव बालियान का इंतज़ार देर शाम से कर रहे थे. इंतज़ार कर रहे लोगों में मुस्लिम समुदाय के इक्का-दुक्का लोग ही दिख रहे थे. लेकिन स्थानीय बीजेपी नेताओं ने हमें बताया कि इस बार ‘वे’ (मुस्लिम) भी बीजेपी को ही वोट करेंगे.
यहां बीजेपी के नेताओं से बातचीत में ये बात पकड़ में आई कि वे हिंदुओं को ‘अपने लोग’ और मुसलमानों को ‘वो’ के जरिए संबोधित करते हैं. सदियों से एक ही समाज में रहते आ रहे लोगों के बीच यह बंटवारा पिछले 5-6 सालों की पैदाइश है.
चुनाव प्रचार पर निकले मुज़फ़्फ़रनगर के निवर्तमान सांसद संजीव बालियान तय समय से आधे घंटे की देरी से एक घर के अंदर बने मंच पर पहुंचते हैं. उनका स्वागत स्थानीय लोग ‘संजीव को जिताना है, मोदी को पीएम बनाना है’ नारे से करते हैं.
कार्यक्रम की शुरुआत खतौली के स्थानीय बीजेपी विधायक विक्रम सैनी ने की. विक्रम सैनी के स्टेज पर चढ़ते ही भारत माता की जय के नारे लगने लगे.
विक्रम सैनी ने अपने संबोधन में कहा, “यहां के मुसलमान भाई भी मुझे वोट देते हैं.” इसके बाद विक्रम सैनी देशभक्ति और राष्ट्रवाद की बातें करने लगते हैं. विक्रम कहते हैं कि ये सारे लोग उत्साहित हैं क्योंकि इन्हें देश की चिंता है. ये देशभक्त हैं. पहले पांच-पांच सर काटकर ले जाया करता था दुश्मन देश, तब की सरकारें चूहे के बच्चे को भी नहीं मार पाती थी. हमारी सेना ने सर्जिकल स्ट्राइक करके चार सौ आतंकियों को मारा. यह मोदीजी के ही कारण हुआ है.
साफ हो गया कि चुनाव आयोग सेना और विंग कमांडर अभिनंदन को चुनाव में न घसीटने के लिए चाहे जो जतन कर ले, भाजपा के नेता, ऊपर से लेकर नीचे तक, इसे ही मुख्य मुद्दा बनाकर चुनाव लड़ रहे हैं.
विक्रम सैनी आगे कहते हैं कि यहां से दो प्रत्याशी हैं. एक लोकदल का और एक बीजेपी का. लोकदल वाले का नम्बर आपके पास नहीं होगा? आपकी मोटरसाइकिल अगर पकड़ी जाए तो छुड़वाने वाला नहीं मिलेगा और ये संजीव बालियान मोटरसाइकिल भी छुड़वाएंगे, तुम्हें थाने से भी छुड़वाएंगें और झगड़ा हो जाए तो फैसले भी करवाएंगे.
सैनी के भाषण के बाद उम्मीदवार संजीव बालियान लोगों को संबोधित करते हैं. बालियान का नाम 2013 के मुज़फ़्फ़रनगर दंगों के एक आरोपी के रूप में भी आ चुका है. संजीव बालियान बार-बार कहते हैं कि हमने बिना भेदभाव के काम किया. उनके (मुसलमानों) साथ कोई भेदभाव नहीं किया. संजीव के हाथ में जिले के हर गांव के मतदाताओं की लिस्ट है. उसे देखते हुए बालियान कहते हैं, “यहां लगभग 3500 वोटर हैं, और मुझे 2014 में सिर्फ चार सौ वोट मिले थे. मैं 2014 के बाद लगभग पंद्रह बार इस गांव में आया. तुम्हारे लोगों के दुख-सुख में शामिल हुआ. हर बार के लिए सौ वोट नहीं दे सकते हो? मुझे इस बार 1500 वोट नहीं दे सकते हो.”
संजीव बालियान लोगों से कम वक्त देने के कारण माफी मांगते हैं. इसके बाद हमारी मुलाकात संजीव बालियान से होती है. पहले वह इंटरव्यू देने से इनकार करते हैं, लेकिन थोड़ी सी गुजारिश के बाद तैयार हो जाते हैं.
किन मुद्दों पर आप चुनावी मैदान में हैं? इस सवाल के जवाब में संजीव बालियान कहते हैं, “देखिए मैं 24 घंटे जनता के बीच में रहता हूं. 25 लाख का परिवार है मेरा. मैंने मुज़फ़्फ़रनगर में विकास कार्य किए हैं. 10 हज़ार करोड़ रुपए के प्रोजेक्ट पिछले पांच साल में मुज़फ़्फ़रनगर में आये हैं. नेशनल हाइवे बने हैं, रेलवे लाइन का दोहरीकरण हुआ है. यहां सड़कें नहीं, गढ्ढे ही गढ्ढे थे. हमने हर तरह की सड़क बनवाई.”
मुज़फ़्फ़रनगर लोकसभा पर निर्णायक भूमिका हमेशा से जाट वोटर ही निभाते आए हैं. इस बार यहां से दोनों मुख्य उम्मीदवार जाट समुदाय से ही हैं. रालोद प्रमुख चौधरी अजीत सिंह गठबंधन (सपा-बसपा-रालोद) के सहयोगी के तौर पर मुज़फ़्फ़रनगर से चुनाव मैदान में हैं. अजीत सिंह के आने से जाट वोटों के बंटने के सवाल पर संजीव बालियान कहते हैं, “मुझे तो पता नहीं कि मेरी जाति क्या है. मुझे पता होता तो मैं आपको ज़रूर बताता. मैं तो बस इतना कहूंगा कि लोगों को वो सांसद चाहिए, जो लोगों के बीच में रहता हो. उनके साथ उठता-बैठता हो न कि टीवी पर बैठता हो. मुझे हर जाति और धर्म के लोग वोट करेंगे.”
मुज़फ़्फ़रनगर में किसान और किसानी का मुद्दा बेहद अहम है. पिछले साल गाज़ियाबाद-दिल्ली बॉर्डर पर किसानों पर पुलिस ने लाठीचार्ज किया था, जिससे यहां के कुछ किसानों में मोदी सरकार के प्रति नाराजगी भी है. किसानों पर लाठीचार्ज और उनकी नाराज़गी के सवाल पर संजीव बालियान कहते हैं कि कोई भी लाठीचार्ज का समर्थन नहीं करता है. जो घटना हुई थी, वह दुर्भाग्यपूर्ण थी. लेकिन कुछ लोग ऐसे हैं जो उस घटना को दूसरा रूप देते हैं. उस लाठीचार्ज में कोई घायल नहीं हुआ था. ऐसी बहुत सी घटनाएं पहले भी हुई हैं. जो आपसे इस तरह की बातें कह रहा है, वह किसान यूनियन का नाम इस्तेमाल कर रहा है. किसान यूनियन के लोग मुझसे ख़फ़ा नहीं हैं. ज़्यादातर मेरे साथ ही हैं.
मुज़फ़्फ़रनगर में लोग अब भी संजीव बालियान को मंत्रीजी कहकर बुलाते हैं, लेकिन मोदी सरकार ने उनसे काफी पहले ही मंत्री पद छीन लिया है. विपक्ष के कुछ नेता इस बात को मुद्दे के रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं. मंत्री पद से हटाए जाने के मामले पर जब हमने उनसे सवाल किया तो उन्होंने कहा कि इसका जवाब मोदीजी ही दे सकते हैं. उन्होंने ही मंत्री बनाया था और उन्होंने ही हटाया भी.
2014 लोकसभा चुनाव से पहले मुज़फ़्फ़रनगर में हुए दंगे के बाद वोटों का ध्रुवीकरण हुआ और संजीव बालियान चार लाख से ज्यादा अंतर से जीत दर्ज करने में सफल हुए थे. लेकिन इस बार हालात बदले हुए हैं. दंगे का ज़ख्म अब भी है, लेकिन असर कम है और दूसरी तरफ रालोद प्रमुख चौधरी अजित सिंह उनके सामने हैं.
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