Newslaundry Hindi
नरेंद्र मोदी फेसबुक लाइव पर बार-बार राहुल और मायावती से पिछड़ क्यों रहे हैं?
वंडरलिस्ट डॉट कॉम के अनुसार भारत में फेसबुक पर सबसे ज़्यादा फॉलोअर्स प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हैं. इसके साथ ही दी गयी लिस्ट के अनुसार वह इस लिस्ट में अकेले राजनेता हैं! वंडरलिस्ट डॉट कॉम के पंद्रह लोगों की लिस्ट में दूसरे नंबर पर क्रिकेटर विराट कोहली हैं और उनके अलावा सारे के सारे नाम एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री के हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पार्टी भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के भी फेसबुक पर बहुत ज़्यादा फॉलोअर्स हैं. फेसबुक पर नरेंद्र मोदी के 43.2 मिलियन फॉलोअर्स हैं. (वे फॉलोअर्स ग्लोबल भी हो सकते हैं) जबकि भारत में कुल 260 मिलियन फेसबुक अकाउंट हैं. अर्थात हमारे देश में जो भी व्यक्ति फेसबुक पर है, उसमें से हर छठां व्यक्ति प्रधानमंत्री मोदी को फॉलो करता है.
अगर मोदी की तुलना में दूसरे नेताओं का फेसबुक एकाउंट देखें, तो बाक़ी नेता उनसे काफ़ी पीछे हैं. नरेंद्र मोदी के बाद जिस नेता को सबसे अधिक फेसबुक पर फॉलो किया जाता है, वह दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल हैं जिनके लगभग 7 मिलियन (69,95,885) फॉलोअर्स हैं. तीसरे नंबर पर राहुल गांधी हैं, जिनको 2.9 मिलियन (29,05,036) लोग फॉलो करते हैं. नेताओं में चौथे नंबर पर समाजवादी पार्टी के अखिलेश यादव हैं, जिन्हें 2.63 मिलियन लोग फॉलो करते हैं.
फेसबुक पर जिस तरह नेताओं की लोकप्रियता है अपवाद को छोड़कर लगभग उसी तरह की लोकप्रियता उनकी पार्टियों के फेसबुक पेज की भी है. बीजेपी के 15.8 मिलियन, कांग्रेस पार्टी के 5.3 मिलियन (53,72,496), आम आदमी पार्टी के 3.5 मिलियन (35,83,101) और समाजवादी पार्टी के 2.6 मिलियन (26,35,795) फॉलोअर्स हैं.
लेकिन लोकसभा चुनाव के बीच समर में फॉलोअर्स और फेसबुक लाइव के दर्शकों के बीच बहुत अलग तरह का अंतर दिख रहा है. मतलब यह कि फेसबुक पर नेताओं के जितने फॉलोअर्स हैं, उस अनुपात में दर्शकों का आंकड़ा नज़र नहीं आ रहा है. इस ट्रेंड को समझने के लिए सबसे पहले हम समाजवादी पार्टी के फेसबुक पेज से होने वाले लाइव को लेते हैं. मायावती और अखिलेश यादव की पहली साझा रैली 7 अप्रैल को सहारनपुर के देवबंद में हुई. उसे समाजवादी पार्टी के पेज से लाइव किया गया. लाइव शुरू होने के 5 मिनट के बाद मायावती के भाषण को 6.5 हजार लोग देख-सुन रहे थे. पंद्रह मिनट के बाद अखिलेश यादव के भाषण को सुनने वालों की संख्या लगभग 8 हजार हो गयी जबकि अजीत सिंह के भाषण के समय यह संख्या 7.2 हजार थी.
इसी तरह जब कांग्रेस पार्टी के फेसबुक पन्ने से जब कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी का भाषण शुरू होता है तो पांच मिनट के बाद उन्हें फेसबुक पर लाइव सुनने वालों की संख्या लगभग 12 सौ के आसपास होती है जो समय-समय पर आगे-पीछे होती रहती है और यह अधिकतम 4000 तक पहुंच जाती है.
इस हिसाब से सबसे चौंकानेवाला आंकड़ा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह का है. इसी आंकड़े के चलते हमने पार्टियों के फेसबुक पन्ने का विश्लेषण किया. नरेंद्र मोदी के फेसबुक पेज के ज़्यादा फॉलोअर्स हैं, इसी तरह भाजपा के आधिकारिक पन्ने के फॉलोअर्स भी सबसे ज़्यादा हैं. प्रधानमंत्री जब भाषण देना शुरू करते हैं तो फेसबुक पेज पर लाइव देखने वालों की संख्या एक हजार के आसपास होती है और बीस मिनट के बाद यह 1.3 से 1.2 हजार के बीच आकर ठहर जाती है. अगर यह भाषण 40 मिनट तक चला तो उनके फेसबुक पेज से हो रहे लाइव देखने वालों का औसत आंकड़ा 800 के करीब सिमट जाता है. जबकि बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह को बीजेपी के फेसबुक लाइव पेज पर सुनने वालों की स्थिति बहुत ही निराशाजनक होती है. अमित शाह के बीजेपी के अधिकारिक पेज पर लाइव देखने वालों की संख्या अधिकतम 500 तक जा पाती है. न्यूनतम का आंकड़ा 150 तक जा चला जाता है.
यह लाज़मी सवाल उठता है कि जब बीजेपी और नरेंद्र मोदी के पेज को पसंद करने वाले लोगों की संख्या इतनी है, तो उनके पेज पर हजारों लोग भाषण सुनने-देखने क्यों नहीं आते हैं? दूसरा सवाल यह यह भी है कि मायावती-अखिलेश तो सिर्फ़ उत्तर प्रदेश राज्य को ही प्रतिनिधित्व करते हैं, फिर उनके पेज पर मोदी से भी ज़्यादा लोग क्यों टिके रहते हैं या राहुल गांधी को लोग इतनी संख्या में क्यों सुनते हैं? आश्चर्यजनक ढंग से जिस दिन इटावा में मायावती और मुलायम सिंह यादव ने 24 वर्षों बाद पहली बार एक साथ दिखे थे, उस समय समाजवादी पार्टी के आधिकारिक पेज से 17.2 हजार लोग एक साथ लाइव देख-सुन रहे थे.
भारत में आज के दिन कुल 813.2 मिलियन मोबाइल फोन हैं, जिसमें 39 फीसदी स्मार्टफोन हैं. इसका आंकड़ा मिलना काफ़ी मुश्किल है कि समाज के किस वर्ग के पास कौन-सा मोबाईल फोन है, लेकिन सामान्यतया माना जाता है कि स्मार्टफोन का इस्तेमाल वे लोग करते हैं जिनकी क्रय शक्ति अधिक है. अगर इसी तर्क को हम सभी पार्टियों पर लागू करें, तो यह कहा जा सकता है कि भारतीय जनता पार्टी के समर्थकों के पास सबसे अधिक स्मार्टफोन होगा, दूसरे नंबर पर कांग्रेस पार्टी के समर्थक होंगे और तीसरे नंबर पर सपा-बसपा के समर्थक होंगे!
इसी तर्क के अनुसार मोदी और भाजपा के फॉलोअर्स के हिसाब से सबसे ज़्यादा दर्शक उनके पेज पर होने चाहिए और सबसे कम बसपा-सपा के होने चाहिए, लेकिन आंकड़ा उसके ठीक उलट है. बसपा-सपा के बारे में तो यह भी कहा जा सकता है कि बसपा के अधिकांश समर्थकों के पास स्मार्टफोन नहीं होगा, क्योंकि उनके समर्थक ज़्यादातर समाज के निचले और निम्नवर्गीय परिवारों से आते हैं. और जिनके पास होगा वहां एक साथ चार-पांच समर्थक फेसबुक लाइव के द्वारा मायावती व अखिलेश का भाषण सुन रहा होगा.
पहली मई को देश की बेहद लोकप्रिय पत्रिका इंडिया टुडे में समर्थ बंसल ने एक स्टोरी की कि भले ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ट्विटर पर 47.1 मिलियन फॉलोअर हों लेकिन उनके ट्वीट को कम लोग रीट्वीट करते हैं, जबकि उनसे बहुत कम फॉलोअर वाले राहुल गांधी (9.34 मिलियन) को उनसे ज़्यादा रीट्वीट किया जाता है. समर्थ बंसल ने अपनी स्टोरी में लिखा है कि राहुल गांधी के एक ट्वीट को औसतन 7,662 बार रीट्वीट किया जाता है जबकि प्रधानमंत्री मोदी के ट्वीट को औसत 2,984 रीट्वीट होते हैं.
उसी तरह आज से लगभग पांच महीना पहले दिसबंर 2018 में टाइम्स ऑफ इंडिया ने ‘हाऊ राहुल बीट मोदी इन द सोशल मीडिया बैटल’ में लिखा कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के ट्वीट से ज़्यादा लोग अपने को जोड़ते हैं, जबकि मोदी को उनकी तुलना में कम ट्रैफिक मिलता है. दिसबंर 2018 में राहुल गांधी को ट्विटर पर फॉलो करनेवालों की संख्या 8.08 मिलियन थी, जबकि नरेंद्र मोदी को फॉलो करने वाले 44.7 मिलियन लोग थे. पांच महीने के बाद फॉलोअर्स की संख्या देखें तो हम पाते हैं कि जहां मोदी के फॉलोअर्स की संख्या में लगभग 2.7 मिलियन का इजाफ़ा हुआ है वहीं राहुल गांधी के फॉलोअर्स में 1.26 मिलियन का इजाफ़ा हुआ है.
2014 के लोकसभा चुनाव में जब मोदी दिल्ली के तख़्त पर काबिज़ होने की तैयारी कर रहे थे, तो हर जगह उनकी और उनकी पार्टी की चर्चा थी. सोशल मीडिया के हर प्लेटफार्म पर सिर्फ़ और सिर्फ़ मोदी दिखते थे. अगर उन्हें थोड़ी-बहुत चुनौती दी गयी थी तो वह आम आदमी पार्टी और अरविंद केजरीवाल की तरफ से मिली थी. लेकिन पांच साल के बाद इशारे बदलते दिख रहे हैं. कांग्रेस और समाजवादी पार्टी ने इस प्लेटफार्म का इस्तेमाल ज़रूर किया है, लेकिन जनता में मोदी को लेकर शायद वह उत्साह नहीं है जो पहले था. अन्यथा क्या कारण हो सकता है कि मोदी और उनकी पार्टी को अभी भी सोशल मीडिया पर चाहने वालों की संख्या सबसे अधिक है, लेकिन दर्शक लगातार कम होते जा रहे हैं जबकि कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के दर्शक लगातार बढ़ रहे हैं!
क्या यह किसी तरह के बदलाव का इशारा है, 23 मई तक इंतजार करने की ज़रूरत है!
Also Read
-
What’s Your Ism? Ep 9. feat Shalin Maria Lawrence on Dalit Christians in anti-caste discourse
-
Uttarakhand forest fires: Forest staff, vehicles deployed on poll duty in violation of orders
-
Mandate 2024, Ep 3: Jail in Delhi, bail in Andhra. Behind the BJP’s ‘washing machine’ politics
-
‘They call us Bangladeshi’: Assam’s citizenship crisis and neglected villages
-
PM Modi’s mangalsutra, bhains, Muslims speech: What do Bihar’s youth think?