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एनएल चर्चा 80: प्रधानमंत्री का लाल क़िले से भाषण, अनुच्छेद 370, पहलु खान और अन्य

कश्मीर से धारा 370 हटाये जाने के बाद अभी भी वहां संचार के सारे माध्यम बन्द है. सेना की बड़े पैमाने पर तैनाती जारी है. इसी बीच कश्मीर के सौरा इलाके में हुए एक प्रदर्शन का वीडियो जारी करने के कारण बीबीसी न्यूज़ कुछ लोगों के निशाने पर है. वहीं राहुल गांधी के कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने के बाद कांग्रेस ने अपना नया अध्यक्ष चुन लिया है. एक बार फिर से सोनिया गांधी कांग्रेस अध्यक्ष बन गई हैं. राजस्थान के अलवर में दो साल पहले पहलू खान की भीड़ द्वारा की गई हत्या के मामले में निचली कोर्ट ने हत्या के सभी आरोपियों को बरी कर दिया है. वहीं 15 अगस्त को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले से देश को संबोधित किया.

इन तमाम मुद्दों के इर्दगिर्द इस बार की एनएल चर्चा केंद्रित रही. चर्चा का संचालन न्यूज़लॉन्ड्री के कार्यकारी संपादक अतुल चौरसिया ने किया. वरिष्ठ पत्रकार शांतनु गुप्ता और न्यूज़लॉन्ड्री के स्तंभकार आनन्द वर्धन इस बार चर्चा में शामिल हुए. 

चर्चा की शुरुआत में प्रधानमंत्री के लाल किले से दिए गए संबोधन पर शांतनु कहते हैं, “प्रधानमंत्री का भाषण काफी लंबा था. 2019 की बड़ी जीत का असर उनके भाषण में भी दिख रहा था. लाल किले की प्राचीर से वे छठीं दफा भाषण दे रहे थे. मैं इस पूरे भाषण को तीन या चार भागों में बांटकर देखता हूं. पहला उन्होंने सुरक्षा में रिफॉर्म की बात की और चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ की बात की. जो 20 साल से पेंडिंग थी. नेहरूजी के समय भी इसकी चर्चा हुई थी हालांकि तब इसका नाम कुछ और था. वहीं 370 के मामले पर देश के बाहर और भीतर के विरोधियों को उन्होंने जवाब दिया. फिर उन्होंने देश की जनता का जीवन कैसे सुधारा जाए इस पर बहुत सी बातें की. जनसंख्या नियंत्रण का जिक्र भी प्रधानमंत्री ने अपने भाषण में किया.” 

यहां अतुल चौरसिया ने बताया कि चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ की बात कारगिल युद्ध के बादसे ही होने लगी थी. उस वक़्त जो कमीशन बना था उसके सुझाव में भी था कि चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ बनना चाहिए ताकि तीनों सेनाओं के बीच समन्वय का एक बिंदु हो. यानि नीतिगत और सांस्थानिक लिहाज से देखे तो ये प्रधानमंत्री के भाषण का सबसे बड़ा फैसला है. दुनिया की नजरिए से देखे तो अमेरिका में यह पद काफी समय से है और बेहद ताकतवर पद है. अतुल ने एक संशय जाहिर किया कि चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ का जो पद बनेगा उस पर जिस व्यक्ति की नियुक्ति होगी वो सिविल साइड से नियुक्ति होगी या सैनिय बलों का अधिकारी होगा?  

आनंद वर्धन ने इस सवाल के जवाब में कहा, मुझे भी इसकी जानकारी नहीं है लेकिन लगता है कि वो सैन्य अधिकारी ही होगा. आनंद वर्धन ने कहा कि पहले भी सैन्य पक्ष की तरफ से डिफेंस सचिव होते थे जो अक्सर तीनों सेनाओं के नजरिए पर भारी पड़ते थे और निर्णय लेने के मामले में पीछे रह जाते थे. पर देखना ये होगा कि आगे इस पर किस तरह काम होगा.

जनसंख्या वृद्धि को लेकर भी इस बार विस्तार से चर्चा हुई. चर्चा में शामिल लोगों ने इस पर विस्तार से बात की. आनंद वर्धन ने कहा कि संभव है कि आने वाले समय में सरकार जन्संख्या को लेकर कोई नीतिगत फैसला ले सकती है लेकिन उसका बेहतर असर शायद ही हो. वहीं शांतनु का कहना है कि सबको लगता था कि धारा 370 नहीं हटेगा, नोटबंदी लागू नहीं हो सकती, लेकिन सब कुछ हुआ. तो ऐसे में ये कहना सही नहीं है कि सरकार कोई फैसला लागू नहीं हो सकता.

पहलू खान की मॉब लिचिंग पर जो सभी 6 आरोपी बरी हुए हैं उस निर्णय पर टिप्पणी करते हुए कोर्ट ने कहा कि जांच में काफ़ी सबूतों और पहलुओं को अनदेखा किया गया है. अतुल चौरसिया ने इस पर सवाल खड़ा किया कि अगर अदालतें ये कह सकती है कि जांच ठीक से नहीं हुई, या जांच करने वालों ने लापरवाही या जानबूझकर सबूतों के साथ खिलवाड़ किया तो वे अदालतें जिम्मेदार पुलिसकर्मियों की जवाबदेही और कार्रवाई क्यों नहीं करतीं हैं ताकि भविष्य के लिए कोई नज़ीर बन सके

उस पर आनन्द कहते है कि ये आखिरी निर्णय नहीं है. इसके कई अध्याय अभी बाकी हैं. मुझे लगता है कि इस मामले में लापरवाही की जिम्मेदारी स्थानीय स्तर पर जिले के एसपी को लेनी होगी लेकिन निचली अदालतें बर्खास्तगी जैसे आर्डर पास करने में बहुत पीछे रहती हैं. 

इसी प्रकार अतुल चौरसिया के संचालन में इन ख़ास मेहमानों के साथ शेष विषयों पर भी चर्चा की गई. पूरी चर्चा सुनने के लिए एनएल चर्चाका यह ख़ास पॉडकास्ट सुनें.

पत्रकारों की राय. क्या पढ़ें, देखें या सुने

शांतनु गुप्ता:

रिलीजियस डेमोग्राफिक ऑफ इंडिया (डॉ जेके बजाज)

आनंद वर्धन: 

ए लाइफ इस नॉट एनफ़ (के नटवर सिंह)

 उपन्यास सुनी घाटी का सूरज (श्रीलाल शुक्ल)

अतुल चौरसिया : 

न्यूज़लांड्री की कश्मीर सीरीज़

न्यूज़लांड्री पर प्रदीपिका सारस्वत की रिपोर्ट