Newslaundry Hindi

एनएल चर्चा 81 : पी चिदंबरम, अमेजॉन में लगी आग, कश्मीर और अन्य  

इस सप्ताह की चर्चा के केंद्र में पी चिदंबरम की आईएनएक्स मीडिया के मामले में हुई गिरफ्तारी है, जिसने देश की राजनीति में काफी बवाल पैदा किया है. साथ ही जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटने के बाद कश्मीर के जो हालात सामने आ रहे है, पाकिस्तान का जो रवैया अब तक रहा है वह भी बहस का विषय रहा. साथ ही पूर्व वित्त मंत्री और बीजेपी के दिग्गज नेता अरुण जेटली के निधन के बाद भारतीय जनता पार्टी की संस्कृति में एक अहम बदलाव देखने को मिल सकता है. इसके अलावा अमेज़ॉन के जंगलों में लगी भयानक आग पैनल के बीच एक औऱ चिंता के तौर पर शामिल हुआ. भारत सरकार की नई डिजिटल मीडिया नीति, बॉम्बे हाईकोर्ट द्वारा भीमा कोरेगांव मामले के एक आरोपी वर्नोन गोंजाल्विस की जमानत पर सुनवाई के दौरान ‘वॉर एन्ड पीस’ उपन्यास पर की गई आदि विषय इस हफ्ते सुर्खियों में रहे.

इस हफ्ते के पॉडकास्ट में उपरोक्त सभी मसलों पर चर्चा करने के लिए दो ख़ास मेहमान मौजूद रहे. न्यूज़लॉन्ड्री के कार्यकारी संपादक अतुल चौरसिया के संचालन ने चर्चा का संचालन किया जबकि न्यूज़लॉन्ड्री के मेघनाद और भारतीय जनसंचार संस्थान के महानिदेशक रह चुके प्रोफेसर केजी सुरेश बतौर मेहमान मौजूद रहे.

अतुल ने चर्चा की शुरुआत करते हुए मेघनाद से आईएनएक्स मामले के बारे में विस्तार में जानकारी चाही. मेघनाद कहते हैं, “2007 में आईएनएक्स मीडिया करके एक कंपनी थी जिनके मालिक इन्द्राणी मुखर्जी और पीटर मुखर्जी थे. उनको विदेशी फंडिंग चाहिए थी. वो उस समय विदेश मंत्रालय के पास एफआईपीबी क्लीयरेंस के लिए गए. उन्होंने वादा किया कि उनका एक शेयर दस रुपये कीमत का होगा और इसमें तीन विदेशी इन्वेस्टर्स से पैसा आएगा. तत्कालीन वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने उन्हें मंज़ूरी दे दी पर उन्होंने एक शर्त रखी कि वो आईएनएक्स न्यूज़ प्राइवेट लिमिटेड के लिए इन्वेस्ट नहीं कर सकते हैं. पर हुआ ये कि उन्होंने मंज़ूरी मिलने के बाद आईएनएक्स ने अपने शेयर्स का दाम 86 गुना बढ़ा दिया यानि 860 रुपए कर दिया और 305 करोड़ रुपये का इन्वेस्टमेंट कंपनी में मॉरिशस के जरिए हुआ. साथ ही उन्होंने डाउनस्ट्रीम इन्वेस्टमेंट यानि न्यूज़ प्राइवेट लिमिटेड में भी कर दिया जो क्लीयरेंस के खिलाफ था. यहां कथित तौर पर दो गड़बड़ी सामने आती है, एक तो निवेश की सीमा से ज्यादा पैसा लिया गया और दूसरा उसे न्यूज़ वेंचर में डाला गया. इसके बाद एफआईपीबी ने और इनकम टैक्स ने उनके खिलाफ चांज शुरू की. उन्हें लगा कि अब वो फंस गए है तो उन्होंने चेस मैनेजमेंट प्राइवेट लिमिटेड कंपनी को हायर किया ताकि वो उनकी तरफ से वित्त मंत्रालय से उनके लिए बात करें. इस कंपनी के फाउंडर पी चिंदंबरम के बेटे कार्ति चिदंबरम हैं. इसी मामले में ईडी और सीबीआई को लगता है कि कार्ति चिदंबरम को पैसा मिला है और ये मामला फिर पी चिदंबरम से भी जुड़ता है.”

इस पर अतुल कहते हैं, “इसमें एक बात सामने आई कि सीबीआई की मूल एफआईआर में पी चिदंबरम का नाम तक नहीं है, तो इस लिहाज़ से जो कहा जा रहा है कि ये एक राजनीतिक कार्रवाई है. कहीं न कहीं ये नहीं लगता है कि सरकार ने जल्दबाज़ी की है?”

इस पर केजी सुरेश कहते है, ‘‘मुझे लगता है. इसके कई पहलू हैं. एक पहलू है कि इस देश में जब कभी भी जो गाज गिरती है तो वो छोटे लोगों पर गिरती हैं. छोटे कर्मचारियों पर गिरती हैं. बड़े लोग अक्सर बचकर निकल जाते हैं. चिदंबरम की गिरफ्तारी ने या इससे पहले जो लालू प्रसाद यादव के साथ हुआ है या चौटाला के साथ हुआ, सुखराम के साथ हुआ तो एक मैसेज ये जाता है कि आप कितने ताकतवर क्यों न हो कानून आपको बख्शेगा नहीं. पर जिस तरीके से चिदंबरम के घर पर घटनाक्रम हुआ, सीबीआई के लोग उनके घर में दीवार फांद कर घुसे, उससे अच्छा संदेश नहीं गया.”

इसी प्रकार बाकी विषयों पर भी दिलचस्प औऱ गंभीर चर्चा हुई. पूरी चर्चा सुनने के लिए ‘एनएल चर्चा’ का यह ख़ास पॉडकास्ट सुनें.

Show quoted text

पत्रकारों की राय क्या देखे, क्या सुने, क्या पढ़ें.

केजी सुरेश

युनाइटेड ब्रेक्स गिटार

मेघनाथ

होमो डियस : ए ब्रीफ हिस्ट्री ऑफ टुमॉरो

पार्लियामेंटल

अतुल चौरसिया

राहुल कोटियाल की कश्मीर से छपी ग्राउंड रिपोर्ट

पहली किस्त: ‘सन्नाटा इतना घना है कि घरों के भीतर से ड्रोन के पंखों की आवाज़ सुनी जा सकती है’

दूसरी क़िस्त : पब्लिक टेलीफोन बूथ बन गया है बारामुला पुलिस थाना

तीसरी क़िस्त : ‘सड़कों पर जवान नहीं होंगे तो पत्थरबाज किस पर पत्थर चलाएंगे’ 

हम 24 घंटे बंदूक थामे रहते हैं इसीलिए ये बात बेहतर समझते हैं कि अमन बंदूक से नहीं आ सकता है’

पांचवीं क़िस्त : क्या चल रहा है घाटी के अल्पसंख्यकों (कश्मीरी पंडित, सिख और बकरवाल-गुर्जर) के मन में

छठवीं क़िस्त: ‘तिरंगा उठाने वाले बचे-खुचे लोगों को भी अपना दुश्मन बना दिया भारत ने’

हंस पत्रिका में प्रकाशित अनिल यादव की कहानी गोसेवा.