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एनएल चर्चा 88: व्हाट्सएप जासूसीकांड, मादी शर्मा, अरविंद केजरीवाल और अन्य
इस सप्ताह एनएल चर्चा व्हाट्सएप पर पत्रकारों, मानवाधिकाकर्मियों और अकादमिकों की हुई जासूसी मुख्य रूप से केंद्रित रही. इसके अलावा यूरोपियन यूनियन सांसदों के समूह की कश्मीर यात्रा, महाराष्टर में नई सरकार को लेकर शिवसेना और भाजपा के बीच जारी नाराकुश्ती, दिल्ली में अरविंद केजरीवाल सरकार द्वारा महिलाओं को मुहैया करवाई गई मुफ्त बस यात्रा की सुविधा भी चर्चा का विषय रहे.
“एनएल चर्चा” में इस बार दो मेहमान पत्रकारों ने शिरकत की. प्रभात ख़बर अखबार के ब्यूरो प्रमुख प्रकाश के रे और साथ ही ऑब्जर्वर रीसर्च फाउंडेशन की डिजिटल एडिटर स्वाति अर्जुन बतौर मेहमान चर्चा का हिस्सा बने. चर्चा का संचालन न्यूज़लॉन्ड्री के कार्यकारी संपादक अतुल चौरसिया ने किया.
चर्चा की शुरुआत व्हाट्सएप पर कुछ मनावाधिकार कर्मियों, पत्रकारों, वकीलों की जासूसी के मुद्दे से हुई. इजराइल की एनएसओ ग्रुप नाम की कंपनी ने अपने जासूसी सॉफ्टवेयर पगासुस के जरिए दुनिया भर के लगभग 2400 लोगों की जासूसी इसी साल मार्च से मई के महीने में की. व्हाट्सएप को जब इस बात की जानकारी हुई तब उसने इसके शिकार लोगों को बीते महीने के दौरान इस बात की जानकारी दी. खुद व्हाट्सएप ने एनएसओ ग्रुप के खिलाफ अमेरिका की एक अदालत में याचिका भी दायर की है. पगासुस सॉफ्टवेयर की कार्यप्रणाली इतनी शातिर है कि इसे सिर्फ एक मिस्ड कॉल के जरिए ही किसी के स्मार्ट फोन में इंस्टाल किया जा सकता है.
इस संबंध एनएसओ का बयान आया है कि वह अपना सॉफ्टवेयर सिर्फ सरकारी एजेंसियों, लॉ इंफोर्समेंट एजेंसियों को ही देती है, किसी निजी संस्थान को नहीं. इस बयान से यह वाजिब सवाल खड़ा होता है कि क्या भारत में किसी सरकारी एजेंसी ने पगासुस की खरीद की. अतुल ने पैनल के सामने इस स्थिति को रखते हुए कहा, “यह बात एनएसओ कह रहा है कि वह सिर्फ सरकारी संस्थानों या लॉ इंफोर्समेंट एजेंसियों को ही अपनी सेवाएं देता है. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या हमारे देश की किसी एजेंसी ने ये सेवाएं ली या फिर एनएसओ लोगों से झूठ बोल रहा है?”
इस पर प्रकाश के रे ने अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “यह स्पष्ट करना सरकार का काम है. हैकिंग य डाटा चोरी कोई नई बात नहीं है लेकिन इस मामले में चिंता की बात ये है कि इसके शिकार वो एक्टिविस्ट या पत्रकार लोग हैं जो सरकार की राय से अलग विचार रखते हैं. मुझे नहीं लगता कि सरकार की तरफ से ऐसा कोई गंभीर बयान आएगा. टालमटोल वाला कोई बयान जारी कर देगी सरकार. स्नोडेन के मामले में हमने देखा कि किस तरह से सीआईए और पेंटागन मिलकर दूसरे देशों के राष्ट्राध्यक्षों के फोन टैप कर रहे थे.”
जासूसी के मसले पर स्वाति अर्जुन की प्रतिक्रिया सधी हुई थी, “यह एक बड़ी खबर आई है लेकिन अभी इस मामले में कोई निष्कर्ष निकालने से हमें बचना चाहिए. जरूरत से ज्यादा चीजों को खोजना, बिटवीन द लाइन्स पढ़ने से हमें बचाना चाहिए. जिस तरह से यह सरकार या इसमें शामिल लोग काम करते हैं उसमें लोकतांत्रिक तरीके का वैसे भी बहुत अभाव है.”
दोनों पैनलिस्ट के साथ बाकी विषयों पर भी जोरदार चर्चा हुई. इसके लिए पूरा पॉडकास्ट सुनें.
पत्रकारों की राय, क्या देखा, सुना और पढ़ा जाय:
अतुल चौरसिया
प्रकाश के रे
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स्वाति अर्जुन
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