Newslaundry Hindi
दिल्ली के अख़बारों में छपे भर-भर पेज विज्ञापन का भाजपा कनेक्शन
5 फरवरी को नरेंद्र मोदी ने लोकसभा में अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए बनने वाले ट्रस्ट के गठन की घोषणा की. अगले दिन यानि 6 जनवरी को दिल्ली के सभी बड़े अखबारों में एक पूरे पेज का विज्ञापन छपा है जिसमें प्रधानमंत्री को इसके लिए बधाई दी गई है.
टाइम्स ऑफ़ इंडिया, हिंदुस्तान टाइम्स, दैनिक जागरण, हिंदुस्तान हिंदी, नवभारत टाइम्स और दैनिक भास्कर के दिल्ली संस्करणों में पीएम मोदी को धन्यवाद देते हुए फुल पेज का विज्ञापन छपा जिसमें लिखा गया है- “अयोध्या में भगवान श्रीराम के भव्य मंदिर के निर्माण के लिए स्वायत्त न्यास श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के गठन और 67 एकड़ जमीन के आवंटन के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी को कोटि-कोटि अभिनंदन. आइये, इस एतिहासिक क्षण में हम सभी मिलकर अयोध्या में श्रीराम धाम के जीर्णोद्धार के लिए, भव्य राम मंदिर निर्माण के, एक स्वर में अपना समर्थन दें.’’ इसमें भगवान श्रीराम का बड़ा सा चित्र भी है.
गौरतलब है कि 9 नम्बर को विवादित राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद मामले में फैसला देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने तीन महीने के भीतर मंदिर निर्माण के लिए ट्रस्ट बनाने का आदेश केंद्र सरकार को दिया था.
तमाम अख़बारों में छपा यह विज्ञापन अनायास पाठकों का ध्यान अपनी तरफ खींचता है. यह विज्ञापन इसलिए भी संदेह पैदा करता है क्योंकि यह दिल्ली में जारी विधानसभा चुनावों के प्रचार के दरम्यान प्रकाशित हुआ है. ऊपर से देखने पर यह विज्ञापन किसी स्वतंत्र संस्था द्वारा प्रधानमंत्री को धन्यवाद ज्ञापित करने वाला सामान्य विज्ञापन का आभास देता है. लेकिन इसके पीछे किस तरह से भाजपा खड़ी है और यह सिर्फ दिल्ली के संस्करणों में ही क्यों प्रकाशित हुआ? ये कुछ ऐसे सवाल हैं जिनके जवाब खोजने पर हमारे सामने आश्चर्यजनक सच्चाई आई.
क्या है कर्माटांड़ फाउंडेशन
खोजबीन के दौरान इस विज्ञापन की तली पर लिखा एक शब्द कर्माटांड़ फाउंडेशन हमें नज़र आया. इस एक सूत्र के जरिए हमने अपनी खोज आगे बढ़ाई. पहली सच्चाई जो हमारे सामने आई वह ये कि ये विज्ञापन सिर्फ दिल्ली के संस्करणों में ही प्रकाशित हुआ है. जबकि राम मंदिर का निर्माण अयोध्या में होना है. जाहिर है इसके पीछे एक सोच यह रही कि दिल्ली के चुनाव में नरेंद्र मोदी के प्रचार का एक छद्म तरीका निकाला गया. यह महज संयोग है या जानबूझकर दिल्ली चुनाव को प्रभावित करने के लिए ऐसा किया गया है?
इस सवाल का जवाब कर्माटांड़ फाउंडेशन के बारे में जानकारी निकालने पर मिला. साल 2008-09 में बना कर्माटांड़ फाउंडेशन पहले दिल्ली के लक्ष्मी नगर इलाके से संचालित होता था, लेकिन अब इसका कार्यालय झारखंड के गिरिडीह जिले में है. यह जानना दिलचस्प है कि गिरिडीह में एक जगह है जिसका नाम है कर्माटांड़.
यह फाउंडेशन गिरिडीह जिले में केएन बक्शी कॉलेज ऑफ़ एजुकेशन नाम से एक कॉलेज का संचालन करता है. विनोबा भावे विश्वविद्यालय, हजारीबाग द्वारा मान्यता प्राप्त इस संस्थान में बैचलर ऑफ़ एजुकेशन और डोप्लोमा इन एलीमेंट्री एजुकेशन का कोर्स कराया जाता है. इसका मकसद देश में बेहतरीन शिक्षक तैयार करना है.
जो संस्थान गिरिडीह में गितिविधिया चला रहा है उसको राम मंदिर के लिए प्रधानमंत्री मोदी को बधाई देने के लिए दिल्ली में फुल पेज विज्ञापन देने की ज़रूरत क्यों पड़ी?
केएन बक्शी जिनके नाम पर इस कॉलेज का नाम है उनका पूरा नाम है कार्तिक नारायण बक्शी. केएन बक्शी का देहांत हो चुका है. यह कॉलेज उनके नाम पर उनके बेटे शिव शक्ति नाथ बक्शी ने स्थापित किया है. शिव शक्ति नाथ बक्शी इस कॉलेज को चलाने वाली संस्था के चेयरमैन हैं. अब आपको बात थोड़ा-थोड़ा साफ हो रही होगी. ये वही शिव शक्ति नाथ बक्शी है जिनके ट्विटर एकाउंट के मुताबिक वो भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक हैं. इसके आलावा भी बक्शी की कई पहचाने हैं. वो बीजेपी के मुखपत्र कमल सन्देश के संपादक हैं. जवाहरलाल नेहरु यूनिवर्सिटी से पढ़ाई करने वाले बक्शी कॉलेज के दिनों में अखिल भारतीय विधार्थी परिषद से जुड़े रहे. शिव शक्ति नाथ बक्शी कर्माटांड़ फाउंडेशन के ट्रस्टी भी हैं.
बक्शी ने न्यूज़लॉन्ड्री से बात करते हुए बताया, ‘‘कॉलेज चलाना कर्माटांड़ फाउंडेशन का एक काम है. इसके अलावा इसके जरिए संस्कृति, शिक्षा और पर्यावरण समेत कई क्षेत्रों में काम किया जाता है.’’
दिल्ली में मतदान से महज दो दिन पहले इस तरह का विज्ञापन देकर क्या छद्म तरीके से चुनाव में मोदी और भाजपा के प्रचार की कोशिश है ये विज्ञापन? विज्ञापन सिर्फ दिल्ली में क्यों दिया गया? इस पर शिव शक्ति नाथ बक्शी कहते हैं, ‘‘दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र है. हम लोग राष्ट्रीय राजधानी में संदेश देना चाहते थे. यहां से पूरे देशभर में संदेश जाता है. इसका दिल्ली चुनाव से कोई लेना देना नहीं है. प्रधानमंत्री जी ने कल घोषणा की ही है. तो क्या सारे अख़बारों ने नहीं छापा है. तो उससे दिल्ली चुनाव प्रभावित नहीं हो रहा है? यह विज्ञापन उन्हें धन्यवाद के लिए है.’’
रोजाना अख़बारों में विज्ञापन देने वाली बीजेपी आखिर यह विज्ञापन खुद क्यों नहीं छपवा पाई? विज्ञापन उसी से मुख्य रूप से जुड़े एक शख्स के संस्थान द्वारा छपवाया गया. इस सवाल के जवाब में शिव शक्ति नाथ कहते हैं, ‘‘देखिए इस विज्ञापन से बीजेपी का कुछ लेना देना नहीं है. यह हम लोगों ने अपने संस्थान के माध्यम से किया है. मैं भले ही कर्माटांड़ फाउंडेशन से जुड़ा हुआ हूं लेकिन मेरे साथ और भी कई लोग जुड़े हुए है. वे तो अलग-अलग संस्थानों से जुड़े हुए है, बीजेपी से नहीं हैं. यह मेरा व्यक्तिगत संस्थान नहीं है.’’
कर्माटांड़ फाउंडेशन के दूसरे ट्रस्टी रणविजय शंकर हैं. रणविजय केएन बक्शी कॉलेज में ज्वाइंट सेक्रेट्री के पद पर भी कार्यरत हैं. जैसे हमने ऊपर बताया कि केएन बक्शी कॉलेज बीजेपी नेता शिव शक्ति नाथ बक्शी के पिताजी के नाम पर है.
न्यूज़लॉन्ड्री से बात करते हुए रणविजय कहते हैं, ‘‘इस विज्ञापन को छपवाने का एक ही मकसद था कि कल एक फैसला (मन्दिर के लिए ट्रस्ट बनाने का) कल आया है. हम वैचारिक रूप से राम मंदिर से जुड़े हुए हैं. फैसला आया तो हमें अच्छा लगा. ट्रस्ट के सभी लोगों ने मिलकर निर्णय लिया कि एक विज्ञापन जाना चाहिए. फिर हमने विज्ञापन दिया.’’
क्या इस विज्ञापन के जरिए छद्म तरीके से दिल्ली चुनाव में भाजपा को फायदा पहुंचाने की कोशिश नहीं की गई है. इस तरीके से आप चुनाव आयोग की आचार संहिता को ठेंगा दिखाते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का प्रचार कर रहे हैं. इस पर रणविजय कहते हैं, ‘‘इस विज्ञापन का दिल्ली चुनाव से कोई सम्बंध नहीं है. मुझे नहीं लगता कि इससे चुनाव प्रभावित होगा. मेरा बीजेपी से कोई जुड़ाव नहीं है. वैचारिक सहमति ज़रूर है.’’
दिल्ली चुनाव में आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल खुले मंच से कहते नजर आ रहे हैं कि अगर मैंने काम नहीं किया हो तो मुझे वोट मत दीजिएगा. आप की पूरी कोशिश यह है कि चुनाव स्थानीय मुद्दों पर हो ना कि राष्ट्रीय मुद्दों पर वहीं बीजेपी के नेता शाहीन बाग़, धारा 370, कश्मीरी पंडित, राम मंदिर, सर्जिकल स्ट्राइक और आतंकवाद को मुद्दा बनाने की कोशिश पूरे चुनाव प्रचार के दौरान करते रहे.
मतदान से महज दो दिन पहले दिल्ली के सबसे ज्यादा प्रसार संख्या वाले अख़बारों में भारतीय जनता पार्टी से सीधे-सीधे जुड़े एक नेता की संस्था द्वारा विज्ञापन देना गले नहीं उतरता. 2019 को लोकसभा चुनावों से पहले हमने देखा किस तरह से बिना किसी लाइसेंस के नमो टीवी जैसा चैनल लगातार ऑन एयर होता रहा. चुनाव आयोग का काम है मतदान में सभी दलों को बराबरी का मौका मुहैया करवाना, लेकिन इस लक्ष्य को पूरा करने में उसकी कोशिशें लगातार कम पड़ती जा रही हैं. ऐसे भी मौके हमारे सामने आए जब एक राज्य में चुनाव हो रहे थे तब दूसरे किसी आयोजन में प्रधानमंत्री रोड शो या भाषण दे रहे थे. देश का सारा टीवी मीडिया उसे लाइव कर रहा था और आदर्श आचार संहिता कोने में पड़ी सिसक रही थी.
Also Read
-
TV Newsance 250: Fact-checking Modi’s speech, Godi media’s Modi bhakti at Surya Tilak ceremony
-
What’s Your Ism? Ep 8 feat. Sumeet Mhasker on caste, reservation, Hindutva
-
‘1 lakh suicides; both state, central govts neglect farmers’: TN farmers protest in Delhi
-
10 years of Modi: A report card from Young India
-
Reporters Without Orders Ep 319: The state of the BSP, BJP-RSS links to Sainik schools