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Newslaundry Hindi

दिल्ली के अमन को कैसे लगी नफ़रत की नज़र

नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के विरोध में उत्तर पूर्वी दिल्ली के जाफराबाद, मौजपुर, चांदबाग, गोकलपुरी आदि इलाकों में लगातार तीसरे दिन भी हिंसक उपद्रव होता रहा. उपद्रवियों ने कल और आज कई घरों, दुकानों और वाहनों को आग लगा दी. इस प्रदर्शन ने तब और हिंसक रूप धारण कर लिया जब भीड़ ने पत्रकारों पर भी हमला किया. इसमें एनडीटीवी के कई पत्रकारों को चोटें आईं हैं और एक पत्रकार को गोली लगने की भी ख़बर है.

रविवार से शुरू हुई हिंसा में अब तक एक पुलिसकर्मी सहित 10 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकिपुलिस उपायुक्त (डीसीपी) अमित शर्मा और 50 पुलिसकर्मी सहित 100 से अधिक लोग अब तक घायल हो चुके हैं. इलाके में हालात अभी भी तनावपूर्ण बने हुए हैं और भारी संख्या में पुलिस बल तैनात किया गया है. एहतियात के तौर पर उत्तर पूर्वी दिल्ली को जोड़ने वाले सभी मेट्रो स्टेशन भी बंद कर दिए गए हैं.

सोमवार शाम लगभग 6 बजे जब मैं सीलमपुर मेट्रो स्टेशन से ई-रिक्शा में बैठकर जाफराबाद-मौजपुर की ओर बढ़ा तो चारों ओर पुलिस बैरिकेडिंग नज़र आ रही थी. मुख्य मार्ग के दोनों तरफ पुलिस के जवान और ताज़ा-ताज़ा हुए पथराव के निशान मौजूद थे.

जाफराबाद मेट्रो स्टेशन से थोड़ा पहले ही भारी संख्या में लोगों की भीड़ इकट्ठा थी. भीड़ उग्र नारेबाजी करती फिर शांत हो जाती. बीच-बीच में कुछ शांतिप्रिय लोग उस उग्र भीड़ को समझाकर शांत करा रहे थे. जाफराबाद मेट्रो स्टेशन के नीचे बड़ी संख्या में औरतें सीएए का विरोध करने के लिए जमा थीं.

Maujpur Chowk on Monday.

बड़ी मात्रा में पुलिस और पैरा मिलिट्री फोर्स वहां गस्त कर रही थी. थोड़ा आगे बढ़ने पर युवाओं का एक समूह मिला जो आपस में बात कर रहा था. वहां से निकलकर आगे मौजपुर की ओर बढ़ने पर मुझे सीएए समर्थकों का भारी हुजूम नज़र आया. इन लोगों ने भी रास्ता जाम कर रखा था. न्यूज़लॉन्ड्री के हमारे दो साथी वहां पहले से ही मौजूद थे. दोनों मेट्रो स्टेशनों के बीच करीब 500 मीटर के दायरे में दोनों ओर सड़क पत्थरों से पटी पड़ी थी. इसे देखकर आसानी से अंदाजा लगाया जा सकता था कि दोनों पक्षों के बीच दिन में जमकर पत्थरबाजी और झड़प हुई थी. रास्ते में एक गाड़ी उल्टी पड़ी थी जिसमें दंगाइयों ने आग लगा दी थी.

मौजपुर के पास मौजूद भीड़ में अधिकतर लोग जो खुद को सीएए का समर्थक बता रहे थे उनमें से बहुत सारे लोगों ने अपने माथे पर तिलक लगा रखा था. लड़कों ने हाथ में लोहे की रॉड और लकड़ी के डंडे ले रखे थे. थोड़े-थोड़े देर में उनका समूह जय श्री राम के नारे लगा रहा था उनके पास मौजूद साउंड सिस्टम पर भी तेज आवाज़ में गाना बज रहा था. वहां का माहौल बेहद तनावपूर्ण था. जैसे ही हमने वहां पर लोगों से बातचीत करने की कोशिश की, तभी 20-25 लोगों की भीड़ आई और वहां मौजूद घरों और दुकानों पर पथराव करने लगी. थोड़ी देर पहले ही भीड़ ने वहां पर मौजूद एक घर में आग भी लगा दी. पहले से मौजूद लोगों से जब यह पूछा कि ये कौन लोग हैं? तो उन्होंने कुछ आनाकानी करते हुए बताया कि ये शायद बाहर के लोग हो सकते हैं.

तभी भीड़ में से एक व्यक्ति बोला कि इन्हें रोको वरना पुलिस लाठीचार्ज कर देगी. इस पर वहीं मौजूद दूसरा व्यक्ति बोला, “कुछ पत्थर बचे हैं उनका इस्तेमाल कर रहे हैं.” हैरानी की बात यह है कि ये लोग लगभग दस मिनट तक वहां लगातार पत्थरबाजी करते रहे और कुछ ही दूरी पर मौजूद पुलिस ने उन्हें रोकने की कोई कोशिश भी नहीं की.

इस मौके पर मेरे सहयोगी ने मुझे बताया कि कुछ समय पहले सीएए समर्थकों ने माइक से एलान किया है कि कोई भी पत्रकार यहां कोई वीडियो वगैरह न बनाए. इसके बाद पुलिस ने भी उनसे कहा था कि बेहतर है कि आप यहां से चले जाएं, आपके साथ कुछ भी हो सकता है. इतनी भारी भीड़ के बीच हम घिरे हुए थे, लिहाजा हमें भी डर लग रहा था.

Along the Maujpur-Jaffrabad Road.
Along the Maujpur-Kardampuri Road.

इसके बाद वहां से हम एक आदमी की मदद से बाहर की ओर निकले. उस आदमी ने हमें भरोसा दिया कि आपको कुछ नहीं होगा. भीड़ से बाहर निकलने के बाद हमारी मुलाकात कुछ युवाओं से हुई. अयान ने उनसे बातचीत करनी चाही तो वे मुस्लिमों के खिलाफ अपनी भड़ास निकालने लगे. उनमें से एक ने कहा, “अब हिंदू जाग गया है, एक-एक को देख लेंगे.”

उन्होंने बताया, “इन लोगों ने (सीएए के विरोधियों) हमारे घरों में पथराव किया था. ये सब लोग हमसे नफरत करते हैं. जिसके बाद हमने जवाब दिया है. जब तक वे रोड खाली नहीं करते, तब तक हम भी खाली नहीं करेंगे. यह लोग यहां पर दूसरा “शाहीन बाग” बनाना चाहते हैं, लेकिन हम बनने नहीं देंगे.”

यहां से निकल जब हमारे सहयोगी सीएए विरोधी खेमे में पहुंचे तो वहां भी उन्हें कुछ लोगों ने घेर लिया और उनका नाम पूछने लगे. इनका बीच बचाव करने के लिए कुछ और लोग आ गए. हमारे ये बताने पर कि हम मीडिया से हैं तो उन्होंने पूछा कि किस मीडिया से हो, “गोदी मीडिया से तो नहीं हो.” उनकी बातों से लग रहा था कि वे मीडिया के एक धड़े से भी नाराज हैं, जो सही खबरें नहीं दिखा रहा है. इसके बाद हमारे सहयोगी एक दूसरे रास्ते से निकल कर वापस चले आए.

देश की “राजधानी दिल्ली” की सड़कों पर जो नज़ारा था वह भयावह था. ये यकीन करना मुश्किल था कि आम लोगों के मन में एक दूसरे के लिए इतनी नफरत भरी हुई है. उत्तर पूर्वी दिल्ली के कई और इलाकों में दंगा और आगजनी जारी थी. हम वापस अपने घर की तरफ लौट आए.