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वरिष्ठ पत्रकार की कोरोना से मौत से नंग-धड़ंग खड़ा हुआ यूपी का ‘आगरा मॉडल’

बुधवार, 6 मई 2020 को विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भारत सहित कुछ देशों में कोरोना के बढ़ते मामलों को लेकर चिंता जाहिर की है. कोरोना पर डबल्यूएचओ की नियमित प्रेस वार्ता में स्वास्थ्य आपदा कार्यक्रम के कार्यकारी निदेशक डॉ. माइकल जे. रेयान ने कहा कि हम इन देशों में इस महामारी के बढ़ते खतरे को लेकर चिंतित हैं और इन सरकारों को प्रतिबंधों में ढील देते समय बेहद सावधानी बरतने की जरूरत है.

डब्ल्यूएचओ ने ये चिंता यूं ही जाहिर नहीं की है. पिछले कुछ दिनों में भारत में कोरोना वायरस के मामले बहुत तेजी से बढ़े हैं. पिछले सिर्फ 3 दिन में कोरोना के 10,000 नए मामले सामने आए हैं, जबकि शुरूआती 10,000 मामलों तक पहुंचने में 75 दिन का समय लगा था. देश में कोरोना से अब तक 1,886 लोगों की मौत हो चुकी है और संक्रमित लोगों को आंकड़ा 50,000 को पार कर गया है. इस महामारी से अब कोरोना वॉरियर्स भी अछूते नहीं हैं. डॉक्टर, पुलिस तो पहले ही इसकी चपेट में आ चुके थे.

इस कड़ी में अब पत्रकारों का नाम भी जुड़ गया है. उत्तर प्रदेश के आगरा जिले में पत्रकार पंकज कुलश्रेष्ठ की बृहस्पतिवार को कोरोना से मौत हो गई. 52 साल के पंकज, दैनिक जागरण आगरा में डिप्टी न्यूज़ एडिटर के पद पर कार्यरत थे. इससे पहले पंकज, दैनिक जागरण मथुरा के जिला प्रभारी रह चुके हैं. लगभग 25 साल तक पंकज दैनिक जागरण में पत्रकार रहे. वे मूलत: एक क्राइम रिपोर्टर रहे थे और और आगरा के प्रमुख क्राइम रिपोर्टरों में इनका नाम शुमार था.

पंकज की मौत से पत्रकारों में शोक के साथ ही भय और चिंता का माहौल पैदा हो गया है. स्थानीय पत्रकारों में प्रशासनिक लापरवाही और दैनिक जागरण प्रबन्धन के प्रति भी गुस्सा है. कई पत्रकारों ने अपना गुस्सा और क्षोभ सोशल मीडिया पर साझा भी किया है. कुलश्रेष्ठ ने जहां अपनी पूरी जिन्दगी लगा दी उस संस्थान की तरफ से अभी तक परिवार के लिए कोई सकारात्मक प्रतिक्रिया देखने-सुनने को नहीं मिली है.

खबरों के मुताबिक आगरा में फिलहाल दैनिक जागरण के 11 कोरोना पॉजिटिव पत्रकारों का इलाज चल रहा है. बावजूद इसके दैनिक जागरण की स्थानीय यूनिटों में अभी भी जबरदस्ती ऑफिस में बुलाकर काम कराया जा रहा है. इससे यहां कार्यरत मीडियाकर्मियों में रोष और भय का माहौल है.

आगरा जिला उत्तर प्रदेश में कोरोना संक्रमण का हॉटस्पॉट बना हुआ है. अभी तक यहां 670 लोग कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं और 20 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है. एक पुलिसकर्मी की पहले ही मौत हो चुकी है जबकि कल ही एक महिला पुलिसकर्मी की भी कोरोना से मौत हुई है. कुछ दिन पहले ही उनकी डिलीवरी हुई थी. आगरा में कोरोना के मरीजों और क्वारंटीन सेंटर की बदइन्तजामी का मामला पहले ही सामने आ चुका है. कुछ दिन पहले यहां का एक वीडियो वायरल हुआ था, जिसमें क्वारंटीन सेंटर में रखे गए लोगों को फेंककर खाने-पीने की चीजें दी जा रही थीं. जिस पर काफी विवाद हुआ था.

उत्तर प्रदेश मान्यता प्राप्त संवाददाता समिति ने पत्रकार की मौत पर शोक संवेदना जताते हुए यूपी सरकार को एक चिट्ठी लिखी है. इसमें पीड़ित परिवार को मुआवजा और एक सदस्य को सरकारी नौकरी देने की मांग की गई है. साथ ही याद भी दिलाया है कि पूर्व में कई बार सरकार से पत्रकारों की सुरक्षा के लिए बीमा कवर हेतु चिट्ठी लिखी गई थी, लेकिन उस पर कोई कार्यवाही नहीं की गई. सरकार से अब इस मामले में सकारात्मक कार्यवाही की अपेक्षा की गई है. साथ ही समिति के सदस्यों को अफ़सोस है कि कल मौत होने के बाद सरकार की तरफ से परिवार के प्रति कोई संवेदना तक नहीं जताई गई है.

उत्तर प्रदेश मान्यता प्राप्त संवाददाता समिति ने सरकार को लिखी चिट्ठी

आगरा के ही एक अन्य पत्रकार और पंकज के साथी मानवेन्द्र ने हमें बताया, “मैं, उनके लगातार सम्पर्क में था. लगभग एक सप्ताह पहले इनकी कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी. पहले तो रिपोर्ट ही गुम हो गई थी. तो कई दिन तो ऐसे ही गुजर गए. फिर इन्हें आगरा के सरोजिनी नायडू मेडिकल कॉलेज ले जाया गया. लेकिन वहां कोई बेड खाली नहीं था. इस कारण ये वापस घर आ गए. इस चक्कर में कई दिन खराब हो गए.

साथ ही जब इनकी रिपोर्ट पॉजिटिव आ गई थी तो इनके घर के सदस्यों की भी टेस्टिंग करनी चाहिए थी लेकिन वो भी नहीं की गई. वो अब जाकर हुई है, जब इनकी डेड बॉडी आ गई है. अब प्रशासन की लापरवाही आप इसी से समझ सकते हैं. बाद में बेड खाली होने पर पंकज को आइसोलेशन वार्ड में भर्ती किया गया. बुधवार से वो वेंटिलेटर पर थे और शाम लगभग 7 बजे उनकी मृत्यु हो गई. आगरा के अशोक नगर इनके परिवार में पत्नी के अलावा एक लड़का है. जिनका कोरोना पॉजिटिव होने का खतरा भी बढ़ गया है. इनकी रिपोर्ट आनी अभी बाकी है.”

मानवेन्द्र बताते हैं, “असल में आगरा को 220 बेड के कोरोना मरीजों के अस्पताल के लिए काफी दिनों से सरकार ने आदेश जारी किया हुआ है, लेकिन सिर्फ 100 ऑक्सीजन बेड और 20 वेंटिलेटर ही उपलब्ध हैं. यहां कोरोना के आंकड़ों के साथ भी बाजीगरी हो रही है. जांच लखनऊ भेजना बंद कर दिया गया है अब यहीं आगरा में जांच कर रहे है, जिससे आंकड़े कम आ सकें. आगरा की आबादी लगभग 35 लाख है और अभी तक सिर्फ 8,400 लोगों की टेस्टिंग हुई है. क्वारंटीन सेंटर में जो लोग 30 दिन से फंसे हुए हैं, उनकी रिपोर्ट भी नहीं आई है.”

साथी की मौत होने पर मानवेन्द्र ने अन्य पत्रकारों की तरह दैनिक जागरण पर सवाल उठाते हुए कहा, “पंकज की मौत होने के बाद रात 9 बजे तक दैनिक जागरण के इनके स्टाफ को इनकी कोई ख़बर तक नहीं थी, ये हाल है. और आप तो जानते ही हैं कि इस संस्थान का पूरी तरह से भाजपा के साथ संपर्क है. ये उसके खिलाफ जा नहीं सकते. अगर ये अख़बार और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया काम सही करते या सच्चाई दिखाते तो लोग हमें और न्यूज़लांड्री को नहीं पढ़ते. अभी तक जागरण की तरफ से कोई क्षतिपूर्ती की भी घोषणा नहीं की गई है.”

उत्तर प्रदेश मान्यता प्राप्त संवाददाता समिति के अध्यक्ष हेमंत तिवारी ने पत्रकार पंकज की मौत पर कहा, “कल ही हमने सरकार को चिट्ठी लिखकर पीड़ित परिवार को 50 लाख रुपए और एक सदस्य को सरकारी नौकरी की मांग की है. हमने कुछ दिन पहले भी सरकार को चिट्ठी लिखकर कहा था कि जो पत्रकार फील्ड में काम कर रहे हैं उनको 50 लाख का बीमा कवर दिया जाए. लेकिन दुर्भाग्य की बात ये है कि उत्तर प्रदेश सरकार भी पत्थर दिल हो गई है.

3 साल से मैं सरकार को पत्रकारों की सुरक्षा से सम्बन्धित चिट्ठी भेज रहा हूं. रिमाइंडर भेजा. दसियों बार मुख्यमंत्री, चीफ सेक्रेटरी और दूसरे अधिकारियो से मिला हूं कि जो सामान्य चीजें हैं, जो दूसरे राज्य कर रहे हैं वो तो कर दीजिए. लेकिन इन्होंने वह भी नहीं किया. हम कोई भीख थोड़ी मांग रहे हैं. और जब दूसरे राज्य कर सकते हैं तो आपको क्या दिक्कत आ रही है. यहां तक कि सरकार ने जो छोटे अख़बार है, जो विज्ञापन के भरोसे अपनी जीविका चलते हैं, उनके बकाया विज्ञापनों के पैसे भी नहीं दिए हैं. दूसरी ओर जागरण को अभी तीन दिन पहले 3 करोड़ का भुगतान किया गया है, अफ़सोस की बात है.”

दैनिक जागरण के बारे में हेमंत तिवारी बेहद निराश लहजे में कहते हैं, “मैं, इसके आगरा लॉन्चिंग टीम का सदस्य रहा हूं. मैंने बहुत सारे प्रमुख पदों पर वहां काम किया है, मैं इन सबको जनता हूं. इनसे (दैनिक जागरण) एक चवन्नी की भी उम्मीद नहीं की जा सकती. इससे ज्यादा नाशुक्रा संस्थान पूरे देश में शायद ही कोई होगा और उनसे बात करो तो बात करते नहीं हैं. बहुत ही घटिया सोच के लोग हैं. अगर इनको लगे तो ये तो मृतक से भी लिखवा लें कि संस्थान से मेरा कोई नाता नहीं है.”

हमने आगरा के डीएम पीएन सिंह से भी इस मामले में बात करनी चाही तो उन्होंने छूटते ही कहा कि आप दैनिक जागरण के एडिटर से बात कीजिए वही इस बारे में सारी बातें बताएंगे. जब हमने जोर देकर पूछा कि टेस्ट तक में लापरवाही क्यों की गई तो पीएन सिंह ने कहा, “उनकी (पत्रकार) बहुत केयर की गई थी. कोई लापरवाही नहीं हुई.”

दैनिक जागरण के आगरा संस्करण के एडिटर उमेश शुक्ला से हमने कई बार बात करने की कोशिश की, लेकिन हमारी उनसे बात नहीं हो पाई. अगर उनका कोई जवाब मिलेगा तो उसे इस रिपोर्ट में अपडेट कर दिया जाएगा.

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