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एनएल टिप्पणी: शराब के चक्कर में नैतिक प्रवचन की पाठशाला में तब्दील हो गए ख़बरिया चैनल
दिल थाम के बैठिए इस हफ्ते ख़बरिया चैनलों की दुनिया में दिखने वाले कुछ एंकर, एंकराओं और तथाकथित एक्सपर्ट के चेहरे से नकाब हटने वाला है. हल्दी की एक गांठ पर पंसारी की दुकान सजा कर बैठे तमाम एंकरों और विशेषज्ञों की कलई इस हफ्ते मजदूरों के लिए चली कुछ विशेष ट्रेनों ने खोल दिया. एक-एक कर परदा हटाता हूं.
टीवी के परदे पर 4 मई को तमाम एंकर, एंकराएं और तथाकथित एक्सपर्ट जो पन्ना लहरा रहे थे, वह दो मई को जारी हुआ गृहमंत्रालय का एक सर्कुलर था. इनका बारंबार ये कहना था कि टिकट तो फ्री है. केंद्र सरकार टिकट का 85 फीसदी और शेष 15 फीसद राज्य सरकारों को देना है. यह भी कहा गया कि सिर्फ कांग्रेसी राज्य सरकारें मजदूरों से पैसा वसूल रही थीं, जबकि भाजपा शाषित राज्य सरकारें नहीं वसूल रही थीं. मैं आपको सिर्फ भगोने का एक चावल दिखा रहा हूं, ज्यादातर चावलों ने इसी तरह की अधपकी अफवाहें अपने चैनलों के जरिए फैलाई. आप भी जानिए मजदूरों से वसूले गए किराए का पूरा सच.
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