Newslaundry Hindi
एनएल चर्चा 121 : भारत चीन सीमा पर शहीद हुए सैनिक और सुशांत सिंह की आत्महत्या
एनएल चर्चा के 121वें अंक में भारत-चीन सेना की बीच हुई झड़प में 20 भारतीय सैनिकों के शहीद हो जाने की ख़बर, सुशांत सिंह की अकस्मात आत्महत्या, लॉकडाउन की शुरूआत होने के बाद से पूरे देश में करीब 55 पत्रकारों के खिलाफ दर्ज हुए मुकदमें और ब्रिटेन के वैज्ञानिकों द्वारा कोरोना वायरस के इलाज के लिए डेक्सामेथासोन दवा के प्रभाव आदि विषयों पर विस्तार से बातचीत हुई.
इस बार चर्चा में वरिष्ठ फिल्म समीक्षक और पत्रकार अजय ब्रह्मात्मज, शार्दूल कात्यायन और न्यूज़ल़ॉन्ड्री के एसोसिएट एडिटर मेघनाथ एस शामिल हुए. चर्चा का संलाचन न्यूज़लॉन्ड्री के कार्यकारी संपादक अतुल चौरसिया ने किया.
चर्चा की शुरुआत करते हुए अतुल ने मेघनाथ और शार्दूल से सवाल किया कि, भारत और चीन के बीच जो यह घटना घटी है, उसे अगर हमें मोदी सरकार के लिहाज से देखें तो उनके सत्ता में आने के बाद चीन के राष्ट्रपति से उनकी करीब 18 बार मुलाकातें हुई हैं. इन मुलाकातों की तस्वीरें और वीडियो देखने पर लगता हैं दोनों देशों के रिश्ते मजबूत और अच्छे हैं, बावजूद इसके चीन ने भारतीय सीमा में घुस कर पोस्ट बनाए, हिंसक झड़प में 20 भारतीय सैनिक शहीद हो गए वही 70 से ज्यादा घायल हैं. एक तरफ हमारे पास दोनों राष्ट्राध्यक्षों की अच्छी तस्वीरें हैं और दूसरी तरफ सीमा पर शहीद हुए सैनिक.”
मेघनाथ ने जवाब देते हुए एक और विषय इसमें जोड़ दिया. आ रही खबरों की मानें तो गुरुवार शाम को 10 भारतीय सैनिकों को चीन ने अपने कब्ज़े से छोड़ा है. दूसरी तरफ हमारे सामने एक अजीब सी समस्या हैं कि इस पूरे मसले पर किसी को भी पूरी और सही जानकारी नहीं है. क्योंकि सभी मीडिया अलग-अलग पूरे मामले को बताते है, लेकिन 20 सैनिकों के शहीद हो जाने की खबर आधिकारिक तौर पर हमारे सामने है.
इस पूरे मामले मेें एक बात तो सामने आ रही हैं कि चीनी सैनिकों ने बेसबाल और डंंडों से पीट-पीटकर भारतीय सैनिकों की हत्या कर दी. लेकिन जैसा कि राहुल गांधी ने भी सवाल किया की बार्डर पर जब इस तरह के तनावपूर्ण हालात हैं तो उन्हें निहत्थे क्यों पेट्रोलिंग करने के लिए भेजा गया. इस पर विदेश मंत्री ने जवाब दिया है कि सैनिक निहत्थे नहीं थे, उन्होंने भारत-चीन संधि के तहत हथियारों का उपयोग नहीं किया.
लेकिन यह कैसे हो सकता हैं, कि जब भारतीय सैनिकों को चीन के सैनिक मार रहे थे, तो उन्होंने अपने साथियों की मदद के लिए हथियार का उपयोग नहीं किया. जबकि उनकी जान पर खतरा था. यह तो सेल्फ डिफेंस का मामला भी हैं. उन्होंने हथियार होते हुए भी अपने बचाव के लिए उसका उपयोग क्यों नहीं किया.
इस मसले पर अपना नजरिया रखते हुए शार्दूल कहते हैं, “जिस तरह हमारे प्रधानमंत्री हर बात में ऐतिहासिक निर्णय की बात करते है, तो यह घटना उनके प्रधानमंत्री काल में ऐतिहासिक क्षण है. इस पूरे मसले को समझने के लिए हमें चीन की सामरिक नीति को समझना होगा. चीन मामले के एक्सपर्ट भी बताते हैं कि चीन पावर को इस्तेमाल करने में विश्वास रखता है. यह चीन की सांस्कृतिक वैल्यू है, और जब तक हम इसे समझेगें नहीं तब तक हम उसका मुकाबला नहीं कर सकते.”
2014 और 2017 में भी भारत चीन सेना के बीच झड़प हुई थी, लेकिन इस बार कोई झड़प नहीं है. यहां सैनिक शहीद हुए है. इसलिए यह पूरा मामला पिछले मामलों से अलग हैै. चीन लगातार अपनी सीमा का विस्तार कर रहा है. इस आधुनिक समय में किसी भी सरकार को नहीं लगता था कि कोई अन्य देश युद्ध करके अपनी सीमाएं बढ़ाना चाह रहा है. लेकिन चीन लगातार अपनी सीमाएं बढ़ा रहा हैं, फिर चाहे वह जापान के साथ हो, वियतनाम के साथ या साउथ चाइना सी में कब्जा करना हो.”
चर्चा में अन्य विषयों पर भी विस्तार से चर्चा हुई. पूरी चर्चा सुनने के लिए यह पॉडकास्ट सुने. न्यूजलॉन्ड्री को सब्सक्राइब करना न भूलें.
पत्रकारों की राय, क्या देखा पढ़ा और सुना जाए.
अजय ब्रह्मात्मज
फिल्म: गुलाबो सिताबो
मेघनाथ
सैकत दत्ता का भारत-चीन विवाद पर लेख
फूड विश - यूट्यूब चैनल
शार्दूल कात्यायन
झारखंड में पत्रकार के खिलाफ दर्ज हुआ मुकदमा - बसंत कुमार की रिपोर्ट
कॉम्प्लेक्सीटी बिहाइंड द एक्ट ऑफ सुसाइड
अतुल चौरसिया
ओपन मैगजीन पर प्रकाशित- इकबाल चंद का लेख
Also Read
-
We tried to wish Modiji in TOI. Here’s why we failed
-
Gujarat’s invisible walls: Muslims pushed out, then left behind
-
From Doraemon to Sanjay Dutt: The new grammar of DU’s poll season
-
सियासत और पत्रकारिता की उतरी हुई पैंट के बीच नेपाल में हिंदू राष्ट्र का ख्वाब और मणिपुर में मोदीजी
-
हैप्पी बर्थडे मोदीजी: एक गुजराती भाई ने दूसरे गुजराती को जन्मदिन की बधाई भेजी है