Newslaundry Hindi
झांसे वाले बाबा और बंगलुरु में दंगा
इस हफ्ते फिर से टिप्पणी में महाराज धृतराष्ट्र और संजय की वापसी हुई. उनकी बातचीत का दायरा तमाम सामयिक मुद्दों को समेटता है. जन्माष्टमी कुछ दिन पहले ही बीती है. इस मौके पर बाबा रामदेव ने अपनी बांसुरी वादन कला का मुजाहिरा किया. चैनलों की दुनिया में हमेशा की तरह उलटबांसियां जारी रही. इस बार बात अमीश देवगन और सुचरिता की.
बीते हफ्ते बंगलोर में दंगा भड़क उठा. कांग्रेस पार्टी के एमएलए के भतीजे ने फेसबुक पर इस्लाम और पैगंबर से जुड़ी कुछ अपमानजनक बातें लिखी. इसकी प्रतिक्रिया में आहत होने को तत्पर बैठा एक समूह तत्काल आहत हो गया. लोग हिंसा, आगजनी, मारकाट के लिए सड़कों पर उपलब्ध हो गए. यह घटना का सिर्फ एक पहलू है इसका दूसरा पहलू है कि किस तरह से इसे दिखाया गया.
बीते कुछ सालों में अनगिनत बार घट चुकी इसी तरह की घटनाओं का विस्तार है बंगलोर की घटना. किसी ने फेसबुक पर धार्मिक टिप्पणी की और लोग दंगा-फसाद में मुब्तिला हो गए. क्या इसे सिर्फ एक समूह की कबीलाई मानसिकता को दोष देना सही है. क्या जिस पुलिस प्रशासन को इससे निपटना था उसने इस मामले या इस जैसे तमाम मामलों में ईमानदारी बरती.
राजनीतिक आकाओं और उनकी राजनीतिक विचारधारा के नीचे अपनी संवैधानिक शपथ को दांव पर लगा चुके सिस्टम से आपको क्या सुरक्षा का, न्याय का भरोसा मिलता है. यह समझना जरूरी है कि लोग कानून हाथ में लेने को तभी मजबूर होते हैं जब उन्हें सिस्टम से भरोसा नहीं मिलता.
Also Read: बनाना रिपब्लिक में बाबा रामदेव की कोरोनिल
Also Read
-
A flurry of new voters? The curious case of Kamthi, where the Maha BJP chief won
-
Delhi’s demolition drive: 27,000 displaced from 9 acres of ‘encroached’ land
-
डिस्टर्ब्ड एरिया एक्ट: गुजरात का वो कानून जिसने मुस्लिमों के लिए प्रॉपर्टी खरीदना असंभव कर दिया
-
How Muslims struggle to buy property in Gujarat
-
Air India crash aftermath: What is the life of an air passenger in India worth?