Newslaundry Hindi
अपना कंटेंट बदले टीवी मीडिया, नहीं तो बंद कर देंगे विज्ञापन देना: एडवरटाइजर्स
देशभर के प्रमुख विज्ञापनदाताओं (एडवरटाइजर्स) ने कहा, वे समाचार चैनलों पर बढ़ते विषैले कार्यक्रमों से चिंतित है और अगर समाचार प्रसारक कंटेंट पर गंभीरता से विचार नहीं करेंगे तो वह अपने विज्ञापन को उस प्लेटफॉर्म पर चलाने के विषय में पुनर्विचार कर सकते है. साथ ही उनका मानना हैं कि समाचार चैनलों पर विज्ञापन देने से ब्रांड सुरक्षा पर गंभीर प्रश्न खड़े हो जाते है.
बेस्टमीडियाइन्फों पर प्रकाशित यह रिपोर्ट, देशभर के प्रमुख विज्ञापनदाताओं से बातचीत कर तैयार की गई है. इस रिपोर्ट में अमूल के सीईओ आरएस सोढ़ी, पार्ले के सीनियर केटेगरी बिजनेस हेड के कृष्णा राव बुद्ध, फ़्यूचर ग्रुप के डिजिटल, मार्केटिग और ई-कामर्स के ग्रुप हेड पवन शारदा, मारूति सुजुकी के सेल्स और मार्केटिग एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर शंशाक श्रीवास्तव और एक अन्य एफएमसीजी कंपनी के सीईओ से बातचीत की गई है.
अमूल के आरएस सोढ़ी कहते हैं कि समाचार चैनल युवाओं के दिमाग में नकारात्मकता ला रहे हैं और विज्ञापनदाताओं को काम करने में समय लग रहा है. यहां वह टीवी मीडिया के महत्व की बात करते हुए कहते हैं, हम अपना 35-40 प्रतिशत टीवी विज्ञापन का हिस्सा न्यूज चैनलों पर खर्च करते हैं. टीवी न्यूज़ एक बहुत ही महत्वपूर्ण माध्यम हैं उपभोक्ता तक पहुंचने के लिए, इसलिए हम टीवी न्यूज़ चैनलों पर विज्ञापन पूरी तरह से बंद नहीं कर सकते हैं.
बता दें कि सुदर्शन टीवी के नौकरशाही में मुसलमानों की घुसपैठ के षड्यंत्र का खुलासा’ शो में अमूल भी एक प्रायोजक था. इस शो पर न्यूज़लॉन्ड्री ने एक रिपोर्ट की थी, जिसके बाद से उस शो से अमूल का विज्ञापन हटा लिया गया. एक एफएमसीजी कंपनी के सीईओ जिनका नाम नहीं छापा गया है, वह टीवी मीडिया के कंटेट पर कहते है, “समाचार चैनल ओवरबोर्ड (जरूरत से ज्यादा) जा रहे हैं और उन्हें यह बताने की आवश्यकता है कि हमारे पैसे, हमारे उपभोक्ताओं में घृणा, अनादर और आक्रामता पैदा करने के लिए नहीं हैं”.
इस रिपोर्ट में जब पूछा गया कि ‘आखिर क्यों ब्रांड टीवी न्यूज़ विज्ञापन को कम करने से डरते हैं’ इस पर पार्ले के बिज़नेस हेड कहते है, ‘कहीं ना कहीं विज्ञापनदाताओं में भय है और क्योंकि चैनल किसी भी ब्रांड की इमेज खराब करने की शक्ति रखते हैं. राव यहां पर अपने ब्रांड का एक उदाहरण देकर बताते हैं कि कैसे टीवी मीडिया ने उनके ब्रांड की इमेज धूमल की थी, क्योंकि उन्होंने कुछ मीडिया को विज्ञापन नहीं दिया.
इसी मुद्दे पर जब एक पान मसाले ब्रांड से बेस्टमीडियाइन्फों ने बात की तो वह कहते है हम इसपर कुछ नहीं कह सकते क्योंकि हम न्यूज़ चैनलों के सबसे आसान टारगेट होते है. बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में भी मीडिया के कंटेंट को लेकर सुनवाई चल रही है. यह सुनवाई सुदर्शन टीवी के कार्यक्रम के बाद हुई, जिसमें कथिततौर पर एक समुदाय को निशाना बनाया जा रहा है. इस मामले में एनबीए भी पार्टी है और उसने सुप्रीम कोर्ट से उसे शाक्तियां देने की गुज़ारिश की हैं, ताकि वह मीडिया चैनलों के कंटेंट पर कारवाई कर सके.
Also Read
-
CEC Gyanesh Kumar’s defence on Bihar’s ‘0’ house numbers not convincing
-
Hafta 550: Opposition’s protest against voter fraud, SC stray dogs order, and Uttarkashi floods
-
TV Newsance 310: Who let the dogs out on primetime news?
-
If your food is policed, housing denied, identity questioned, is it freedom?
-
The swagger’s gone: What the last two decades taught me about India’s fading growth dream