Newslaundry Hindi
टेलीग्राफ और मुंबई मिरर ने इस तरह बाबरी विध्वंस के फैसले को किया प्रकाशित
बुधवार को 28 साल बाद बाबरी विध्वंस मामले में सीबीआई की स्पेशल कोर्ट ने फैसला सुनाया. कोर्ट ने इस मामले में लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती समेत कई अन्य नेताओं और साधु-संतो को बरी कर दिया.
जज एसके यादव ने फैसला सुनाते हुए कहा, यह विध्वंस पूर्व नियोजित नहीं था बल्कि आकस्मिक घटना थी. अभियुक्तों के खिलाफ कोई ठोस साक्ष्य नहीं दिया गया. वहीं जज ने कहा कि इस ढ़ांचे को 32 आरोपियों ने नहीं बल्कि कुछ अराजकतत्वों ने गिराया था. जिसके बाद विशेष अदालत ने सभी अभियुक्तों को बरी कर दिया.
बुधवार को आए फैसले को पूरे देश की मीडिया ने बढ़-चढ़ कर कवर किया. टीवी मीडिया के जहां तीन से चार रिपोर्टर इस मामले को अदालत से कवर कर रहे थे, तो वहीं डिजिटल मीडिया लाइव अपडेट के साथ इस मामले को कवर कर रहा था.
इसी फैसले को अपने अलग अंदाज के लिए प्रसिद्ध एबीपी ग्रुप के अंग्रेजी अखबार ‘टेलीग्राफ’ ने पहले पेज पर जगह दी. अखबार ने बाबरी मस्जिद की एक फोटो के साथ लिखा “अगर हम वास्तव में आश्चर्यचकित हुए है, तो.. यह हम हैं” ( इस लाइन के साथ एक गधे का फोटो छापा गया).
अखबार ने आगे लिखा, “दिसंबर 6, 1992 और 30 सितंबर, 2020 की घटना हमारी आंखों के सामने हुई. हम बिना किसी शक के जानते थे कि यह किसने किया था, क्यों किया और इसकी कीमत राष्ट्र रक्त के रूप में बहा. फिर भी हमने उन्हें वैध कहा और उन्हें पुरस्कृत किया, चुनाव के बाद चुनाव में - और अब हम निराशा में भटक रहे हैं!”
मुबंई मिरर ने भी बाबरी विध्वंस फैसले को अपने अखबार के पहले पेज पर जगह दी. अखबार ने हाथरस घटना और अयोध्या फैसले को एक साथ छापते हुए लिखा, “अपवित्रता का कार्य, शून्य परिणाम जलता, तोड़ता विचार… (यहां आप भरे)
अखबार ने हाथरस मामले में पीड़िता के जलाते शव के साथ फोटो प्रकाशित किया और लिखा, हाथरस पीड़िता के शव को बिना परिवार की मौजूदगी के जला दिया गया; योगी सरकार ने एसआईटी गठित कर दी है, देशव्यापी विरोध जारी है.
अखबार ने कारसेवकों के बाबरी मस्जिद पर चढ़ जाने वाला एक फोटो प्रकाशित करते हुए लिखा, “बाबरी विध्वंस मामले में 28 साल बाद आया फैसला, आडवाणी, मुरली और उमा समेत 32 आरोपियों को अदालत ने सबूतो के अभाव में बरी किया”. दोनों ही अखबारों ने बेहद की अलग अंदाज में बाबरी मामले को अपने अखबार में जगह दी और उसे प्रकाशित किया.
Also Read
-
WhatsApp university blames foreign investors for the rupee’s slide – like blaming fever on a thermometer
-
Let Me Explain: How the Sangh mobilised Thiruparankundram unrest
-
TV Newsance 325 | Indigo delays, primetime 'dissent' and Vande Mataram marathon
-
The 2019 rule change that accelerated Indian aviation’s growth journey, helped fuel IndiGo’s supremacy
-
You can rebook an Indigo flight. You can’t rebook your lungs