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हाथरस मामले में अधिकारियों पर कार्रवाई, पत्रकारों पर परिवार से मिलने पर प्रतिबंध
हाथरस मामले में देशभर में विरोध बढ़ता ही जा रहा है. नेता से लेकर मीडिया, सभी प्रशासन के निशाने पर है. एक ओर जहां मीडिया को गांव में जाकर रिपोर्टिंग करने से रोका जा रहा है तो दूसरी ओर प्रशासन ने पहले राहुल गांधी और प्रियंका गांधी को गिरफ्तार किया, उनके साथ धक्का मुक्की की. 2 अक्टूबर को बार फिर से टीएमसी के सांसद डेरेक ओ’ब्रायन और अन्य महिला सांसद से धक्कामुक्की की गई.
उत्तर प्रदेश के कानून व्यवस्था पर उठते सवालों के बीच मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मीडिया को संबोधित करते हुए कहा कि, जिले के एसपी, डीएसपी, इंस्पेक्टर समेत अन्य अधिकारियों को निलंबित कर दिया है. यह आदेश उन्होंने एसआईटी की रिपोर्ट आने के बाद दिया है.
इंडिया टीवी की रिपोर्ट के मुताबिक, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस मामले में पीड़ित परिवार, आरोपियों और संबंधित पुलिस कर्मियों का पालीग्राफ व नार्को टेस्ट भी कराने का आदेश दिया है. हालांकि अभी तक जिले के डीएम और एसडीएम को निलंबित नहीं किया गया है. जबकि एसडीएम प्रेम प्रकाश मीणा पर कई मीडियाकर्मियों ने बदतमीजी का आरोप लगाया था.
आजतक की पत्रकार चित्रा त्रिपाठी ने भी ट्वीट कर कहा, “एक नंबर का फ़र्ज़ी और बदतमीज़ अधिकारी. पुलिस वालों के साथ आकर मुझे घेरता है फिर बदसलूकी.आज तक अपने पत्रकारिता करियर में ऐसा गंदा अधिकारी मैंने नहीं देखा.”
भारत समाचार की पत्रकार प्रज्ञा मिश्रा ने भी यही आरोप एसडीएम पर लगाया है. उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा, "शर्म करो एसडीएम प्रेम प्रकाश मीणा ख़ुद दलित होकर एक दलित बेटी के साथ अन्याय गिरोह के सरगना बन गए हो… पत्रकारों से अभद्रता कर रहे हो.. चुल्लू भर पानी में डूब के मर जाओ.."
कहा जा रहा है चूंकि पीड़ित पक्ष, आरोपियों और पुलिसकर्मियों के इस मामले में परस्पर विरोधी बयान हैं और एसआईटी ने इस मुद्दे को भी अपनी जांच रिपोर्ट में उठाया है इसलिए पालीग्राफ व नार्को टेस्ट कराए जाने के आदेश दिए गए हैं.
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